“जिस घर में एक कमाने वाला होता है, मर जाए तो घर का घर मर जाता है.”..। मशहूर शायर वसीम बरेलवी की यह लाइन गोरखपुर के अंगद गुप्ता और जयराम गुप्ता के परिवार पर बिल्कुल सटीक बैठती है। कुवैत में हुए अग्निकांड में गोरखपुर के अंगद गुप्ता और जयराम गुप्ता की भी जलकर मौत हो गई। रोजी-रोटी कमाने गए लोगों के मौत की खबर सुनकर सिर्फ दोनों परिवारों में ही नहीं, बल्कि पूरे गांव में मातम छाया हुआ है। जयराम गुप्ता और अंगद गुप्ता का शव शनिवार सुबह दिल्ली से गोरखपुर एयरपोर्ट लाए गए। इसके बाद दोनों शव उनके घर ले जाए गए। शव पहुंचते ही परिवार वाले लिपटकर रोने लगे। हर तरफ सिर्फ चीखें ही सुनाई दे रही। गुरुवार रात सभी के शव लेकर C-130J एयरक्राफ्ट कुवैत से भारत रवाना हुआ था। शुक्रवार शाम 4:30 बजे एयरक्राफ्ट दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचा। फिर शनिवार को इनके घर पहुंचाया गया। दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने जान गंवाने वाले दोनों के परिवार का दर्द जाना…पहले अंगद से परिवार से बातचीत पढ़िए- मौत से पहले बच्चों से मन लगाकर पढ़ने को बोले थे अंगद
अंगद गुप्ता पिछले 8 साल से कुवैत में रहकर काम करते थे। अभी एक महीने पहले ही अंगद की मंगाफ शहर में एक प्राइवेट कंपनी में कैशियर की नौकरी लगी थी। बुधवार (12 जून) को मंगाफ शहर के एक बहुमंजिला बिल्डिंग में हुए इस अग्निकांड में उनकी मौत हो गई। अंगद के परिवार में उनकी पत्नी रीता (37), बेटी अंशिका (22), बेटे आशुतोष (19) और सुमित (9) हैं। अंगद ने मौत से एक दिन पहले अपने बच्चों से बात भी की थी। उन्होंने बच्चों से मन लगाकर पढ़ने को बोला था। पिता की मौत के बाद बच्चों के भविष्य पर संकट
अंगद ही अपने परिवार के अकेले कमाने वाले थे। पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके ऊपर ही थी। अंगद की पत्नी रीता हाउसवाइफ हैं। जबकि, बड़ी बेटी अंशिका ने अभी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की है। बड़ा बेटा आशुतोष अभी ग्रेजुएशन सेकेंड ईयर में है तो छोटा बेटा सुमित अभी क्लास-3 में पढ़ता है। इस घटना से पूरा परिवार टूट गया है। सरकार से मदद की गुहार
बच्चों के सामने भविष्य का सवाल खड़ा हो गया है। परिवार आर्थिक तौर से अंगद के ऊपर ही निर्भर था। मृतक अंगद गुप्ता के परिजनों ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है। अंगद के परिवार वालों ने सरकार से मांग की है कि वह अंगद की बड़ी बेटी को नौकरी और परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए। रोते-रोते बेहोश हो जाती पत्नी रीता
परिवार का हाल जानने दैनिक भास्कर रिपोर्टर 45 साल के मृतक अंगद गुप्ता के जटेपुर उत्तरी मिठाईलाल का हाता स्थित घर पहुंचे। अंगद के घर के बाहर काफी भीड़ लगी थी। बात करने पर पता चला कि वे सभी अंगद के रिश्तेदार हैं। अंदर जाने पर कुछ महिलाएं बैठी रो रही थीं। इनमें अंगद की पत्नी रीता का रो-रो कर बुरा हाल था। वे कभी रोती तो कभी बेहोश हो जा रही थीं। आंखों में आंसू लिए मां को ढांढस बाधंते रहे बच्चे
खुद आंखों में आंसू लिए अंगद की बड़ी बेटी अंशिका गुप्ता, बेटा आशुतोष और छोटा बेटा सुमित गुप्ता बैठे अपनी मां को ढांढस बांधने की कोशिश कर रहे थे। अंगद की पत्नी रीता रो-रो कर कह रही थीं कि एक दिन पहले यानी कि 11 जून को ही फोन पर बात हुई थी। वे परिवार में सभी का हाल-चाल पूछ रहे थे। फोन पर उन्होंने बच्चों से कहा कि वे मन लगाकर पढ़ाई करें। लेकिन, किसी को क्या पता था कि एक दिन बाद 12 जून को क्या हो जाएगा। मौत से एक दिन पहले पूरे परिवार से की थी बात
अंगद के छोटे भाई की पत्नी पूनम गुप्ता ने बताया, बच्चों से फोन पर हुई आखिरी बात में अंगद ने अपने बच्चों को बहुत प्यार किया। उस दिन उन्होंने परिवार के हर एक सदस्य से बात की थी। ऐसा लग रहा था कि उन्हें शायद पता था कि यह उनकी आखिरी बार बात हो रही है। 12 जून बुधवार को यह हादसा हो गया। हादसे के बाद से ही अंगद से परिवार का कोई संपर्क नहीं हुआ। फिर अचानक गुरुवार 13 जून की दोपहर खबर आई कि कुवैत में हुए अग्निकांड में अंगद की मौत हो गई है। अब आगे जयराम के परिवार से बातचीत… बच्चों से जल्दी घर आने का वादा किए थे जयराम
यह हाल सिर्फ अंगद गुप्ता के परिवार का ही नहीं बल्कि इससे भी बुरा हाल इस अग्निकांड के दूसरे मृतक जयराम गुप्ता के परिवार का है। गुरुवार को जब जयराम के मौत की खबर परिवार के लोगों मिली तो यह सुन कर सभी के पैरों तले जमीन खिसक गई। इस घटना से जयराम का भी पूरा परिवार टूट चुका है। दो मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया छिन गया। बच्चों के भविष्य के लिए पिता विदेश में थे तो मां गांव में कपड़े की दुकान चलाती थीं। 9 साल से कुवैत में रहकर काम करते थे जयराम
जयराम का बेटा अर्नव अभी क्लास 6 में पढ़ता है। जबकि, बेटी श्रेया क्लास 4 में पढ़ती है। परिवार के लोग यह सोच कर परेशान हैं कि इतनी कम उम्र में बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया। अब उनका भविष्य क्या होगा? उनकी पढ़ाई कैसे पूरी होगी? क्योंकि, परिवार में आय का कोई दूसरा जरिया नहीं है। बच्चों का भविष्य बेहतर हो सके, यही सोचकर जयराम 9 साल पहले सबकुछ छोड़कर कमाने कुवैत चले गए थे। ताकि, खुद परिवार से दूर रहकर भी वे उनका भविष्य बेहतर बना सकें। लेकिन, कुदरत को शायद कुछ और ही मंजूर था। मां कभी खुद को संभाल रही तो कभी बच्चों को
हम जब जयराम के घर गुलरिहा इलाके के भम्मौर गांव पहुंचे तो उनके घर पर ताला लगा हुआ था। आसपास के लोगों ने बताया कि जब जयराम के मौत की खबर मिली तो पूरा परिवार पूरा परिवार मलंग स्थान पर चला गया है। फिर हम परिवार से मिलने मंगल स्थान वाले घर पहुंचे। यहां पहुंचने पर उनके घर के बाहर काफी भीड़ लगी थी। इनमें गांव के लोग और रिश्तेदार खड़े थे। अंदर जाने पर महिलाएं रो रही थीं। जयराम की भाभी रानू गुप्ता और जयराम की पत्नी सुनीता की हालत ज्यादा खराब थी। वे दोनों खुद को संभाल भी नहीं पा रही थीं। जयराम की पत्नी के साथ उनकी दोनों बेटियां भी चीख-चीख कर ही रो रही थीं। जयराम की पत्नी कभी खुद को संभालती तो कभी अपने दोनों बच्चों को। परिवार के लोग इस हादसे की खबर सुन कर सदमे में हैं। वे अभी भी जयराम की मौत पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। दो दिन पहले बच्चों से फोन पर की थी बात
किसी तरह हमने परिवार वालों से बात करने की हिम्मत जुटाई। बात करने पर पता चला कि उनकी जयराम से आखिरी बार मौत से दो दिन पहले यानी 10 जून सोमवार को हुई थी। जयराम ने खुद अपने घर पर फोन किया था। काफी देर तक उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों से बात की थी। यह भी कहा था कि 4-5 महीने बाद वे गांव वापस आएंगे। हादसे के बाद पूरे दिन फोन मिलाता रहा परिवार
जयराम के बड़े भाई रामदास गुप्ता ने बताया, 10 जून को ही जयराम ने उनसे भी फोन पर बात की थी। उनसे उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछा और कुछ दिनों में घर आने कि बात कही थी। 12 जून बुधवार को यह हादसा हो गया। उस दिन भी परिवार वाले सुबह से ही जयराम का फोन ट्राई करते रहे। लेकिन, काफी कोशिश के बाद भी बात नहीं हो सकी। इससे परिवार के लोग थोड़ा परेशान भी हुए। लेकिन, यह किसी ने नहीं सोचा था कि इतना बड़ा हादसा हो जाएगा। गुरुवार 13 जून की दोपहर ये खबर आई कि कुवैत में हुए अग्निकांड में जयराम गुप्ता की मौत हो गई है। दो मासूम बच्चों को छोड़ गए जयराम
39 साल के जयराम गुप्ता गुलरिहा इलाके के भम्मौर गांव के रहने वाले थे। वे पिछले 9-10 साल से कुवैत में रहकर काम करते थे। 14 साल से उनका परिवार मलंग स्थान पर बने नए मकान में रहता है। इसी मकान में उनकी पत्नी सुनीता कपड़े की दुकान चलाती हैं। जयराम कुवैत के एक मॉल में कैशियर का काम करते थे। जयराम के परिवार में उनकी पत्नी सुनीता के अलावा बेटा अर्नव गुप्ता (12) और बेटी श्रेया (10) हैं। मृतक जयराम गुप्ता के परिजनों ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है। उनकी मांग है कि परिवार को आर्थिक रूप से मदद दी जाए। “जिस घर में एक कमाने वाला होता है, मर जाए तो घर का घर मर जाता है.”..। मशहूर शायर वसीम बरेलवी की यह लाइन गोरखपुर के अंगद गुप्ता और जयराम गुप्ता के परिवार पर बिल्कुल सटीक बैठती है। कुवैत में हुए अग्निकांड में गोरखपुर के अंगद गुप्ता और जयराम गुप्ता की भी जलकर मौत हो गई। रोजी-रोटी कमाने गए लोगों के मौत की खबर सुनकर सिर्फ दोनों परिवारों में ही नहीं, बल्कि पूरे गांव में मातम छाया हुआ है। जयराम गुप्ता और अंगद गुप्ता का शव शनिवार सुबह दिल्ली से गोरखपुर एयरपोर्ट लाए गए। इसके बाद दोनों शव उनके घर ले जाए गए। शव पहुंचते ही परिवार वाले लिपटकर रोने लगे। हर तरफ सिर्फ चीखें ही सुनाई दे रही। गुरुवार रात सभी के शव लेकर C-130J एयरक्राफ्ट कुवैत से भारत रवाना हुआ था। शुक्रवार शाम 4:30 बजे एयरक्राफ्ट दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचा। फिर शनिवार को इनके घर पहुंचाया गया। दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने जान गंवाने वाले दोनों के परिवार का दर्द जाना…पहले अंगद से परिवार से बातचीत पढ़िए- मौत से पहले बच्चों से मन लगाकर पढ़ने को बोले थे अंगद
अंगद गुप्ता पिछले 8 साल से कुवैत में रहकर काम करते थे। अभी एक महीने पहले ही अंगद की मंगाफ शहर में एक प्राइवेट कंपनी में कैशियर की नौकरी लगी थी। बुधवार (12 जून) को मंगाफ शहर के एक बहुमंजिला बिल्डिंग में हुए इस अग्निकांड में उनकी मौत हो गई। अंगद के परिवार में उनकी पत्नी रीता (37), बेटी अंशिका (22), बेटे आशुतोष (19) और सुमित (9) हैं। अंगद ने मौत से एक दिन पहले अपने बच्चों से बात भी की थी। उन्होंने बच्चों से मन लगाकर पढ़ने को बोला था। पिता की मौत के बाद बच्चों के भविष्य पर संकट
अंगद ही अपने परिवार के अकेले कमाने वाले थे। पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके ऊपर ही थी। अंगद की पत्नी रीता हाउसवाइफ हैं। जबकि, बड़ी बेटी अंशिका ने अभी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की है। बड़ा बेटा आशुतोष अभी ग्रेजुएशन सेकेंड ईयर में है तो छोटा बेटा सुमित अभी क्लास-3 में पढ़ता है। इस घटना से पूरा परिवार टूट गया है। सरकार से मदद की गुहार
बच्चों के सामने भविष्य का सवाल खड़ा हो गया है। परिवार आर्थिक तौर से अंगद के ऊपर ही निर्भर था। मृतक अंगद गुप्ता के परिजनों ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है। अंगद के परिवार वालों ने सरकार से मांग की है कि वह अंगद की बड़ी बेटी को नौकरी और परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए। रोते-रोते बेहोश हो जाती पत्नी रीता
परिवार का हाल जानने दैनिक भास्कर रिपोर्टर 45 साल के मृतक अंगद गुप्ता के जटेपुर उत्तरी मिठाईलाल का हाता स्थित घर पहुंचे। अंगद के घर के बाहर काफी भीड़ लगी थी। बात करने पर पता चला कि वे सभी अंगद के रिश्तेदार हैं। अंदर जाने पर कुछ महिलाएं बैठी रो रही थीं। इनमें अंगद की पत्नी रीता का रो-रो कर बुरा हाल था। वे कभी रोती तो कभी बेहोश हो जा रही थीं। आंखों में आंसू लिए मां को ढांढस बाधंते रहे बच्चे
खुद आंखों में आंसू लिए अंगद की बड़ी बेटी अंशिका गुप्ता, बेटा आशुतोष और छोटा बेटा सुमित गुप्ता बैठे अपनी मां को ढांढस बांधने की कोशिश कर रहे थे। अंगद की पत्नी रीता रो-रो कर कह रही थीं कि एक दिन पहले यानी कि 11 जून को ही फोन पर बात हुई थी। वे परिवार में सभी का हाल-चाल पूछ रहे थे। फोन पर उन्होंने बच्चों से कहा कि वे मन लगाकर पढ़ाई करें। लेकिन, किसी को क्या पता था कि एक दिन बाद 12 जून को क्या हो जाएगा। मौत से एक दिन पहले पूरे परिवार से की थी बात
अंगद के छोटे भाई की पत्नी पूनम गुप्ता ने बताया, बच्चों से फोन पर हुई आखिरी बात में अंगद ने अपने बच्चों को बहुत प्यार किया। उस दिन उन्होंने परिवार के हर एक सदस्य से बात की थी। ऐसा लग रहा था कि उन्हें शायद पता था कि यह उनकी आखिरी बार बात हो रही है। 12 जून बुधवार को यह हादसा हो गया। हादसे के बाद से ही अंगद से परिवार का कोई संपर्क नहीं हुआ। फिर अचानक गुरुवार 13 जून की दोपहर खबर आई कि कुवैत में हुए अग्निकांड में अंगद की मौत हो गई है। अब आगे जयराम के परिवार से बातचीत… बच्चों से जल्दी घर आने का वादा किए थे जयराम
यह हाल सिर्फ अंगद गुप्ता के परिवार का ही नहीं बल्कि इससे भी बुरा हाल इस अग्निकांड के दूसरे मृतक जयराम गुप्ता के परिवार का है। गुरुवार को जब जयराम के मौत की खबर परिवार के लोगों मिली तो यह सुन कर सभी के पैरों तले जमीन खिसक गई। इस घटना से जयराम का भी पूरा परिवार टूट चुका है। दो मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया छिन गया। बच्चों के भविष्य के लिए पिता विदेश में थे तो मां गांव में कपड़े की दुकान चलाती थीं। 9 साल से कुवैत में रहकर काम करते थे जयराम
जयराम का बेटा अर्नव अभी क्लास 6 में पढ़ता है। जबकि, बेटी श्रेया क्लास 4 में पढ़ती है। परिवार के लोग यह सोच कर परेशान हैं कि इतनी कम उम्र में बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया। अब उनका भविष्य क्या होगा? उनकी पढ़ाई कैसे पूरी होगी? क्योंकि, परिवार में आय का कोई दूसरा जरिया नहीं है। बच्चों का भविष्य बेहतर हो सके, यही सोचकर जयराम 9 साल पहले सबकुछ छोड़कर कमाने कुवैत चले गए थे। ताकि, खुद परिवार से दूर रहकर भी वे उनका भविष्य बेहतर बना सकें। लेकिन, कुदरत को शायद कुछ और ही मंजूर था। मां कभी खुद को संभाल रही तो कभी बच्चों को
हम जब जयराम के घर गुलरिहा इलाके के भम्मौर गांव पहुंचे तो उनके घर पर ताला लगा हुआ था। आसपास के लोगों ने बताया कि जब जयराम के मौत की खबर मिली तो पूरा परिवार पूरा परिवार मलंग स्थान पर चला गया है। फिर हम परिवार से मिलने मंगल स्थान वाले घर पहुंचे। यहां पहुंचने पर उनके घर के बाहर काफी भीड़ लगी थी। इनमें गांव के लोग और रिश्तेदार खड़े थे। अंदर जाने पर महिलाएं रो रही थीं। जयराम की भाभी रानू गुप्ता और जयराम की पत्नी सुनीता की हालत ज्यादा खराब थी। वे दोनों खुद को संभाल भी नहीं पा रही थीं। जयराम की पत्नी के साथ उनकी दोनों बेटियां भी चीख-चीख कर ही रो रही थीं। जयराम की पत्नी कभी खुद को संभालती तो कभी अपने दोनों बच्चों को। परिवार के लोग इस हादसे की खबर सुन कर सदमे में हैं। वे अभी भी जयराम की मौत पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। दो दिन पहले बच्चों से फोन पर की थी बात
किसी तरह हमने परिवार वालों से बात करने की हिम्मत जुटाई। बात करने पर पता चला कि उनकी जयराम से आखिरी बार मौत से दो दिन पहले यानी 10 जून सोमवार को हुई थी। जयराम ने खुद अपने घर पर फोन किया था। काफी देर तक उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों से बात की थी। यह भी कहा था कि 4-5 महीने बाद वे गांव वापस आएंगे। हादसे के बाद पूरे दिन फोन मिलाता रहा परिवार
जयराम के बड़े भाई रामदास गुप्ता ने बताया, 10 जून को ही जयराम ने उनसे भी फोन पर बात की थी। उनसे उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछा और कुछ दिनों में घर आने कि बात कही थी। 12 जून बुधवार को यह हादसा हो गया। उस दिन भी परिवार वाले सुबह से ही जयराम का फोन ट्राई करते रहे। लेकिन, काफी कोशिश के बाद भी बात नहीं हो सकी। इससे परिवार के लोग थोड़ा परेशान भी हुए। लेकिन, यह किसी ने नहीं सोचा था कि इतना बड़ा हादसा हो जाएगा। गुरुवार 13 जून की दोपहर ये खबर आई कि कुवैत में हुए अग्निकांड में जयराम गुप्ता की मौत हो गई है। दो मासूम बच्चों को छोड़ गए जयराम
39 साल के जयराम गुप्ता गुलरिहा इलाके के भम्मौर गांव के रहने वाले थे। वे पिछले 9-10 साल से कुवैत में रहकर काम करते थे। 14 साल से उनका परिवार मलंग स्थान पर बने नए मकान में रहता है। इसी मकान में उनकी पत्नी सुनीता कपड़े की दुकान चलाती हैं। जयराम कुवैत के एक मॉल में कैशियर का काम करते थे। जयराम के परिवार में उनकी पत्नी सुनीता के अलावा बेटा अर्नव गुप्ता (12) और बेटी श्रेया (10) हैं। मृतक जयराम गुप्ता के परिजनों ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है। उनकी मांग है कि परिवार को आर्थिक रूप से मदद दी जाए। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर