कौन है नौमान को जासूस बनाने वाला ISI कमांडर इकबाल:2 साल पहले सौंपी एजेंट बनाने की जिम्मेदारी, हरियाणा-पंजाब रखा मेन टारगेट

कौन है नौमान को जासूस बनाने वाला ISI कमांडर इकबाल:2 साल पहले सौंपी एजेंट बनाने की जिम्मेदारी, हरियाणा-पंजाब रखा मेन टारगेट

हरियाणा की पानीपत क्राइम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की गिरफ्त में आया पाकिस्तानी जासूस नौमान इलाही 20 मई तक पुलिस रिमांड पर है। जैसे-जैसे उससे पूछताछ आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कई खुलासे हो रहे है। जानकारी मिली है कि नौमान ISI कमांडर इकबाल उर्फ काना के संपर्क में था।
पाकिस्तान में बैठे इकबाल उर्फ काना ने ही नौमान को 2 साल पहले ISI के लिए एजेंट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। उसे हरियाणा-पंजाब में एजेंट का बड़ा नेटवर्क खड़ा करने का टारगेट दिया गया था, ताकि भारत की खुफिया जानकारी आसानी से हासिल की जा सके।
कौन है इकबाल ऊर्फ काना, कैसे उसने नौमान को अपने नेटवर्क से जोड़ा, सूचनाएं भेजने की ट्रेनिंग कैसे दी गई? जैसे कई दूसरे सवालों का जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर ने हरियाणा के पानीपत से लेकर यूपी के कैराना तक दोनों की कुंडली खंगाली। पढ़िए रिपोर्ट… 4 पॉइंट़्स में जानिए, कौन है इकबाल उर्फ काना शामली के कैराना का रहने वाला, 90 के दशक में तस्करी शुरू की
इकबाल उर्फ काना मूल रूप से शामली के कैराना का रहने वाला है। इकबाल काना और उसका साथी कैराना का ही दिलशाद मिर्जा पाकिस्तान से हथियारों और नकली नोटों की तस्करी करते थे। यह था 1990 का समय, दोनों ने मिलकर तस्करी का बड़ा नेटवर्क बना लिया था। पुलिस को चकमा देकर दोनों खूब पैसा बटोर रहे थे। 1993 में दिल्ली सेल ने पकड़ी खेप, पहली बार नाम सामने आया
इकबाल काना और उसके साथी दिलशाद मिर्जा का कैराना से शुरू हुआ तस्करी का नेटवर्क वेस्ट यूपी तक फैलने लगा था। धीरे-धीरे दोनों इसे पूरे यूपी में फैलाने की तैयारी कर रहे थे। साल 1993 में दिल्ली की स्पेशल सेल ने 276 पिस्टल की एक खेप पकड़ ली। खेप के साथ पकड़े गए लोगों से पूछताछ हुई तो इकबाल और दिलशाद का नाम पहली बार सामने आया। पुलिस की सक्रियता बढ़ी तो पाकिस्तान भाग गया
पिस्टल की खेप पकड़े जाने के बाद दिल्ली पुलिस एक्टिव हुई। इसके साथ ही यूपी पुलिस को भी इसका इनपुट दिया गया। दोनों प्रदेशों की टीम सक्रिय हुई तो इकबाल काना और दिलशाद मिर्जा फरार हो गए। कई दिनों तक पुलिस दोनों की तलाश में कैराना से लेकर सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, मेरठ, बागपत से लेकर दिल्ली तक दबिश देती रही, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसी दौरान पता चला कि 1993 में ही दोनों पाकिस्तान भाग गए थे। ISI के लिए करने लगा काम, आतंकी संगठन से भी जुड़ा
पाकिस्तान चले जाने के बाद इकबाल उर्फ काना और उसका दोस्त दिलशाद मिर्जा ISI के लिए काम करने लगे। दोनों लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद आदि आतंकी संगठनों से जुड़ गए। दोनों यूपी से थे, दोनों को यहां ISI के लिए जासूस तैयार करने की जिम्मेदारी मिली। इसके बाद दोनों पूरी तरह से ISI और आतंकी संगठनों के लिए काम करने लगे। 2008 में दिलशाद के साथी शामली निवासी महबूब के पकड़ने जाने के बाद इसकी पुष्टि हुई थी। बताया जाता है कि इकबाल काना पहले एजेंट होता था, अब कमांडर बन गया है। अब जानिए नौमान इलाही कैसे बना पाकिस्तानी जासूस… साथी गिरफ्तार हुआ तो नौमान पर रखा हाथ
साल 2023 में मेरठ STF ने इकबाल उर्फ काना के साथी कलीम निवासी शामली को गिरफ्तार किया था। कलीम को इकबाल ने ही 14 महीनों तक पाकिस्तान में ट्रेनिंग दिलवाई थी। उसे भी वेस्ट यूपी के युवाओं को ISI से जोड़ने की जिम्मेदारी मिली थी। मगर, उसके पकड़े जाने के बाद इकबाल नया साथी ढूंढ रहा था। इसी दौरान उसका संपर्क हुआ नौमान इलाही से। चूंकि नौमान कैराना का ही था तो उसने आसानी से नौमान को नेटवर्क से जोड़ लिया। कई खासियतों की वजह से चुना गया नौमान
नौमान की कई खासियतें उसे पाकिस्तानी एजेंट के रूप में तैयार करने में मददगार साबित हुईं। एक तो उसके पिता अहसान इलाही की मौत हो चुकी थी। उसके पिता लोगों के पासपोर्ट बनवाने में मदद करते थे। उनकी मौत के बाद नौमान ने इस काम को करना शुरू कर दिया था। दूसरा यह कि वह 6 भाई बहनों में सबसे छोटा था। सबकी शादी हो चुकी थी इसलिए उसे कोई रोकने-टोकने वाला नहीं था। तीसरी और सबसे अहम बात कि उसकी बुआ और मौसी पाकिस्तान में रहती हैं। ऐसे में उसे पाकिस्तान आने-जाने के लिए कोई ज्यादा परेशानी नहीं होनी थी। ट्रेनिंग भी दी, कैफे से भेजी जाती थी रकम
पुलिस सोर्सेज की माने तो पकड़े जाने पर जब नौमान इलाही के मोबाइल की जांच की गई तो उसमें कई खुफिया जानकारी मिली। ये वीडियो और फोटो के रूप में थी। एसपी पानीपत ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी पुष्टि भी की थी कि पक्के सबूत मिलने पर ही नौमान को गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ में सामने आया है कि नौमान को वीडियो-फोटो कैसे बनानी है, कैसे भेजनी है और पैसे कैसे मिलेंगे, इसकी पूरी ट्रेनिंग दी गई थी। एसपी का कहना है कि उसकी ट्रेनिंग पाकिस्तान में हुई है या यहीं, इसकी जांच चल रही है। इसके अलावा जब पानीपत पुलिस ने नौमान को साथ लेकर कैराना में एक जनसेवा केंद्र में दबिश दी, तो वहां बैंक खातों में पाकिस्तान से रुपए मंगवाने के सबूत मिले। यूपी के साथ हरियाणा और पंजाब में भी बनाने थे एजेंट
पुलिस सोर्सेज के मुताबिक, शुरूआती जांच में सामने आया है कि नौमान को हरियाणा और पंजाब में एजेंट्स भी बनाने का काम सौंपा गया था। कारण था कि यूपी और हरियाणा की सीमाएं एकदूसरे से लगी हैं। कैराना से पानीपत महज 25-30 किलोमीटर है। ऐसे में वह यहां रहकर इकबाल उर्फ काना की ओर से दी गई जिम्मेदारियों को बखूबी निभा सकता था। इसलिए नौमान 4 महीने पहले ही पानीपत आ गया था और सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी शुरू कर दी थी। ******** ये खबर भी पढ़ें… पाकिस्तानी जासूस ISI हैंडलर काना के टच में था, पासपोर्ट बनाते आतंकियों से संपर्क हुआ पानीपत में कल (14 मई) को पकड़ा गया पाकिस्तानी जासूस नौमान इलाही पाकिस्तान में ISI के हैंडलर इकबाल उर्फ काना के लिए मुखबिरी कर रहा था। 24 साल का नौमान उसे वीडियो बनाकर भेजता था। पुलिस जांच के मुताबिक उसने हरियाणा और पंजाब के कई संवेदनशील जगहों की जानकारी आतंकियों को दी। (पढ़ें पूरी खबर) हरियाणा की पानीपत क्राइम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की गिरफ्त में आया पाकिस्तानी जासूस नौमान इलाही 20 मई तक पुलिस रिमांड पर है। जैसे-जैसे उससे पूछताछ आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कई खुलासे हो रहे है। जानकारी मिली है कि नौमान ISI कमांडर इकबाल उर्फ काना के संपर्क में था।
पाकिस्तान में बैठे इकबाल उर्फ काना ने ही नौमान को 2 साल पहले ISI के लिए एजेंट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। उसे हरियाणा-पंजाब में एजेंट का बड़ा नेटवर्क खड़ा करने का टारगेट दिया गया था, ताकि भारत की खुफिया जानकारी आसानी से हासिल की जा सके।
कौन है इकबाल ऊर्फ काना, कैसे उसने नौमान को अपने नेटवर्क से जोड़ा, सूचनाएं भेजने की ट्रेनिंग कैसे दी गई? जैसे कई दूसरे सवालों का जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर ने हरियाणा के पानीपत से लेकर यूपी के कैराना तक दोनों की कुंडली खंगाली। पढ़िए रिपोर्ट… 4 पॉइंट़्स में जानिए, कौन है इकबाल उर्फ काना शामली के कैराना का रहने वाला, 90 के दशक में तस्करी शुरू की
इकबाल उर्फ काना मूल रूप से शामली के कैराना का रहने वाला है। इकबाल काना और उसका साथी कैराना का ही दिलशाद मिर्जा पाकिस्तान से हथियारों और नकली नोटों की तस्करी करते थे। यह था 1990 का समय, दोनों ने मिलकर तस्करी का बड़ा नेटवर्क बना लिया था। पुलिस को चकमा देकर दोनों खूब पैसा बटोर रहे थे। 1993 में दिल्ली सेल ने पकड़ी खेप, पहली बार नाम सामने आया
इकबाल काना और उसके साथी दिलशाद मिर्जा का कैराना से शुरू हुआ तस्करी का नेटवर्क वेस्ट यूपी तक फैलने लगा था। धीरे-धीरे दोनों इसे पूरे यूपी में फैलाने की तैयारी कर रहे थे। साल 1993 में दिल्ली की स्पेशल सेल ने 276 पिस्टल की एक खेप पकड़ ली। खेप के साथ पकड़े गए लोगों से पूछताछ हुई तो इकबाल और दिलशाद का नाम पहली बार सामने आया। पुलिस की सक्रियता बढ़ी तो पाकिस्तान भाग गया
पिस्टल की खेप पकड़े जाने के बाद दिल्ली पुलिस एक्टिव हुई। इसके साथ ही यूपी पुलिस को भी इसका इनपुट दिया गया। दोनों प्रदेशों की टीम सक्रिय हुई तो इकबाल काना और दिलशाद मिर्जा फरार हो गए। कई दिनों तक पुलिस दोनों की तलाश में कैराना से लेकर सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, मेरठ, बागपत से लेकर दिल्ली तक दबिश देती रही, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसी दौरान पता चला कि 1993 में ही दोनों पाकिस्तान भाग गए थे। ISI के लिए करने लगा काम, आतंकी संगठन से भी जुड़ा
पाकिस्तान चले जाने के बाद इकबाल उर्फ काना और उसका दोस्त दिलशाद मिर्जा ISI के लिए काम करने लगे। दोनों लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद आदि आतंकी संगठनों से जुड़ गए। दोनों यूपी से थे, दोनों को यहां ISI के लिए जासूस तैयार करने की जिम्मेदारी मिली। इसके बाद दोनों पूरी तरह से ISI और आतंकी संगठनों के लिए काम करने लगे। 2008 में दिलशाद के साथी शामली निवासी महबूब के पकड़ने जाने के बाद इसकी पुष्टि हुई थी। बताया जाता है कि इकबाल काना पहले एजेंट होता था, अब कमांडर बन गया है। अब जानिए नौमान इलाही कैसे बना पाकिस्तानी जासूस… साथी गिरफ्तार हुआ तो नौमान पर रखा हाथ
साल 2023 में मेरठ STF ने इकबाल उर्फ काना के साथी कलीम निवासी शामली को गिरफ्तार किया था। कलीम को इकबाल ने ही 14 महीनों तक पाकिस्तान में ट्रेनिंग दिलवाई थी। उसे भी वेस्ट यूपी के युवाओं को ISI से जोड़ने की जिम्मेदारी मिली थी। मगर, उसके पकड़े जाने के बाद इकबाल नया साथी ढूंढ रहा था। इसी दौरान उसका संपर्क हुआ नौमान इलाही से। चूंकि नौमान कैराना का ही था तो उसने आसानी से नौमान को नेटवर्क से जोड़ लिया। कई खासियतों की वजह से चुना गया नौमान
नौमान की कई खासियतें उसे पाकिस्तानी एजेंट के रूप में तैयार करने में मददगार साबित हुईं। एक तो उसके पिता अहसान इलाही की मौत हो चुकी थी। उसके पिता लोगों के पासपोर्ट बनवाने में मदद करते थे। उनकी मौत के बाद नौमान ने इस काम को करना शुरू कर दिया था। दूसरा यह कि वह 6 भाई बहनों में सबसे छोटा था। सबकी शादी हो चुकी थी इसलिए उसे कोई रोकने-टोकने वाला नहीं था। तीसरी और सबसे अहम बात कि उसकी बुआ और मौसी पाकिस्तान में रहती हैं। ऐसे में उसे पाकिस्तान आने-जाने के लिए कोई ज्यादा परेशानी नहीं होनी थी। ट्रेनिंग भी दी, कैफे से भेजी जाती थी रकम
पुलिस सोर्सेज की माने तो पकड़े जाने पर जब नौमान इलाही के मोबाइल की जांच की गई तो उसमें कई खुफिया जानकारी मिली। ये वीडियो और फोटो के रूप में थी। एसपी पानीपत ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी पुष्टि भी की थी कि पक्के सबूत मिलने पर ही नौमान को गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ में सामने आया है कि नौमान को वीडियो-फोटो कैसे बनानी है, कैसे भेजनी है और पैसे कैसे मिलेंगे, इसकी पूरी ट्रेनिंग दी गई थी। एसपी का कहना है कि उसकी ट्रेनिंग पाकिस्तान में हुई है या यहीं, इसकी जांच चल रही है। इसके अलावा जब पानीपत पुलिस ने नौमान को साथ लेकर कैराना में एक जनसेवा केंद्र में दबिश दी, तो वहां बैंक खातों में पाकिस्तान से रुपए मंगवाने के सबूत मिले। यूपी के साथ हरियाणा और पंजाब में भी बनाने थे एजेंट
पुलिस सोर्सेज के मुताबिक, शुरूआती जांच में सामने आया है कि नौमान को हरियाणा और पंजाब में एजेंट्स भी बनाने का काम सौंपा गया था। कारण था कि यूपी और हरियाणा की सीमाएं एकदूसरे से लगी हैं। कैराना से पानीपत महज 25-30 किलोमीटर है। ऐसे में वह यहां रहकर इकबाल उर्फ काना की ओर से दी गई जिम्मेदारियों को बखूबी निभा सकता था। इसलिए नौमान 4 महीने पहले ही पानीपत आ गया था और सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी शुरू कर दी थी। ******** ये खबर भी पढ़ें… पाकिस्तानी जासूस ISI हैंडलर काना के टच में था, पासपोर्ट बनाते आतंकियों से संपर्क हुआ पानीपत में कल (14 मई) को पकड़ा गया पाकिस्तानी जासूस नौमान इलाही पाकिस्तान में ISI के हैंडलर इकबाल उर्फ काना के लिए मुखबिरी कर रहा था। 24 साल का नौमान उसे वीडियो बनाकर भेजता था। पुलिस जांच के मुताबिक उसने हरियाणा और पंजाब के कई संवेदनशील जगहों की जानकारी आतंकियों को दी। (पढ़ें पूरी खबर)   हरियाणा | दैनिक भास्कर