गला कटा…अस्पताल में भर्ती, फिर भी बेटे को लात मारी:देवरिया में पत्नी का दावा- लोगों को उठाकर पटक देते थे; बकरीद पर दी थी कुर्बानी

गला कटा…अस्पताल में भर्ती, फिर भी बेटे को लात मारी:देवरिया में पत्नी का दावा- लोगों को उठाकर पटक देते थे; बकरीद पर दी थी कुर्बानी

सुबह तक तो सब ठीक था। मेरे पति नहा-धोकर 7 बजे नमाज अदा करने गए थे। मस्जिद से लौटने के बाद पहले उन्होंने पलीता (बकरीद का प्रसाद) जलाया। कहा था कि सभी के साथ बैठकर खाएंगे। इसके बाद अकेले ही खेलने लगे। मैं खाना बना रही थी। 3 बार जाकर देखा, वो अकेले खेल ही रहे थे। चौथी बार जाकर देखा तो चारपाई पर पड़े थे, गला कटा था। पति पर भूत-प्रेत का साया था। इसीलिए बार-बार बाबा की मजार पर जाते थे। वह लोगों को उठा-उठाकर पटक देते थे। ये बातें ईश मोहम्मद की पत्नी हाजरा खातून ने बताईं। ईश मोहम्मद ने 7 जून को बकरीद (ईद-उल-अजहा) पर चाकू से खुद का गला काटकर कुर्बानी दे दी थी। मौके पर एक सुसाइड नोट बरामद हुआ था। इसमें ईश मोहम्मद ने कहा था- मैंने अल्लाह के रसूल में खुद की कुर्बानी दी है। रविवार को दोपहर करीब 2 बजे पोस्टमॉर्टम के बाद ईश मोहम्मद का शव गोरखपुर मेडिकल कॉलेज से उनके देवरिया स्थित घर पहुंचा। इसके बाद उन्हें सुपुर्दे खाक कर दिया गया। फिलहाल इस घटना से ईश मोहम्मद का परिवार परेशान है। बेटों का कहना है कि भूत-प्रेत और धर्म के लिए आस्था ने हमारे अब्बू की जान ले ली। पढ़िए बहन निशा बेगम ने जो कुछ कहा शुक्रवार रात भाई से मोबाइल पर बात हुई थी। मैंने कहा था- हमारे घर कुर्बानी है, आओगे कि नहीं? इस पर उन्होंने कहा था, दीदी हम भी पलीता जलाने जा रहे हैं। रात भर में मरूं या जिंदा रहूं, पर दीदी चिंता मत करो मैं कल सवेरे 8 बजे तक जरूर आ जाऊंगा। 2 दिन पहले मेरे घर गए थे। मगदून साहब की मजार गए थे। मजार पर चादर चढ़ाकर घर लौट गए थे। बेटी ने खबर दी कि भाई की गला काट लिया है। भतीजे ने कहा- चाचा काफी सीधे थे ईश के समीन अंसारी का कहना है कि हमारे घर-परिवार में कोई विवाद नहीं था। गुरुवार को मस्जिद में नमाज पढ़ रहे थे, वहीं मेरी मुलाकात हुई थी। उसके बाद चाचा घर चले गए थे। चाचा अपने बाकी बचे दो बेटों की शादी को लेकर परेशान रहते थे। वह काफी सीधे-सादे और शांत स्वभाव के थे। अब पढ़िए क्या है पूरा मामला… घटना देवरिया के गौरी बाजार थाना क्षेत्र के उधोपुर गांव की है। यह गांव जिला मुख्यालय से 16 किमी की दूर है। गांव में रहने वाले ईश मोहम्मद (60) घर में आटा-चक्की चलाते थे। पत्नी हाजरा खातून ने बताया कि ईश मोहम्मद ने सुबह मस्जिद में बकरीद की नमाज पढ़ी। सुबह 10 बजे घर लौटे तो सीधे घर के बगल में बनी झोपड़ी में चले गए। एक घंटे बाद उनकी कराहने की आवाज आई। दौड़कर पहुंची तो देखा कि उनके गले से खून बह रहा था। जमीन पर भी खून ही खून बिखरा था। पास में ही चाकू पड़ा था। हाजरा ने मदद के लिए लोगों को बुलाया। पड़ोसी पहुंचे और इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंची और ईश मोहम्मद को अस्पताल ले गई। वहां गंभीर हालत देखते हुए डॉक्टरों ने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। जहां इलाज के दौरान ईश की मौत हो गई। अब पढ़िए कुर्बानी से पहले ईश मोहम्मद ने क्या लिखा… इंसान बकरे को अपने बेटे की तरह पोसकर कुर्बानी करता है। वो भी जीव है। कुर्बानी करनी चाहिए, मैं खुद अपनी कुर्बानी अल्लाह के रसूल के नाम से कर रहा हूं। किसी ने मेरा कत्ल नहीं किया है। सुकून से मिट्‌टी देना। किसी से डरना नहीं है। जिस जगह खूंटा (घर के बाहर जमीन पर गड़ा लकड़ी टुकड़ा) है, उसी जगह पर कब्र होनी चाहिए। परिवार में तीन बेटे, एक मुंबई के ताज होटल में काम करता है
ईश मोहम्मद के 3 बेटे हैं। बड़ा बेटा अहमद अंसारी और दूसरे नंबर का मोहम्मद फैज उनके साथ ही रहते हैं। जबकि छोटा बेटा मुंबई के ताज होटल में रहता है। उनका तीन कमरों का पक्का मकान है। बगल में ही झोपड़ी है, जिसमें बकरियां बांधते हैं। घटना के समय दोनों बेटे गांव में बकरीद मनाने गए थे। दरगाह के बारे में जानिए, जहां एक दिन पहले लौटे थे ईश
अंबेडकरनगर के किछौछा में कौमी एकता के लिए विश्व प्रसिद्ध सूफी संत हजरत सैयद मखदूम अशरफ की दरगाह है। यहां पर नौचंदी मेला लगता है। रमजान के मौके पर इस मेले में देश भर से हजारों अकीदतमंद आते हैं। बरेली के मौलाना बोले- इस्लाम में खुद की कुर्बानी देना नाजायज
बरेली में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा- इस्लाम में खुद की कुर्बानी देना बिल्कुल नाजायज है। इस्लाम इस तरह की कुर्बानी की इजाजत नहीं देता। अल्लाह ने इंसान को बनाया है, वो इंसान की कुर्बानी नहीं चाहता। इस घटना को त्योहार से जोड़कर देखना गलत है। पत्नी ने साफ कहा कि ईश मोहम्मद पर भूत-प्रेत का साया था। ऐसे में इस घटना को कुर्बानी से जोड़कर देखना गलत है। दिमागी खलल हो जाने की वजह से ही बुजुर्ग ने खुद का गला रेत लिया था। भूत प्रेत के असर की वजह से ही उसने कुर्बानी का एक नोट लिख दिया। उसने गलत किया। मौलाना ने कहा- इस्लाम में पैगंबर इब्राहिम को अल्लाह ने अपने बेटे की कुर्बानी का हुकुम दिया था।। यह सिर्फ एक इम्तिहान था। अल्लाह ने हजरत-ए-इस्माइल की जगह एक दुम्बे पेश कर दिया। इसके बाद इस्लाम ने इसी बात की इजाजत दी कि इंसान की नहीं, सिर्फ जानवर की ही कुर्बानी होगी। इस्लाम में यह भी तय किया गया कि कौन-कौन से जानवर की कुर्बानी की जा सकती है? बकरीद पर बकरे के अलावा ऊंट, भैंस, बकरा/बकरी और भेड़ ऐसे जानवर हैं, जिनकी कुर्बानी जायज है। वहीं खच्चर, घोड़े और जो जानवर बीमार हों, उनकी कुर्बानी देना जायज नहीं है। ————————— यह खबर भी पढ़िए… लखनऊ में मामा की हत्या से पहले मछली चावल खाया, वीडियो में बोला- बाबू…हम वहां भी कदम रखते हैं, जहां चारों तरफ मौत हो ‘यकीन मानिए बाबू, हम वहां भी कदम रख देते हैं, जहां चारों तरफ मौत ही मौत दिखाई देता है…।’ इस डायलॉग पर रील बनाकर अनुज ने सोशल मीडिया पर पुलिस को खुली चुनौती दी थी। यह रील अपलोड करने से करीब 10 घंटे पहले ही उसने अपने बाबू मामा की हत्या… पूरी खबर पढ़ें सुबह तक तो सब ठीक था। मेरे पति नहा-धोकर 7 बजे नमाज अदा करने गए थे। मस्जिद से लौटने के बाद पहले उन्होंने पलीता (बकरीद का प्रसाद) जलाया। कहा था कि सभी के साथ बैठकर खाएंगे। इसके बाद अकेले ही खेलने लगे। मैं खाना बना रही थी। 3 बार जाकर देखा, वो अकेले खेल ही रहे थे। चौथी बार जाकर देखा तो चारपाई पर पड़े थे, गला कटा था। पति पर भूत-प्रेत का साया था। इसीलिए बार-बार बाबा की मजार पर जाते थे। वह लोगों को उठा-उठाकर पटक देते थे। ये बातें ईश मोहम्मद की पत्नी हाजरा खातून ने बताईं। ईश मोहम्मद ने 7 जून को बकरीद (ईद-उल-अजहा) पर चाकू से खुद का गला काटकर कुर्बानी दे दी थी। मौके पर एक सुसाइड नोट बरामद हुआ था। इसमें ईश मोहम्मद ने कहा था- मैंने अल्लाह के रसूल में खुद की कुर्बानी दी है। रविवार को दोपहर करीब 2 बजे पोस्टमॉर्टम के बाद ईश मोहम्मद का शव गोरखपुर मेडिकल कॉलेज से उनके देवरिया स्थित घर पहुंचा। इसके बाद उन्हें सुपुर्दे खाक कर दिया गया। फिलहाल इस घटना से ईश मोहम्मद का परिवार परेशान है। बेटों का कहना है कि भूत-प्रेत और धर्म के लिए आस्था ने हमारे अब्बू की जान ले ली। पढ़िए बहन निशा बेगम ने जो कुछ कहा शुक्रवार रात भाई से मोबाइल पर बात हुई थी। मैंने कहा था- हमारे घर कुर्बानी है, आओगे कि नहीं? इस पर उन्होंने कहा था, दीदी हम भी पलीता जलाने जा रहे हैं। रात भर में मरूं या जिंदा रहूं, पर दीदी चिंता मत करो मैं कल सवेरे 8 बजे तक जरूर आ जाऊंगा। 2 दिन पहले मेरे घर गए थे। मगदून साहब की मजार गए थे। मजार पर चादर चढ़ाकर घर लौट गए थे। बेटी ने खबर दी कि भाई की गला काट लिया है। भतीजे ने कहा- चाचा काफी सीधे थे ईश के समीन अंसारी का कहना है कि हमारे घर-परिवार में कोई विवाद नहीं था। गुरुवार को मस्जिद में नमाज पढ़ रहे थे, वहीं मेरी मुलाकात हुई थी। उसके बाद चाचा घर चले गए थे। चाचा अपने बाकी बचे दो बेटों की शादी को लेकर परेशान रहते थे। वह काफी सीधे-सादे और शांत स्वभाव के थे। अब पढ़िए क्या है पूरा मामला… घटना देवरिया के गौरी बाजार थाना क्षेत्र के उधोपुर गांव की है। यह गांव जिला मुख्यालय से 16 किमी की दूर है। गांव में रहने वाले ईश मोहम्मद (60) घर में आटा-चक्की चलाते थे। पत्नी हाजरा खातून ने बताया कि ईश मोहम्मद ने सुबह मस्जिद में बकरीद की नमाज पढ़ी। सुबह 10 बजे घर लौटे तो सीधे घर के बगल में बनी झोपड़ी में चले गए। एक घंटे बाद उनकी कराहने की आवाज आई। दौड़कर पहुंची तो देखा कि उनके गले से खून बह रहा था। जमीन पर भी खून ही खून बिखरा था। पास में ही चाकू पड़ा था। हाजरा ने मदद के लिए लोगों को बुलाया। पड़ोसी पहुंचे और इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंची और ईश मोहम्मद को अस्पताल ले गई। वहां गंभीर हालत देखते हुए डॉक्टरों ने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। जहां इलाज के दौरान ईश की मौत हो गई। अब पढ़िए कुर्बानी से पहले ईश मोहम्मद ने क्या लिखा… इंसान बकरे को अपने बेटे की तरह पोसकर कुर्बानी करता है। वो भी जीव है। कुर्बानी करनी चाहिए, मैं खुद अपनी कुर्बानी अल्लाह के रसूल के नाम से कर रहा हूं। किसी ने मेरा कत्ल नहीं किया है। सुकून से मिट्‌टी देना। किसी से डरना नहीं है। जिस जगह खूंटा (घर के बाहर जमीन पर गड़ा लकड़ी टुकड़ा) है, उसी जगह पर कब्र होनी चाहिए। परिवार में तीन बेटे, एक मुंबई के ताज होटल में काम करता है
ईश मोहम्मद के 3 बेटे हैं। बड़ा बेटा अहमद अंसारी और दूसरे नंबर का मोहम्मद फैज उनके साथ ही रहते हैं। जबकि छोटा बेटा मुंबई के ताज होटल में रहता है। उनका तीन कमरों का पक्का मकान है। बगल में ही झोपड़ी है, जिसमें बकरियां बांधते हैं। घटना के समय दोनों बेटे गांव में बकरीद मनाने गए थे। दरगाह के बारे में जानिए, जहां एक दिन पहले लौटे थे ईश
अंबेडकरनगर के किछौछा में कौमी एकता के लिए विश्व प्रसिद्ध सूफी संत हजरत सैयद मखदूम अशरफ की दरगाह है। यहां पर नौचंदी मेला लगता है। रमजान के मौके पर इस मेले में देश भर से हजारों अकीदतमंद आते हैं। बरेली के मौलाना बोले- इस्लाम में खुद की कुर्बानी देना नाजायज
बरेली में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा- इस्लाम में खुद की कुर्बानी देना बिल्कुल नाजायज है। इस्लाम इस तरह की कुर्बानी की इजाजत नहीं देता। अल्लाह ने इंसान को बनाया है, वो इंसान की कुर्बानी नहीं चाहता। इस घटना को त्योहार से जोड़कर देखना गलत है। पत्नी ने साफ कहा कि ईश मोहम्मद पर भूत-प्रेत का साया था। ऐसे में इस घटना को कुर्बानी से जोड़कर देखना गलत है। दिमागी खलल हो जाने की वजह से ही बुजुर्ग ने खुद का गला रेत लिया था। भूत प्रेत के असर की वजह से ही उसने कुर्बानी का एक नोट लिख दिया। उसने गलत किया। मौलाना ने कहा- इस्लाम में पैगंबर इब्राहिम को अल्लाह ने अपने बेटे की कुर्बानी का हुकुम दिया था।। यह सिर्फ एक इम्तिहान था। अल्लाह ने हजरत-ए-इस्माइल की जगह एक दुम्बे पेश कर दिया। इसके बाद इस्लाम ने इसी बात की इजाजत दी कि इंसान की नहीं, सिर्फ जानवर की ही कुर्बानी होगी। इस्लाम में यह भी तय किया गया कि कौन-कौन से जानवर की कुर्बानी की जा सकती है? बकरीद पर बकरे के अलावा ऊंट, भैंस, बकरा/बकरी और भेड़ ऐसे जानवर हैं, जिनकी कुर्बानी जायज है। वहीं खच्चर, घोड़े और जो जानवर बीमार हों, उनकी कुर्बानी देना जायज नहीं है। ————————— यह खबर भी पढ़िए… लखनऊ में मामा की हत्या से पहले मछली चावल खाया, वीडियो में बोला- बाबू…हम वहां भी कदम रखते हैं, जहां चारों तरफ मौत हो ‘यकीन मानिए बाबू, हम वहां भी कदम रख देते हैं, जहां चारों तरफ मौत ही मौत दिखाई देता है…।’ इस डायलॉग पर रील बनाकर अनुज ने सोशल मीडिया पर पुलिस को खुली चुनौती दी थी। यह रील अपलोड करने से करीब 10 घंटे पहले ही उसने अपने बाबू मामा की हत्या… पूरी खबर पढ़ें   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर