केशव की योगी से दूरी, दिल्ली से क्यों करीबी:​​​​​​​संगठन सरकार से बड़ा है…कहकर डिप्टी सीएम फिर फ्रंटफुट पर; यह टकराव कहां तक जाएगा

केशव की योगी से दूरी, दिल्ली से क्यों करीबी:​​​​​​​संगठन सरकार से बड़ा है…कहकर डिप्टी सीएम फिर फ्रंटफुट पर; यह टकराव कहां तक जाएगा

लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा की हार की वजह को लेकर सरकार और संगठन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में सीएम योगी ने भी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्‌डा की मौजूदगी में हार की वजहें बता दीं। इसी बीच केशव प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर संगठन को सरकार से ऊपर बता दिया। उनके इस बयान ने भाजपा और सरकार के बीच चल रही खींचतान को हवा दे दी है। सवाल उठता है कि क्या केशव प्रसाद मौर्य सीएम योगी के खिलाफ खड़े हो गए हैं? उनके पीछे कौन है? क्या भाजपा में नए समीकरण बनने लगे हैं? इन सवालों के जवाब पाने के लिए दैनिक भास्कर ने भाजपा से जुड़े लोगों से बात की। पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स से चर्चा की, पढ़िए सब कुछ… पहले केशव प्रसाद मौर्य का X पर पोस्ट पढ़िए… केशव प्रसाद ने इस पोस्ट से पहले पार्टी की कार्यसमिति की बैठक में भी कहा था कि संगठन सरकार से सर्वोपरि है। वह खुद पहले कार्यकर्ता हैं फिर उप मुख्यमंत्री हैं। भाजपा को जानने वालों का कहना है कि व्यावहारिक तौर पर तो केशव का बयान सही है। लेकिन मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में यह बयान जहां कार्यकर्ताओं को सकारात्मक संदेश देने वाला है। वहीं, इस बयान से उनकी सीएम योगी से खींचतान बढ़ेगी। इस खींचतान में जीत किसकी होगी, यह तो विधानसभा उपचुनाव के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल ऐसी बयानबाजी से विपक्ष को फिर सरकार को घेरने का मौका मिल सकता है। योगी की बैठकों से दूरी…
लोकसभा चुनाव के बाद केशव प्रसाद मौर्य सरकारी बैठकों में भी शामिल नहीं हो रहे हैं। केशव दो बार कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं हुए। बीते दिनों सीएम की ओर से पौध रोपण अभियान को लेकर बैठक की थी। यहां भी केशव नहीं पहुंचे। सीएम की बैठकों में उनका न पहुंचना सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। केशव एक ओर सरकारी बैठकों में शामिल नहीं हो रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर दिल्ली में लगातार भाजपा के शीर्ष नेताओं और केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं का संरक्षण या खुद की सुरक्षा
केशव प्रसाद मौर्य ने करीब दो साल बाद एक बार फिर संगठन को सरकार से बड़ा बताया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीएम योगी से चल रही नाराजगी के चलते उन्होंने यह बयान दिया है। उन्होंने मंत्रियों और शासन के अफसरों को संदेश दिया है कि कार्यकर्ताओं की सुनवाई होनी चाहिए। कुछ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव के प्रबंधन तक में केशव की बड़ी भूमिका रही। परिणाम विपरीत आने के बाद अब केशव ऐसे बयान देकर फेस सेविंग की रणनीति अपना रहे हैं। क्या नए समीकरण बन रहे हैं
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने सोमवार सुबह उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से उनके आवास पर मुलाकात की। संजय निषाद ने भी उनके सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि संगठन सरकार से बड़ा होता है। जनता सुख चाहती है, सुख सरकार से मिलता है। सरकार संगठन की शक्ति से ही बनती है, इसलिए यह कहना गलत नहीं कि संगठन सर्वोपरि है। भाजपा नेताओं का मानना है कि योगी के विरोधी फिर एकजुट होने लगे हैं। उनका चेहरा केशव प्रसाद मौर्य बन सकते हैं। संगठन में लंबे समय तक रहने की वजह से केशव को उसका सपोर्ट भी मिलेगा। संगठन और सरकार पर क्या पड़ेगा असर
योगी और केशव में खींचतान का असर सरकार पर पड़ेगा। केशव और सरकार से मुखर नेताओं के सहारे संगठन सरकार को घेर सकता है। संगठन सरकार पर हावी हो सकता है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं-’ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में चुनाव में हार के कारण बताए हैं। उप मुख्यमंत्री का यह बयान संदेश दे रहा है कि लोकसभा चुनाव में मिली हार में सरकार की भी भूमिका है। कार्यकर्ताओं ने अपना काम किया, यह सही है कि कुछ जगह कार्यकर्ता नाराज थे, उन्होंने काम नहीं किया। मौर्य के इस बयान से सरकार पर दबाव बनेगा।’ हाल ही में इन भाजपा नेताओं ने सरकार को घेरा है… पूर्व कैबिनेट मंत्री और प्रतापगढ़ के भाजपा नेता मोती सिंह ने कहा- ऐसा भ्रष्टाचार मैंने 42 साल के राजनीतिक जीवन में कभी नहीं देखा। थानों में ऐसा भ्रष्टाचार न सोच सकते थे, न देख सकते थे। यह वाकई अकल्पनीय है। इस बयान के अगले दिन ही एक वीडियो सामने आया, जिसमें जौनपुर जिले की बदलापुर सीट से भाजपा विधायक रमेश मिश्रा कह रहे हैं- पार्टी मौजूदा समय में बहुत कमजोर स्थिति में है। अगर केंद्रीय नेतृत्व ने समय रहते बड़े निर्णय नहीं लिए तो 2027 में सरकार बनाना मुश्किल हो जाएगा। इधर, 15 जुलाई को भाजपा एमएलसी और मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर निवासी देवेंद्र प्रताप सिंह सरकार के अधिकारियों की मंशा पर उंगली उठाई है। एमएलसी ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से ही सवाल पूछ लिया। आखिर दिन प्रतिदिन आपकी सरकार की छवि क्यों खराब हो रही है। जब उत्तर प्रदेश के बाहर आपकी सरकार की तारीफ होती है तो फिर प्रदेश में कर्मचारी क्यों विरोध कर रहे हैं? मुख्यमंत्री की छवि को खराब करने के पीछे उन्होंने प्रदेश के नौकरशाहों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि अधिकारी बेलगाम हो चुके हैं। तानाशाही भरा आदेश निकालकर शिक्षक-कर्मचारियों का मानसिक उत्पीड़न कर रहे हैं। ये खबर भी पढ़ें… संगठन सरकार से बड़ा था और रहेगा- केशव मौर्य, फिर मुखर हुए डिप्टी सीएम; चर्चा- सीएम योगी से बढ़ीं दूरियां लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा के खराब प्रदर्शन पर डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने पहली बार बयान दिया है। रविवार को लखनऊ में कार्य समिति की बैठक के बाद देर रात डिप्टी सीएम मौर्य ने सोशल मीडिया x पर लिखा- संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा रहेगा। मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले कार्यकर्ता हूं। मेरे घर के दरवाजे सबके लिए खुले हैं। पूरी खबर पढ़ें… लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा की हार की वजह को लेकर सरकार और संगठन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में सीएम योगी ने भी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्‌डा की मौजूदगी में हार की वजहें बता दीं। इसी बीच केशव प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर संगठन को सरकार से ऊपर बता दिया। उनके इस बयान ने भाजपा और सरकार के बीच चल रही खींचतान को हवा दे दी है। सवाल उठता है कि क्या केशव प्रसाद मौर्य सीएम योगी के खिलाफ खड़े हो गए हैं? उनके पीछे कौन है? क्या भाजपा में नए समीकरण बनने लगे हैं? इन सवालों के जवाब पाने के लिए दैनिक भास्कर ने भाजपा से जुड़े लोगों से बात की। पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स से चर्चा की, पढ़िए सब कुछ… पहले केशव प्रसाद मौर्य का X पर पोस्ट पढ़िए… केशव प्रसाद ने इस पोस्ट से पहले पार्टी की कार्यसमिति की बैठक में भी कहा था कि संगठन सरकार से सर्वोपरि है। वह खुद पहले कार्यकर्ता हैं फिर उप मुख्यमंत्री हैं। भाजपा को जानने वालों का कहना है कि व्यावहारिक तौर पर तो केशव का बयान सही है। लेकिन मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में यह बयान जहां कार्यकर्ताओं को सकारात्मक संदेश देने वाला है। वहीं, इस बयान से उनकी सीएम योगी से खींचतान बढ़ेगी। इस खींचतान में जीत किसकी होगी, यह तो विधानसभा उपचुनाव के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल ऐसी बयानबाजी से विपक्ष को फिर सरकार को घेरने का मौका मिल सकता है। योगी की बैठकों से दूरी…
लोकसभा चुनाव के बाद केशव प्रसाद मौर्य सरकारी बैठकों में भी शामिल नहीं हो रहे हैं। केशव दो बार कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं हुए। बीते दिनों सीएम की ओर से पौध रोपण अभियान को लेकर बैठक की थी। यहां भी केशव नहीं पहुंचे। सीएम की बैठकों में उनका न पहुंचना सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। केशव एक ओर सरकारी बैठकों में शामिल नहीं हो रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर दिल्ली में लगातार भाजपा के शीर्ष नेताओं और केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं का संरक्षण या खुद की सुरक्षा
केशव प्रसाद मौर्य ने करीब दो साल बाद एक बार फिर संगठन को सरकार से बड़ा बताया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीएम योगी से चल रही नाराजगी के चलते उन्होंने यह बयान दिया है। उन्होंने मंत्रियों और शासन के अफसरों को संदेश दिया है कि कार्यकर्ताओं की सुनवाई होनी चाहिए। कुछ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव के प्रबंधन तक में केशव की बड़ी भूमिका रही। परिणाम विपरीत आने के बाद अब केशव ऐसे बयान देकर फेस सेविंग की रणनीति अपना रहे हैं। क्या नए समीकरण बन रहे हैं
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने सोमवार सुबह उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से उनके आवास पर मुलाकात की। संजय निषाद ने भी उनके सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि संगठन सरकार से बड़ा होता है। जनता सुख चाहती है, सुख सरकार से मिलता है। सरकार संगठन की शक्ति से ही बनती है, इसलिए यह कहना गलत नहीं कि संगठन सर्वोपरि है। भाजपा नेताओं का मानना है कि योगी के विरोधी फिर एकजुट होने लगे हैं। उनका चेहरा केशव प्रसाद मौर्य बन सकते हैं। संगठन में लंबे समय तक रहने की वजह से केशव को उसका सपोर्ट भी मिलेगा। संगठन और सरकार पर क्या पड़ेगा असर
योगी और केशव में खींचतान का असर सरकार पर पड़ेगा। केशव और सरकार से मुखर नेताओं के सहारे संगठन सरकार को घेर सकता है। संगठन सरकार पर हावी हो सकता है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं-’ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में चुनाव में हार के कारण बताए हैं। उप मुख्यमंत्री का यह बयान संदेश दे रहा है कि लोकसभा चुनाव में मिली हार में सरकार की भी भूमिका है। कार्यकर्ताओं ने अपना काम किया, यह सही है कि कुछ जगह कार्यकर्ता नाराज थे, उन्होंने काम नहीं किया। मौर्य के इस बयान से सरकार पर दबाव बनेगा।’ हाल ही में इन भाजपा नेताओं ने सरकार को घेरा है… पूर्व कैबिनेट मंत्री और प्रतापगढ़ के भाजपा नेता मोती सिंह ने कहा- ऐसा भ्रष्टाचार मैंने 42 साल के राजनीतिक जीवन में कभी नहीं देखा। थानों में ऐसा भ्रष्टाचार न सोच सकते थे, न देख सकते थे। यह वाकई अकल्पनीय है। इस बयान के अगले दिन ही एक वीडियो सामने आया, जिसमें जौनपुर जिले की बदलापुर सीट से भाजपा विधायक रमेश मिश्रा कह रहे हैं- पार्टी मौजूदा समय में बहुत कमजोर स्थिति में है। अगर केंद्रीय नेतृत्व ने समय रहते बड़े निर्णय नहीं लिए तो 2027 में सरकार बनाना मुश्किल हो जाएगा। इधर, 15 जुलाई को भाजपा एमएलसी और मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर निवासी देवेंद्र प्रताप सिंह सरकार के अधिकारियों की मंशा पर उंगली उठाई है। एमएलसी ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से ही सवाल पूछ लिया। आखिर दिन प्रतिदिन आपकी सरकार की छवि क्यों खराब हो रही है। जब उत्तर प्रदेश के बाहर आपकी सरकार की तारीफ होती है तो फिर प्रदेश में कर्मचारी क्यों विरोध कर रहे हैं? मुख्यमंत्री की छवि को खराब करने के पीछे उन्होंने प्रदेश के नौकरशाहों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि अधिकारी बेलगाम हो चुके हैं। तानाशाही भरा आदेश निकालकर शिक्षक-कर्मचारियों का मानसिक उत्पीड़न कर रहे हैं। ये खबर भी पढ़ें… संगठन सरकार से बड़ा था और रहेगा- केशव मौर्य, फिर मुखर हुए डिप्टी सीएम; चर्चा- सीएम योगी से बढ़ीं दूरियां लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा के खराब प्रदर्शन पर डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने पहली बार बयान दिया है। रविवार को लखनऊ में कार्य समिति की बैठक के बाद देर रात डिप्टी सीएम मौर्य ने सोशल मीडिया x पर लिखा- संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा रहेगा। मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले कार्यकर्ता हूं। मेरे घर के दरवाजे सबके लिए खुले हैं। पूरी खबर पढ़ें…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर