गंगा एक्सप्रेस-वे को लेकर हमने टारगेट दिया है, दिसंबर 2024 से पहले इसका कैरिज-वे तैयार करके दीजिए। ताकि पश्चिमी यूपी के लोग प्रयागराज महाकुंभ में आकर स्नान कर सकें। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 1 अगस्त को विधानसभा में ये बात कही थी। 10 अगस्त को औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी 594 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे के काम का निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने भी दिसंबर 2024 तक की डेडलाइन दी। अधिकारियों से कहा- 31 दिसंबर तक किसी भी हालत में एक्सप्रेस-वे का फर्स्ट कैरिज-वे (सड़क का मुख्य हिस्सा, जिस पर गाड़ी चलती है) तैयार करके दें। अब बड़ा सवाल है, क्या 31 दिसंबर 2024 तक यह पूरा हो पाएगा? क्या पश्चिमी यूपी के लोग एक्सप्रेस-वे के जरिए जनवरी 2025 में होने वाले महाकुंभ में पहुंच पाएंगे। काम पूरा होने में कहां चुनौती है? एक्सप्रेस-वे की खूबियां क्या हैं? इसका जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ने मेरठ से लेकर प्रयागराज तक 12 जिलों में एक्सप्रेस-वे का काम देखा। कर्मचारी से लेकर इंजीनियर और अधिकारियों से बात की। पहले जानिए गंगा एक्सप्रेस-वे बनने से क्या फायदे होंगे
प्रयागराज से मेरठ की दूरी वाया कानपुर 648 किलोमीटर है। गंगा एक्सप्रेस-वे बन जाने से यह दूरी 600 किमी रह जाएगी। अभी टाइम 10-12 घंटे लगता है, जो 6-8 घंटे रह जाएगा। यानी 4 घंटे का समय कम लगेगा और जाम से राहत मिलेगी। गंगा एक्सप्रेस-वे बन जाने के बाद प्रयागराज से मेरठ की सीधी कनेक्टिविटी हो जाएगी। अभी मेरठ से जाने के लिए बरेली और लखनऊ का रास्ता है। दिल्ली जाने वालों को प्रयागराज से लखनऊ और फिर आगरा एक्सप्रेस-वे पकड़ने की जरूरत नहीं होगी। हरिद्वार जाने में भी सहूलियत होगी। गंगा एक्सप्रेस-वे कुल 12 जिलों को जोड़ रहा है। प्रयागराज, प्रतापगढ़, रायबरेली, उन्नाव, शाहजहांपुर, हरदोई, बदायूं, अमरोहा, संभल, बुलंदशहर, हापुड़ और मेरठ। अब चलते है वहां, जहां से काम शुरू हुआ
हमारी टीम मेरठ के बिजौली गांव पहुंची। मेरठ शहर से करीब 7 किलोमीटर दूर हापुड़ बॉर्डर पर बसे इस गांव से ही एक्सप्रेस-वे की शुरुआत हो रही है। यहां पहले से नेशनल हाईवे-334 गुजरता है। यह हाईवे मेरठ को हापुड़, मुरादाबाद, बुलंदशहर और सहारनपुर को जोड़ता है। यहीं से एक्सप्रेस-वे की शुरुआत हो रही। एक्सप्रेस-वे पर जाने के लिए बनाए गए इंटरचेंज के जरिए हम ऊपर गए। करीब 1 किलोमीटर तक एक्सप्रेस-वे का मेन कैरिज-वे तैयार हो गया है। उसके जरिए हम आगे बढ़े। आगे अंडरपास का काम चल रहा था। एक्सप्रेस-वे का पहला अंडरपास बिजौली को दूसरे गांव से जोड़ता है। अंडरपास बना रहे निसार अहमद बताते हैं, यह काम एक हफ्ते में पूरा हो जाएगा। बाकी दिसंबर 2024 तक का जो टारगेट है, वह भी पूरा हो सकता है। अब हम आगे बढ़ने लगे। काम के लिहाज से 12 भागों में बांटा एक्सप्रेस-वे
हम हापुड़ से होते हुए बुलंदशहर के स्याना पहुंचे। इस एक्सप्रेस-वे के लिए स्याना तहसील के पोटा कबूलपुर, कुचेसर, बेनीपुर, हिंगवाड़ा, इकलेडी गांवों की 123 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। बुलंदशहर-गढ़ मुक्तेश्वर हाईवे के ऊपर से यह एक्सप्रेस-वे गुजर रहा है। यहां भी इंटरचेंज बनाया जाना है। काम के लिहाज से 12 भागों में बांटे गए एक्सप्रेस-वे में दूसरे भाग के निर्माण का सारा मटेरियल यहीं तैयार हो रहा है। हम प्लांट में काम करने वालों से मिलने पहुंचे। वह सिर्फ अपने हिस्से का काम बता सके। कहते हैं, हमारा काम प्लांट के अंदर मटेरियल तैयार करना है। हम सभी ड्यूटी खत्म होने के बाद यहां बनाए अस्थायी क्वार्टर में आ जाते हैं। रामगंगा पर बन रहा पुल सबसे बड़ी चुनौती
गंगा एक्सप्रेस-वे का सबसे बड़ा हिस्सा बदायूं जिले से होकर गुजरता है। इस जिले में एक्सप्रेस-वे 92 किलोमीटर तक है। यहीं रामगंगा नदी पर 720 मीटर लंबा पुल बन रहा है। हम यहां पहुंचे तो देखा, नदी उफान पर है। उसकी वजह से जबरदस्त कटान हो रहा है। हर दिन 1 मीटर से ज्यादा हिस्सा नदी में कट जा रहा। हमें यहीं गांव के निवासी पूरन और सागर मिले। कटान को लेकर सवाल किया, तो पूरन कहते हैं- जब पुल बन रहा था, तब नदी करीब 200 मीटर दूर थी। अब पुल के बगल का हिस्सा भी कट गया है। कटान और नदी के उफान के चलते पुल का काम रुक गया है। हमने पुल तैयार कर रहे प्रोजेक्ट मैनेजर पवन सिंह से बात की। पवन सिंह कहते हैं- गाडर लाइन कम्प्लीट है, छत पड़नी शुरू हुई है। लेकिन, कटान और नदी की तेज धार के चलते काम रुका है। हमने कहा कि जहां तक पुल बना है उसके आगे तक कटान आ गई है। क्या पुल बढ़ाया जाएगा? पवन कहते हैं- अब पुल को नहीं बढ़ाया जाएगा, प्रोटेक्शन पर काम किया जाएगा। पवन आगे कहते हैं- यह फ्लड जोन है। यही नदी पहले अलग दिशा में बह रही थी, लेकिन अब रूट बदल गया। जब प्रोटेक्शन वर्क पूरा हो जाएगा, नदी की दिशा फिर से बदल जाएगी। हमने पूछा कि इसे तैयार करने में कितना पैसा खर्च हुआ? जवाब मिला करीब 118 से 122 करोड़ रुपए इस पुल को तैयार करने में खर्च हुए हैं। रायबरेली में भी पुल का काम पूरा
शाहजहांपुर से होते हुए हम हरदोई और उन्नाव के रास्ते रायबरेली पहुंचे। यहां लखनऊ-प्रयागराज हाईवे पर बनने वाला पुल लगभग कम्प्लीट हो चुका है। अब पुल को जोड़ने के लिए मिट्टी का काम बाकी है। लखनऊ-प्रयागराज हाई-वे फोर लेन किया जा रहा। यहां अक्सर जाम की स्थिति हो जाती है। करीब 20 किलोमीटर आगे अयोध्या से चित्रकूट को जोड़ने वाला रामपथ भी बन रहा। स्थिति यह है कि हाईवे के जरिए प्रयागराज तक जाने के लिए 3 घंटे से ज्यादा समय लग रहा। आखिर में हम प्रयागराज पहुंचे। शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर प्रयागराज-प्रतापगढ़ रोड पर शिवगढ़ होते हुए जूड़ापुर दांदू पहुंचे। यह वही जगह है, जहां एक्सप्रेस-वे खत्म हो रहा है। यहीं से पश्चिम बंगाल-दिल्ली का 1465 किलोमीटर लंबा NH-2 गुजरा है। गंगा एक्सप्रेस-वे के जरिए यहां आने के बाद कई रास्ते खुल जाते हैं। जिसे प्रयागराज ही जाना है वह यहीं से लोकल हाईवे के जरिए शहर के अंदर जा सकता है। लेकिन किसी को अगर वाराणसी तक जाना है तो वह यहीं से NH-2 के जरिए अगले 2 घंटे में वाराणसी पहुंच जाएगा। इसके अलावा दिल्ली-बिहार-कोलकाता तक के लिए भी यही हाईवे जाता है। हम जूड़ापुर पहुंचे, तो यहां भी ले-आउट तैयार करने का फाइनल काम चल रहा था। तेज बारिश के चलते मिट्टी का काम ठप हो गया है। NH-2 के ऊपर जो पुल बनाया जाना है, उसके पिलर कम्प्लीट हो गए हैं। हम इंटरचेंज के लिए बनाई गई जगह से होते हुए एकदम आखिरी छोर पर पहुंचे। हर कर्मचारी अपने हिस्से के काम को पूरा करने में लगा था। जानिए गंगा एक्सप्रेसवे की खूबियां 1- 8 लेन करने के लिए मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ेगी
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के वरिष्ठ मुख्य प्रबंधक आरआर सिंह बताते हैं- यह एक्सप्रेस-वे 6 लेन का बन रहा है। इसे आगे चलकर 8 लेन किया जा सकता है। ऐसा करने के लिए एक्सप्रेस-वे को साइड-साइड बढ़ाना होगा, बहुत सारी मिट्टी की जरूरत पड़ेगी। हालांकि पहले से बने साइड प्रोटेक्शन को डिस्टर्ब नहीं करना पड़ेगा। वह कहते हैं- इस एक्सप्रेस-वे के बीच में दो लेन का अतिरिक्त गैप छोड़ा गया है। मतलब जब भी बढ़ाना होगा, उसके लिए अगल-बगल तोड़फोड़ नहीं करनी होगी। मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ेगी। सिर्फ कैरेज-वे ही तैयार करना होगा। यही कारण है कि इस वक्त ही हम लोगों को मिट्टी की बहुत ज्यादा जरूरत पड़ रही है। 2- तीन किलोमीटर की हवाई पट्टी, 6 हेलिपैड भी
इस एक्सप्रेस-वे पर शाहजहांपुर में जलालाबाद के पास साढ़े 3 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी बन रही है। इसमें कुल 6 हेलिपैड बनने हैं। करीब 80% काम पूरा हो गया है। इस हवाई पट्टी के लिए नगला तालुके खंडहर, दियुरा, पीरु, खूंटा नगला और चढ़ोखर गांव के किसानों से जमीन ली गई है। बाकी जगहों के मुकाबले यहां 20 मीटर ज्यादा जमीन का अधिग्रहण किया गया है। इसके पहले यूपी में यमुना एक्सप्रेस-वे, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और आगरा एक्सप्रेस-वे पर भी हवाई पट्टी बनाई गई है। गंगा एक्सप्रेस-वे पर हवाई पट्टी बनने के बाद यहां जगुआर, मिराज और एएन-32 जैसे लड़ाकू विमान उतर सकते हैं। जलालाबाद के पड़ोस ही फर्रुखाबाद है। यहां फतेहगढ़ में सेना की बड़ी छावनी है। सेना इस हवाई पट्टी का इस्तेमाल आसानी से कर सकती है। अब सवाल, कब तक पूरा होगा
वरिष्ठ मुख्य प्रबंधक आरआर सिंह से हमने पूछा कि क्या दिसंबर 2024 तक इसका निर्माण पूरा हो जाएगा? इस पर वह कहते हैं- हमारा प्रोजेक्ट नवंबर 2025 तक का है। दिसंबर 2024 तक हमें कैरिज-वे बनाकर देना है। हमारी पूरी टीम इस काम में लगी है। उम्मीद है, हम इसे तय तारीख में पूरा कर लेंगे। हमने रामगंगा नदी के ऊपर बने पुल और आसपास कटान के बारे में पूछा। वह कहते हैं- हमारे अधिकारी और इंजीनियर हर चीज पर नजर बनाए हैं। उसे कैसे बनाना है, उन्हें पता है। वह अपना बेहतरीन दे रहे हैं। 1481 बनने हैं, 1265 स्ट्रक्चर तैयार
अब सवाल है कि एक्सप्रेस-वे का कितना काम पूरा हो चुका है? इसका जवाब हमें यूपीडा की वेबसाइट से मिला। 27 अगस्त को प्रोग्रेस रिपोर्ट जारी हुई, उसमें बताया गया कि 57.25% काम हो गया है। 20 अगस्त को जो रिपोर्ट रिलीज हुई थी, उसमें 57% काम पूरा हो गया था। मतलब एक हफ्ते में वर्क प्रोग्रेस सिर्फ 0.25% रही। गंगा एक्सप्रेस-वे का काम शुरू हुए ढाई साल बीत चुके हैं। 43% काम अभी बाकी है। इसी रिपोर्ट के मुताबिक, क्लीन एंड ग्राउंड का काम 100% हो गया है। मतलब कहीं भी जमीन का विवाद नहीं है। रास्ता क्लियर है। मुख्य कैरिज-वे पर मिट्टी का काम 81% पूरा हो गया है। मिट्टी के ऊपर GSB वर्क होता है, यह 61% पूरा हो गया है। इसके ऊपर WMM वर्क होता है जो 56% पूरा हो चुका है। इसके भी ऊपर DBM वर्क होता है जो 53% पूरा हो चुका है। इस पूरे एक्सप्रेस-वे पर नदी पर 2 पुल, 14 बड़े पुल, 7 रेलवे लाइन पर ओवरब्रिज, 126 छोटे पुल, 375 अंडर पास समेत कुल 1481 स्ट्रक्चर बनने हैं। इसमें 1265 बनकर तैयार हो गए हैं। बाकी पर भी तेजी से काम चल रहा है। अब सवाल है कि क्या दिसंबर 2024 में यह शुरू हो जाएगा? इसका जवाब है, इसके लिए काम की गति को चार गुना बढ़ाना होगा। हर किलोमीटर की लागत 63 करोड़
18 दिसंबर 2021 को पीएम नरेंद्र मोदी ने शाहजहांपुर में इस एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया था। 594 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे के लिए कुल 37 हजार 350 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया। यानी एक किलोमीटर एक्सप्रेस-वे की कीमत 62 करोड़ 87 लाख रुपए पड़ रही। इस 37 हजार करोड़ में करीब साढ़े 9 हजार करोड़ रुपए जमीन के अधिग्रहण में खर्च हुए। लोगों को तय सर्किल रेट से 4 गुना ज्यादा मुआवजा दिया गया। मेरठ में जिस वक्त जमीन ली गई थी, उस वक्त एक बीघे का सर्किल रेट करीब 3 लाख रुपए था, लोगों को 12-12 लाख रुपए दिए गए। लेकिन, अब बिजौली के पास ही औद्योगिक गलियारा विकसित करने की बात हो रही। कई उद्योगपतियों ने जमीन खरीदी, इसलिए वहां सर्किल रेट 10 लाख पहुंच गया। अब किसानों को उनकी जमीन का 40-40 लाख रुपए बीघा मिल रहा। इसी तरह शाहजहांपुर के जलालाबाद में सर्किल रेट 8 लाख था, लोगों को 32-32 लाख रुपए मिले। हरिराम कहते हैं- एक्सप्रेस-वे बनेगा तो इसके बगल से सड़क भी बनेगी। तब हमारे गांव में जाना आसान होगा। ये भी पढ़ें… ‘NHAI बनाए तभी बनेगा नया एक्सप्रेस वे; 5 लाख वाहन चालकों को होगा फायदा, 3 से 4 हजार करोड़ का होगा खर्च नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे समानांतर नया एक्सप्रेस वे परियोजना को लेकर अड़चनें आने लगी है। नेशनल हाईवे आथोरिटी ऑफ इंडिया ने इस परियोजना से हाथ खींच लिया है। हालांकि नोएडा प्राधिकरण एनएचएआई को बार बार रिक्वेस्ट लेटर भेज रही है। ताकि वो इस नए प्रस्तावित एक्सप्रेस वे को नेशनल हाइवे की श्रेणी में रखते हुए निर्माण करे। पूरी खबर पढ़ें… गंगा एक्सप्रेस-वे को लेकर हमने टारगेट दिया है, दिसंबर 2024 से पहले इसका कैरिज-वे तैयार करके दीजिए। ताकि पश्चिमी यूपी के लोग प्रयागराज महाकुंभ में आकर स्नान कर सकें। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 1 अगस्त को विधानसभा में ये बात कही थी। 10 अगस्त को औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी 594 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे के काम का निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने भी दिसंबर 2024 तक की डेडलाइन दी। अधिकारियों से कहा- 31 दिसंबर तक किसी भी हालत में एक्सप्रेस-वे का फर्स्ट कैरिज-वे (सड़क का मुख्य हिस्सा, जिस पर गाड़ी चलती है) तैयार करके दें। अब बड़ा सवाल है, क्या 31 दिसंबर 2024 तक यह पूरा हो पाएगा? क्या पश्चिमी यूपी के लोग एक्सप्रेस-वे के जरिए जनवरी 2025 में होने वाले महाकुंभ में पहुंच पाएंगे। काम पूरा होने में कहां चुनौती है? एक्सप्रेस-वे की खूबियां क्या हैं? इसका जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ने मेरठ से लेकर प्रयागराज तक 12 जिलों में एक्सप्रेस-वे का काम देखा। कर्मचारी से लेकर इंजीनियर और अधिकारियों से बात की। पहले जानिए गंगा एक्सप्रेस-वे बनने से क्या फायदे होंगे
प्रयागराज से मेरठ की दूरी वाया कानपुर 648 किलोमीटर है। गंगा एक्सप्रेस-वे बन जाने से यह दूरी 600 किमी रह जाएगी। अभी टाइम 10-12 घंटे लगता है, जो 6-8 घंटे रह जाएगा। यानी 4 घंटे का समय कम लगेगा और जाम से राहत मिलेगी। गंगा एक्सप्रेस-वे बन जाने के बाद प्रयागराज से मेरठ की सीधी कनेक्टिविटी हो जाएगी। अभी मेरठ से जाने के लिए बरेली और लखनऊ का रास्ता है। दिल्ली जाने वालों को प्रयागराज से लखनऊ और फिर आगरा एक्सप्रेस-वे पकड़ने की जरूरत नहीं होगी। हरिद्वार जाने में भी सहूलियत होगी। गंगा एक्सप्रेस-वे कुल 12 जिलों को जोड़ रहा है। प्रयागराज, प्रतापगढ़, रायबरेली, उन्नाव, शाहजहांपुर, हरदोई, बदायूं, अमरोहा, संभल, बुलंदशहर, हापुड़ और मेरठ। अब चलते है वहां, जहां से काम शुरू हुआ
हमारी टीम मेरठ के बिजौली गांव पहुंची। मेरठ शहर से करीब 7 किलोमीटर दूर हापुड़ बॉर्डर पर बसे इस गांव से ही एक्सप्रेस-वे की शुरुआत हो रही है। यहां पहले से नेशनल हाईवे-334 गुजरता है। यह हाईवे मेरठ को हापुड़, मुरादाबाद, बुलंदशहर और सहारनपुर को जोड़ता है। यहीं से एक्सप्रेस-वे की शुरुआत हो रही। एक्सप्रेस-वे पर जाने के लिए बनाए गए इंटरचेंज के जरिए हम ऊपर गए। करीब 1 किलोमीटर तक एक्सप्रेस-वे का मेन कैरिज-वे तैयार हो गया है। उसके जरिए हम आगे बढ़े। आगे अंडरपास का काम चल रहा था। एक्सप्रेस-वे का पहला अंडरपास बिजौली को दूसरे गांव से जोड़ता है। अंडरपास बना रहे निसार अहमद बताते हैं, यह काम एक हफ्ते में पूरा हो जाएगा। बाकी दिसंबर 2024 तक का जो टारगेट है, वह भी पूरा हो सकता है। अब हम आगे बढ़ने लगे। काम के लिहाज से 12 भागों में बांटा एक्सप्रेस-वे
हम हापुड़ से होते हुए बुलंदशहर के स्याना पहुंचे। इस एक्सप्रेस-वे के लिए स्याना तहसील के पोटा कबूलपुर, कुचेसर, बेनीपुर, हिंगवाड़ा, इकलेडी गांवों की 123 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। बुलंदशहर-गढ़ मुक्तेश्वर हाईवे के ऊपर से यह एक्सप्रेस-वे गुजर रहा है। यहां भी इंटरचेंज बनाया जाना है। काम के लिहाज से 12 भागों में बांटे गए एक्सप्रेस-वे में दूसरे भाग के निर्माण का सारा मटेरियल यहीं तैयार हो रहा है। हम प्लांट में काम करने वालों से मिलने पहुंचे। वह सिर्फ अपने हिस्से का काम बता सके। कहते हैं, हमारा काम प्लांट के अंदर मटेरियल तैयार करना है। हम सभी ड्यूटी खत्म होने के बाद यहां बनाए अस्थायी क्वार्टर में आ जाते हैं। रामगंगा पर बन रहा पुल सबसे बड़ी चुनौती
गंगा एक्सप्रेस-वे का सबसे बड़ा हिस्सा बदायूं जिले से होकर गुजरता है। इस जिले में एक्सप्रेस-वे 92 किलोमीटर तक है। यहीं रामगंगा नदी पर 720 मीटर लंबा पुल बन रहा है। हम यहां पहुंचे तो देखा, नदी उफान पर है। उसकी वजह से जबरदस्त कटान हो रहा है। हर दिन 1 मीटर से ज्यादा हिस्सा नदी में कट जा रहा। हमें यहीं गांव के निवासी पूरन और सागर मिले। कटान को लेकर सवाल किया, तो पूरन कहते हैं- जब पुल बन रहा था, तब नदी करीब 200 मीटर दूर थी। अब पुल के बगल का हिस्सा भी कट गया है। कटान और नदी के उफान के चलते पुल का काम रुक गया है। हमने पुल तैयार कर रहे प्रोजेक्ट मैनेजर पवन सिंह से बात की। पवन सिंह कहते हैं- गाडर लाइन कम्प्लीट है, छत पड़नी शुरू हुई है। लेकिन, कटान और नदी की तेज धार के चलते काम रुका है। हमने कहा कि जहां तक पुल बना है उसके आगे तक कटान आ गई है। क्या पुल बढ़ाया जाएगा? पवन कहते हैं- अब पुल को नहीं बढ़ाया जाएगा, प्रोटेक्शन पर काम किया जाएगा। पवन आगे कहते हैं- यह फ्लड जोन है। यही नदी पहले अलग दिशा में बह रही थी, लेकिन अब रूट बदल गया। जब प्रोटेक्शन वर्क पूरा हो जाएगा, नदी की दिशा फिर से बदल जाएगी। हमने पूछा कि इसे तैयार करने में कितना पैसा खर्च हुआ? जवाब मिला करीब 118 से 122 करोड़ रुपए इस पुल को तैयार करने में खर्च हुए हैं। रायबरेली में भी पुल का काम पूरा
शाहजहांपुर से होते हुए हम हरदोई और उन्नाव के रास्ते रायबरेली पहुंचे। यहां लखनऊ-प्रयागराज हाईवे पर बनने वाला पुल लगभग कम्प्लीट हो चुका है। अब पुल को जोड़ने के लिए मिट्टी का काम बाकी है। लखनऊ-प्रयागराज हाई-वे फोर लेन किया जा रहा। यहां अक्सर जाम की स्थिति हो जाती है। करीब 20 किलोमीटर आगे अयोध्या से चित्रकूट को जोड़ने वाला रामपथ भी बन रहा। स्थिति यह है कि हाईवे के जरिए प्रयागराज तक जाने के लिए 3 घंटे से ज्यादा समय लग रहा। आखिर में हम प्रयागराज पहुंचे। शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर प्रयागराज-प्रतापगढ़ रोड पर शिवगढ़ होते हुए जूड़ापुर दांदू पहुंचे। यह वही जगह है, जहां एक्सप्रेस-वे खत्म हो रहा है। यहीं से पश्चिम बंगाल-दिल्ली का 1465 किलोमीटर लंबा NH-2 गुजरा है। गंगा एक्सप्रेस-वे के जरिए यहां आने के बाद कई रास्ते खुल जाते हैं। जिसे प्रयागराज ही जाना है वह यहीं से लोकल हाईवे के जरिए शहर के अंदर जा सकता है। लेकिन किसी को अगर वाराणसी तक जाना है तो वह यहीं से NH-2 के जरिए अगले 2 घंटे में वाराणसी पहुंच जाएगा। इसके अलावा दिल्ली-बिहार-कोलकाता तक के लिए भी यही हाईवे जाता है। हम जूड़ापुर पहुंचे, तो यहां भी ले-आउट तैयार करने का फाइनल काम चल रहा था। तेज बारिश के चलते मिट्टी का काम ठप हो गया है। NH-2 के ऊपर जो पुल बनाया जाना है, उसके पिलर कम्प्लीट हो गए हैं। हम इंटरचेंज के लिए बनाई गई जगह से होते हुए एकदम आखिरी छोर पर पहुंचे। हर कर्मचारी अपने हिस्से के काम को पूरा करने में लगा था। जानिए गंगा एक्सप्रेसवे की खूबियां 1- 8 लेन करने के लिए मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ेगी
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के वरिष्ठ मुख्य प्रबंधक आरआर सिंह बताते हैं- यह एक्सप्रेस-वे 6 लेन का बन रहा है। इसे आगे चलकर 8 लेन किया जा सकता है। ऐसा करने के लिए एक्सप्रेस-वे को साइड-साइड बढ़ाना होगा, बहुत सारी मिट्टी की जरूरत पड़ेगी। हालांकि पहले से बने साइड प्रोटेक्शन को डिस्टर्ब नहीं करना पड़ेगा। वह कहते हैं- इस एक्सप्रेस-वे के बीच में दो लेन का अतिरिक्त गैप छोड़ा गया है। मतलब जब भी बढ़ाना होगा, उसके लिए अगल-बगल तोड़फोड़ नहीं करनी होगी। मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ेगी। सिर्फ कैरेज-वे ही तैयार करना होगा। यही कारण है कि इस वक्त ही हम लोगों को मिट्टी की बहुत ज्यादा जरूरत पड़ रही है। 2- तीन किलोमीटर की हवाई पट्टी, 6 हेलिपैड भी
इस एक्सप्रेस-वे पर शाहजहांपुर में जलालाबाद के पास साढ़े 3 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी बन रही है। इसमें कुल 6 हेलिपैड बनने हैं। करीब 80% काम पूरा हो गया है। इस हवाई पट्टी के लिए नगला तालुके खंडहर, दियुरा, पीरु, खूंटा नगला और चढ़ोखर गांव के किसानों से जमीन ली गई है। बाकी जगहों के मुकाबले यहां 20 मीटर ज्यादा जमीन का अधिग्रहण किया गया है। इसके पहले यूपी में यमुना एक्सप्रेस-वे, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और आगरा एक्सप्रेस-वे पर भी हवाई पट्टी बनाई गई है। गंगा एक्सप्रेस-वे पर हवाई पट्टी बनने के बाद यहां जगुआर, मिराज और एएन-32 जैसे लड़ाकू विमान उतर सकते हैं। जलालाबाद के पड़ोस ही फर्रुखाबाद है। यहां फतेहगढ़ में सेना की बड़ी छावनी है। सेना इस हवाई पट्टी का इस्तेमाल आसानी से कर सकती है। अब सवाल, कब तक पूरा होगा
वरिष्ठ मुख्य प्रबंधक आरआर सिंह से हमने पूछा कि क्या दिसंबर 2024 तक इसका निर्माण पूरा हो जाएगा? इस पर वह कहते हैं- हमारा प्रोजेक्ट नवंबर 2025 तक का है। दिसंबर 2024 तक हमें कैरिज-वे बनाकर देना है। हमारी पूरी टीम इस काम में लगी है। उम्मीद है, हम इसे तय तारीख में पूरा कर लेंगे। हमने रामगंगा नदी के ऊपर बने पुल और आसपास कटान के बारे में पूछा। वह कहते हैं- हमारे अधिकारी और इंजीनियर हर चीज पर नजर बनाए हैं। उसे कैसे बनाना है, उन्हें पता है। वह अपना बेहतरीन दे रहे हैं। 1481 बनने हैं, 1265 स्ट्रक्चर तैयार
अब सवाल है कि एक्सप्रेस-वे का कितना काम पूरा हो चुका है? इसका जवाब हमें यूपीडा की वेबसाइट से मिला। 27 अगस्त को प्रोग्रेस रिपोर्ट जारी हुई, उसमें बताया गया कि 57.25% काम हो गया है। 20 अगस्त को जो रिपोर्ट रिलीज हुई थी, उसमें 57% काम पूरा हो गया था। मतलब एक हफ्ते में वर्क प्रोग्रेस सिर्फ 0.25% रही। गंगा एक्सप्रेस-वे का काम शुरू हुए ढाई साल बीत चुके हैं। 43% काम अभी बाकी है। इसी रिपोर्ट के मुताबिक, क्लीन एंड ग्राउंड का काम 100% हो गया है। मतलब कहीं भी जमीन का विवाद नहीं है। रास्ता क्लियर है। मुख्य कैरिज-वे पर मिट्टी का काम 81% पूरा हो गया है। मिट्टी के ऊपर GSB वर्क होता है, यह 61% पूरा हो गया है। इसके ऊपर WMM वर्क होता है जो 56% पूरा हो चुका है। इसके भी ऊपर DBM वर्क होता है जो 53% पूरा हो चुका है। इस पूरे एक्सप्रेस-वे पर नदी पर 2 पुल, 14 बड़े पुल, 7 रेलवे लाइन पर ओवरब्रिज, 126 छोटे पुल, 375 अंडर पास समेत कुल 1481 स्ट्रक्चर बनने हैं। इसमें 1265 बनकर तैयार हो गए हैं। बाकी पर भी तेजी से काम चल रहा है। अब सवाल है कि क्या दिसंबर 2024 में यह शुरू हो जाएगा? इसका जवाब है, इसके लिए काम की गति को चार गुना बढ़ाना होगा। हर किलोमीटर की लागत 63 करोड़
18 दिसंबर 2021 को पीएम नरेंद्र मोदी ने शाहजहांपुर में इस एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया था। 594 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे के लिए कुल 37 हजार 350 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया। यानी एक किलोमीटर एक्सप्रेस-वे की कीमत 62 करोड़ 87 लाख रुपए पड़ रही। इस 37 हजार करोड़ में करीब साढ़े 9 हजार करोड़ रुपए जमीन के अधिग्रहण में खर्च हुए। लोगों को तय सर्किल रेट से 4 गुना ज्यादा मुआवजा दिया गया। मेरठ में जिस वक्त जमीन ली गई थी, उस वक्त एक बीघे का सर्किल रेट करीब 3 लाख रुपए था, लोगों को 12-12 लाख रुपए दिए गए। लेकिन, अब बिजौली के पास ही औद्योगिक गलियारा विकसित करने की बात हो रही। कई उद्योगपतियों ने जमीन खरीदी, इसलिए वहां सर्किल रेट 10 लाख पहुंच गया। अब किसानों को उनकी जमीन का 40-40 लाख रुपए बीघा मिल रहा। इसी तरह शाहजहांपुर के जलालाबाद में सर्किल रेट 8 लाख था, लोगों को 32-32 लाख रुपए मिले। हरिराम कहते हैं- एक्सप्रेस-वे बनेगा तो इसके बगल से सड़क भी बनेगी। तब हमारे गांव में जाना आसान होगा। ये भी पढ़ें… ‘NHAI बनाए तभी बनेगा नया एक्सप्रेस वे; 5 लाख वाहन चालकों को होगा फायदा, 3 से 4 हजार करोड़ का होगा खर्च नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे समानांतर नया एक्सप्रेस वे परियोजना को लेकर अड़चनें आने लगी है। नेशनल हाईवे आथोरिटी ऑफ इंडिया ने इस परियोजना से हाथ खींच लिया है। हालांकि नोएडा प्राधिकरण एनएचएआई को बार बार रिक्वेस्ट लेटर भेज रही है। ताकि वो इस नए प्रस्तावित एक्सप्रेस वे को नेशनल हाइवे की श्रेणी में रखते हुए निर्माण करे। पूरी खबर पढ़ें… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर