हरियाणा के कैथल में गुरुद्वारा में मत्था टेकने जा रहे एक युवक को बस ने टक्कर मार दी। इस हादसे में बाइक सवार युवक की मौत हो गई। दशमेश काॅलोनी सिरटा रोड कैथल निवासी कुलदीप सिंह ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि 19 जनवरी को वह और उसके चाचा का लड़का करीब 22 वर्षीय सतनाम अपनी अपनी मोटरसाइकिलों पर सवार होकर नीम साहब गुरुद्वारा में माथा टेकने के लिए जा रहे थे। जब वह दोनों खनौरी रोड पर पंजाबी जायका ढाबा के पास पहुंचे तो सामने से एक पंजाब रोडवेज बस ड्राइवर ने सतनाम की बाइक को टक्कर मार दी। इससे सतनाम गंभीर रूप से घायल हो गया। बस ड्राइवर मौके से भागा बस ड्राइवर मौके पर बस छोड़कर भाग गया। वे उसे इलाज के लिए कैथल के एक निजी अस्पताल में लेकर गए, जहां से उसको चंडीगढ़ हायर सेंटर रेफर कर दिया। वहां सतनाम की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई । शहर थाना के जांच अधिकारी बलजोर सिंह ने बताया कि पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। मामले की जांच की जा रही है। हरियाणा के कैथल में गुरुद्वारा में मत्था टेकने जा रहे एक युवक को बस ने टक्कर मार दी। इस हादसे में बाइक सवार युवक की मौत हो गई। दशमेश काॅलोनी सिरटा रोड कैथल निवासी कुलदीप सिंह ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि 19 जनवरी को वह और उसके चाचा का लड़का करीब 22 वर्षीय सतनाम अपनी अपनी मोटरसाइकिलों पर सवार होकर नीम साहब गुरुद्वारा में माथा टेकने के लिए जा रहे थे। जब वह दोनों खनौरी रोड पर पंजाबी जायका ढाबा के पास पहुंचे तो सामने से एक पंजाब रोडवेज बस ड्राइवर ने सतनाम की बाइक को टक्कर मार दी। इससे सतनाम गंभीर रूप से घायल हो गया। बस ड्राइवर मौके से भागा बस ड्राइवर मौके पर बस छोड़कर भाग गया। वे उसे इलाज के लिए कैथल के एक निजी अस्पताल में लेकर गए, जहां से उसको चंडीगढ़ हायर सेंटर रेफर कर दिया। वहां सतनाम की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई । शहर थाना के जांच अधिकारी बलजोर सिंह ने बताया कि पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। मामले की जांच की जा रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा के पूर्व मंत्री ने कांग्रेस छोड़ी:लालू यादव के समधी, बेटा चुनाव हार गया था; बोले- हाईकमान ने मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया
हरियाणा के पूर्व मंत्री ने कांग्रेस छोड़ी:लालू यादव के समधी, बेटा चुनाव हार गया था; बोले- हाईकमान ने मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया हरियाणा कांग्रेस के सीनियर लीडर व बिहार के पूर्व CM लालू प्रसाद यादव के समधी कैप्टन अजय यादव ने कांग्रेस छोड़ दी है। उन्होंने अपना इस्तीफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेज दिया है। वह अभी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में OBC मोर्चा के चेयरमैन की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इसकी जानकारी कैप्टन यादव ने खुद सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा कर दी। उन्होंने लिखा, ‘मैंने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अब मैं ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के OBC मोर्चा का चेयरमैन भी नहीं रहा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इसकी जानकारी दे दी गई है।’ कैप्टन यादव ने आगे लिखा, ‘इस्तीफा देने का यह निर्णय वास्तव में बहुत कठिन था, क्योंकि मेरे परिवार का कांग्रेस से 70 वर्षों से जुड़ाव था। मेरे पिता दिवंगत राव अभय सिंह 1952 में कांग्रेस से विधायक बने और उसके बाद मैंने पारिवारिक परंपरा को जारी रखा, लेकिन सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने के बाद मेरे साथ खराब व्यवहार किया गया। इससे मेरा पार्टी हाईकमान से मोहभंग हो गया है।’ कैप्टन यादव की ओर से की गईं पोस्टें… लोकसभा टिकट न मिलने से नाराज चल रहे थे
पूर्व वित्त एवं सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय यादव हरियाणा कांग्रेस में अपनी अनदेखी से नाराज चल रहे थे। उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले गुरुग्राम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट न देकर राज बब्बर को यहां से मैदान में उतारा था। कैप्टन के बेटे चिरंजीव रेवाड़ी से हारे
वहीं, इस विधानसभा चुनाव में कैप्टन अजय यादव के बेटे चिरंजीव राव को रेवाड़ी से टिकट दिया गया था, लेकिन वह इस सीट को बचा नहीं पाए। उन्हें भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह यादव ने 28769 वोटों से हराया है। राव 2019 में इसी सीट से जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे। इस सीट पर सालों से कैप्टन यादव का कब्जा रहा था। वह यहां से लगातार 6 बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन इस बार उनके बेटे को मिली हार से वह काफी परेशान थे। अपने बेटे की हार के बाद अजय यादव ने पार्टी नेताओं पर लापरवाही के आरोप लगाए थे। उन्होंने OBC विभाग पद को भी झुनझुना बताया था। हालांकि, पार्टी ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की तो 7 दिन बाद कैप्टन यादव ने खुद ही पार्टी से इस्तीफा दे दिया। अजय यादव के बेटे चिरंजीव राव पार्टी के राष्ट्रीय सचिव भी हैं। CM बनने की खींचतान को हार का जिम्मेदार बताया
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद कैप्टन अजय यादव ने कहा था कि CM बनने को लेकर नेताओं की खींचतान इसकी बड़ी वजह बनी। उन्होंने कहा था, ‘जब चुनाव होते हैं तो सबसे बड़ा लक्ष्य जीतने का होता है। उस वक्त मुख्यमंत्री बनने की बातें मीडिया में आती हैं तो वह पार्टी के लिए कोई अच्छे संकेत नहीं होते। पहले बहुमत तो आने दीजिए। उसके बाद ही आप क्लेम करें। कौन मुख्यमंत्री होगा? इसका फैसला विधायक दल की बैठक में होता है। इसके बाद हाईकमान जिसे चाहे उसका नाम मुख्यमंत्री के लिए मनोनीत कर सकता है।’ कैप्टन यादव ने नूंह हिंसा के आरोपी उम्मीदवार मामन खान के चुनाव के वक्त दिए बयान को लेकर भी हार का जिम्मेदार ठहराया था।
किसान आंदोलन- SC बोला- आपसे कमेटी के जरिए बात करेंगे:डल्लेवाल पर कहा- हमने अनशन तोड़ने का नहीं बोला, जानबूझकर हालात बिगाड़े जा रहे
किसान आंदोलन- SC बोला- आपसे कमेटी के जरिए बात करेंगे:डल्लेवाल पर कहा- हमने अनशन तोड़ने का नहीं बोला, जानबूझकर हालात बिगाड़े जा रहे हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर 38 दिन से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें कोर्ट ने फिर पंजाब सरकार पर सख्त रुख दिखाया। कोर्ट ने कहा कि जानबूझकर हालात बिगाड़ने की कोशिश हो रही है। हमने कभी अनशन तोड़ने को नहीं कहा। कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आपका रवैया ही सुलह करवाने का नहीं है। कुछ तथाकथित किसान नेता गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी कर रहे हैं। इस केस में डल्लेवाल की दोस्त एडवोकेट गुनिंदर कौर गिल ने पार्टी बनने की याचिका दायर की थी। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- “कृपया टकराव के बारे में न सोचें, हम किसानों से सीधे बातचीत नहीं कर सकते।” कोर्ट ने यह भी कहा कि हमें डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने के आदेश की कंप्लायंस रिपोर्ट चाहिए। सुनवाई के दौरान पंजाब के DGP और चीफ सेक्रेटरी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मौजूद रहे। अब 6 जनवरी (सोमवार) को डल्लेवाल मामले और हरियाणा सरकार की शंभू बॉर्डर खोलने के खिलाफ दायर पिटीशन पर भी सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दलीलें… जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट को बताया गया कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की दोस्त एडवोकेट गुनिंदर कौर ने याचिका दायर की है। कोर्ट हरियाणा सरकार के शंभू बॉर्डर खोलने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इसमें 2 और याचिका आईं हैं। जस्टिस सूर्यकांत: मैडम गिल, आप महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। कृपया टकराव के बारे में न सोचें। हमारे पास पूर्व जजों की एक कमेटी है, जो पंजाब से हैं…वे सभी विद्वान साथी हैं। अब वह कमेटी आ गई है…हम किसानों से सीधे बातचीत नहीं कर सकते। SG तुषार मेहता: हम एक व्यक्ति की सेहत तक सीमित हैं। केंद्र सरकार किसानों के बारे में चिंतित है। नई याचिका (डल्लेवाल की) पर नोटिस जारी करने की बजाय..वे मुझे याचिका देते हैं। एडवोकेट गिल: प्रस्ताव (पिछले किसान आंदोलन के खत्म होते समय तैयार) के अनुसार, इसकी आखिरी लाइनों से पता चलता है कि 5 लंबित मांगों को हल करने की गारंटी थी। यह एक कमिटमेंट और वादा था, जिस वजह से किसानों ने अपना आंदोलन वापस लिया। एडवोकेट गिल: एक के बाद एक कमेटियां हैं। SG तुषार मेहता: कोर्ट की नियुक्त कमेटी की हंसी न उड़ाएं। पंजाब के AG गुरमिंदर सिंह: हमारी मेडिकल टीम डल्लेवाल के लिए मौके पर है। मुझे जमीनी हालात से अवगत कराना चाहिए..। जस्टिस सूर्यकांत: आपके मीडिया द्वारा जानबूझकर हालात बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। हमारा निर्देश यह नहीं था कि वह अपना अनशन तोड़ दें..। जस्टिस सूर्यकांत: हमारी चिंता यह थी कि उन्हें कोई नुकसान न पहुंचे। पंजाब AG: यहां मुद्दा यह है कि हमने उन्हें मेडिकल मदद लेने के लिए मनाने की कोशिश की। उन्होंने मीडिया को बताया कि यह राज्य का काम नहीं है। वह सशर्त मेडिकल मदद स्वीकार करेंगे। जस्टिस सूर्यकांत: क्या आपने कभी किसानों को बताने की कोशिश की कि हमने उनके लिए एक कमेटी बनाई है। आपका रवैया सुलह करवाने का नहीं है। जस्टिस सूर्यकांत: वहां कुछ लोग हैं, जो गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं, तथाकथित किसान नेता..। पंजाब AG: हम इसे चेक करेंगे। हम ग्राउंड पर हैं। थोड़ा और टाइम दीजिए। हमारे अफसर यहां हैं। जस्टिस सूर्यकांत: अगर अफसर यहां हैं तो हमें उम्मीद है कि हमारा मैसेज उनके पास पहुंच गया होगा। पंजाब AG: हमें कुछ और टाइम दीजिए, हम हालात संभालने की कोशिश कर रहे हैं। जस्टिस सूर्यकांत: हम सोमवार (13 जनवरी) को सुनवाई करेंगे। हमे आदेश लागू करने यानी कंप्लायंस रिपोर्ट चाहिए।कोर्ट ने कहा कि सोमवार डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने के आदेश लागू न करने की अवमानना याचिका के साथ हरियाणा सरकार के शंभू बॉर्डर खोलने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर भी सुनवाई होगी। 30 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने 3 दिन का टाइम दिया था
इससे पहले 30 दिसंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने पंजाब सरकार को डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती करवाने के लिए 3 दिन का टाइम दिया था। इस दौरान पंजाब सरकार ने कहा था कि एक मध्यस्थ ने आवेदन दिया है कि अगर केंद्र हस्तक्षेप करता है तो डल्लेवाल बातचीत के लिए तैयार हैं। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के समय मांगने के आवेदन को मंजूर कर लिया था। बुधवार को पंजाब पुलिस के अधिकारियों ने किसानों से लगातार मीटिंग की। अधिकारियों ने बताया कि अच्छे माहौल में बातचीत हुई है। उधर, डॉक्टरों के जारी मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक डल्लेवाल को बोलने में भी परेशानी हो रही है। पंधेर बोले- डल्लेवाल का अनशन जारी रहेगा
किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने कहा कि डल्लेवाल के अनशन को 38 दिन हो गए हैं। ये अनशन बातचीत करने के लिए नहीं बल्कि मांगे मनवाने के लिए शुरू किया है। ये अनशन इसी तरह से जारी रहेगा। जल्द ही दिल्ली कूच का फिर से ऐलान किया जाएगा। 4 जनवरी को बड़ी पंचायत खनौरी में होगी। 17 दिन में सुप्रीम कोर्ट में 5 सुनवाई, पढ़िए इन सुनवाई में क्या हुआ…. 1. डल्लेवाल पापुलर पर्सनैलिटी, ढिलाई न बरती जाए
17 दिसंबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार ने कहा कि डल्लेवाल की हालत को देखते हुए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनसे भावनाएं जुड़ी हुई हैं। राज्य को कुछ करना चाहिए। वह पापुलर पर्सनैलिटी हैं। इसमें ढिलाई नहीं बरती जा सकती है। पंजाब सरकार को हालात संभालने होंगे। 2. पंजाब सरकार ने कहा- डल्लेवाल की सेहत ठीक
18 दिसंबर की सुनवाई में पंजाब सरकार ने कहा कि डल्लेवाल की सेहत ठीक है। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि 70 साल का आदमी 24 दिन से भूख हड़ताल पर है। कौन डॉक्टर है, जो बिना किसी टेस्ट के डल्लेवाल की तबीयत सही बता रहा है? उनकी कोई जांच नहीं हुई, ब्लड टेस्ट नहीं हुआ, ECG नहीं हुई। 3. पंजाब सरकार अस्पताल में शिफ्ट क्यों नहीं कर रही
19 दिसंबर की सुनवाई में कोर्ट ने चिंता जताई कि डल्लेवाल की हालत रोज बिगड़ रही है। पंजाब सरकार उन्हें अस्पताल में शिफ्ट क्यों नहीं कराती? यह उन्हीं की जिम्मेदारी है। यदि उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है तो अधिकारी निर्णय लेंगे। 4. अस्पताल ले जाने से रोकने का आंदोलन कभी नहीं सुना
28 दिसंबर की सुनवाई में कोर्ट ने सख्त रुख दिखाया। कोर्ट ने पंजाब सरकार को कहा कि पहले आप समस्या पैदा करते हैं, फिर कहते हैं कि आप कुछ नहीं कर सकते। केंद्र की मदद से उन्हें अस्पताल में शिफ्ट करें। इसमें किसानों के विरोध पर कोर्ट ने कहा कि किसी को अस्पताल ले जाने से रोकने का आंदोलन कभी नहीं सुना। यह आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा है। किस तरह के किसान नेता हैं जो चाहते हैं कि डल्लेवाल मर जाएं? डल्लेवाल पर दबाव दिखता है। जो लोग उनका अस्पताल में भर्ती होने का विरोध कर रहे हैं, वे उनके शुभचिंतक नहीं हैं। 5. सरकार ने 3 दिन का समय मांगा
30 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने कोर्ट को बताया कि 30 दिसंबर को पंजाब बंद था, जिस वजह से ट्रैफिक नहीं चला। इसके अलावा एक मध्यस्थ ने भी आवेदन दिया है जिसमें कहा गया है कि अगर यूनियन हस्तक्षेप करती है तो डल्लेवाल बातचीत के लिए तैयार हैं। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के समय मांगने के आवेदन को मंजूर कर लिया। किसानों की आगामी रणनीति क्या… 4 जनवरी को 2 लाख से अधिक किसान पहुंचेंगे
4 जनवरी को खनौरी मोर्चे पर होने वाली किसान महापंचायत की तैयारी शुरू हो गई है। किसान नेताओं ने कहा कि 2 लाख से अधिक किसान मोर्चे पर पहुंचेंगे। डल्लेवाल अपना जरूरी संदेश खनौरी मोर्चे से देंगे। सभी किसानों को मोर्चे पर सुबह 10 बजे तक पहुंचना है। 6 को शंभू बॉर्डर पर मनाएंगे प्रकाश पर्व
किसान नेता सरवण सिंह पंधेर के नेतृत्व में बुधवार को शंभू बॉर्डर पर किसानों की बैठक हुई। मीटिंग में तय हुआ है कि 6 जनवरी को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश पर्व शंभू बॉर्डर पर मनाया जाएगा। ऐसे में पटियाला के नजदीक के गांवों से अपील की जा रही है कि अधिक से अधिक लोग मोर्चे में पहुंचे। ——————— किसानों से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान बोले- सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगा हमें स्वीकार होगा किसान आंदोलन को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान ने कहा कि अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जो भी आदेश जारी किए जाएंगे, वह उसका पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि वह हर मंगलवार को किसानों से मुलाकात करते रहते हैं। पूरी खबर पढ़ें…
बहादुरगढ़ में BJP केंडिडेट का विरोध:सगे भाई ने दिनेश को कहा अंहकारी, फूट-फूट कर रोए पूर्व विधायक नरेश कौशिक
बहादुरगढ़ में BJP केंडिडेट का विरोध:सगे भाई ने दिनेश को कहा अंहकारी, फूट-फूट कर रोए पूर्व विधायक नरेश कौशिक हरियाणा की बहादुरगढ़ सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार दिनेश कौशिक का विरोध शुरू हो गया है। कौशिक का विरोध किसी और ने नहीं, बल्कि उनके ही सगे बड़े भाई नरेश कौशिक ने किया है। नरेश का आरोप है कि उनका छोटा भाई अहंकारी है। उन्होंने कहा, ‘टिकट मिले हुए उसे 3 दिन हो गए, लेकिन उसने आज तक मुझे एक कॉल तक करना ठीक नहीं समझा। भले ही हमारे बीच मतभेद रहे हैं, लेकिन मैंने कभी अपने भाई के खिलाफ कुछ नहीं बोला। उल्टा वह मेरे खिलाफ लगातार गलत बयानबाजी करता रहा।’ नरेश ने फूट-फूटकर रोते हुए कहा, ‘मेरे परिवार में बेटी (दिनेश की बेटी) की शादी थी, लेकिन इस आदमी (दिनेश कौशिक) ने मुझे उस शादी तक में शामिल नहीं होने दिया। वह बहुत बड़ा अहंकारी है। मेरे परिवार को साजिश के तहत तोड़ा गया।’ शुक्रवार को नरेश कौशिक ने बहादुरगढ़ शहर में अपने समर्थकों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने बगैर नाम लिए ओमप्रकाश धनखड़ पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने उनके परिवार में ही फूट डाल दी। पूर्व विधायक नरेश कौशिक ने कहा इस परिस्थिति में पार्टी के कैंडिडेट का समर्थन कैसे संभव है? जो उनके पास एक कॉल तक नहीं कर सकता। मेरे साथ साजिश रची गई। मेरे घर को लूटने काम किया गया। मेरे परिवार को लूटने का काम किया गया। मेरी राजनीति को खत्म करने की कोशिश की गई। इसलिए मैंने पार्टी को कहा- ये फैसला बदलना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हम चुनाव लड़ेंगे तो कमल के फूल पर लड़ेंगे। मैंने हमेशा पार्टी हित के लिए काम किया है। मैंने उन लोगों के खिलाफ आवाज उठाई जो लोग कहते थे वोट डालकर दिखा देना। हमने दो बार दीपेंद्र हुड्डा को यहां से हराने का काम किया। मुझे दुख इस बात का है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में मैं बीमार हो गया। अगर मैं बीमार नहीं होता तो अबकी बार भी दीपेंद्र को यहां से हराकर भेजते। जो नेता अपनी सीट नहीं जीत पाए वो पूरे झज्जर जिले की सीट दिलाने का काम करते है और वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को घुमराह कर मेरे भाई को लेकर गए। उन्हें पता था कि उनका भाई जीत नहीं सकता। क्योंकि नरेश कौशिक के साथ हलके की जनता हैं। इसी साजिश के तहत मेरी टिकट कटवाई गई। नरेश ने कहा कि पार्टी दो दिन में अपना फैसला बदले। वरना उसके बाद कार्यकर्ता जो फिर फैसला लेंगे मुझे मंजूर हैं। हालांकि नरेश कौशिक ने पार्टी नहीं छोड़ी हैं। उन्होंने कहा कि पहले भी वह पार्टी में थे और आज भी बीजेपी में हैं। आगे का निर्णय कार्यकर्ता लेंगे। पिछले चुनाव में मिली थी हार बता दें कि नरेश कौशिक बहादुरगढ़ में बीजेपी का बड़ा चेहरा हैं। 2014 में वह इसी सीट से बीजेपी की टिकट पर जीतकर विधायक चुने गए थे। हालांकि 2019 में पार्टी ने उन्हें दोबारा टिकट दिया, लेकिन वह कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र जून के सामने चुनाव हार गए। इस बार पार्टी ने उनका टिकट काटकर उनके छोटे भाई दिनेश कौशिक को दिया। दोनों भाइयों के बीच मतभेद काफी समय से चले आ रहे है। इसी के चलते नरेश कौशिश दिनेश को टिकट दिए जाने से खासे नाराज दिखे। नरेश कौशिक का टिकट कटने की एक वजह उनका आईएनएलडी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नफे सिंह राठी की हत्या में नाम आना भी रहा। हालांकि नफे सिंह राठी हत्याकांड की जांच अभी सीबीआई कर रही हैं। राठी के परिवार ने कौशिक सहित आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को नामजद कराया था। सीबीआई की टीम नरेश कौशिक के अलावा अन्य नामजद लोगों से पूछताछ भी कर चुकी है।