गुरुग्राम पुलिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिला एडवोकेट:सीबीआई से निष्पक्ष जांच की गुहार, सेक्टर 50 थाना SHO पर यौन उत्पीड़न के आरोप

गुरुग्राम पुलिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिला एडवोकेट:सीबीआई से निष्पक्ष जांच की गुहार, सेक्टर 50 थाना SHO पर यौन उत्पीड़न के आरोप

गुरुग्राम के सेक्टर 50 थाने में बदतमीजी और यौन उत्पीड़न के मामले में महिला एडवोकेट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गुरुवार को न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एजी मसीह की बेंच में लिस्टेड किया गया। महिला वकील की ओर से एओआर सूर्य नाथ पांडे पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि 21 मई को वह मैरिज के एक मामले में गुरुग्राम गई थी। इसी दौरान दोनों पक्षों में झगड़ा हो गया। जब महिला वकील थाने में गई और एसएचओ से पूरे मामले की शिकायत की, तो उसकी सुनवाई करने के बजाय एसएचओ ने उसे ही धमकाना शुरू कर दिया। SHO ने न केवल उससे अभद्रता की, बल्कि गंभीर यौन उत्पीड़न भी किया। एसएचओ ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए उसके साथ शारीरिक और मानसिक रूप से अत्याचार किया। पुलिस पर एफआईआर नहीं देने का आरोप कोर्ट ने गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों द्वारा उनके क्लाइंट के खिलाफ दर्ज एफआईआर की कॉपी पेश करने को कहा। जिस पर याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि एफआईआर की कॉपी मांगी गई थी, लेकिन जांच अधिकारी ने उसे मुहैया नहीं कराया। उन्होंने कहा कि एफआईआर प्राप्त करने के लिए कोर्ट के निर्देश की आवश्यकता है। हालांकि बेंच ने इसके लिए संबंधित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष औपचारिक आवेदन करने को कहा। एफआईआर पेश करने के लिए कोर्ट ने मामले की सुनवाई कल यानि छह जून के लिए लिस्ट किया है। सीबीआई से जांच की मांग उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता एक प्रेक्टिसिंग एडवोकेट और तीस हजारी बार एसोसिएशन की कार्यकारी सदस्य हैं। गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों द्वारा उनके खिलाफ दर्ज किए गए मामलों को किसी स्वतंत्र एजेंसी सीबीआई, दिल्ली पुलिस या रिटायर्ड जज से जांच करवाने की मांग की। इसके अलावा गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। ये है मामला महिला एडवोकेट के मुताबिक 21 मई 2025 को वह अपने एक मुवक्किल के साथ वैवाहिक मामले के सिलसिले में गुरुग्राम के सेक्टर 50 पुलिस स्टेशन गई थी। जब मुवक्किल अपनी पत्नी के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराने वाला था तो पुलिस अधिकारियों ने कथित तौर पर उसे ऐसा करने से रोका और याचिकाकर्ता के साथ मारपीट की। याचिकाकर्ता का दावा है कि पुलिस स्टेशन में दो पुरुष अधिकारियों ने उसका यौन उत्पीड़न किया और उसे अवैध रूप से हिरासत में रखा गया और महिला अधिकारियों ने उसकी पिटाई की। कथित तौर पर पुलिस अधिकारियों ने उसे पीने के लिए कुछ तरल पदार्थ भी दिया, लेकिन उसने इसे पीने से इनकार कर दिया। आरोप है कि घटना के बाद महिला एडवोकेट को गुरुग्राम के एक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन एमएलसी (मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट) तैयार किए बिना ही उसे वापस लाया गया। अगले दिन उन्होंने दिल्ली की तीस हजारी पुलिस चौकी में लिखित शिकायत दी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उसने गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सब्जी मंडी थाने में जीरो एफआईआर दर्ज करवाई। पुलिस पर नुकसान पहुंचाने का आरोप पीड़िता ने गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों द्वारा और अधिक उत्पीड़न, झूठे मुकदमे और शारीरिक नुकसान की आशंका के चलते उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और तीनों एफआईआर को एक जगह ट्रांसफर करने तथा पुलिस सुरक्षा की मांग की है। गुरुग्राम के सेक्टर 50 थाने में बदतमीजी और यौन उत्पीड़न के मामले में महिला एडवोकेट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गुरुवार को न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एजी मसीह की बेंच में लिस्टेड किया गया। महिला वकील की ओर से एओआर सूर्य नाथ पांडे पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि 21 मई को वह मैरिज के एक मामले में गुरुग्राम गई थी। इसी दौरान दोनों पक्षों में झगड़ा हो गया। जब महिला वकील थाने में गई और एसएचओ से पूरे मामले की शिकायत की, तो उसकी सुनवाई करने के बजाय एसएचओ ने उसे ही धमकाना शुरू कर दिया। SHO ने न केवल उससे अभद्रता की, बल्कि गंभीर यौन उत्पीड़न भी किया। एसएचओ ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए उसके साथ शारीरिक और मानसिक रूप से अत्याचार किया। पुलिस पर एफआईआर नहीं देने का आरोप कोर्ट ने गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों द्वारा उनके क्लाइंट के खिलाफ दर्ज एफआईआर की कॉपी पेश करने को कहा। जिस पर याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि एफआईआर की कॉपी मांगी गई थी, लेकिन जांच अधिकारी ने उसे मुहैया नहीं कराया। उन्होंने कहा कि एफआईआर प्राप्त करने के लिए कोर्ट के निर्देश की आवश्यकता है। हालांकि बेंच ने इसके लिए संबंधित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष औपचारिक आवेदन करने को कहा। एफआईआर पेश करने के लिए कोर्ट ने मामले की सुनवाई कल यानि छह जून के लिए लिस्ट किया है। सीबीआई से जांच की मांग उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता एक प्रेक्टिसिंग एडवोकेट और तीस हजारी बार एसोसिएशन की कार्यकारी सदस्य हैं। गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों द्वारा उनके खिलाफ दर्ज किए गए मामलों को किसी स्वतंत्र एजेंसी सीबीआई, दिल्ली पुलिस या रिटायर्ड जज से जांच करवाने की मांग की। इसके अलावा गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। ये है मामला महिला एडवोकेट के मुताबिक 21 मई 2025 को वह अपने एक मुवक्किल के साथ वैवाहिक मामले के सिलसिले में गुरुग्राम के सेक्टर 50 पुलिस स्टेशन गई थी। जब मुवक्किल अपनी पत्नी के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराने वाला था तो पुलिस अधिकारियों ने कथित तौर पर उसे ऐसा करने से रोका और याचिकाकर्ता के साथ मारपीट की। याचिकाकर्ता का दावा है कि पुलिस स्टेशन में दो पुरुष अधिकारियों ने उसका यौन उत्पीड़न किया और उसे अवैध रूप से हिरासत में रखा गया और महिला अधिकारियों ने उसकी पिटाई की। कथित तौर पर पुलिस अधिकारियों ने उसे पीने के लिए कुछ तरल पदार्थ भी दिया, लेकिन उसने इसे पीने से इनकार कर दिया। आरोप है कि घटना के बाद महिला एडवोकेट को गुरुग्राम के एक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन एमएलसी (मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट) तैयार किए बिना ही उसे वापस लाया गया। अगले दिन उन्होंने दिल्ली की तीस हजारी पुलिस चौकी में लिखित शिकायत दी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उसने गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सब्जी मंडी थाने में जीरो एफआईआर दर्ज करवाई। पुलिस पर नुकसान पहुंचाने का आरोप पीड़िता ने गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों द्वारा और अधिक उत्पीड़न, झूठे मुकदमे और शारीरिक नुकसान की आशंका के चलते उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और तीनों एफआईआर को एक जगह ट्रांसफर करने तथा पुलिस सुरक्षा की मांग की है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर