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UP Politics: सपा या BSP, एक ही नाव पर दोनों पार्टी, लेकिन अगुवा कौन? <p style=”text-align: justify;”><strong>UP News:</strong> उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के फैसले ने सियासत को नया मोड़ दे दिया है. सपा ने अब अपने पीडीए के फॉर्मूले को आगामी चुनाव के लिहाज से अपनी रणनीति को धार देने में लग गई है. पार्टी ने रविवार को विधानसभा में अपने नेता प्रतिपक्ष और मुख्य सचेत के नामों का ऐलान किया तो कई राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल, समाजवादी पार्टी विधायक माता प्रसाद पांडेय को विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता के तौर पर चुना गया. जबकि यह पद सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सांसद चुने जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने की वजह से रिक्त हुआ था. यानी सपा ने माता प्रसाद पांडेय के जरिए यूपी में ब्राह्मणों को साधने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>अखिलेश यादव द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को भेजे गये पत्र के मुताबिक, माता प्रसाद पांडेय विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, महबूब अली-अधिष्ठाता मंडल, कमाल अख्‍तर-मुख्‍य सचेतक और राकेश कुमार उर्फ आर के वर्मा-उप सचेतक होंगे. ऐसे में देखा जाए तो पीडीए के फॉर्मूले के तहत सपा ने हर वर्ग को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/shivpal-yadav-leaving-active-politics-after-akhilesh-yadav-message-but-organization-responsibility-remain-2748242″>UP Politics: चाचा शिवपाल जा रहे सक्रिय राजनीति से दूर? उनके पास रहेगी ये अहम जिम्मेदारी</a><br /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दोनों पार्टियों में अहम जिम्मेदारी</strong><br />लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा नेता प्रतिपक्ष के लिए ब्राह्मण चेहरे को चुने जाने की हो रही है. हालांकि देखा जाए तो सपा से पहले बीएसपी इसी नाव की सवारी करते रही है. बीएसपी ने राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सतीश चंद्र मिश्रा को दे रखी है. पार्टी का यह फैसला ब्राह्मण वोटर्स को रिझाने के लिए था, ये बात अलग है कि वह बीते लंबे वक्त से सक्रिय नहीं दिख रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह जिम्मेदारी सतीश चंद्र मिश्रा के पास लंबे वक्त से है. बीते दो चुनावों की हार के बाद भी उनके पद पर अभी तक कोई आंच नहीं आई है. इसी बड़ी वजह मायावती का ब्राह्मण वोटर्स पर फोकस को माना जाता है. जबकि मनोज पांडे के बागी होकर बीजेपी में जाने के बाद अब सपा ने भी ब्राह्मण चेहरे के तौर पर माता प्रसाद पांडेय पर दांव खेला है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>ऐसे में देखा जाए तो बीएसपी और सपा दोनों ही पार्टियां ब्राह्मण वोटर्स को अपने पाले में जोड़ने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है. बीते दिनों ऋतिक पांडे हत्याकांड पर सपा की सक्रियता को भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. पार्टी के एक डेलिगेशन भी पीड़ित परिजनों से मिलने गया था, ऐसे में सपा अब पीडीए की रणनीति के तहत आगामी चुनाव की तैयारी में जुट गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>खास बात यह है कि यूपी में ब्राह्मणों को बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है और बीते चुनावों के दौरान यह वोट बीजेपी के पाले में जात नजर आया है. हालांकि ब्राह्मणों को यूपी में नजरअंदाज करने का आरोप बीजेपी पर लगते रहे है. इस वजह से अब सपा और बीएसपी के फैसले काफी अहम माने जा रहे हैं, हालांकि ये तो आने वाले चुनावों में ही स्पष्ट हो पाएगा कि राज्य में ब्राह्मण वोटर्स का अगुवा कौन है.</p>
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धर्म परिवर्तन के खिलाफ अलग कानून बनाएगी राजस्थान सरकार? जानें क्या होंगे प्रावधान <p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan Law Against Conversion:</strong> राजस्थान की भजनलाल सरकार ने बीते मंगलवार (18 जून) को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य में अवैध तरीके से होने वाले धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाया जा रहा है. यह अभी प्रोसेस में है. हलफनामे में राजस्थान सरकार ने बताया कि जब तक यह कानून नहीं बन जाता, तब तक इस विषय पर कोर्ट द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस और निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाएगा. </p>
<p style=”text-align: justify;”>गौरतलब है कि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भरत लाल मीणा का हलफनामा साल 2022 की एक जनहित याचिका में दायर किया गया था. एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने एडवोकेट अश्विनी दुबे के माध्यम से एक जनहित याचिका दायर कर केंद्र और राज्य सरकारों को डराने, धमकाने, धोखे से उपहार और मौद्रिक लाभ का लालच देकर धोखाधड़ी वाले धर्म परिवर्तन के मामलों को कंट्रोल करने और इसके लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश देने की मांग की थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राष्ट्र की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है ये मुद्दा- सुप्रीम कोर्ट</strong><br />सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जबरन धर्म परिवर्तन अगर सच है, तो यह एक गंभीर मुद्दा है जो राष्ट्र की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है. इसी के साथ कोर्ट ने केंद्र से प्रतिक्रिया की मांग की थी. याचिका में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ की गई कुछ कथित अपमानजनक टिप्पणियों पर स्पष्ट रूप से ध्यान देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले का शीर्षक ‘अश्विनी उपाध्याय बनाम राज्य’ से बदलकर ‘धार्मिक रूपांतरण का मुद्दा’ कर दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>विशेष समुदाय को टारगेट करने का आरोप भी</strong><br />बेंच के पास उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों के धर्मांतरण विरोधी कानूनों को इस आधार पर चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाएं भी हैं कि वे कथित तौर पर एक विशेष अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण हैं.</p>
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