<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि गिरफ्तारी प्रक्रिया में पुलिस की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. अदालत ने स्पष्ट किया कि गिरफ्तारी के आधार मौजूद होने चाहिए और पुलिस डायरी या अन्य दस्तावेजों में दर्ज किया जाना चाहिए. गिरफ्तारी का कारण रिमांड अर्जी में देना कानून का पालन नहीं माना जा सकता. </p>
<p style=”text-align: justify;”>जस्टिस अनुप जयराम भांबानी की सिंगल बेंच ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधार लिखित रूप में फौरन दिए जाने चाहिए. हाई कोर्ट ने कहा कि अधिकारी को गिरफ्तारी का लिखित रूप में कारण बताना अनिवार्य होगा. प्रक्रिया गिरफ्तारी मेमो के साथ पूरी की जानी चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने गिरफ्तारी के आधार को रिमांड आवेदन में देने की प्रक्रिया को अवैध माना. धोखाधड़ी के आरोपी को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने जमानत बहाल की. शख्स पर एक अफगान नागरिक को धोखाधड़ी से भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड और पैन कार्ड दिलाकर स्पेन भेजने में मदद करने का आरोप था. हालांकि, आरोपी का नाम एफआईआर में दर्ज नहीं था. उसे सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस दी गई थी. पूछताछ के लिए बुलाकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गिरफ्तारी प्रक्रिया में मनमानी नहीं चलेगी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पुलिस की रिमांड अर्जी खारिज कर आरोपी को अंतरिम जमानत दी थी. फिर नियमित जमानत में बदल दिया गया, लेकिन दिल्ली पुलिस ने सेशन कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की. पुनर्विचार याचिका को मंजूर करते हुए आरोपी की जमानत रद्द कर दी गई. सेशन कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए आरोपी की जमानत बहाल कर दी गई. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति का पुलिस स्टेशन में आना मात्र गिरफ्तारी नहीं माना जा सकता. यह प्रत्येक मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा कि व्यक्ति को पुलिस स्टेशन में किस समय से उसकी स्वतंत्रता से वंचित किया गया और क्या वह वास्तव में हिरासत में लिया गया था या नहीं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हाई कोर्ट ने अमनदीप सिंह जौहर बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली) एवं अन्य’ मामले का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस का सीआरपीसी की धारा 41ए के नोटिस की कई कॉपी छापकर देना, निर्धारित प्रक्रिया का विकल्प नहीं हो सकता.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने जोर दिया कि गिरफ्तारी के आधार लिखित रूप में देना अनिवार्य है और प्रक्रिया को सख्ती से अपनाया जाना चाहिए. अदालत के फैसले से साफ हो गया है कि अब गिरफ्तारी के नियमों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. पुलिस को तय प्रक्रिया का सख्ती से पालन करना होगा. अन्यथा गिरफ्तारी को अवैध माना जा सकता है.</p>
<p><strong>ये भी पढ़ें- <a title=”दिल्ली: ज्योति प्रकाश 6 दिन की पुलिस हिरासत में, गैंगस्टर कपिल सांगवान का भाई है आरोपी” href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/jyoti-prakash-sent-to-6-days-police-custody-by-delhi-court-brother-of-gangster-kapil-sangwan-ann-2914785″ target=”_self”>दिल्ली: ज्योति प्रकाश 6 दिन की पुलिस हिरासत में, गैंगस्टर कपिल सांगवान का भाई है आरोपी</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि गिरफ्तारी प्रक्रिया में पुलिस की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. अदालत ने स्पष्ट किया कि गिरफ्तारी के आधार मौजूद होने चाहिए और पुलिस डायरी या अन्य दस्तावेजों में दर्ज किया जाना चाहिए. गिरफ्तारी का कारण रिमांड अर्जी में देना कानून का पालन नहीं माना जा सकता. </p>
<p style=”text-align: justify;”>जस्टिस अनुप जयराम भांबानी की सिंगल बेंच ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधार लिखित रूप में फौरन दिए जाने चाहिए. हाई कोर्ट ने कहा कि अधिकारी को गिरफ्तारी का लिखित रूप में कारण बताना अनिवार्य होगा. प्रक्रिया गिरफ्तारी मेमो के साथ पूरी की जानी चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने गिरफ्तारी के आधार को रिमांड आवेदन में देने की प्रक्रिया को अवैध माना. धोखाधड़ी के आरोपी को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने जमानत बहाल की. शख्स पर एक अफगान नागरिक को धोखाधड़ी से भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड और पैन कार्ड दिलाकर स्पेन भेजने में मदद करने का आरोप था. हालांकि, आरोपी का नाम एफआईआर में दर्ज नहीं था. उसे सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस दी गई थी. पूछताछ के लिए बुलाकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गिरफ्तारी प्रक्रिया में मनमानी नहीं चलेगी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पुलिस की रिमांड अर्जी खारिज कर आरोपी को अंतरिम जमानत दी थी. फिर नियमित जमानत में बदल दिया गया, लेकिन दिल्ली पुलिस ने सेशन कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की. पुनर्विचार याचिका को मंजूर करते हुए आरोपी की जमानत रद्द कर दी गई. सेशन कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए आरोपी की जमानत बहाल कर दी गई. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति का पुलिस स्टेशन में आना मात्र गिरफ्तारी नहीं माना जा सकता. यह प्रत्येक मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा कि व्यक्ति को पुलिस स्टेशन में किस समय से उसकी स्वतंत्रता से वंचित किया गया और क्या वह वास्तव में हिरासत में लिया गया था या नहीं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हाई कोर्ट ने अमनदीप सिंह जौहर बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली) एवं अन्य’ मामले का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस का सीआरपीसी की धारा 41ए के नोटिस की कई कॉपी छापकर देना, निर्धारित प्रक्रिया का विकल्प नहीं हो सकता.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने जोर दिया कि गिरफ्तारी के आधार लिखित रूप में देना अनिवार्य है और प्रक्रिया को सख्ती से अपनाया जाना चाहिए. अदालत के फैसले से साफ हो गया है कि अब गिरफ्तारी के नियमों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. पुलिस को तय प्रक्रिया का सख्ती से पालन करना होगा. अन्यथा गिरफ्तारी को अवैध माना जा सकता है.</p>
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गिरफ्तारी के समय देना होगा लिखित आधार, रिमांड अर्जी में देना अवैध, दिल्ली हाई कोर्ट का अहम फैसला
