<p style=”text-align: justify;”><strong>CRS Report Covid Data: </strong>देश में 2021 के कोविड महामारी के दौरान हुई मौतों के आधिकारिक आंकड़ों और वास्तविक मौतों के बीच बड़ा अंतर सामने आया है. नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) द्वारा जारी की गई एक नई रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि भारत में साल 2019 के मुकाबले 2021 में करीब 25 लाख लोगों की मौत हुई है. इस रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में कोविड मृत्यु आंकड़ों की सटीकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में कोविड से 1,03,108 मौतें हुईं हैं जबकि आधिकारिक आंकड़ों में 14,563 मौत हुईं. इस रिपोर्टे के मुताबिक 87,555 मौतें अतिरिक्त थीं, जो 7 गुना है. आधिकारिक आंकड़ों और अब इस सीआरएस रिपोर्ट के आंकड़ों ने मौतों की वास्तिवक संख्या को लेकर संशय पैदा कर दिया है, वास्तविक मौतों की संख्या और ज्यादा होने का भी अनुमान लगाया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उत्तराखंड में भी आधिकारिक आंकड़ों में अंतर </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड में जारी हुए आधिकारिक आंकड़ों में कोविड से केवल 5,909 मौतें बताईं, जबकि सीआरएस रिपोर्ट में 9,689 मौतों का दावा है. यहां दोनों आंकड़ों में 1.6 गुना का अंतर है. उत्तराखंड को लेकर भी यही रिपोर्ट है कि यहां भी कोविड के दौरान वास्तविक मौतों की संख्या कहीं अधिक है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दूसरी लहर में सबसे ज्यादा मौतें </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सीआरएस रिपोर्ट के आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे ज्यादा मौतें 2021 यानि कोरोना की दूसरी लहर में हुई थीं. सबसे ज्यादा मौतें ऑक्सीजन की कमी और लोगों को समय पर उपचार न मिल पाने के कारण बताए गए. फिलहाल बुधवार को जारी हुई इस रिपोर्ट के बाद कोविड में मौतों की वास्तविक संख्या को लेकर फिर बहस शुरू हो चुकी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके साथ ही दिल्ली में आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में 14,571 लोगों की जान गई, जबकि सीआरएस रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 45,256 लोगों की जान गई. अब इस रिपोर्ट में किए जा रहे दावों को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>CRS Report Covid Data: </strong>देश में 2021 के कोविड महामारी के दौरान हुई मौतों के आधिकारिक आंकड़ों और वास्तविक मौतों के बीच बड़ा अंतर सामने आया है. नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) द्वारा जारी की गई एक नई रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि भारत में साल 2019 के मुकाबले 2021 में करीब 25 लाख लोगों की मौत हुई है. इस रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में कोविड मृत्यु आंकड़ों की सटीकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में कोविड से 1,03,108 मौतें हुईं हैं जबकि आधिकारिक आंकड़ों में 14,563 मौत हुईं. इस रिपोर्टे के मुताबिक 87,555 मौतें अतिरिक्त थीं, जो 7 गुना है. आधिकारिक आंकड़ों और अब इस सीआरएस रिपोर्ट के आंकड़ों ने मौतों की वास्तिवक संख्या को लेकर संशय पैदा कर दिया है, वास्तविक मौतों की संख्या और ज्यादा होने का भी अनुमान लगाया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उत्तराखंड में भी आधिकारिक आंकड़ों में अंतर </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड में जारी हुए आधिकारिक आंकड़ों में कोविड से केवल 5,909 मौतें बताईं, जबकि सीआरएस रिपोर्ट में 9,689 मौतों का दावा है. यहां दोनों आंकड़ों में 1.6 गुना का अंतर है. उत्तराखंड को लेकर भी यही रिपोर्ट है कि यहां भी कोविड के दौरान वास्तविक मौतों की संख्या कहीं अधिक है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दूसरी लहर में सबसे ज्यादा मौतें </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सीआरएस रिपोर्ट के आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे ज्यादा मौतें 2021 यानि कोरोना की दूसरी लहर में हुई थीं. सबसे ज्यादा मौतें ऑक्सीजन की कमी और लोगों को समय पर उपचार न मिल पाने के कारण बताए गए. फिलहाल बुधवार को जारी हुई इस रिपोर्ट के बाद कोविड में मौतों की वास्तविक संख्या को लेकर फिर बहस शुरू हो चुकी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके साथ ही दिल्ली में आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में 14,571 लोगों की जान गई, जबकि सीआरएस रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 45,256 लोगों की जान गई. अब इस रिपोर्ट में किए जा रहे दावों को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ‘काम पर लौटें या कार्रवाई के लिए रहें तैयार’, हड़ताल पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का फरमान
कोविड में यूपी-उत्तराखंड में छिपाया गया मौतों का आंकड़ा? इस रिपोर्ट ने खड़े किए सवाल
