कोटे के अंदर ‘कोटा’ वाले SC के फैसले पर रामदास अठावले बोले, ‘इससे अनुसूचित जातियों को…’

कोटे के अंदर ‘कोटा’ वाले SC के फैसले पर रामदास अठावले बोले, ‘इससे अनुसूचित जातियों को…’

<p style=”text-align: justify;”><strong>Ramdas Athawale On Reservation:</strong> केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री और आरपीआई के प्रमुख रामदास अठावले ने अनुसूचित जाति जनजातियों के आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर आर्थिक मानदंडों पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी इसके खिलाफ है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रामदास अठावले ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, ”रिपब्लिकन पार्टी अनुसूचित जाति-जनजातियों के आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर आर्थिक मानदंडों का कड़ा विरोध करती है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>केंद्रीय मंत्री ने आगे लिखा, ”ओबीसी और ओपन वर्ग में उपवर्गीकरण के साथ ही अनुसूचित जाति मे उपवर्गीकरण किया जाए. उप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सभी अनुसूचित जातियों को न्याय मिलेगा.”</p>
<blockquote class=”twitter-tweet”>
<p dir=”ltr” lang=”hi”>रिपब्लिकन पार्टी अनुसूचित जाति जनजातियों के आरक्षण के लिए क्रिमिलियर आर्थिक मानदंडों का कड़ा विरोध करती है।<br />ओबीसी और ओपन वर्ग में उपवर्गीकरण के साथ ही अनुसूचित जाती मे उपवर्गीकरण किया जाए। उप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सभी अनुसूचित जातियों को न्याय मिलेगा।</p>
&mdash; Dr.Ramdas Athawale (@RamdasAthawale) <a href=”https://twitter.com/RamdasAthawale/status/1819397101911953418?ref_src=twsrc%5Etfw”>August 2, 2024</a></blockquote>
<p style=”text-align: justify;”>
<script src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” async=”” charset=”utf-8″></script>
</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जातियों (एससी) के उप-वर्गीकरण को स्वीकार्य माना है. शीर्ष अदालत ने फैसला दिया कि राज्यों की ओर से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के आगे उप-वर्गीकरण की अनुमति दी जा सकती है ताकि इन समूहों के भीतर अधिक पिछड़ी जातियों को कोटा प्रदान करना सुनिश्चित किया जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सुप्रीम कोर्ट गुरुवार (1 अगस्त) को राज्यों को एक तरह से आगाह करते हुए कहा कि वे आरक्षित कैटेगरी में कोटा देने के लिए अनुसूचित जातियों का उप-वर्गीकरण कर सकते हैं, लेकिन यह पिछड़ेपन और नौकरियों में प्रतिनिधित्व के मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों के आधार पर होना चाहिए, न कि ‘मर्जी’ और ‘राजनीतिक लाभ’ के आधार पर हो.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने ये टिप्पणियां अपने 140 पन्ने के बहुमत के फैसले में कीं. इस फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यों को कोटा के भीतर कोटा देने के लिए अनुसूचित जातियों (एससी) का उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, क्योंकि वे सामाजिक रूप से विषम वर्ग हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्यों द्वारा अनुसूचित जातियों के किए गए उप-वर्गीकरण को संवैधानिकता के आधार पर चुनौती दिए जाने की स्थिति में न्यायिक समीक्षा की जा सकती है. जहां कार्रवाई को चुनौती दी जाती है, वहां राज्य को अपनी कार्रवाई के आधार को उचित ठहराना होगा. उप-वर्गीकरण का आधार और जिस मॉडल का पालन किया गया है, उसे राज्य द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों के आधार पर उचित ठहराना होगा.<strong> (पीटीआई की इनपुट के साथ)</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें:</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”किसके चेहरे पर लड़ा जाएगा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव? अजित पवार गुट ने साफ किया रुख” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/sunil-tatkare-ncp-on-cm-eknath-shinde-shiv-sena-ajit-pawar-devendra-fadnavis-maharashtra-assembly-elections-2752114″ target=”_self”>किसके चेहरे पर लड़ा जाएगा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव? अजित पवार गुट ने साफ किया रुख</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Ramdas Athawale On Reservation:</strong> केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री और आरपीआई के प्रमुख रामदास अठावले ने अनुसूचित जाति जनजातियों के आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर आर्थिक मानदंडों पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी इसके खिलाफ है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रामदास अठावले ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, ”रिपब्लिकन पार्टी अनुसूचित जाति-जनजातियों के आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर आर्थिक मानदंडों का कड़ा विरोध करती है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>केंद्रीय मंत्री ने आगे लिखा, ”ओबीसी और ओपन वर्ग में उपवर्गीकरण के साथ ही अनुसूचित जाति मे उपवर्गीकरण किया जाए. उप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सभी अनुसूचित जातियों को न्याय मिलेगा.”</p>
<blockquote class=”twitter-tweet”>
<p dir=”ltr” lang=”hi”>रिपब्लिकन पार्टी अनुसूचित जाति जनजातियों के आरक्षण के लिए क्रिमिलियर आर्थिक मानदंडों का कड़ा विरोध करती है।<br />ओबीसी और ओपन वर्ग में उपवर्गीकरण के साथ ही अनुसूचित जाती मे उपवर्गीकरण किया जाए। उप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सभी अनुसूचित जातियों को न्याय मिलेगा।</p>
&mdash; Dr.Ramdas Athawale (@RamdasAthawale) <a href=”https://twitter.com/RamdasAthawale/status/1819397101911953418?ref_src=twsrc%5Etfw”>August 2, 2024</a></blockquote>
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<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जातियों (एससी) के उप-वर्गीकरण को स्वीकार्य माना है. शीर्ष अदालत ने फैसला दिया कि राज्यों की ओर से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के आगे उप-वर्गीकरण की अनुमति दी जा सकती है ताकि इन समूहों के भीतर अधिक पिछड़ी जातियों को कोटा प्रदान करना सुनिश्चित किया जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सुप्रीम कोर्ट गुरुवार (1 अगस्त) को राज्यों को एक तरह से आगाह करते हुए कहा कि वे आरक्षित कैटेगरी में कोटा देने के लिए अनुसूचित जातियों का उप-वर्गीकरण कर सकते हैं, लेकिन यह पिछड़ेपन और नौकरियों में प्रतिनिधित्व के मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों के आधार पर होना चाहिए, न कि ‘मर्जी’ और ‘राजनीतिक लाभ’ के आधार पर हो.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने ये टिप्पणियां अपने 140 पन्ने के बहुमत के फैसले में कीं. इस फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यों को कोटा के भीतर कोटा देने के लिए अनुसूचित जातियों (एससी) का उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, क्योंकि वे सामाजिक रूप से विषम वर्ग हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्यों द्वारा अनुसूचित जातियों के किए गए उप-वर्गीकरण को संवैधानिकता के आधार पर चुनौती दिए जाने की स्थिति में न्यायिक समीक्षा की जा सकती है. जहां कार्रवाई को चुनौती दी जाती है, वहां राज्य को अपनी कार्रवाई के आधार को उचित ठहराना होगा. उप-वर्गीकरण का आधार और जिस मॉडल का पालन किया गया है, उसे राज्य द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों के आधार पर उचित ठहराना होगा.<strong> (पीटीआई की इनपुट के साथ)</strong></p>
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