गाजियाबाद और खैर में भाजपा मजबूत:सपा को जाट दिला सकते हैं बढ़त, मायावती-चंद्रशेखर बिगाड़ रहे समीकरण

गाजियाबाद और खैर में भाजपा मजबूत:सपा को जाट दिला सकते हैं बढ़त, मायावती-चंद्रशेखर बिगाड़ रहे समीकरण

अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद की सदर सीट पर माहौल पूरी तरह चुनावी है। जातिगत समीकरण बनाए जा रहे हैं। प्रत्याशी त्योहार के बहाने लोगों से मिल रहे हैं। दिवाली की बधाई देते हुए कह रहे हैं- ‘याद रखिएगा’। जाट लैंड कही जाने वाली खैर सीट पर 6 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। यहां भाजपा ने पूर्व सांसद राजवीर सिंह दिलेर के बेटे सुरेंद्र दिलेर को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने बसपा और कांग्रेस में रह चुकीं डॉक्टर चारू कैन को टिकट दिया है। बसपा से पहल सिंह और आजाद समाज पार्टी से नितिन कुमार चोटेल मैदान में हैं। मौजूदा स्थिति में यहां भाजपा का पलड़ा भारी दिख रहा है। हालांकि, अखिलेश यादव ने एससी कैंडिडेट उतारकर जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है। दरअसल, चारू कैन एससी वर्ग से आती हैं, उनके पति जाट हैं। ऐसे में जाट बिरादरी में उनकी चर्चा तेज है। गाजियाबाद की सदर सीट पर भाजपा ने संजीव शर्मा को कैंडिडेट बनाया है। सपा की ओर से सिंह राज चुनावी मैदान में हैं। बसपा-आजाद समाज पार्टी और एआईएमआईएम ने भी अपने प्रत्याशी उतारे हैं। यहां चुनावी हवा अभी भाजपा के पक्ष में चल रही है। खैर और गाजियाबाद सदर सीट पर क्या राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं? अभी हवा का रुख क्या है? क्या यहां बड़ा उलटफेर होगा? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची। सबसे पहले चलते हैं खैर… इस सीट पर भाजपा और सपा ने नामांकन के आखिरी समय पर प्रत्याशियों का ऐलान किया। सपा ने कैंडिडेट का ऐलान करने में सबसे ज्यादा टाइम लिया, क्योंकि कांग्रेस से सीट शेयरिंग पर मंथन पर चल रहा था। मुहर लगी चारू कैन पर। 25 अक्टूबर को नामांकन से पहले और बाद में, भाजपा और सपा दोनों ने यहां अपनी ताकत दिखाई। जमकर प्रचार शुरू कर दिया। अलीगढ़ मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर खैर सीट ग्रामीण इलाका है। यहां हमने करीब 100 लोगों से बात की। पता चला कि यहां भाजपा और सपा के बीच मुकाबला है। बसपा और आजाद समाज पार्टी का प्रभाव ज्यादा नहीं दिख रहा। हम सबसे पहले गोमत चौराहे पहुंचे। प्राचीन शिव मंदिर पर कुछ बुजुर्ग मंदिर के पुजारी से चर्चा करते दिखे। चर्चा चुनाव पर थी। यहां हमने सबसे पहले चौधरी भरत सिंह से बात की। उन्होंने कहा- मैं आर्मी से रिटायर हूं। फिर मैं बिजली विभाग में रहा। अब खेतीबाड़ी कर रहा हूं। मुझे ऐसा लगता है कि भाजपा जीतेगी। ऐसा क्यों लग रहा है? जवाब में भरत सिंह ने कहा- पहले चेन स्नेचिंग होती थी। लूट होती थी। अब लॉ एंड ऑर्डर अच्छा है। भरत सिंह के साथ खड़े मंदिर के पुजारी राम शरण शर्मा ने कहा- हमारे यहां भाजपा का ही प्रत्याशी जीतेगा। जाट भी भाजपा की तरफ जाएंगे। सभी सुविधाएं मिल रही हैं। कुछ आगे बढ़ने पर हमें जूता-चप्पल कारोबारी ओमकार सिंह मिले। उन्होंने कहा- इस बार कांग्रेस गठबंधन जीतेगा। हम कांग्रेस को जानते हैं। महंगाई के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है। गैस के दाम बढ़ गए हैं। किसानों के लिए कुछ नहीं हो रहा है। मार्बल व्यापारी ओम प्रकाश चौधरी मिले। उन्होंने कहा- अभी माहौल भाजपा की तरफ ही दिख रहा है। जो सांसद बनकर गए हैं, उन्होंने भी अच्छा काम किया था। इसी तरह अंकित चौहान ने भी भाजपा का सपोर्ट किया। हम खैर के अलग-अलग एरिया में गए। चौधरी हरवीर सिंह ने कहा- हमारा जाट समाज अभी तक भाजपा के समर्थन में रहा। लेकिन इस बार हमारा रुझान चारू कैन की तरफ है। क्योंकि सपा ने जाट समाज का ख्याल रखा है। किसान उपेंद्र ने कहा- अभी हम कुछ नहीं कह सकते। हम तो कांग्रेस वाले हैं। हम सिर्फ गठबंधन को देख रहे हैं। लोगों से बातचीत के आधार पर हमें यहां का जो सियासी समीकरण दिखा, उसे 3 पॉइंट में समझिए… 1. खैर सीट से भाजपा लगातार दो बार बड़े मार्जिन से चुनाव जीत रही है। इस बार रालोद गठबंधन का फायदा मिलता दिख रहा है। भाजपा प्रत्याशी पूर्व सांसद स्व. राजवीर दिलेर के बेटे हैं। उनके साथ लोगों की सहानुभूति भी जुड़ी है। 2. खैर विधानसभा सीट से सपा कभी नहीं जीती है, जबकि बसपा ने एक बार ही जीत दर्ज की है। खैर में जनरल कैटेगरी में ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य समाज के वोट 29% हैं। जिन्हें भाजपा अपना वोटर मानती है। 3. खैर में दलित वोटर 27% है। बसपा इन्हें अपना कोर वोटर मानती है। दलित वोटर में चंद्रशेखर का भी प्रभाव है। ऐसे में इसका सीधा नुकसान सपा को पहुंच सकता है और फायदा भाजपा को। अब उन समीकरणों को समझिए, जो हवा के रुख को बदल सकते हैं… 1. सपा ने एक तीर से तीन निशाने साधे हैं। पहला- महिला कैंडिडेट, दूसरा-दलित, तीसरा- जाट वर्ग की बहू। अगर पार्टी जाट और दलित वोटर को अपने पक्ष में लाने में कामयाब होती है, तब भाजपा के लिए मुश्किल होगी। 2. 2022 विधानसभा चुनाव में भी चारू कैन बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं। वह दूसरे नंबर पर रहीं। अब सपा-कांग्रेस की संयुक्त प्रत्याशी हैं। मुस्लिम वोटर उनके फेवर में दिखाई दे रहा है। अगर सपा यहां किसानों के मुद्दे और पीडीए फॉर्मूले को धार देने में कामयाब होती है, तब मुकाबला रोमांचक हो सकता है। 3. खैर में ओबीसी वर्ग में जाट, लोधी राजपूत और यादव आते हैं, जो 36% प्रतिशत हैं, जबकि 27% एससी में जाटव और वाल्मीकि हैं। ओबीसी वोट- भाजपा-बसपा और आजाद समाज पार्टी में बंट रहा है। यही सपा के लिए चुनौती है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट ने क्या कहा, जानिए… खैर की राजनीति को करीब से जानने वाले राजनीतिक विश्लेषक चौधरी सुनील रोरिया ने कहा- अभी खैर में भाजपा मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है। उपचुनाव सरकार का चुनाव होता है। इस बार तो उसे रालोद का भी साथ मिल रहा है। यह भाजपा के लिए प्लस पॉइंट है। सुनील रोरिया ने कहा- भाजपा ने सुरेंद्र दिलेर को टिकट दिया है। उनके पिता का स्वर्गवास हो चुका है। तो साहनुभूति वोट भी उनके पक्ष में जा सकता है। मुकाबला तो भाजपा और सपा के बीच ही दिखाई दे रहा है। बशर्ते सपा अगर जाट वोटर को एकजुट कर ले, तब स्थिति बदल सकती है। ……………………………………………… अब चलते हैं गाजियाबाद… गेटवे ऑफ यूपी यानी गाजियाबाद… भाजपा इसे अपना गढ़ मानती है। पार्टी यहां सभी चुनावों में मजबूत रहती है। मेयर, पाचों विधायक, सांसद से लेकर अन्य जनप्रतिनिधियों के पदों पर BJP ही काबिज है। इसलिए यहां ये मायने नहीं रखता कि भाजपा ने किसे टिकट दिया है। उपचुनाव में पार्टी ने संगठन के महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा पर भरोसा जताया और वह पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। गाजियाबाद सामान्य सीट है, लेकिन दलित वोटर की संख्या ज्यादा है। यही समीकरण साधते हुए सपा ने जाटव और बसपा ने वैश्य कैंडिडेट को मैदान में उतारा है। इसलिए समीकरण थोड़ा-बहुत प्रभावित जरूर हुए हैं। यहां सामान्य चुनाव में 50% तक वोटिंग होती है। अगर चुनाव प्रतिशत में गिरावट आती है, तब सभी दलों की माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ सकती हैं। गाजियाबाद में हमने करीब 100 लोगों से बात की। इनसे बातचीत के आधार पर फिलहाल, यहां अभी मुकाबला भाजपा और सपा के बीच दिखाई दे रहा है। बसपा ने वैश्य कैंडिडेट उतार भाजपा के सामने मुश्किलें जरूर खड़ी की हैं। गाजियाबाद में मौजूदा समीकरण 2 पॉइंट में समझिए… 1. संजीव शर्मा ब्राह्मण हैं, संगठन में रहते हुए उन्होंने कई चुनाव लड़ाए हैं। इसलिए अच्छा अनुभव है। संगठन अध्यक्ष होने की वजह से संजीव शर्मा, सांसद और सभी विधायकों के खास हैं। भाजपा यहां सिर्फ योगी-मोदी के फेस पर इलेक्शन लड़ रही है। 2. इस सीट पर प्रमुख रूप से दो दलित प्रत्याशी सपा और एआईएमआईएम के हैं। भाजपा मान रही है कि सामान्य वोटर तो मिलेगा ही। इसके अलावा दलित वोटर आपस में बंट सकता है। इसका फायदा भाजपा को हो सकता है। अब जानते हैं वो समीकरण जो हवा का रुख बदल सकते हैं 1. सपा ने यहां दलित कार्ड खेला है। सिंह राज जाटव पुराने बसपाई हैं और अब सपा से चुनाव लड़ रहे हैं। गाजियाबाद के लाइनपार क्षेत्र के रहने वाले हैं, जहां दलित वोटरों की बड़ी तादाद है। इस सीट पर दलित और मुस्लिम वोटरों की संख्या सामान्य से भी ज्यादा है। यदि दलित-मुस्लिम समीकरण काम किया तो स्थितियां चौंकाने वाली हो सकती हैं। 2. सदर सीट पर 2022 चुनाव में सपा को दलित-मुस्लिम वोटर का पूरा समर्थन मिला। पार्टी दूसरे नंबर पर रही। इस बार अगर बसपा जनरल वोट काटती है, तब सपा को फायदा पहुंच सकता है। 3. सपा के लिए यह सीट सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। यहां कांग्रेस का अपना जनाधार है। ऐसे में गठबंधन की मजबूती मायने रखती है। इसके अलावा सपा लोकसभा चुनाव जैसे मुद्दों पर धार लगाने में कामयाब होती है, तब माहौल सपा के पक्ष में आ सकता है। चुनावी माहौल समझने के लिए हम गोविंदपुरम पहुंचे। यहां A-ब्लॉक में मंदिर के पास अलग-अलग क्षेत्रों से आए लोग मौजूद थे, जो चाय पर चर्चा कर रहे थे। कारोबारी प्रदीप राघव ने कहा- भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा कम से कम एक लाख वोटों से जीतेंगे। क्योंकि वो लोकप्रिय हैं। पिंकी कुमार ने कहा- इस बार गाजियाबाद से बसपा कैंडिडेट पीएन गर्ग जीत रहे हैं। यहां मुस्लिम, वैश्य और एससी वोटर काफी अधिक हैं। इसलिए उनकी जीत पक्की दिखाई दे रही है। पीएन गर्ग इस सीट पर एकमात्र वैश्य प्रत्याशी हैं। बिरादरी के नाते वैश्य वोटर उन्हीं के पास जाएगा। इसके अलावा बसपा का दलित कोर वोटर उस पार्टी के अलावा कहीं और न के बराबर ही छिटकेगा। यही दो समीकरण पीएन गर्ग को जीत दिलाने के लिए काफी नजर आ रहे हैं। नीरज कुमार सिंह ने कहा- गाजियाबाद सीट से सपा प्रत्याशी सिंह राज जाटव जीत रहे हैं। क्योंकि यूपी में जितना काम अखिलेश यादव ने किया, उतना किसी सरकार में नहीं हुआ। उदाहरण के तौर पर हम कह सकते हैं कि जिस तरह सामान्य सीट अयोध्या से एक दलित नेता की जीत हुई थी, उसी तरह से गाजियाबाद सामान्य सीट से एक दलित व्यक्ति चुनाव जीतकर दिखाएगा। लोगों से बातचीत के आधार पर जो माहौल दिखाई दिया, अब उसे जानते हैं…. शहर विधानसभा सीट में तीन प्रमुख इलाके आते हैं। कैला भट्टा, विजयनगर और क्रॉसिंग रिपब्लिक। कैला भट्टा और विजयनगर इलाके में मुस्लिम और दलित बड़ी संख्या में रहते हैं। कैला भट्टा का पोलिंग पर्सेंट 70 से भी ऊपर जाता है। सपा प्रत्याशी सिंह राज जाटव का पूरा फोकस इसी एरिया पर है। वो खुद क्रॉसिंग रिपब्लिक एरिया के रहने वाले हैं। लोग ऐसा मान रहे हैं कि स्थानीय व्यक्ति होने की वजह से क्रॉसिंग का वोट सपा प्रत्याशी को ही मिलेगा। वहीं, कैला भट्टा का मुस्लिम वोट भी उसी तरफ जाएगा, जो भाजपा के सामने मजबूत स्थिति में खड़ा होगा। पिछले लोकसभा-विधानसभा चुनावों में कैला भट्टा एरिया का मुस्लिम वोट एकतरफा भाजपा के विपक्ष प्रत्याशी को मिलता रहा है। दूसरे शहरों की तरह गाजियाबाद में ‘डवलपमेंट’ कोई खास मुद्दा नहीं है। उसकी वजह है कि गाजियाबाद एनसीआर का प्रमुख शहर है। यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर सबसे टॉप पब्लिक ट्रांसपोर्ट मौजूद हैं। ऐसे में यहां का इलेक्शन सिर्फ चेहरे और जातिगत समीकरणों पर निर्भर करेगा। उसी को ध्यान में रखकर सभी दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं। अब जानते हैं क्या बोले पॉलिटिकल एक्सपर्ट गाजियाबाद का चुनावी माहौल समझने के लिए हमने सीनियर जर्नलिस्ट अशोक ओझा से बात की। उन्होंने कहा – गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट में 14 प्रत्याशी मैदान में हैं, जो वर्तमान के हालात हैं, उसे देखकर ऐसा लगता है कि भाजपा के संजीव शर्मा, बसपा के पीएन गर्ग और सपा के सिंह राज जाटव के बीच मुकाबला होगा। हालांकि, आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी सत्यपाल चौधरी इस मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं। अशोक ओझा ने कहा- बसपा, भाजपा के वैश्य मतदाता में सेंधमारी लगाने की भरसक कोशिश कर रही है। सपा के जाटव कैंडिडेट बसपा के जाटव वोटर और मुस्लिमों को प्रभावित करने में जुटे हैं। ये तो वक्त बताएगा कि चुनाव कैसा होता है, लेकिन पलड़ा भाजपा का भारी नजर आ रहा है। …………………………………………………. यह खबर भी पढ़ें कुंदरकी में भाजपा, मीरापुर में रालोद मजबूत:मायावती, चंद्रशेखर और ओवैसी की पार्टी बिगाड़ रहीं सपा के समीकरण, ध्रुवीकरण से बदलेगा माहौल मुरादाबाद की कुंदरकी और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट मुस्लिम बहुल हैं। दोनों सीटों पर भाजपा-सपा के बीच टक्कर है। कुंदरकी में भाजपा ने रामवीर सिंह को प्रत्याशी बनाया है, जबकि सपा ने तीन बार के विधायक रह चुके हाजी रिजवान को। लेकिन, यहां बसपा और AIMIM प्रत्याशी सपा का समीकरण बिगाड़ रहे हैं। माहौल भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रहा है। पढ़ें पूरी ग्राउंड रिपोर्ट… अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद की सदर सीट पर माहौल पूरी तरह चुनावी है। जातिगत समीकरण बनाए जा रहे हैं। प्रत्याशी त्योहार के बहाने लोगों से मिल रहे हैं। दिवाली की बधाई देते हुए कह रहे हैं- ‘याद रखिएगा’। जाट लैंड कही जाने वाली खैर सीट पर 6 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। यहां भाजपा ने पूर्व सांसद राजवीर सिंह दिलेर के बेटे सुरेंद्र दिलेर को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने बसपा और कांग्रेस में रह चुकीं डॉक्टर चारू कैन को टिकट दिया है। बसपा से पहल सिंह और आजाद समाज पार्टी से नितिन कुमार चोटेल मैदान में हैं। मौजूदा स्थिति में यहां भाजपा का पलड़ा भारी दिख रहा है। हालांकि, अखिलेश यादव ने एससी कैंडिडेट उतारकर जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है। दरअसल, चारू कैन एससी वर्ग से आती हैं, उनके पति जाट हैं। ऐसे में जाट बिरादरी में उनकी चर्चा तेज है। गाजियाबाद की सदर सीट पर भाजपा ने संजीव शर्मा को कैंडिडेट बनाया है। सपा की ओर से सिंह राज चुनावी मैदान में हैं। बसपा-आजाद समाज पार्टी और एआईएमआईएम ने भी अपने प्रत्याशी उतारे हैं। यहां चुनावी हवा अभी भाजपा के पक्ष में चल रही है। खैर और गाजियाबाद सदर सीट पर क्या राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं? अभी हवा का रुख क्या है? क्या यहां बड़ा उलटफेर होगा? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची। सबसे पहले चलते हैं खैर… इस सीट पर भाजपा और सपा ने नामांकन के आखिरी समय पर प्रत्याशियों का ऐलान किया। सपा ने कैंडिडेट का ऐलान करने में सबसे ज्यादा टाइम लिया, क्योंकि कांग्रेस से सीट शेयरिंग पर मंथन पर चल रहा था। मुहर लगी चारू कैन पर। 25 अक्टूबर को नामांकन से पहले और बाद में, भाजपा और सपा दोनों ने यहां अपनी ताकत दिखाई। जमकर प्रचार शुरू कर दिया। अलीगढ़ मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर खैर सीट ग्रामीण इलाका है। यहां हमने करीब 100 लोगों से बात की। पता चला कि यहां भाजपा और सपा के बीच मुकाबला है। बसपा और आजाद समाज पार्टी का प्रभाव ज्यादा नहीं दिख रहा। हम सबसे पहले गोमत चौराहे पहुंचे। प्राचीन शिव मंदिर पर कुछ बुजुर्ग मंदिर के पुजारी से चर्चा करते दिखे। चर्चा चुनाव पर थी। यहां हमने सबसे पहले चौधरी भरत सिंह से बात की। उन्होंने कहा- मैं आर्मी से रिटायर हूं। फिर मैं बिजली विभाग में रहा। अब खेतीबाड़ी कर रहा हूं। मुझे ऐसा लगता है कि भाजपा जीतेगी। ऐसा क्यों लग रहा है? जवाब में भरत सिंह ने कहा- पहले चेन स्नेचिंग होती थी। लूट होती थी। अब लॉ एंड ऑर्डर अच्छा है। भरत सिंह के साथ खड़े मंदिर के पुजारी राम शरण शर्मा ने कहा- हमारे यहां भाजपा का ही प्रत्याशी जीतेगा। जाट भी भाजपा की तरफ जाएंगे। सभी सुविधाएं मिल रही हैं। कुछ आगे बढ़ने पर हमें जूता-चप्पल कारोबारी ओमकार सिंह मिले। उन्होंने कहा- इस बार कांग्रेस गठबंधन जीतेगा। हम कांग्रेस को जानते हैं। महंगाई के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है। गैस के दाम बढ़ गए हैं। किसानों के लिए कुछ नहीं हो रहा है। मार्बल व्यापारी ओम प्रकाश चौधरी मिले। उन्होंने कहा- अभी माहौल भाजपा की तरफ ही दिख रहा है। जो सांसद बनकर गए हैं, उन्होंने भी अच्छा काम किया था। इसी तरह अंकित चौहान ने भी भाजपा का सपोर्ट किया। हम खैर के अलग-अलग एरिया में गए। चौधरी हरवीर सिंह ने कहा- हमारा जाट समाज अभी तक भाजपा के समर्थन में रहा। लेकिन इस बार हमारा रुझान चारू कैन की तरफ है। क्योंकि सपा ने जाट समाज का ख्याल रखा है। किसान उपेंद्र ने कहा- अभी हम कुछ नहीं कह सकते। हम तो कांग्रेस वाले हैं। हम सिर्फ गठबंधन को देख रहे हैं। लोगों से बातचीत के आधार पर हमें यहां का जो सियासी समीकरण दिखा, उसे 3 पॉइंट में समझिए… 1. खैर सीट से भाजपा लगातार दो बार बड़े मार्जिन से चुनाव जीत रही है। इस बार रालोद गठबंधन का फायदा मिलता दिख रहा है। भाजपा प्रत्याशी पूर्व सांसद स्व. राजवीर दिलेर के बेटे हैं। उनके साथ लोगों की सहानुभूति भी जुड़ी है। 2. खैर विधानसभा सीट से सपा कभी नहीं जीती है, जबकि बसपा ने एक बार ही जीत दर्ज की है। खैर में जनरल कैटेगरी में ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य समाज के वोट 29% हैं। जिन्हें भाजपा अपना वोटर मानती है। 3. खैर में दलित वोटर 27% है। बसपा इन्हें अपना कोर वोटर मानती है। दलित वोटर में चंद्रशेखर का भी प्रभाव है। ऐसे में इसका सीधा नुकसान सपा को पहुंच सकता है और फायदा भाजपा को। अब उन समीकरणों को समझिए, जो हवा के रुख को बदल सकते हैं… 1. सपा ने एक तीर से तीन निशाने साधे हैं। पहला- महिला कैंडिडेट, दूसरा-दलित, तीसरा- जाट वर्ग की बहू। अगर पार्टी जाट और दलित वोटर को अपने पक्ष में लाने में कामयाब होती है, तब भाजपा के लिए मुश्किल होगी। 2. 2022 विधानसभा चुनाव में भी चारू कैन बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं। वह दूसरे नंबर पर रहीं। अब सपा-कांग्रेस की संयुक्त प्रत्याशी हैं। मुस्लिम वोटर उनके फेवर में दिखाई दे रहा है। अगर सपा यहां किसानों के मुद्दे और पीडीए फॉर्मूले को धार देने में कामयाब होती है, तब मुकाबला रोमांचक हो सकता है। 3. खैर में ओबीसी वर्ग में जाट, लोधी राजपूत और यादव आते हैं, जो 36% प्रतिशत हैं, जबकि 27% एससी में जाटव और वाल्मीकि हैं। ओबीसी वोट- भाजपा-बसपा और आजाद समाज पार्टी में बंट रहा है। यही सपा के लिए चुनौती है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट ने क्या कहा, जानिए… खैर की राजनीति को करीब से जानने वाले राजनीतिक विश्लेषक चौधरी सुनील रोरिया ने कहा- अभी खैर में भाजपा मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है। उपचुनाव सरकार का चुनाव होता है। इस बार तो उसे रालोद का भी साथ मिल रहा है। यह भाजपा के लिए प्लस पॉइंट है। सुनील रोरिया ने कहा- भाजपा ने सुरेंद्र दिलेर को टिकट दिया है। उनके पिता का स्वर्गवास हो चुका है। तो साहनुभूति वोट भी उनके पक्ष में जा सकता है। मुकाबला तो भाजपा और सपा के बीच ही दिखाई दे रहा है। बशर्ते सपा अगर जाट वोटर को एकजुट कर ले, तब स्थिति बदल सकती है। ……………………………………………… अब चलते हैं गाजियाबाद… गेटवे ऑफ यूपी यानी गाजियाबाद… भाजपा इसे अपना गढ़ मानती है। पार्टी यहां सभी चुनावों में मजबूत रहती है। मेयर, पाचों विधायक, सांसद से लेकर अन्य जनप्रतिनिधियों के पदों पर BJP ही काबिज है। इसलिए यहां ये मायने नहीं रखता कि भाजपा ने किसे टिकट दिया है। उपचुनाव में पार्टी ने संगठन के महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा पर भरोसा जताया और वह पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। गाजियाबाद सामान्य सीट है, लेकिन दलित वोटर की संख्या ज्यादा है। यही समीकरण साधते हुए सपा ने जाटव और बसपा ने वैश्य कैंडिडेट को मैदान में उतारा है। इसलिए समीकरण थोड़ा-बहुत प्रभावित जरूर हुए हैं। यहां सामान्य चुनाव में 50% तक वोटिंग होती है। अगर चुनाव प्रतिशत में गिरावट आती है, तब सभी दलों की माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ सकती हैं। गाजियाबाद में हमने करीब 100 लोगों से बात की। इनसे बातचीत के आधार पर फिलहाल, यहां अभी मुकाबला भाजपा और सपा के बीच दिखाई दे रहा है। बसपा ने वैश्य कैंडिडेट उतार भाजपा के सामने मुश्किलें जरूर खड़ी की हैं। गाजियाबाद में मौजूदा समीकरण 2 पॉइंट में समझिए… 1. संजीव शर्मा ब्राह्मण हैं, संगठन में रहते हुए उन्होंने कई चुनाव लड़ाए हैं। इसलिए अच्छा अनुभव है। संगठन अध्यक्ष होने की वजह से संजीव शर्मा, सांसद और सभी विधायकों के खास हैं। भाजपा यहां सिर्फ योगी-मोदी के फेस पर इलेक्शन लड़ रही है। 2. इस सीट पर प्रमुख रूप से दो दलित प्रत्याशी सपा और एआईएमआईएम के हैं। भाजपा मान रही है कि सामान्य वोटर तो मिलेगा ही। इसके अलावा दलित वोटर आपस में बंट सकता है। इसका फायदा भाजपा को हो सकता है। अब जानते हैं वो समीकरण जो हवा का रुख बदल सकते हैं 1. सपा ने यहां दलित कार्ड खेला है। सिंह राज जाटव पुराने बसपाई हैं और अब सपा से चुनाव लड़ रहे हैं। गाजियाबाद के लाइनपार क्षेत्र के रहने वाले हैं, जहां दलित वोटरों की बड़ी तादाद है। इस सीट पर दलित और मुस्लिम वोटरों की संख्या सामान्य से भी ज्यादा है। यदि दलित-मुस्लिम समीकरण काम किया तो स्थितियां चौंकाने वाली हो सकती हैं। 2. सदर सीट पर 2022 चुनाव में सपा को दलित-मुस्लिम वोटर का पूरा समर्थन मिला। पार्टी दूसरे नंबर पर रही। इस बार अगर बसपा जनरल वोट काटती है, तब सपा को फायदा पहुंच सकता है। 3. सपा के लिए यह सीट सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। यहां कांग्रेस का अपना जनाधार है। ऐसे में गठबंधन की मजबूती मायने रखती है। इसके अलावा सपा लोकसभा चुनाव जैसे मुद्दों पर धार लगाने में कामयाब होती है, तब माहौल सपा के पक्ष में आ सकता है। चुनावी माहौल समझने के लिए हम गोविंदपुरम पहुंचे। यहां A-ब्लॉक में मंदिर के पास अलग-अलग क्षेत्रों से आए लोग मौजूद थे, जो चाय पर चर्चा कर रहे थे। कारोबारी प्रदीप राघव ने कहा- भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा कम से कम एक लाख वोटों से जीतेंगे। क्योंकि वो लोकप्रिय हैं। पिंकी कुमार ने कहा- इस बार गाजियाबाद से बसपा कैंडिडेट पीएन गर्ग जीत रहे हैं। यहां मुस्लिम, वैश्य और एससी वोटर काफी अधिक हैं। इसलिए उनकी जीत पक्की दिखाई दे रही है। पीएन गर्ग इस सीट पर एकमात्र वैश्य प्रत्याशी हैं। बिरादरी के नाते वैश्य वोटर उन्हीं के पास जाएगा। इसके अलावा बसपा का दलित कोर वोटर उस पार्टी के अलावा कहीं और न के बराबर ही छिटकेगा। यही दो समीकरण पीएन गर्ग को जीत दिलाने के लिए काफी नजर आ रहे हैं। नीरज कुमार सिंह ने कहा- गाजियाबाद सीट से सपा प्रत्याशी सिंह राज जाटव जीत रहे हैं। क्योंकि यूपी में जितना काम अखिलेश यादव ने किया, उतना किसी सरकार में नहीं हुआ। उदाहरण के तौर पर हम कह सकते हैं कि जिस तरह सामान्य सीट अयोध्या से एक दलित नेता की जीत हुई थी, उसी तरह से गाजियाबाद सामान्य सीट से एक दलित व्यक्ति चुनाव जीतकर दिखाएगा। लोगों से बातचीत के आधार पर जो माहौल दिखाई दिया, अब उसे जानते हैं…. शहर विधानसभा सीट में तीन प्रमुख इलाके आते हैं। कैला भट्टा, विजयनगर और क्रॉसिंग रिपब्लिक। कैला भट्टा और विजयनगर इलाके में मुस्लिम और दलित बड़ी संख्या में रहते हैं। कैला भट्टा का पोलिंग पर्सेंट 70 से भी ऊपर जाता है। सपा प्रत्याशी सिंह राज जाटव का पूरा फोकस इसी एरिया पर है। वो खुद क्रॉसिंग रिपब्लिक एरिया के रहने वाले हैं। लोग ऐसा मान रहे हैं कि स्थानीय व्यक्ति होने की वजह से क्रॉसिंग का वोट सपा प्रत्याशी को ही मिलेगा। वहीं, कैला भट्टा का मुस्लिम वोट भी उसी तरफ जाएगा, जो भाजपा के सामने मजबूत स्थिति में खड़ा होगा। पिछले लोकसभा-विधानसभा चुनावों में कैला भट्टा एरिया का मुस्लिम वोट एकतरफा भाजपा के विपक्ष प्रत्याशी को मिलता रहा है। दूसरे शहरों की तरह गाजियाबाद में ‘डवलपमेंट’ कोई खास मुद्दा नहीं है। उसकी वजह है कि गाजियाबाद एनसीआर का प्रमुख शहर है। यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर सबसे टॉप पब्लिक ट्रांसपोर्ट मौजूद हैं। ऐसे में यहां का इलेक्शन सिर्फ चेहरे और जातिगत समीकरणों पर निर्भर करेगा। उसी को ध्यान में रखकर सभी दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं। अब जानते हैं क्या बोले पॉलिटिकल एक्सपर्ट गाजियाबाद का चुनावी माहौल समझने के लिए हमने सीनियर जर्नलिस्ट अशोक ओझा से बात की। उन्होंने कहा – गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट में 14 प्रत्याशी मैदान में हैं, जो वर्तमान के हालात हैं, उसे देखकर ऐसा लगता है कि भाजपा के संजीव शर्मा, बसपा के पीएन गर्ग और सपा के सिंह राज जाटव के बीच मुकाबला होगा। हालांकि, आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी सत्यपाल चौधरी इस मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं। अशोक ओझा ने कहा- बसपा, भाजपा के वैश्य मतदाता में सेंधमारी लगाने की भरसक कोशिश कर रही है। सपा के जाटव कैंडिडेट बसपा के जाटव वोटर और मुस्लिमों को प्रभावित करने में जुटे हैं। ये तो वक्त बताएगा कि चुनाव कैसा होता है, लेकिन पलड़ा भाजपा का भारी नजर आ रहा है। …………………………………………………. यह खबर भी पढ़ें कुंदरकी में भाजपा, मीरापुर में रालोद मजबूत:मायावती, चंद्रशेखर और ओवैसी की पार्टी बिगाड़ रहीं सपा के समीकरण, ध्रुवीकरण से बदलेगा माहौल मुरादाबाद की कुंदरकी और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट मुस्लिम बहुल हैं। दोनों सीटों पर भाजपा-सपा के बीच टक्कर है। कुंदरकी में भाजपा ने रामवीर सिंह को प्रत्याशी बनाया है, जबकि सपा ने तीन बार के विधायक रह चुके हाजी रिजवान को। लेकिन, यहां बसपा और AIMIM प्रत्याशी सपा का समीकरण बिगाड़ रहे हैं। माहौल भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रहा है। पढ़ें पूरी ग्राउंड रिपोर्ट…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर