‘गाजियाबाद में सबसे बड़ी समस्या ट्रैफिक की है। सिद्धार्थ विहार अंडरपास से लेकर हाईवे तक जाम लगा रहता है। सबसे बड़ी दिक्कत ऑफिस जाने वालों को होती है। हिंडन बैराज पर लोहे वाला पुल जर्जर है, उसे फिर से बनाने की जरूरत है।’ यह कहना है बैंकर्स जितेंद्र कुमार का, जो गाजियाबाद में लाइन पार एरिया में प्रतीक ग्रैंड सोसाइटी में रहते हैं। यह सिर्फ उनका कहना नहीं है। गाजियाबाद में वाकई ट्रैफिक जाम बड़ी समस्या है। हालांकि, एक बड़ा तबका डेवलपमेंट और लॉ एंड ऑर्डर से खुश नजर आता है। कहता है- अब स्थिति बेहतर है। गाजियाबाद की सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। यह चुनाव लाइन पार VS शहर एरिया पर आकर टिक गया है। दरअसल, सदर सीट का 65% वोटर लाइन पार और 35% सिटी में है। भाजपा से संजीव शर्मा चुनावी मैदान में हैं। लाइन पार के वोटर साधने के लिए उन्होंने यहां घर लिया है। सपा प्रत्याशी सिंह राज जाटव लाइन पार के ही हैं। बसपा ने परमानंद गर्ग को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर सीएम योगी, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर चुनावी सभा कर चुके हैं। बसपा की ओर से अब तक यहां बड़ा चेहरा नहीं पहुंचा है। यहां मौजूदा समीकरण भाजपा के पक्ष में हैं। हालांकि, सपा कैंडिडेट सिंह राज अगर अपने इलाके के वोटर साध लेते हैं, तो स्थिति बदल सकती है। वोटर का पार्टी और कैंडिडेट्स को लेकर क्या रुख है? यहां के लोकल मुद्दे क्या हैं? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर गाजियाबाद सदर सीट पर पहुंचा। सबसे पहले गाजियाबाद के सियासी समीकरण
गाजियाबाद में अब तक हुए चुनाव में 6 बार भाजपा, 6 बार कांग्रेस, एक-एक बार सपा और बसपा का कब्जा रहा। 2017 से यह सीट भाजपा के पास है। मौजूदा विधायक अतुल गर्ग सांसद बन चुके हैं, इसलिए यहां उपचुनाव हो रहा है। 2022 चुनाव में भाजपा को 61.37% वोट मिले, जबकि सपा को 18.25% वोट ही मिले। इस बार सपा-कांग्रेस एक साथ चुनावी मैदान में हैं। अगर 2022 के इलेक्शन में दोनों पार्टी को मिले कुल वोट जोड़े जाएं, तब भी वह 23.06% बैठते हैं, जो भाजपा को मिले वोटों से 38.31% कम हैं। भाजपा यहां जीत की हैट्रिक लगाने के लिए पूरा दम लगा रही है। सपा यहां 20 साल पुराने इतिहास को दोहराने की कोशिश कर रही है। दरअसल, 2004 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ। तब सपा ने पहली बार यहां जीत दर्ज की। सुरेंद्र कुमार मुन्नी विधायक चुने गए। अब बात वोटर्स की…
चुनावी माहौल जानने के लिए सबसे पहले हम गाजियाबाद की तुराबनगर मार्केट में पहुंचे। ये शहर का सबसे भीड़भाड़ वाला इलाका है। यहां कपड़े, होजरी और जूते की हजारों दुकानें हैं। गाजियाबाद के अलावा आसपास के शहरों के ग्राहक खासकर महिलाएं सामान खरीदने इसी मार्केट में आती हैं। यहां हमारी मुलाकात कपड़ा व्यापारी सचिन शर्मा से हुई। सचिन कहते हैं- भाजपा ने व्यापारियों के लिए अच्छा काम किया है। सुरक्षा व्यवस्था बेहतर हुई है। पहले गारंटी नहीं थी कि हम सेफ हैं या नहीं। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। पुलिस प्रशासन अच्छा काम कर रहा है। इसके बाद हम दूसरी शॉप पर पहुंचे। यहां गोपाल चंद गर्ग से हमने सवाल किया कि ‘बटेंगे और कटेंगे’ जैसे नारे को किस तरह देखते हैं? जवाब में वो कहते हैं- हमें एकता ही दिखानी चाहिए। भाजपा हिंदुओं की बात करती है। दूसरी पार्टी हिंदुओं की बात नहीं करती। ऐसे ही हमने बैग दुकानदार प्रशांत गुप्ता से बात की। वह कहते हैं- गाजियाबाद का चुनावी माहौल भाजपा के पक्ष में है। यहां डेवलपमेंट न होने जैसी कोई बात नहीं है। खूब विकास कराया गया है। क्या महंगाई और बेरोजगारी चुनाव में मुद्दा हैं? इस सवाल के जवाब में प्रशांत कहते हैं- महंगाई तो अमेरिका में भी है। लेकिन सुरक्षा सबसे बड़ी चीज है, जिसे आप कंपेयर नहीं कर सकते। हम अलग-अलग इलाकों में गए। लोगों ने पेयजल संकट की बात भी की। लाइन पार इलाके की प्रतीक ग्रैंड सोसाइटी में रहने वाले जितेंद्र कुमार कहते हैं- हमारे यहां का मुख्य मुद्दा ट्रैफिक है। सिद्धार्थ विहार अंडरपास से लेकर हाईवे तक जाम लगा रहता है। जितेंद्र कहते हैं- हिंडन बैराज पर लोहे वाला पुल जर्जर है। सिद्धार्थ विहार में पार्क भी बड़ा मुद्दा है। 10 साल से 40 एकड़ के पार्क में कोई प्रगति नहीं हो पाई है। जो प्रत्याशी हमारे मुद्दे हल करने की बात करेगा, हम उसको ही वोट करेंगे। अब बात पॉलिटिकल एक्सपर्ट की… सपा को लाइन पार क्षेत्र में मेहनत करने की जरूरत
गाजियाबाद के इलेक्शन में हवा का रुख क्या है? ये जानने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार अशोक कौशिक से बात की। अशोक कौशिक ने कहा- अभी तक भाजपा लीड करती नजर आ रही है। क्योंकि, सीट भाजपा की थी। जो मौजूदा प्रत्याशी संजीव शर्मा चुनाव में उतरे हैं, वो खुद दो बार से भाजपा के महानगर अध्यक्ष हैं। इसलिए उनके प्रति जनता का जुड़ाव ज्यादा है। अशोक कौशिक ने कहा- सपा ने सिंह राज जाटव को प्रत्याशी बनाया है। इससे पहले उनका नाम कहीं नहीं था। वो जाटव वोटों को प्रभावित को थोड़ा बहुत प्रभावित करते नजर आ रहे हैं, लेकिन जीत की तरफ अग्रसर नहीं दिख रहे। गाजियाबाद वैसे भी भाजपा का गढ़ है, इसलिए भी वह मजबूत दिखाई दे रही है। अशोक कौशिक ने कहा- अगर सिंह राज ने लाइन पार क्षेत्र में अपनी पकड़ बना ली, तो शायद वो फाइट में आ सकते हैं। सपा को यहीं मेहनत करने की जरूरत है। क्या इस इलेक्शन में मुद्दे हावी हैं? इस सवाल के जवाब में अशौक कौशिक कहते हैं- इस इलेक्शन में पार्टी हावी है। मुद्दे कहीं दिखाई नहीं दे रहे। नेता शहर के विकास, कानून व्यवस्था, ट्रैफिक की बात नहीं कर रहे हैं। माना जाता है कि गाजियाबाद शहर सीट की जीत-हार विजयनगर क्षेत्र से तय होगी। उसी इलाके में पिछले 10 साल से सीवर का पानी सड़क पर बह रहा है। इसके बावजूद ये समस्या मुद्दा नहीं है। मुद्दा न पब्लिक उठा रही, न नेता उठा रहे। ये मुद्दा विहीन इलेक्शन है। मौजूदा समय में राजनीतिक दलों का अनुमान है कि इस बार यहां 35% आसपास ही वोट डाले जाएंगे। इसलिए दलों ने अपने बूथ कार्यकर्ताओं को लाइन अप करना शुरू कर दिया है। उन्हें उम्मीद है कि यही कार्यकर्ता घर-घर जाकर वोटर्स को बूथ तक लेकर आएंगे। वरना, उपचुनाव की वजह से वोटर्स का इंट्रेस्ट काफी कम है। इन्हीं वजहों को ध्यान में रखते हुए योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव ने अभी तक जनसभा करने की बजाय अपने कार्यकर्ताओं संग बैठकें की हैं। यहां मुस्लिम 17% और एससी करीब 25% हैं। दोनों कुल मिलाकर 42% हैं। सपा प्रत्याशी सिंह राज जाटव इन्हीं के भरोसे हैं। उन्हें लगता है कि मुस्लिम सपा को ही वोट करेंगे। साथ में जाटव प्रत्याशी होने की वजह से बिरादरी का वोट आएगा। अगर बसपा और आजाद समाज पार्टी एससी वोटर को नहीं लुभा पाती हैं, तो सपा को फायदा मिल सकता है। भाजपा भी इसी तरफ देख रही है कि ये दोनों पार्टियां एससी वोटरों में कितना बिखराव कर पाती हैं। अब बात पॉलिटिकल पार्टीज की… ‘चुनाव में सिर्फ भाजपा, विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं’
भाजपा नेता रोबिन तोमर कहते हैं- चुनाव में सिर्फ भाजपा है। ऐसा दिख ही नहीं रहा कि विपक्ष चुनाव में खड़ा भी हो। विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है। उनके पास कोई नीति या रणनीति नहीं है। ‘सबका साथ-सबका विकास’ मुद्दे पर हम जनता के बीच जा रहे हैं। जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने जनता का दिल जीता है, उससे हम भाजपा का कमल खिलाने वाले हैं। क्या इस चुनाव में राम मंदिर मुद्दा है? इस सवाल के जवाब में रोबिन कहते हैं- कुछ मुद्दे ऐसे हैं, जिनको जनता स्वयं सोचती है। वो मुद्दे नहीं, ये हमारी भावनाएं हैं। भगवान राम थे, हैं और रहेंगे। ये हमारी आस्था का केंद्र है। इसके लिए हम किसी की जान ले सकते हैं और दे भी सकते हैं। लाइन पार की जनता के साथ हो रहा था सौतेला व्यवहार
सपा युवजन सभा के जिलाध्यक्ष जीतू शर्मा ने कहा- सपा ने इस बार सोची समझी रणनीति के तहत प्रत्याशी उतारा है। अभी तक के विधायक लाइन पार एरिया से सौतेला व्यवहार करते रहे हैं। जीतू शर्मा ने कहा- इसलिए हमारी पार्टी ने उसी इलाके के रहने वाले व्यक्ति को चुनाव मैदान में उतार दिया, ताकि वो जीतने के बाद उस इलाके का अच्छे से ख्याल रख पाए। इस स्ट्रेटजी का हमें खूब फायदा मिल रहा है। लाइन पार क्षेत्र के लोग सपा को अच्छा-खासा समर्थन दे रहे हैं। इस बार ये सीट हम जीतने जा रहे हैं। ‘बसपा ने वैश्य बिरादरी का सम्मान बढ़ाया, इसका असर चुनाव में दिख रहा’
बसपा के स्टार प्रचारक सुरेश तोमर कहते हैं- गाजियाबाद सदर सीट लंबे समय तक वैश्य समाज के पास रही है। सबसे पहले सुरेंद्र प्रकाश गोयल, फिर सुरेश बंसल और फिर अतुल गर्ग विधायक रहे। इसीलिए बहन जी ने यहां वैश्य को टिकट देकर उनकी बिरादरी का सम्मान बढ़ाया है। जबकि भाजपा ने वैश्य बिरादरी का सम्मान घटाया है। निश्चित रूप से इसका असर चुनाव में देखने को मिल रहा है। सुरेश तोमर ने कहा- हमें समाज का भारी समर्थन मिल रहा है। बहन जी के कार्यकाल में 2007 से 2012 तक सबसे ज्यादा विकास कार्य हुए हैं। इन्हीं विकास कार्यों को लेकर चुनाव में हम जनता के बीच जा रहे हैं। लोग आज भी बहन जी के कार्यकाल को याद कर रहे हैं, क्योंकि उनका जो सरकार चलाने का तरीका था, वो सबसे हटकर था।
……………………….. यह खबर भी पढ़ें नसीम के आंसुओं से सीसामऊ में सपा मजबूत: ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे से मुस्लिम एक; हिंदू वोटर BJP का सहारा मंच पर रोती हुईं नसीम सोलंकी के साथ संवेदनाएं दिख रही हैं। भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी के लिए सीएम योगी रैली कर चुके हैं। अब सीसामऊ सीट पर क्या राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं? क्या यहां बड़ा उलटफेर होगा? अभी हवा का रुख क्या है? ये जानने दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची, पढ़ें पूरी रिपोर्ट… ‘गाजियाबाद में सबसे बड़ी समस्या ट्रैफिक की है। सिद्धार्थ विहार अंडरपास से लेकर हाईवे तक जाम लगा रहता है। सबसे बड़ी दिक्कत ऑफिस जाने वालों को होती है। हिंडन बैराज पर लोहे वाला पुल जर्जर है, उसे फिर से बनाने की जरूरत है।’ यह कहना है बैंकर्स जितेंद्र कुमार का, जो गाजियाबाद में लाइन पार एरिया में प्रतीक ग्रैंड सोसाइटी में रहते हैं। यह सिर्फ उनका कहना नहीं है। गाजियाबाद में वाकई ट्रैफिक जाम बड़ी समस्या है। हालांकि, एक बड़ा तबका डेवलपमेंट और लॉ एंड ऑर्डर से खुश नजर आता है। कहता है- अब स्थिति बेहतर है। गाजियाबाद की सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। यह चुनाव लाइन पार VS शहर एरिया पर आकर टिक गया है। दरअसल, सदर सीट का 65% वोटर लाइन पार और 35% सिटी में है। भाजपा से संजीव शर्मा चुनावी मैदान में हैं। लाइन पार के वोटर साधने के लिए उन्होंने यहां घर लिया है। सपा प्रत्याशी सिंह राज जाटव लाइन पार के ही हैं। बसपा ने परमानंद गर्ग को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर सीएम योगी, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर चुनावी सभा कर चुके हैं। बसपा की ओर से अब तक यहां बड़ा चेहरा नहीं पहुंचा है। यहां मौजूदा समीकरण भाजपा के पक्ष में हैं। हालांकि, सपा कैंडिडेट सिंह राज अगर अपने इलाके के वोटर साध लेते हैं, तो स्थिति बदल सकती है। वोटर का पार्टी और कैंडिडेट्स को लेकर क्या रुख है? यहां के लोकल मुद्दे क्या हैं? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर गाजियाबाद सदर सीट पर पहुंचा। सबसे पहले गाजियाबाद के सियासी समीकरण
गाजियाबाद में अब तक हुए चुनाव में 6 बार भाजपा, 6 बार कांग्रेस, एक-एक बार सपा और बसपा का कब्जा रहा। 2017 से यह सीट भाजपा के पास है। मौजूदा विधायक अतुल गर्ग सांसद बन चुके हैं, इसलिए यहां उपचुनाव हो रहा है। 2022 चुनाव में भाजपा को 61.37% वोट मिले, जबकि सपा को 18.25% वोट ही मिले। इस बार सपा-कांग्रेस एक साथ चुनावी मैदान में हैं। अगर 2022 के इलेक्शन में दोनों पार्टी को मिले कुल वोट जोड़े जाएं, तब भी वह 23.06% बैठते हैं, जो भाजपा को मिले वोटों से 38.31% कम हैं। भाजपा यहां जीत की हैट्रिक लगाने के लिए पूरा दम लगा रही है। सपा यहां 20 साल पुराने इतिहास को दोहराने की कोशिश कर रही है। दरअसल, 2004 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ। तब सपा ने पहली बार यहां जीत दर्ज की। सुरेंद्र कुमार मुन्नी विधायक चुने गए। अब बात वोटर्स की…
चुनावी माहौल जानने के लिए सबसे पहले हम गाजियाबाद की तुराबनगर मार्केट में पहुंचे। ये शहर का सबसे भीड़भाड़ वाला इलाका है। यहां कपड़े, होजरी और जूते की हजारों दुकानें हैं। गाजियाबाद के अलावा आसपास के शहरों के ग्राहक खासकर महिलाएं सामान खरीदने इसी मार्केट में आती हैं। यहां हमारी मुलाकात कपड़ा व्यापारी सचिन शर्मा से हुई। सचिन कहते हैं- भाजपा ने व्यापारियों के लिए अच्छा काम किया है। सुरक्षा व्यवस्था बेहतर हुई है। पहले गारंटी नहीं थी कि हम सेफ हैं या नहीं। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। पुलिस प्रशासन अच्छा काम कर रहा है। इसके बाद हम दूसरी शॉप पर पहुंचे। यहां गोपाल चंद गर्ग से हमने सवाल किया कि ‘बटेंगे और कटेंगे’ जैसे नारे को किस तरह देखते हैं? जवाब में वो कहते हैं- हमें एकता ही दिखानी चाहिए। भाजपा हिंदुओं की बात करती है। दूसरी पार्टी हिंदुओं की बात नहीं करती। ऐसे ही हमने बैग दुकानदार प्रशांत गुप्ता से बात की। वह कहते हैं- गाजियाबाद का चुनावी माहौल भाजपा के पक्ष में है। यहां डेवलपमेंट न होने जैसी कोई बात नहीं है। खूब विकास कराया गया है। क्या महंगाई और बेरोजगारी चुनाव में मुद्दा हैं? इस सवाल के जवाब में प्रशांत कहते हैं- महंगाई तो अमेरिका में भी है। लेकिन सुरक्षा सबसे बड़ी चीज है, जिसे आप कंपेयर नहीं कर सकते। हम अलग-अलग इलाकों में गए। लोगों ने पेयजल संकट की बात भी की। लाइन पार इलाके की प्रतीक ग्रैंड सोसाइटी में रहने वाले जितेंद्र कुमार कहते हैं- हमारे यहां का मुख्य मुद्दा ट्रैफिक है। सिद्धार्थ विहार अंडरपास से लेकर हाईवे तक जाम लगा रहता है। जितेंद्र कहते हैं- हिंडन बैराज पर लोहे वाला पुल जर्जर है। सिद्धार्थ विहार में पार्क भी बड़ा मुद्दा है। 10 साल से 40 एकड़ के पार्क में कोई प्रगति नहीं हो पाई है। जो प्रत्याशी हमारे मुद्दे हल करने की बात करेगा, हम उसको ही वोट करेंगे। अब बात पॉलिटिकल एक्सपर्ट की… सपा को लाइन पार क्षेत्र में मेहनत करने की जरूरत
गाजियाबाद के इलेक्शन में हवा का रुख क्या है? ये जानने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार अशोक कौशिक से बात की। अशोक कौशिक ने कहा- अभी तक भाजपा लीड करती नजर आ रही है। क्योंकि, सीट भाजपा की थी। जो मौजूदा प्रत्याशी संजीव शर्मा चुनाव में उतरे हैं, वो खुद दो बार से भाजपा के महानगर अध्यक्ष हैं। इसलिए उनके प्रति जनता का जुड़ाव ज्यादा है। अशोक कौशिक ने कहा- सपा ने सिंह राज जाटव को प्रत्याशी बनाया है। इससे पहले उनका नाम कहीं नहीं था। वो जाटव वोटों को प्रभावित को थोड़ा बहुत प्रभावित करते नजर आ रहे हैं, लेकिन जीत की तरफ अग्रसर नहीं दिख रहे। गाजियाबाद वैसे भी भाजपा का गढ़ है, इसलिए भी वह मजबूत दिखाई दे रही है। अशोक कौशिक ने कहा- अगर सिंह राज ने लाइन पार क्षेत्र में अपनी पकड़ बना ली, तो शायद वो फाइट में आ सकते हैं। सपा को यहीं मेहनत करने की जरूरत है। क्या इस इलेक्शन में मुद्दे हावी हैं? इस सवाल के जवाब में अशौक कौशिक कहते हैं- इस इलेक्शन में पार्टी हावी है। मुद्दे कहीं दिखाई नहीं दे रहे। नेता शहर के विकास, कानून व्यवस्था, ट्रैफिक की बात नहीं कर रहे हैं। माना जाता है कि गाजियाबाद शहर सीट की जीत-हार विजयनगर क्षेत्र से तय होगी। उसी इलाके में पिछले 10 साल से सीवर का पानी सड़क पर बह रहा है। इसके बावजूद ये समस्या मुद्दा नहीं है। मुद्दा न पब्लिक उठा रही, न नेता उठा रहे। ये मुद्दा विहीन इलेक्शन है। मौजूदा समय में राजनीतिक दलों का अनुमान है कि इस बार यहां 35% आसपास ही वोट डाले जाएंगे। इसलिए दलों ने अपने बूथ कार्यकर्ताओं को लाइन अप करना शुरू कर दिया है। उन्हें उम्मीद है कि यही कार्यकर्ता घर-घर जाकर वोटर्स को बूथ तक लेकर आएंगे। वरना, उपचुनाव की वजह से वोटर्स का इंट्रेस्ट काफी कम है। इन्हीं वजहों को ध्यान में रखते हुए योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव ने अभी तक जनसभा करने की बजाय अपने कार्यकर्ताओं संग बैठकें की हैं। यहां मुस्लिम 17% और एससी करीब 25% हैं। दोनों कुल मिलाकर 42% हैं। सपा प्रत्याशी सिंह राज जाटव इन्हीं के भरोसे हैं। उन्हें लगता है कि मुस्लिम सपा को ही वोट करेंगे। साथ में जाटव प्रत्याशी होने की वजह से बिरादरी का वोट आएगा। अगर बसपा और आजाद समाज पार्टी एससी वोटर को नहीं लुभा पाती हैं, तो सपा को फायदा मिल सकता है। भाजपा भी इसी तरफ देख रही है कि ये दोनों पार्टियां एससी वोटरों में कितना बिखराव कर पाती हैं। अब बात पॉलिटिकल पार्टीज की… ‘चुनाव में सिर्फ भाजपा, विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं’
भाजपा नेता रोबिन तोमर कहते हैं- चुनाव में सिर्फ भाजपा है। ऐसा दिख ही नहीं रहा कि विपक्ष चुनाव में खड़ा भी हो। विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है। उनके पास कोई नीति या रणनीति नहीं है। ‘सबका साथ-सबका विकास’ मुद्दे पर हम जनता के बीच जा रहे हैं। जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने जनता का दिल जीता है, उससे हम भाजपा का कमल खिलाने वाले हैं। क्या इस चुनाव में राम मंदिर मुद्दा है? इस सवाल के जवाब में रोबिन कहते हैं- कुछ मुद्दे ऐसे हैं, जिनको जनता स्वयं सोचती है। वो मुद्दे नहीं, ये हमारी भावनाएं हैं। भगवान राम थे, हैं और रहेंगे। ये हमारी आस्था का केंद्र है। इसके लिए हम किसी की जान ले सकते हैं और दे भी सकते हैं। लाइन पार की जनता के साथ हो रहा था सौतेला व्यवहार
सपा युवजन सभा के जिलाध्यक्ष जीतू शर्मा ने कहा- सपा ने इस बार सोची समझी रणनीति के तहत प्रत्याशी उतारा है। अभी तक के विधायक लाइन पार एरिया से सौतेला व्यवहार करते रहे हैं। जीतू शर्मा ने कहा- इसलिए हमारी पार्टी ने उसी इलाके के रहने वाले व्यक्ति को चुनाव मैदान में उतार दिया, ताकि वो जीतने के बाद उस इलाके का अच्छे से ख्याल रख पाए। इस स्ट्रेटजी का हमें खूब फायदा मिल रहा है। लाइन पार क्षेत्र के लोग सपा को अच्छा-खासा समर्थन दे रहे हैं। इस बार ये सीट हम जीतने जा रहे हैं। ‘बसपा ने वैश्य बिरादरी का सम्मान बढ़ाया, इसका असर चुनाव में दिख रहा’
बसपा के स्टार प्रचारक सुरेश तोमर कहते हैं- गाजियाबाद सदर सीट लंबे समय तक वैश्य समाज के पास रही है। सबसे पहले सुरेंद्र प्रकाश गोयल, फिर सुरेश बंसल और फिर अतुल गर्ग विधायक रहे। इसीलिए बहन जी ने यहां वैश्य को टिकट देकर उनकी बिरादरी का सम्मान बढ़ाया है। जबकि भाजपा ने वैश्य बिरादरी का सम्मान घटाया है। निश्चित रूप से इसका असर चुनाव में देखने को मिल रहा है। सुरेश तोमर ने कहा- हमें समाज का भारी समर्थन मिल रहा है। बहन जी के कार्यकाल में 2007 से 2012 तक सबसे ज्यादा विकास कार्य हुए हैं। इन्हीं विकास कार्यों को लेकर चुनाव में हम जनता के बीच जा रहे हैं। लोग आज भी बहन जी के कार्यकाल को याद कर रहे हैं, क्योंकि उनका जो सरकार चलाने का तरीका था, वो सबसे हटकर था।
……………………….. यह खबर भी पढ़ें नसीम के आंसुओं से सीसामऊ में सपा मजबूत: ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे से मुस्लिम एक; हिंदू वोटर BJP का सहारा मंच पर रोती हुईं नसीम सोलंकी के साथ संवेदनाएं दिख रही हैं। भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी के लिए सीएम योगी रैली कर चुके हैं। अब सीसामऊ सीट पर क्या राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं? क्या यहां बड़ा उलटफेर होगा? अभी हवा का रुख क्या है? ये जानने दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची, पढ़ें पूरी रिपोर्ट… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर