गर्लफ्रेंड का खर्च बहुत बढ़ गया था। रोज अच्छे रेस्टोरेंट में खिलाना और महंगे गिफ्ट की डिमांड से मैं परेशान हो गया था। एक दिन गाजीपुर के रहने वाले अजीम फरीद के जरिए पता चला कि ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर 3 कंपनियां चल रही हैं। लोगों को फंसाकर गेम की लत लगानी है। BA पास करने के बाद नौकरी भी नहीं मिल रही थी। जैसे ही मुझे 30 हजार रुपए महीने की सैलरी का ऑफर हुआ मैंने तुरंत हां कर दी। फिर लंबी रकम हारने वाले ग्राहक फंसाने पर मोटा कमीशन मिलने लगा। यह बातें ऑनलाइन गेमिंग के जरिए फ्रॉड करने वाले आरोपी आशुतोष यादव ने पुलिस के सामने कबूली। बता दें मंगलवार को प्रयागराज पुलिस ने ऑनलाइन जालसाजी करने वाले बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है जो कि पूरा गैंग बनाकर ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर करोड़ों का खेल कर रहे थे। पुलिस लाइन में मीडिया के सामने पेश होने के बाद आरोपियों को जब जेल ले जाया जाने लगा तो कई के चेहरों पर पछतावे की लकीर साफ नजर आ रही थी। हाई प्रोफाइल परिवार के लड़कों को फंसाना जिम्मेदारी
गाजीपुर के रहने वाले हिमांशु ने पॉलिटेक्निक से डिप्लोमा किया है। 22 साल के हिमांशु को यह काम सौंपा गया था कि वह हाई प्रोफाइल परिवार के लड़कों को किसी प्रकार लालच देकर अपनी साइट पर गेम खेलने के लिए लाए। इसके लिए हिमांशु फेसबुक पर जुड़ा रहता था। कम उम्र के युवकों से सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दोस्ती गांठता था। फिर झूठ बोलता था कि फलां साइट पर ऑन लाइन गेम खेलने पर उसे 60 हजार रुपए का फायदा हुआ।
ऐसे में कइयों को उसने बैंक अकाउंट के फर्जी स्टेटमेंट दिखाकर बेवकूफ बनाया। वह अमीर परिवार के लड़कों का मोबाइल नंबर पता कर उस पर लिंक भेजा करता था। 15 दिनों से 2.53 करोड़ की ऑनलाइन गेमिंग
प्रयागराज पुलिस ने ऑनलाइन जालसाजी करने वाले बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया तो फ्रॉड के एक से बढ़कर एक राज खुलने लगे। आरोपियों से बरामद मोबाइल, लैपटॉप, डायरी और हिसाब किताब से साफ हुआ कि यह कितना बड़ा गिरोह है और कैसे आपरेट कर रहा था। लैपटॉप और मोबाइल के जरिए जांच से साफ हुआ कि तीन ऑनलाइन गेमिंग की वेबसाइट पर एक साल में इन शातिरों ने करीब 17 हजार से ज्यादा खिलाड़ियों को जोड़ा था। खिलाड़ी यूपी के साथ बिहार के अन्य शहरों से जुड़ रहे थे। पूछताछ और पास मिले बैंक अकाउंट की डिटेल, पासबुक से साफ हुआ कि 15 दिनों में यूपी और बिहार में 13 करोड़ रुपए से ज्यादा का खेल हुआ। प्रयागराज की बात करें तो 15 दिनों से 2.53 करोड़ की ऑनलाइन गेमिंग से पर्दा उठा है। डीसीपी यमुना नगर श्रद्धा नरेंद्र पांडेय ने बताया- पुलिस को इंटेलिजेंस के जरिए इस बड़े रैकेट का पता चला। नैनी इलाके से ऑपरेट होने की बात पता चलने पर टीमों को लगाया गया। अब बताते हैं प्रयागराज पुलिस ने कैसे खुलासा किया
प्रयागराज पुलिस ने ऑनलाइन जालसाजी करने वाले बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है। यह गैंग ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर करोड़ों का खेल कर रहा था। तीन वेबसाइट लेजर, 99 एक्सचेंज और 11 एक्स प्ले के जरिए यह शातिर क्रिकेट, फुटबाल, हॉकी, लूडो, चेस, कार रेस, बॉक्सिंग आदि खेलों के जरिए रुपए लगवाते था। गैंग के संचालक पहले ऑनलाइन गेमिंग में लड़कों को जीता देते थे ताकि उनकी लत बढ़ जाए फिर बढ़ी रकम लगने पर उन्हें हराकर लाखों कमाते था। गेमिंग का पूरा फार्मेट गैंग के पास होता था। ऐसे में वह जब चाहे जिस हरा और जीता सकते थे। डीसीपी यमुना नगर श्रद्धा नरेंद्र पांडेय की स्पेशल टीमें इस गिरोह की गतिविधियों को वॉच कर रही थी। सटीक जानकारी और सुराग पाने के बाद मंगलवार को गिरोह के 12 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया। शातिरों के पास से 42 मोबाइल बरामद किया है। साथ ही 12 लैपटॉप, 52 सिम कार्ड बरामद हुए। पकड़े गए गिरोह के पास से ऑनलाइन गेमिंग संचालन से कमाई रकम का ब्योरा मिला है। इसमें 2 करोड़ 53 लाख रुपए का लेखा-जोखा है जिसे लेकर जांच आगे बढ़ाई जा रही है। बिहार के गोपालगंज से भी गिरफ्तारी
यहां पकड़े गए गिरोह के तार बिहार के गोपालगंज से जुड़े हैं। धरपकड़ के बाद प्रयागराज कमिश्नरेट पुलिस ने बिहार पुलिस से संपर्क कर जानकारी साझा की तो वहां भी आरोपी पकड़े गए। डीसीपी यमुना नगर श्रद्धा नरेंद्र पांडेय ने गिरोह के पकड़े जाने के बाद उन्हें पुलिस लाइन सभागार में मीडिया के सामने पेश किया। बताया कि ऑनलाइन गेमिंग के लिए इन लोगों ने तीन साइट बनाई हुई थी। सोशल मीडिया साइट पर बड़ी गेमिंग कंपनियों की तरह यह एड देते थे। सोशल मीडिया पर प्रचार, एंट्री फीस भी
फेसबुक, इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप ग्रुप समेत अन्य प्लेटफार्म पर अपनी तीनों साइट का प्रचार कर युवाओं को गेम खेलने पर मोटी रकम मिलने का लालच देते थे। इसके बाद 100 रुपए की एंट्री फीस पर उसे मेंबर बनाकर फ्रॉड करते थे। खिलाड़ियों को फंसाने के लिए शुरुआती दौर में वह 30 से 35 हजार रुपए तक जीता भी देते थे ताकि खिलाड़ी को विश्वास हो जाए और वह लाखों की रकम लगाने लगे। जैसे ही मोटी रकम लगती वह गेम हरा देते थे। इनके 11 बैंक खातों का पता चला है इसमें रुपए ट्रांसफर होते थे। पकड़े गए गिरोह के सदस्यों ने नैनी इलाके में एक अपार्टमेंट किराए पर ले रखा था। हर दो माह बाद घर बदल देते थे। अपार्टमेंट में छापामारी में बहुत सारे लोगों के आधार कार्ड भी मिले हैं। गिरफ्तार साइबर ठग गर्लफ्रेंड का खर्च बहुत बढ़ गया था। रोज अच्छे रेस्टोरेंट में खिलाना और महंगे गिफ्ट की डिमांड से मैं परेशान हो गया था। एक दिन गाजीपुर के रहने वाले अजीम फरीद के जरिए पता चला कि ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर 3 कंपनियां चल रही हैं। लोगों को फंसाकर गेम की लत लगानी है। BA पास करने के बाद नौकरी भी नहीं मिल रही थी। जैसे ही मुझे 30 हजार रुपए महीने की सैलरी का ऑफर हुआ मैंने तुरंत हां कर दी। फिर लंबी रकम हारने वाले ग्राहक फंसाने पर मोटा कमीशन मिलने लगा। यह बातें ऑनलाइन गेमिंग के जरिए फ्रॉड करने वाले आरोपी आशुतोष यादव ने पुलिस के सामने कबूली। बता दें मंगलवार को प्रयागराज पुलिस ने ऑनलाइन जालसाजी करने वाले बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है जो कि पूरा गैंग बनाकर ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर करोड़ों का खेल कर रहे थे। पुलिस लाइन में मीडिया के सामने पेश होने के बाद आरोपियों को जब जेल ले जाया जाने लगा तो कई के चेहरों पर पछतावे की लकीर साफ नजर आ रही थी। हाई प्रोफाइल परिवार के लड़कों को फंसाना जिम्मेदारी
गाजीपुर के रहने वाले हिमांशु ने पॉलिटेक्निक से डिप्लोमा किया है। 22 साल के हिमांशु को यह काम सौंपा गया था कि वह हाई प्रोफाइल परिवार के लड़कों को किसी प्रकार लालच देकर अपनी साइट पर गेम खेलने के लिए लाए। इसके लिए हिमांशु फेसबुक पर जुड़ा रहता था। कम उम्र के युवकों से सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दोस्ती गांठता था। फिर झूठ बोलता था कि फलां साइट पर ऑन लाइन गेम खेलने पर उसे 60 हजार रुपए का फायदा हुआ।
ऐसे में कइयों को उसने बैंक अकाउंट के फर्जी स्टेटमेंट दिखाकर बेवकूफ बनाया। वह अमीर परिवार के लड़कों का मोबाइल नंबर पता कर उस पर लिंक भेजा करता था। 15 दिनों से 2.53 करोड़ की ऑनलाइन गेमिंग
प्रयागराज पुलिस ने ऑनलाइन जालसाजी करने वाले बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया तो फ्रॉड के एक से बढ़कर एक राज खुलने लगे। आरोपियों से बरामद मोबाइल, लैपटॉप, डायरी और हिसाब किताब से साफ हुआ कि यह कितना बड़ा गिरोह है और कैसे आपरेट कर रहा था। लैपटॉप और मोबाइल के जरिए जांच से साफ हुआ कि तीन ऑनलाइन गेमिंग की वेबसाइट पर एक साल में इन शातिरों ने करीब 17 हजार से ज्यादा खिलाड़ियों को जोड़ा था। खिलाड़ी यूपी के साथ बिहार के अन्य शहरों से जुड़ रहे थे। पूछताछ और पास मिले बैंक अकाउंट की डिटेल, पासबुक से साफ हुआ कि 15 दिनों में यूपी और बिहार में 13 करोड़ रुपए से ज्यादा का खेल हुआ। प्रयागराज की बात करें तो 15 दिनों से 2.53 करोड़ की ऑनलाइन गेमिंग से पर्दा उठा है। डीसीपी यमुना नगर श्रद्धा नरेंद्र पांडेय ने बताया- पुलिस को इंटेलिजेंस के जरिए इस बड़े रैकेट का पता चला। नैनी इलाके से ऑपरेट होने की बात पता चलने पर टीमों को लगाया गया। अब बताते हैं प्रयागराज पुलिस ने कैसे खुलासा किया
प्रयागराज पुलिस ने ऑनलाइन जालसाजी करने वाले बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है। यह गैंग ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर करोड़ों का खेल कर रहा था। तीन वेबसाइट लेजर, 99 एक्सचेंज और 11 एक्स प्ले के जरिए यह शातिर क्रिकेट, फुटबाल, हॉकी, लूडो, चेस, कार रेस, बॉक्सिंग आदि खेलों के जरिए रुपए लगवाते था। गैंग के संचालक पहले ऑनलाइन गेमिंग में लड़कों को जीता देते थे ताकि उनकी लत बढ़ जाए फिर बढ़ी रकम लगने पर उन्हें हराकर लाखों कमाते था। गेमिंग का पूरा फार्मेट गैंग के पास होता था। ऐसे में वह जब चाहे जिस हरा और जीता सकते थे। डीसीपी यमुना नगर श्रद्धा नरेंद्र पांडेय की स्पेशल टीमें इस गिरोह की गतिविधियों को वॉच कर रही थी। सटीक जानकारी और सुराग पाने के बाद मंगलवार को गिरोह के 12 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया। शातिरों के पास से 42 मोबाइल बरामद किया है। साथ ही 12 लैपटॉप, 52 सिम कार्ड बरामद हुए। पकड़े गए गिरोह के पास से ऑनलाइन गेमिंग संचालन से कमाई रकम का ब्योरा मिला है। इसमें 2 करोड़ 53 लाख रुपए का लेखा-जोखा है जिसे लेकर जांच आगे बढ़ाई जा रही है। बिहार के गोपालगंज से भी गिरफ्तारी
यहां पकड़े गए गिरोह के तार बिहार के गोपालगंज से जुड़े हैं। धरपकड़ के बाद प्रयागराज कमिश्नरेट पुलिस ने बिहार पुलिस से संपर्क कर जानकारी साझा की तो वहां भी आरोपी पकड़े गए। डीसीपी यमुना नगर श्रद्धा नरेंद्र पांडेय ने गिरोह के पकड़े जाने के बाद उन्हें पुलिस लाइन सभागार में मीडिया के सामने पेश किया। बताया कि ऑनलाइन गेमिंग के लिए इन लोगों ने तीन साइट बनाई हुई थी। सोशल मीडिया साइट पर बड़ी गेमिंग कंपनियों की तरह यह एड देते थे। सोशल मीडिया पर प्रचार, एंट्री फीस भी
फेसबुक, इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप ग्रुप समेत अन्य प्लेटफार्म पर अपनी तीनों साइट का प्रचार कर युवाओं को गेम खेलने पर मोटी रकम मिलने का लालच देते थे। इसके बाद 100 रुपए की एंट्री फीस पर उसे मेंबर बनाकर फ्रॉड करते थे। खिलाड़ियों को फंसाने के लिए शुरुआती दौर में वह 30 से 35 हजार रुपए तक जीता भी देते थे ताकि खिलाड़ी को विश्वास हो जाए और वह लाखों की रकम लगाने लगे। जैसे ही मोटी रकम लगती वह गेम हरा देते थे। इनके 11 बैंक खातों का पता चला है इसमें रुपए ट्रांसफर होते थे। पकड़े गए गिरोह के सदस्यों ने नैनी इलाके में एक अपार्टमेंट किराए पर ले रखा था। हर दो माह बाद घर बदल देते थे। अपार्टमेंट में छापामारी में बहुत सारे लोगों के आधार कार्ड भी मिले हैं। गिरफ्तार साइबर ठग उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर