कोरोना महामारी के बाद लोगों का स्वास्थ्य के प्रति रुझान काफी बढ़ा है। इस वजह से स्वास्थ्य और फिटनेस को लेकर बड़ा बदलाव देखने को मिला है और ये बात साबित हुई है कि बॉडी फिट तो माइंड हिट है। शहर के लोग पहले जहां स्वास्थ्य पर ध्यान देने में थोड़ी ढील बरत लेते थे, वहीं अब वे इसे अपनी दिनचर्या का अहम हिस्सा बना रहे हैं। इस वजह से जिम के साथ-साथ फिटनेस सेंटरों की संख्या में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई है। शहर के फिटनेस एक्सपर्ट्स के अनुसार कोरोना से पहले शहर में 400 से 500 जिम व फिटनेस सेंटर थे वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 1000 हो गई है। इतना ही नहीं पहले लगभग 2 लाख लोग फिटनेस ट्रेनिंग लेते थे, लेकिन अब ये आंकड़ा 5 लाख तक पहुंच गया है। कोरोना महामारी के बाद लोगों का स्वास्थ्य के प्रति रुझान काफी बढ़ा है। इस वजह से स्वास्थ्य और फिटनेस को लेकर बड़ा बदलाव देखने को मिला है और ये बात साबित हुई है कि बॉडी फिट तो माइंड हिट है। शहर के लोग पहले जहां स्वास्थ्य पर ध्यान देने में थोड़ी ढील बरत लेते थे, वहीं अब वे इसे अपनी दिनचर्या का अहम हिस्सा बना रहे हैं। इस वजह से जिम के साथ-साथ फिटनेस सेंटरों की संख्या में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई है। शहर के फिटनेस एक्सपर्ट्स के अनुसार कोरोना से पहले शहर में 400 से 500 जिम व फिटनेस सेंटर थे वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 1000 हो गई है। इतना ही नहीं पहले लगभग 2 लाख लोग फिटनेस ट्रेनिंग लेते थे, लेकिन अब ये आंकड़ा 5 लाख तक पहुंच गया है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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लुधियाना में भतीजे ने काटी चाचा की 3 उंगलियां:पंचायती चुनाव की है रंजिश,भाई करता था अन्य उम्मीदवार को स्पोर्ट
लुधियाना में भतीजे ने काटी चाचा की 3 उंगलियां:पंचायती चुनाव की है रंजिश,भाई करता था अन्य उम्मीदवार को स्पोर्ट पंजाब के लुधियाना में बीती रात एक भतीजे ने तेजधार हथियार से हमला करके अपने चाचा की 3 उंगलियां काट दी। उसके सिर पर भी तेजधार हथियार से हमला किया। गंभीर रूप से घायल बुजुर्ग व्यक्ति को सिविल अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टरों ने उसकी एमआरआई सहित अन्य टेस्ट किए। पीड़ित पोलिंग बूथ से पत्नी को गया था लेने जानकारी देते हुए घायल सतपाल सिंह ने बताया कि वह मंगलवार की देर रात पत्नी चरनजीत कौर को पोलिंग बूथ पर से लेने गया था। जहां उसकी उसके बड़े भाई से गाली गलोच हो गई। जिसके बाद उसके भतीजे ने घर पर आकर झड़प की। गुस्से में आकर भतीजे ने उन पर तलवार से हमला कर दिया। खुद का बचाव करने के लिए सतपाल मुताबिक उसने हाथ आगे किया तो उसकी दाहिने हाथ की तीन उंगलियां कट कर अलग हो गई। बड़ा भाई करता किसी अन्य उम्मीदवार की स्पोर्ट घायल सतपाल सिंह ने बताया कि उसका बड़ा भाई गांव में किसी अन्य उम्मीदवार की स्पोर्ट कर रहा था और वह किसी ओर को, जिसके चलते उसके भतीजे ने उसपर हमला किया। सिविल अस्पताल के डाक्टरों ने उसे निजी अस्पताल रेफर कर दिया। मामले की सूचना थाना हठूर की पुलिस को दी गईं है। पुलिस इस मामले में जांच कर रही है। घायल युवक के बयानों के आधार पर मामला दर्ज करने की पुलिस प्रक्रिया शुरू करेगी।

पंजाब उपचुनाव- SAD के 4 पूर्व नेता चुनाव लड़ रहे:पूर्व मंत्री और बादल परिवार के सदस्य शामिल, 1 बागी होकर निर्दलीय मैदान में
पंजाब उपचुनाव- SAD के 4 पूर्व नेता चुनाव लड़ रहे:पूर्व मंत्री और बादल परिवार के सदस्य शामिल, 1 बागी होकर निर्दलीय मैदान में पंजाब में हो रहे उपचुनाव से भले ही शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने दूरी बना ली हो, लेकिन पार्टी के 4 पूर्व नेता और एक बागी नेता इस चुनाव में उतर चुके हैं। 4 नेताओं ने अलग अलग पार्टियों से नामांकन भरा है, जबकि एक नेता निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। SAD से निकले नेताओं पर सबसे ज्यादा भरोसा भाजपा ने जताया है क्योंकि 4 में से 3 सीटों पर भाजपा ने उन नेताओं को उतारा है जो कभी अकाली दल में रह चुके हैं। इन नेताओं में चब्बेवाल सीट से भाजपा उम्मीदवार सोहन सिंह ठंडल, गिद्दड़बाहा से मनप्रीत सिंह बादल और डेरा बाबा से रविकरण काहलों शामिल हैं। इन नेताओं के अलावा गिद्दड़बाहा से आम आदमी पार्टी (AAP) की टिकट पर मैदान में उतरे हरदीप सिंह ढिल्लों भी SAD में रह चुके हैं। उधर गिद्दड़बाहा से ही निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे जगमीत बराड़ ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन पर बगावत करदी है। खास बात है कि तकरीबन साढ़े 4 साल पहले भाजपा और अकाली दल का गठबंधन था। लेकिन किसान आंदोलन के बाद ही इन दोनों के बीच का गठबंधन टूट गया था। गिद्दड़बाहा से 3 पूर्व अकाली नेता आमने सामने 1. मनप्रीत सिंह बादल गिद्दड़बाहा में अकाली दल के 3 पूर्व नेता मैदान में हैं। इस सीट पर पूर्व अकाली नेता मनप्रीत सिंह बादल जो भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इन्होंने 1995 में अकाली दल को गिद्दड़बाहा से तब जीत दिलाई थी, जब अकाली दल का ग्राफ काफी नीचे गिर चुका था। हालांकि उन्होंने अकाली दल छोड़, अपनी अलग पार्टी ‘पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब’ बनाई थी। कुछ ही समय बाद ये कांग्रेस में शामिल हो गए थे। फिर 2023 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे उनके करियर का सबसे लंबा अरसा अकाली दल के साथ ही निकला है। मनप्रीत पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के भाई गुरदास सिंह बादल के बेटे हैं। 2. हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों दूसरा बड़ा नाम हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों का है। इन्होंने AAP की टिकट पर गिद्दड़बाहा से नामांकन भरा है। डिंपी ढिल्लों भी खुद अकाली दल में रहे हैं। उपचुनावों की घोषणा के कुछ समय पहले ही उन्होंने अकाली दल पर परिवारवाद के आरोप लगाते हुए पार्टी को अलविदा कहा था। डिंपी ढिल्लों को एक समय में सुखबीर बादल का कंधा माना जाता था। 3. जगमीत सिंह बराड़ गिद्दड़बाहा से तीसरा नाम जगमीत सिंह बराड़ का है। यह काफी समय तक कांग्रेस में रहे और बादल परिवार के विरोधी माना जाते थे। लेकिन 19 अप्रैल 2019 को उन्होंने प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर बादल की मौजूदगी में शिरोमणि अकाली दल जॉइन की थी। पार्टी ने इन्हें वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी नियुक्त किया। साथ ही 2022 के चुनावों के लिए मौर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार भी घोषित किया गया था। इन दो नेताओं पर भी भाजपा ने जताया विश्वास 1- सोहन सिंह ठंडल
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख से एक दिन पहले अकाली दल में तब हलचल मच गई, जब अकाली दल के सीनियर नेता व पूर्व मंत्री रहे सोहन सिंह ठंडल ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे देने के 4 घंटों में ही उनके लिए होशियारपुर में विशेष कार्यक्रम रखा गया, जहां सीनियर भाजपा नेताओं ने उन्हें पार्टी जॉइन करवा दी। साथ ही भाजपा ने चब्बेवाल सीट से सोहन सिंह ठंडल को उम्मीदवार घोषित कर दिया। 2-करण सिंह काहलों
पंजाब की सियासत में अकाली दल से जुड़े रहे काहलों परिवार के बेटे रवि करण ने लोकसभा चुनाव 2024 के पहले ही बगावत की थी और भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने सुखबीर बादल की प्रधानगी को चुनौती देते हुए पार्टी पर कई सवाल उठाए थे। रवि करण सिंह काहलों को भाजपा ने डेरा बाबा नानक से उम्मीदवार बनाया है।

बरनाला में डेंगू से बचने के लिए किया गया छिड़काव:सरकारी अस्पताल में बनाया गया स्पेशल वार्ड, मुफ्त में की जा रही जांच
बरनाला में डेंगू से बचने के लिए किया गया छिड़काव:सरकारी अस्पताल में बनाया गया स्पेशल वार्ड, मुफ्त में की जा रही जांच पंजाब में डेंगू की बीमारी के केस लगातार बढ़ रहे हैं, जिसके चलते बरनाला स्वास्थ्य विभाग डेंगू को लेकर अपनी तैयारियां पूरी करने में जुटा है। सरकारी अस्पताल में डेंगू बीमारी से निपटने के लिए विशेष वार्ड बनाया गया है। सिविल सर्जन बरनाला डॉ. तपिंदर जोत ज्योति कौशल ने बताया कि डेंगू को ध्यान में रखते हुए बरनाला में एक विशेष वार्ड बनाया गया है। उन्होंने कहा कि बरनाला जिले भर में डेंगू के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें फील्ड में काम कर रही हैं। बरनाला का स्वास्थ्य विभाग डेंगू से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में डेंगू की जांच बिल्कुल मुफ्त की जा रही है। सिविल सर्जन डॉ. तपिंदर ने कहा कि डेंगू से बचाव के लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। डेंगू का मच्छर रुके हुए पानी में फैलता है, इसलिए कहीं भी पानी जमा नहीं होने देना चाहिए। अपने आसपास के लोगों को साफ-सफाई रखनी चाहिए, इसके अलावा सुबह और शाम पूरे कपड़े पहनने चाहिए। वहीं इस मौके पर सिविल अस्पताल बरनाला के मेडिसिन डॉक्टर रिशव गर्ग ने कहा कि अस्पताल में डेंगू का अच्छे से इलाज किया जा रहा है। पूरे शहर में दवा का छिड़काव किया जा रहा है। अगर कोई भी डेंगू का मरीज सरकारी अस्पताल में आता है, तो स्वास्थ्य विभाग उसके इलाज के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा कि जागरूकता ही डेंगू का इलाज है। क्योंकि डेंगू भी एक से दूसरे में फैलता है। अगर डेंगू का मच्छर मरीज को काटने के बाद किसी दूसरे व्यक्ति को काट ले तो डेंगू और भी फैल सकता है। इसलिए जरूरी है कि डेंगू मच्छर के काटने से बचा जाए। इसलिए इस मच्छर से बचने के लिए जरूरी है कि हाथ, पैर और टांगों को ढंक कर रखा जाए।