हरियाणा में 32 परसेंट पंजाबी वोट बैंक के जरिए सत्ता में काबिज होने की रणनीति बीजेपी-कांग्रेस बना रही हैं। गुरुग्राम में भी पंजाबी वोटर्स सबसे अधिक होने से बीजेपी व कांग्रेस दोनों ही पंजाबी चेहरों पर नजर गड़ाए हुए हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव में पंजाबी समाज ने बीजेपी का साथ देते हुए पंजाबी नेता मोहित ग्रोवर को आइना दिखाया था। अब मोहित ग्रोवर कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव में पंजाबी समाज ने पार्टी को अंगूठा दिखाया था। इसके चलते कांग्रेस भी अब विकल्प पर विचार कर रही है, तो मोहित ग्रोवर अब 36 बिरादरी की बात कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री खट्टर के कारण बीजेपी से जुड़ा पंजाबी वोट बैंक प्रदेश में सियासी घमासान लगातार तेज हो रहा है। इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस में ही सीधी टक्कर की संभावनाएं बन रही हैं। बीजेपी प्रदेश में हैट्रिक मारने के लिए लगातार अपनी रणनीति बदल रही है। हालांकि पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के कारण पंजाबी वोट बैंक बीजेपी से जुड़ा हुआ है। यही कारण हैं कि हाल में हुए लोकसभा चुनाव में पंजाबी समाज ने बीजेपी का खुलकर साथ दिया था। गुरुग्राम की बात करें तो यहां पर भी समाज ने कांग्रेस को तवज्जो नहीं दीं। भले ही प्रदेश की सत्ता में खट्टर की जगह अब नायब सिंह सैनी काबिज हैं। लेकिन पंजाबी समाज अभी भी बीजेपी के पक्ष में ही नजर आ रहा है। वहीं कांग्रेस इसमें सेंधमारी की रणनीति पर काम करती नजर आ रही है। राजबब्बर को पंजाबी वोट दिलाने में नाकाम रहे थे मोहित लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद राजबब्बर 2019 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़कर दूसरे नंबर पर रहने वाले मोहित ग्रोवर के आवास पर गए थे। इसके पीछे उनकी मंशा थी कि पंजाबी समाज के वोटर्स को कांग्रेस के पाले में किया जा सके। मोहित ने आश्वासन तो बहुत दिए लेकिन ना तो वो धरातल पर सक्रिय नजर आए ना ही पंजाबी समाज के वोट राजबब्बर को दिलाने में सफल हुए। अब मोहित कांग्रेस में भले आ गए और पंजाबी वोट के जरिए टिकट की दावेदारी भी कर रहे हैं लेकिन पार्टी हाईकमान उनको लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं ले पाया है व दूसरे जातिगत समीकरण को भी समझने की कोशिश की जा रही है। पिता भी थे कांग्रेसी लेकिन पार्षद का चुनाव बुरी तरह हारे मोहित ग्रोवर के पिता स्व. मदन लाल ग्रोवर कांग्रेसी थे और जिलाध्यक्ष भी रहे। पंजाबी समाज की अगुआई का वह हमेशा दावा करते थे लेकिन जब खुद नगर निगम चुनावी रण में उतरे तो पंजाबी बाहुल्य एरिया में ही बुरी तरह हार गए। पूर्व डिप्टी मेयर यशपाल बत्रा ने उन्हें करारी हार देकर साफ कर दिया कि पंजाबी समाज में उनकी पकड़ अधिक मजबूत है। इसी के चलते बत्रा बीजेपी से टिकट की मांग भी कर रहे हैं। चुनाव बाद मोहित की निष्क्रियता से वोटर्स नाराज 2019 के चुनाव में मोहित ग्रोवर निर्दलीय चुनाव लड़े और दूसरे नंबर पर रहे। उनके कारण भले ही कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व खेल मंत्री सुखबीर कटारिया तीसरे नंबर पर पहुंच गए।इसके बाद मोहित ग्रोवर कहीं सक्रिय नजर नहीं आए और वोटर्स की अनदेखी की। कोई बड़ा आंदोलन या लोगों की समस्याओं को लेकर भी कुछ नहीं किया। अब जब चुनाव का ऐलान हुआ तो एक बार फिर वह होर्डिंग्स, विज्ञापनों के जरिए अपनी सक्रियता दिखाने में लगे हैं। शायद यही कारण रहा कि पंजाबी समाज अब उनको अधिक महत्व नहीं दे रहा है। कांग्रेस में 2 तो बीजेपी में 3 पंजाबी टिकट की रेस में राजबब्बर को पंजाबी वोट दिलाने में विफल रहे मोहित ग्रोवर व पंकज डाबर कांग्रेस की तरफ से पंजाबी वोटर्स के जरिए टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। वहीं बीजेपी की ओर से यशपाल बत्रा, सीमा पाहूजा व गार्गी कक्कड़ टिकट की रेस में हैं। बत्रा व पाहूजा लगातार सक्रिय रहकर पंजाबी समाज के बीच सक्रिय हैं, तो गार्गी ना तो समाज ना ही गुरुग्राम विधानसभा में नजर आती हैं। हालांकि केंद्रीय मंत्री उनकी पैरवी कर रहे हैं। जबकि सभी जानते हैं कि गार्गी को सीमा पाहूजा ने पार्षदी के चुनाव में मात दी थी। हरियाणा में 32 परसेंट पंजाबी वोट बैंक के जरिए सत्ता में काबिज होने की रणनीति बीजेपी-कांग्रेस बना रही हैं। गुरुग्राम में भी पंजाबी वोटर्स सबसे अधिक होने से बीजेपी व कांग्रेस दोनों ही पंजाबी चेहरों पर नजर गड़ाए हुए हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव में पंजाबी समाज ने बीजेपी का साथ देते हुए पंजाबी नेता मोहित ग्रोवर को आइना दिखाया था। अब मोहित ग्रोवर कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव में पंजाबी समाज ने पार्टी को अंगूठा दिखाया था। इसके चलते कांग्रेस भी अब विकल्प पर विचार कर रही है, तो मोहित ग्रोवर अब 36 बिरादरी की बात कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री खट्टर के कारण बीजेपी से जुड़ा पंजाबी वोट बैंक प्रदेश में सियासी घमासान लगातार तेज हो रहा है। इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस में ही सीधी टक्कर की संभावनाएं बन रही हैं। बीजेपी प्रदेश में हैट्रिक मारने के लिए लगातार अपनी रणनीति बदल रही है। हालांकि पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के कारण पंजाबी वोट बैंक बीजेपी से जुड़ा हुआ है। यही कारण हैं कि हाल में हुए लोकसभा चुनाव में पंजाबी समाज ने बीजेपी का खुलकर साथ दिया था। गुरुग्राम की बात करें तो यहां पर भी समाज ने कांग्रेस को तवज्जो नहीं दीं। भले ही प्रदेश की सत्ता में खट्टर की जगह अब नायब सिंह सैनी काबिज हैं। लेकिन पंजाबी समाज अभी भी बीजेपी के पक्ष में ही नजर आ रहा है। वहीं कांग्रेस इसमें सेंधमारी की रणनीति पर काम करती नजर आ रही है। राजबब्बर को पंजाबी वोट दिलाने में नाकाम रहे थे मोहित लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद राजबब्बर 2019 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़कर दूसरे नंबर पर रहने वाले मोहित ग्रोवर के आवास पर गए थे। इसके पीछे उनकी मंशा थी कि पंजाबी समाज के वोटर्स को कांग्रेस के पाले में किया जा सके। मोहित ने आश्वासन तो बहुत दिए लेकिन ना तो वो धरातल पर सक्रिय नजर आए ना ही पंजाबी समाज के वोट राजबब्बर को दिलाने में सफल हुए। अब मोहित कांग्रेस में भले आ गए और पंजाबी वोट के जरिए टिकट की दावेदारी भी कर रहे हैं लेकिन पार्टी हाईकमान उनको लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं ले पाया है व दूसरे जातिगत समीकरण को भी समझने की कोशिश की जा रही है। पिता भी थे कांग्रेसी लेकिन पार्षद का चुनाव बुरी तरह हारे मोहित ग्रोवर के पिता स्व. मदन लाल ग्रोवर कांग्रेसी थे और जिलाध्यक्ष भी रहे। पंजाबी समाज की अगुआई का वह हमेशा दावा करते थे लेकिन जब खुद नगर निगम चुनावी रण में उतरे तो पंजाबी बाहुल्य एरिया में ही बुरी तरह हार गए। पूर्व डिप्टी मेयर यशपाल बत्रा ने उन्हें करारी हार देकर साफ कर दिया कि पंजाबी समाज में उनकी पकड़ अधिक मजबूत है। इसी के चलते बत्रा बीजेपी से टिकट की मांग भी कर रहे हैं। चुनाव बाद मोहित की निष्क्रियता से वोटर्स नाराज 2019 के चुनाव में मोहित ग्रोवर निर्दलीय चुनाव लड़े और दूसरे नंबर पर रहे। उनके कारण भले ही कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व खेल मंत्री सुखबीर कटारिया तीसरे नंबर पर पहुंच गए।इसके बाद मोहित ग्रोवर कहीं सक्रिय नजर नहीं आए और वोटर्स की अनदेखी की। कोई बड़ा आंदोलन या लोगों की समस्याओं को लेकर भी कुछ नहीं किया। अब जब चुनाव का ऐलान हुआ तो एक बार फिर वह होर्डिंग्स, विज्ञापनों के जरिए अपनी सक्रियता दिखाने में लगे हैं। शायद यही कारण रहा कि पंजाबी समाज अब उनको अधिक महत्व नहीं दे रहा है। कांग्रेस में 2 तो बीजेपी में 3 पंजाबी टिकट की रेस में राजबब्बर को पंजाबी वोट दिलाने में विफल रहे मोहित ग्रोवर व पंकज डाबर कांग्रेस की तरफ से पंजाबी वोटर्स के जरिए टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। वहीं बीजेपी की ओर से यशपाल बत्रा, सीमा पाहूजा व गार्गी कक्कड़ टिकट की रेस में हैं। बत्रा व पाहूजा लगातार सक्रिय रहकर पंजाबी समाज के बीच सक्रिय हैं, तो गार्गी ना तो समाज ना ही गुरुग्राम विधानसभा में नजर आती हैं। हालांकि केंद्रीय मंत्री उनकी पैरवी कर रहे हैं। जबकि सभी जानते हैं कि गार्गी को सीमा पाहूजा ने पार्षदी के चुनाव में मात दी थी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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आम आदमी पार्टी (AAP) ने जेल से बाहर आए अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए गेम प्लान तैयार कर लिया है। इस प्लान के जरिए पार्टी के नेता हरियाणा चुनाव के दौरान इमोशनल कार्ड खेलेंगे। वे केजरीवाल के जेल जाने और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घटनाओं को चुनावी मुद्दा बनाकर उछालेंगे। इसके अलावा सभी बड़े चेहरे और खुद केजरीवाल बड़ी रैलियों की जगह डोर-टू-डोर कैंपेन चलाएंगे। इससे उन्हें लोगों के बीच जाकर अपनी बात रखने का मौका मिलेगा। साथ ही वह अपनी पार्टी का एजेंडा जमीनी स्तर पर लोगों को समझा पाएंगे। 2019 के बाद AAP ने BJP के बाद राज्य में बड़ा संगठन तैयार किया है। पार्टी का दावा है कि उसके 1.5 लाख वॉलंटियर पूरे राज्य में सक्रिय हैं। हरियाणा में AAP राज्य की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इसलिए हरियाणा पर केजरीवाल का फोकस
हरियाणा में BJP 10 साल से सत्ता में है। कांग्रेस यहां मुख्य विपक्षी दल है। इसके अलावा इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और जननायक जनता पार्टी (JJP) के उम्मीदवार भी मैदान में हैं। AAP ने पिछले 5 सालों में हरियाणा में अपना कैडर मजबूत किया है। इसके साथ ही इस बार चुनाव के बीच दिल्ली और पंजाब से पार्टी के वॉलंटियर भी यहां सक्रिय होने वाले हैं। इन सबके बीच अरविंद केजरीवाल का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा पार्टी के लिए मददगार साबित हो सकता है। इसकी वजह यह है कि केजरीवाल चुनाव के दौरान लगातार कार्यकर्ताओं के बीच सक्रिय रहेंगे। इससे पार्टी के वॉलंटियर्स का मनोबल बढ़ेगा। पार्टी नेताओं कह रहे हैं कि केजरीवाल प्रचार में जी-जान से जुटेंगे। हरियाणा में है केजरीवाल का गृह जिला
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