कुल्लू के कटराईं के आराध्य देवता वीर नाथ के नए बनाए गए थान की प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पूरे विधि-विधान और देव रीति के साथ हुआ। इस कार्यक्रम में कटराईं और आसपास के गांव वासियों ने भाग लिया। क्या है थान जागरा
थान जागरे के बारे में जानकारी देते हुए देवता वीरनाथ के कठियाला राजेंद्र महंत और पुजारी रविंद्र गीर ने बताया कि थान जागरे का आयोजन 10 से 15 सालों में देव आज्ञा से किया जाता है, जिसका मूल उद्देश्य इलाके की सुख शांति और समृद्धि की स्थापित रहती है। उन्होंने बताया कि थान की जगह विशेष पर किसी प्रकार के निर्माण आदि के पश्चात भी थान जागरे का आयोजन किया जाता है। देवता वीरनाथ की कारदार चंद्रकला कटोच ने बताया कि देवता के इस स्थान पर अभी हाल ही में कुछ नव निर्माण कार्य किया गया है उसी के चलते थान जागरे का आयोजन देव आज्ञानुसार किया जा रहा है। शनिवार रात को ही होता है आयोजन
कारदार चंद्रकला कटोच ने बताया कि थान जागरा हमेशा शनिवार रात को ही आयोजित किया जाता है। इसी परम्परा का निर्वहन करते हुए पिछले कल रात को जागरे का आयोजन किया गया और रविवार को ब्रह्म- भोज के साथ ही कार्यक्रम का सुखद समापन हुआ। कुल्लू के कटराईं के आराध्य देवता वीर नाथ के नए बनाए गए थान की प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पूरे विधि-विधान और देव रीति के साथ हुआ। इस कार्यक्रम में कटराईं और आसपास के गांव वासियों ने भाग लिया। क्या है थान जागरा
थान जागरे के बारे में जानकारी देते हुए देवता वीरनाथ के कठियाला राजेंद्र महंत और पुजारी रविंद्र गीर ने बताया कि थान जागरे का आयोजन 10 से 15 सालों में देव आज्ञा से किया जाता है, जिसका मूल उद्देश्य इलाके की सुख शांति और समृद्धि की स्थापित रहती है। उन्होंने बताया कि थान की जगह विशेष पर किसी प्रकार के निर्माण आदि के पश्चात भी थान जागरे का आयोजन किया जाता है। देवता वीरनाथ की कारदार चंद्रकला कटोच ने बताया कि देवता के इस स्थान पर अभी हाल ही में कुछ नव निर्माण कार्य किया गया है उसी के चलते थान जागरे का आयोजन देव आज्ञानुसार किया जा रहा है। शनिवार रात को ही होता है आयोजन
कारदार चंद्रकला कटोच ने बताया कि थान जागरा हमेशा शनिवार रात को ही आयोजित किया जाता है। इसी परम्परा का निर्वहन करते हुए पिछले कल रात को जागरे का आयोजन किया गया और रविवार को ब्रह्म- भोज के साथ ही कार्यक्रम का सुखद समापन हुआ। हिमाचल | दैनिक भास्कर