काशी के वृद्धाश्रम में 80 करोड़ की प्रॉपर्टी का मालिक:बेटा बिजनेसमैन और बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील; खंडेलवाल लिख चुके हैं 400 किताबें ‘जब लोग इंटरनेट की दुनिया से ज्यादा वाकिफ नहीं थे, उस वक्त से मेरी किताबें ऑनलाइन हैं। लेकिन, प्रकृति से बंध कर आज वृद्धाश्रम में हूं। काशी में पैदा हुआ, पला-बढ़ा। 15 साल की उम्र से लिखना शुरू किया और अब तक 400 किताबें लिख चुका हूं। सब ऑनलाइन हैं। अमेजन और गूगल पर देख लीजिएगा। बेटा-बेटी कहां हैं, मत पूछिए। वो मेरा अतीत हैं।’ यह कहकर काशी के लेखक श्रीनाथ खंडेलवाल (एस एन खंडेलवाल) जोर से हंसे और हाथ जोड़ लिए। उन्होंने आगे कहना शुरू किया- देखिए पुराना कुछ नहीं पूछिएगा। वो सब अतीत था, जिसे मैंने खत्म कर दिया। अब नया खंडेलवाल है, जो सिर्फ किताबें लिख रहा है। जब तक सांस है, कलम चलती रहेगी। वाराणसी में हीरामनपुर के काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धाश्रम में 17 मार्च, 2024 को समाजसेवी अमन कबीर का फोन आया। इसके बाद दो लोग एक बुजुर्ग को मरणासन्न हालत में लेकर वहां पहुंचे। उन्हें 6 लोगों ने उठाकर कमरे तक पहुंचाया। तब से काशी के प्रसिद्ध लेखक एसएन खंडेलवाल का पता यही है। पहले वह लंका थाना क्षेत्र में रहते थे। 400 किताबों को लिखने वाला काशी का यह लेखक आखिर वृद्धाश्रम में क्या कर रहा है? उनका बेटा बड़ा बिजनेसमैन और बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील है। एसएन खंडेलवाल की मानें, तो दामाद भी वकील है और उनके पास करीब 80 करोड़ की प्रॉपर्टी है। जिसे हड़प कर बेटे-बेटी ने घर से बाहर निकाल दिया। इन सब बातों को जानने के लिए दैनिक भास्कर वृद्धाश्रम पहुंचा। यहां हमने एसएन खंडेलवाल से बात की। वह कुछ ही देर पहले नहाकर निकले थे और सोने की तैयारी कर रहे थे। वह थोड़ा ऊंचा सुनते हैं। जानिए एसएन खंडेलवाल ने भास्कर से बातचीत में क्या-क्या कहा ‘सारी जायदाद छीनकर हमें घर से निकाल दिया’
एसएन खंडेलवाल ने कहा- हमारी सारी जायदाद छीनकर निकाल दिया। बस यही दर्द है। मेरा बेटा अनूप खंडेलवाल बिजनेसमैन है और बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील है। दामाद भी वकील है। हमारी इस समय 80 करोड़ की प्रॉपर्टी है। लेकिन, जब हम बीमार हुए तो घर से बाहर निकालकर कहा, ले जाना कहीं फेंक देना इसे। वापस मत लाना। बेटा बड़ा आदमी, उसको ससुराल से भी प्रॉपर्टी मिली
खंडेलवाल ने कहा- सबसे दुखी हूं। बेटा बड़ा आदमी है। अनूप खंडेलवाल मेरा बेटा है। दूसरा बेटा मर गया। उसके बाद इसने मुझे परेशान करना शुरू कर दिया। मुझे घर से बाहर निकाल दिया। अनूप की अच्छी शादी कराई। बेटी को पढ़ाया, सुप्रीम कोर्ट का वकील बनाया। लेकिन उन्होंने मुझे ही घर से निकाल दिया। बेटे को प्रॉपर्टी की कोई कमी नहीं। उसे 50 लाख रुपए की प्रॉपर्टी ससुराल से मिली है। बीमार हुआ तो दवा तक नहीं दिलाई
खंडेलवाल ने कहा- अतीत याद दिलाने को मना किया था आपको, फिर भी आप पूछ रहे हैं। खंडेलवाल की आंखें अब नम थीं। उन्होंने कहा, मत पूछिए अब कुछ भी। जब पूछा कि आप कहां रहते थे? तो बोले- पहले काशी में ही था। फिर प्रयागराज चला गया। वहां मेरी तबीयत ज्यादा खराब हुई तो घर वालों को फोन किया। उन्होंने मेरी नहीं सुनी। फिर दो लड़कियों ने, जिनका नाम और पता नहीं बताऊंगा, मुझे अपने घर रखकर मेरी सेवा की। मुझे ठीक कर दिया। उसके बाद मैं फिर काशी आ गया। यहां बीमार पड़ा तो बेटे-बेटी ने मुझे लाद कर फेंकने की बात कर दी। इसके बाद मैं वृद्धाश्रम आ गया। जानिए कौन हैं एस एन खंडेलवाल काशी में जन्म, 10वीं पास सैकड़ों किताबें ऑनलाइन
श्रीनाथ खंडेलवाल की उम्र 80 साल है। गुलाम भारत में पैदा हुए खंडेलवाल ने 15 साल की उम्र में कलम पकड़ ली। श्रीनाथ खंडेलवाल ने बताया- 10वीं फेल हूं और 15 साल की उम्र से किताबें लिख रहा हूं। ज्यादातर किताबें अन्य किताबों और पुराणों का ट्रांसलेशन है। इसमें मुझे महारथ है। अभी तक 400 किताबें लिख चुका है,। जिनमें कई पुराण भी हैं। शिव पुराण के 5 वॉल्यूम हैं, जो ऑनलाइन हैं। उसकी कीमत 6 हजार से ज्यादा है। ऐसी ही सैकड़ों किताबें ऑनलाइन हैं, लेकिन फिर भी घर से बेघर हूं। घर वाले थे अब नहीं हैं, उसे भूतकाल कर दें आप
वह कहते हैं- प्रभु ने भेजा है, इसलिए यहां हूं। सबको प्रभु भेजता है। कोई अपने से कहीं नहीं जा सकता। अब यहां रहना है और यहीं लेखन करना है। श्रीनाथ खंडेलवाल से जब घर के बारे में पूछा तो बोले- मना किया था न आप को, घर-वर न पूछिए। उन्हें अब भूतकाल कर दीजिए उसे। अब उसके बारे में कुछ नहीं पूछिए। 3000 पन्नों का लिखा है मत्स्य पुराण
श्रीनाथ खंडेलवाल ने बताया- कितनी किताबें लिखी हैं, कौन-कौन सी बताऊं। मत्स्य पुराण लिखी है, जो 3000 पन्नों की है। इसके अलावा शिव पुराण, पद्म पुराण लिखा। हिंदी, संस्कृत के अलावा आसामी और बांग्ला में भी लिखा। अभी नरसिंह पुराण का अनुवाद हिंदी में कर रहा हूं। जल्द ही वह भी छप जाएगी। काशी में बदलाव हुआ है पर हम नहीं बदले
हमने जब श्रीनाथ खंडेलवाल से पूछा कि आप लेखक हैं? काशी को कितना बदलते देखा आपने? इस पर वह बोले- हमसे क्या मतलब, हम नहीं बदले तो हमारी दृष्टि में कुछ नहीं बदला। आज भी वेद पुराण पढ़ा जा रहा है। हां आधुनिकता आ गई है। लोग धोती-कुर्ता की जगह पैंट-शर्ट में पूजा कर रहे हैं। इसके अलावा अनाचार बढ़ा है, लेकिन किसी को बुरा नहीं कहना चाहिए। सबकी करनी का फल भगवान देता है। गीता तत्व बोधिनी है सबसे अद्भुत किताब
श्रीनाथ खंडेलवाल की सबसे अद्भुत किताब है गीता तत्व बोधिनी। इसके बारे में उन्होंने बताया- गीता तत्व बोधिनी एक ऐसी किताब है, जिसमें एक भी श्लोक नहीं है। उसमें केवल यह रिसर्च है कि अर्जुन ने जो प्रश्न पूछे उनके वही उत्तर कृष्ण ने क्यों दिए? कोई और उत्तर क्यों नहीं दिया? उन्होंने कहा- मस्तिष्क अच्छा है तो विचार अच्छा होगा। पद्मश्री के लिए कर दिया इनकार, गृहमंत्री से कही ये बात
श्रीनाथ खंडेलवाल का नाम पद्मश्री के संभावितों में था। इसका जिक्र करते हुए उन्होंने बताया- मैंने मना कर दिया। गृहमंत्री जी से कहा कि मैं 10वीं पास हूं। यदि मैं आप का यह प्रमाण पत्र लूंगा तो उसका अपमान होगा। क्योंकि, बहुत से पढ़े-लिखे लाइन में हैं। उन्होंने मेरी बातों को समझा। खंडेलवाल ने हंसते हुए कहा- पत्रकार महोदय आप ही ये बात छापते कि काशी में 10वीं फेल को दिया पद्मश्री। अब आश्रम के केयर टेकर से बातचीत 17 मार्च को जब आए थे तो मरणासन्न अवस्था थी
काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धाश्रम के केयर टेकर रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया- अमन कबीर हमेशा बुजुर्गों को यहां रखवाने के लिए आते हैं। मार्च में एक दिन उनका फोन आया कि एक बुजुर्ग हैं, जिन्हें भेज रहा हूं। इन्हें आश्रय दे दीजिएगा। इसके कुछ ही देर बाद 17 मार्च को दोपहर 11 बजे के आस-पास ई-रिक्शा से दो लोग श्रीनाथ जी को यहां लेकर आए। हमारे आश्रम में किसी से कोई धर्म नहीं पूछा जाता, न ही उससे आधार कार्ड लिया जाता है। बस उनकी सेवा की जाती है। सेवा से हुए ठीक अब वॉकर से चल रहे
रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया- यहां आने के बाद उनकी सेवा शुरू की गई। उन्हें लंग्स और लीवर का इन्फेक्शन है। उनका इलाज किया जा रहा है। पैरों में अब सूजन है। लेकिन, वो वॉकर से चलते हैं। वो दवा और जो भी चीजें मांगते हैं, उन्हें दिया जाता है। अमृत अग्रवाल आते हैं और दे जाते जरूरत का सामान
रमेश ने बताया- श्रीनाथ जी इतने बड़े आदमी हैं, मुझे नहीं पता था। एक दिन अमृत अग्रवाल जी आए। उन्होंने उनके बारे में सब कुछ बताया, तब मुझे पता चला। अमृत जी ही उन्हें लेखन सामग्री, लिफाफा और अन्य सामान लाकर देते हैं। कभी-कभी वो पैसे भी दे जाते हैं। लेकिन, हमने कभी नहीं पूछा कि कैसे पैसे हैं जो वो दे रहे हैं। अब हर वक्त कोई न कोई आता रहता
रमेश ने बताया- जब से पता चला है कि वो काशी के प्रसिद्ध लेखक हैं। कोई न कोई हमेशा उनके पास मिलने आता है। कई ऐसे लोग भी आते हैं जो लेखन और ट्रांस्लेशन में हाथ आजमा रहे हैं। फिर भी ये वृद्धाश्रम में रह रहे हैं और कहते हैं कि अंतिम सांस यहीं लूंगा। ये भी पढ़ें… जम्मू-कश्मीर चुनाव सपा के लिए सबक:20 सीटों पर जमानत जब्त; सपा बोली- हरियाणा में अति आत्मविश्वास कांग्रेस को ले डूबा हरियाणा और जम्मू-कश्मीर का चुनाव समाजवादी पार्टी के लिए भी एक सबक है। हरियाणा में कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई और मतदाताओं की नब्ज न पकड़ पाना कांग्रेस के लिए भारी पड़ गया। जम्मू-कश्मीर में अपनी पार्टी का विस्तार करने पहुंची सपा को भी किसी तरह की कामयाबी मिलती फिलहाल नजर नहीं आई। पढ़ें पूरी खबर…