अमृतसर| जीआरडीएस सोसायटी की ओर से सातवां महान कीर्तन दरबार 26 और 27 अक्टूबर को खंडवाला पानी वाली टंकी पार्क में करवाया जाएगा। सोसायटी के प्रबंधक हरजीत सिंह और समूह संगत के सहयोग से होने वाला गुरमति समागम शाम 4 से रात 10 बजे तक होगा। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की छत्रछाया में होने वाले दो दिवसीय महान कीर्तन दरबार में गुरु-जस गाकर संगत को निहाल करेंगे। अमृतसर| जीआरडीएस सोसायटी की ओर से सातवां महान कीर्तन दरबार 26 और 27 अक्टूबर को खंडवाला पानी वाली टंकी पार्क में करवाया जाएगा। सोसायटी के प्रबंधक हरजीत सिंह और समूह संगत के सहयोग से होने वाला गुरमति समागम शाम 4 से रात 10 बजे तक होगा। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की छत्रछाया में होने वाले दो दिवसीय महान कीर्तन दरबार में गुरु-जस गाकर संगत को निहाल करेंगे। पंजाब | दैनिक भास्कर
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किसान आंदोलन से प्रेरित हुई पंजाब की अनोखी शादी:दुल्हन पहुंची दुल्हे के खेत में बरात लेकर; गेहूं की खड़ी फसल में सजा पंडाल
किसान आंदोलन से प्रेरित हुई पंजाब की अनोखी शादी:दुल्हन पहुंची दुल्हे के खेत में बरात लेकर; गेहूं की खड़ी फसल में सजा पंडाल पंजाब के फिरोजपुर जिले के गांव करी कलां में एक अनोखी और चर्चा में रहने वाली शादी हुई। आमतौर पर विवाह समारोह में दूल्हा बारात लेकर दुल्हन के घर जाता है, लेकिन इस शादी में यह परंपरा उलट गई। यहां दुल्हन हरमन खुद बारात लेकर दूल्हे दुर्लभ के घर पहुंची। बाजे-गाजे और नाचते-गाते बरातियों के साथ जब यह अनोखी बारात निकली तो गांववालों के लिए यह नजारा किसी अजूबे से कम नहीं था। इस शादी की एक और खासियत थी कि समारोह का आयोजन खेत के बीचों-बीच किया गया था। दूल्हे के परिवार ने अपनी खड़ी गेहूं की फसल के बीच बहुत बड़ा टेंट लगाया था। बरातियों और मेहमानों के लिए वहीं खान-पान की व्यवस्था भी की गई थी। इस अनोखी शादी ने लोगों को न सिर्फ चौंकाया बल्कि बहुत प्रभावित भी किया। किसान आंदोलन से मिली प्रेरणा दूल्हा-दुल्हन दोनों कनाडा में रहते हैं, लेकिन अपनी मिट्टी से जुड़ाव बनाए रखने के लिए उन्होंने शादी पंजाब में करने का फैसला किया। उनका यह निर्णय सिर्फ परंपरा निभाने तक सीमित नहीं था बल्कि इसमें एक गहरी सोच भी थी। हरमन और दुर्लभ ने बताया कि वे पंजाब के किसानों द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में हरियाणा बॉर्डर पर दिए जा रहे धरने से प्रेरित हुए हैं। उन्होंने शादी अपने खेत में कर यह संदेश दिया कि वे अपनी जड़ों से कभी दूर नहीं होंगे और हमेशा अपनी मातृभूमि से जुड़े रहेंगे। हरियाली के बीच नई शुरुआत इस अनोखी शादी में पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया। शादी का पंडाल हरे-भरे पौधों से सजाया गया था। समारोह के अंत में रिश्तेदारों को पौधे उपहार में देकर विदा किया गया, जिससे पर्यावरण बचाने का संदेश भी दिया गया। गांववालों और बरातियों के लिए यह शादी बेहद खास रही। इस अनोखे अंदाज से न सिर्फ ग्रामीण संस्कृति को बढ़ावा मिला, बल्कि किसानों की मेहनत और उनकी संघर्षशीलता को भी सम्मान मिला। यह शादी उन सभी के लिए एक मिसाल बन गई जो अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहते हैं।
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चंडीगढ़ में बिल्डिंग गिरी:काफी समय पहले ही खाली करवाई गई थी, पहले से थी अनसेफ घोषित
चंडीगढ़ में बिल्डिंग गिरी:काफी समय पहले ही खाली करवाई गई थी, पहले से थी अनसेफ घोषित चंडीगढ़ के सेक्टर 17 में बड़ा हादसा हुआ है। यहां एक बहुमंजिला इमारत गिर गई है। यह इमारत काफी समय से खाली थी। हालांकि, हादसे में किसी तरह की जनहानि नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि यह हादसा देर रात हुआ है। प्रशासन के अधिकारी खुद मौके पर मौजूद हैं।
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सुखविंदर कोटली विधानसभा की स्थाई समिति के सदस्य बने:जालंधर की आदमपुर सीट से हैं MLA, बसपा छोड़ ज्वाइन की थी कांग्रेस
सुखविंदर कोटली विधानसभा की स्थाई समिति के सदस्य बने:जालंधर की आदमपुर सीट से हैं MLA, बसपा छोड़ ज्वाइन की थी कांग्रेस जालंधर के कस्बा आदमपुर से कांग्रेस के विधायक सुखविंदर सिंह कोटली को पंजाब विधानसभा की दो स्थायी समितियों का सदस्य चुना गया है। उन्हें विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां द्वारा पंजाब पंचायती राज और पंजाब समाज कल्याण समिति (पंजाब विधानसभा) के सदस्य के रूप में चुना गया है। विधायक सुखविंदर सिंह कोटली ने कहा कि वह आभारी हैं कि स्पीकर ने उन्हें पंजाब पंचायती राज और पंजाब समाज कल्याण कल्याण समिति (पंजाब विधानसभा) का सदस्य नियुक्त किया है। वह पहले की तरह समिति के समक्ष जनहित के मुद्दे उठाएंगे। कौन है विधायक सुखविंदर सिंह कोटली विधायक सुखविंदर सिंह कोटली कांग्रेस से पहले बहुजन समाज पार्टी के साथ थे। उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की तो उन्हें आदमपुर विधानसभा सीट से टिकट दिया गया था और वह उक्त चुनाव भी जीते। सुखविंदर कोटली ने 1984 में राजनीति में अपना कदम रखा, हालांकि उनका संबंध एक राजनीतिक परिवार से ही है। उनके नाना दौलत राम ने जालंधर नॉर्थ से और मामा फकीरचंद ने नकोदर से चुनाव लड़ा था। सुखविंदर कोटली के पिता बसपा के संस्थापक स्वर्गीय कांशीराम के भी करीबी थे। सुखविंदर कोटली ने खुद 3 से ज्यादा दशक तक बसपा में काम किया और प्रदेश के महासचिव भी रहे।