गुरुग्राम में इलाज नहीं देने पर अस्पतालों को नोटिस:नोएडा की इंजीनियर को टाइम पर नहीं मिला इलाज,कार चालक को मिली बेल

गुरुग्राम में इलाज नहीं देने पर अस्पतालों को नोटिस:नोएडा की इंजीनियर को टाइम पर नहीं मिला इलाज,कार चालक को मिली बेल

गुरुग्राम में नोएडा की सॉफ्टवेयर इंजीनियर सोमिता सिंह का इलाज करने से इनकार करने वाले दोनों अस्पतालों को पुलिस ने नोटिस जारी किया है। इसमें दो दिन के अंदर सीसीटीवी फुटेज देने को कहा गया है। वहीं उसकी बाइक को टक्कर मारने वाले वरना कार चालक को भी जमानत दे दी गई है। बादशाहपुर थाने के जांच अधिकारी नवीन ने बताया कि किसी भी अस्पताल द्वारा घायलों का इलाज करने से इनकार नहीं किया जा सकता। पुलिस को पता चला था कि बादशाहपुर के स्पर्श अस्पताल और वाटिका चौक के पास स्थित एक्रोपोलिस सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल ने घायल सोमिता को प्राथमिक उपचार भी नहीं दिया। समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण सोमिता की मौत हो गई थी। उन्होंने बताया कि सीसीटीवी मिलने के बाद पता किया जाएगा कि किस टाइम घायल को अस्पताल लाया गया और कितनी देर तक अस्पताल में रहे। किसी डॉक्टर ने उसका चेकअप किया या नहीं। जांच के बाद ही सच्चाई का पता चल सकेगा। लेट्स राइड एकेडमी के संचालक कुलदीप शर्मा ने आरोप लगाया है कि 2 अस्पतालों ने उसका गोल्डन ऑवर में इलाज नहीं किया, वर्ना उसकी जिंदगी बच सकती थी। एक घंटे तक वह 2 अस्पतालों में भटकते रहे। आखिर में सरकारी अस्पताल ले जाने तक उसकी मौत हो गई। पुलिस को उन अस्पतालों पर भी कार्रवाई करनी चाहिए। शर्मा ने यह भी कहा कि वह मेडिकल लाइन से जुड़े हैं और उन्होंने अस्पताल स्टाफ को रिफ्रेंस भी दिया था, लेकिन उन्होंने गंभीर हालत बताकर बड़े अस्पताल जाने को बोल दिया। ये है केंद्र सरकार का नियम केंद्र सरकार की तरफ से एक्सीडेंट में घायल लोगों को 1.5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज किए जाने का प्रावधान किया है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी NHAI इस पूरे मामले में नोडल एजेंसी है। इसके लिए हरियाणा और पंजाब समेत कुल 6 राज्यों में केंद्र सरकार द्वारा पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया है। यानी अगर किसी का एक्सीडेंट होता है और उसे कोई अस्पताल तक पहुंचाता है तो तुरंत उसका इलाज शुरू हो जाएगा, इसमें ये नहीं देखा जाएगा कि उसका परिवार कहां है या फिर बिल के पैसे कौन देगा। रोड एक्सीडेंट में घायल हुए शख्स के शुरुआती इलाज का पूरा खर्च सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की तरफ से उठाया जाएगा, अगर खर्च 1.5 लाख से ऊपर जाता है तो इसके बाद परिवार को इसका भुगतान करना होगा। गुरुग्राम में ट्रैफिक पुलिस द्वारा अभियान चलाकर अस्पताल और राहगीरों को जागरूक भी किया जा रहा है। इसके बावजूद इस तरह की घटना से सवाल खड़े हो रहे हैं कि अस्पतालों को इन आदेशों की कोई चिंता नहीं है और न लोगों की जान बचाने का ख्याल। दरअसल, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहने वाली सोमिता सिंह नोएडा में साफ्टवेयर इंजीनियर थी। वह एक बाइक ग्रुप के साथ गुरुग्राम आई थी। जहां रविवार को उसकी स्पोर्ट्स बाइक का कार से एक्सीडेंट हो गया। छह अप्रैल की सुबह करीब नौ बजे लैपर्ड ट्रेल रोड पर उसकी बाइक का एक्सीडेंट हो गया था और 10 बजे ही उसकी मौत हो गई। इस बारे में बादशाहपुर थाना एसएचओ सुधीर कुमार का कहना है कि इन्वेस्टिगेशन की जा रही है और इसका पार्ट हम ज्यादा शेयर नहीं कर सकते, जो भी दोषी पाया जाएगा,उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगै। एकेडमी संचालक ने एक्सीडेंट के बारे में क्या बताया, 5 पॉइंट्स में जानिए गुरुग्राम में नोएडा की सॉफ्टवेयर इंजीनियर सोमिता सिंह का इलाज करने से इनकार करने वाले दोनों अस्पतालों को पुलिस ने नोटिस जारी किया है। इसमें दो दिन के अंदर सीसीटीवी फुटेज देने को कहा गया है। वहीं उसकी बाइक को टक्कर मारने वाले वरना कार चालक को भी जमानत दे दी गई है। बादशाहपुर थाने के जांच अधिकारी नवीन ने बताया कि किसी भी अस्पताल द्वारा घायलों का इलाज करने से इनकार नहीं किया जा सकता। पुलिस को पता चला था कि बादशाहपुर के स्पर्श अस्पताल और वाटिका चौक के पास स्थित एक्रोपोलिस सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल ने घायल सोमिता को प्राथमिक उपचार भी नहीं दिया। समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण सोमिता की मौत हो गई थी। उन्होंने बताया कि सीसीटीवी मिलने के बाद पता किया जाएगा कि किस टाइम घायल को अस्पताल लाया गया और कितनी देर तक अस्पताल में रहे। किसी डॉक्टर ने उसका चेकअप किया या नहीं। जांच के बाद ही सच्चाई का पता चल सकेगा। लेट्स राइड एकेडमी के संचालक कुलदीप शर्मा ने आरोप लगाया है कि 2 अस्पतालों ने उसका गोल्डन ऑवर में इलाज नहीं किया, वर्ना उसकी जिंदगी बच सकती थी। एक घंटे तक वह 2 अस्पतालों में भटकते रहे। आखिर में सरकारी अस्पताल ले जाने तक उसकी मौत हो गई। पुलिस को उन अस्पतालों पर भी कार्रवाई करनी चाहिए। शर्मा ने यह भी कहा कि वह मेडिकल लाइन से जुड़े हैं और उन्होंने अस्पताल स्टाफ को रिफ्रेंस भी दिया था, लेकिन उन्होंने गंभीर हालत बताकर बड़े अस्पताल जाने को बोल दिया। ये है केंद्र सरकार का नियम केंद्र सरकार की तरफ से एक्सीडेंट में घायल लोगों को 1.5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज किए जाने का प्रावधान किया है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी NHAI इस पूरे मामले में नोडल एजेंसी है। इसके लिए हरियाणा और पंजाब समेत कुल 6 राज्यों में केंद्र सरकार द्वारा पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया है। यानी अगर किसी का एक्सीडेंट होता है और उसे कोई अस्पताल तक पहुंचाता है तो तुरंत उसका इलाज शुरू हो जाएगा, इसमें ये नहीं देखा जाएगा कि उसका परिवार कहां है या फिर बिल के पैसे कौन देगा। रोड एक्सीडेंट में घायल हुए शख्स के शुरुआती इलाज का पूरा खर्च सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की तरफ से उठाया जाएगा, अगर खर्च 1.5 लाख से ऊपर जाता है तो इसके बाद परिवार को इसका भुगतान करना होगा। गुरुग्राम में ट्रैफिक पुलिस द्वारा अभियान चलाकर अस्पताल और राहगीरों को जागरूक भी किया जा रहा है। इसके बावजूद इस तरह की घटना से सवाल खड़े हो रहे हैं कि अस्पतालों को इन आदेशों की कोई चिंता नहीं है और न लोगों की जान बचाने का ख्याल। दरअसल, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहने वाली सोमिता सिंह नोएडा में साफ्टवेयर इंजीनियर थी। वह एक बाइक ग्रुप के साथ गुरुग्राम आई थी। जहां रविवार को उसकी स्पोर्ट्स बाइक का कार से एक्सीडेंट हो गया। छह अप्रैल की सुबह करीब नौ बजे लैपर्ड ट्रेल रोड पर उसकी बाइक का एक्सीडेंट हो गया था और 10 बजे ही उसकी मौत हो गई। इस बारे में बादशाहपुर थाना एसएचओ सुधीर कुमार का कहना है कि इन्वेस्टिगेशन की जा रही है और इसका पार्ट हम ज्यादा शेयर नहीं कर सकते, जो भी दोषी पाया जाएगा,उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगै। एकेडमी संचालक ने एक्सीडेंट के बारे में क्या बताया, 5 पॉइंट्स में जानिए   हरियाणा | दैनिक भास्कर