हरियाणा में 32 परसेंट पंजाबी वोट बैंक के जरिए सत्ता में काबिज होने की रणनीति बीजेपी-कांग्रेस बना रही हैं। गुरुग्राम में भी पंजाबी वोटर्स सबसे अधिक होने से बीजेपी व कांग्रेस दोनों ही पंजाबी चेहरों पर नजर गड़ाए हुए हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव में पंजाबी समाज ने बीजेपी का साथ देते हुए पंजाबी नेता मोहित ग्रोवर को आइना दिखाया था। अब मोहित ग्रोवर कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव में पंजाबी समाज ने पार्टी को अंगूठा दिखाया था। इसके चलते कांग्रेस भी अब विकल्प पर विचार कर रही है, तो मोहित ग्रोवर अब 36 बिरादरी की बात कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री खट्टर के कारण बीजेपी से जुड़ा पंजाबी वोट बैंक प्रदेश में सियासी घमासान लगातार तेज हो रहा है। इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस में ही सीधी टक्कर की संभावनाएं बन रही हैं। बीजेपी प्रदेश में हैट्रिक मारने के लिए लगातार अपनी रणनीति बदल रही है। हालांकि पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के कारण पंजाबी वोट बैंक बीजेपी से जुड़ा हुआ है। यही कारण हैं कि हाल में हुए लोकसभा चुनाव में पंजाबी समाज ने बीजेपी का खुलकर साथ दिया था। गुरुग्राम की बात करें तो यहां पर भी समाज ने कांग्रेस को तवज्जो नहीं दीं। भले ही प्रदेश की सत्ता में खट्टर की जगह अब नायब सिंह सैनी काबिज हैं। लेकिन पंजाबी समाज अभी भी बीजेपी के पक्ष में ही नजर आ रहा है। वहीं कांग्रेस इसमें सेंधमारी की रणनीति पर काम करती नजर आ रही है। राजबब्बर को पंजाबी वोट दिलाने में नाकाम रहे थे मोहित लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद राजबब्बर 2019 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़कर दूसरे नंबर पर रहने वाले मोहित ग्रोवर के आवास पर गए थे। इसके पीछे उनकी मंशा थी कि पंजाबी समाज के वोटर्स को कांग्रेस के पाले में किया जा सके। मोहित ने आश्वासन तो बहुत दिए लेकिन ना तो वो धरातल पर सक्रिय नजर आए ना ही पंजाबी समाज के वोट राजबब्बर को दिलाने में सफल हुए। अब मोहित कांग्रेस में भले आ गए और पंजाबी वोट के जरिए टिकट की दावेदारी भी कर रहे हैं लेकिन पार्टी हाईकमान उनको लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं ले पाया है व दूसरे जातिगत समीकरण को भी समझने की कोशिश की जा रही है। पिता भी थे कांग्रेसी लेकिन पार्षद का चुनाव बुरी तरह हारे मोहित ग्रोवर के पिता स्व. मदन लाल ग्रोवर कांग्रेसी थे और जिलाध्यक्ष भी रहे। पंजाबी समाज की अगुआई का वह हमेशा दावा करते थे लेकिन जब खुद नगर निगम चुनावी रण में उतरे तो पंजाबी बाहुल्य एरिया में ही बुरी तरह हार गए। पूर्व डिप्टी मेयर यशपाल बत्रा ने उन्हें करारी हार देकर साफ कर दिया कि पंजाबी समाज में उनकी पकड़ अधिक मजबूत है। इसी के चलते बत्रा बीजेपी से टिकट की मांग भी कर रहे हैं। चुनाव बाद मोहित की निष्क्रियता से वोटर्स नाराज 2019 के चुनाव में मोहित ग्रोवर निर्दलीय चुनाव लड़े और दूसरे नंबर पर रहे। उनके कारण भले ही कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व खेल मंत्री सुखबीर कटारिया तीसरे नंबर पर पहुंच गए।इसके बाद मोहित ग्रोवर कहीं सक्रिय नजर नहीं आए और वोटर्स की अनदेखी की। कोई बड़ा आंदोलन या लोगों की समस्याओं को लेकर भी कुछ नहीं किया। अब जब चुनाव का ऐलान हुआ तो एक बार फिर वह होर्डिंग्स, विज्ञापनों के जरिए अपनी सक्रियता दिखाने में लगे हैं। शायद यही कारण रहा कि पंजाबी समाज अब उनको अधिक महत्व नहीं दे रहा है। कांग्रेस में 2 तो बीजेपी में 3 पंजाबी टिकट की रेस में राजबब्बर को पंजाबी वोट दिलाने में विफल रहे मोहित ग्रोवर व पंकज डाबर कांग्रेस की तरफ से पंजाबी वोटर्स के जरिए टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। वहीं बीजेपी की ओर से यशपाल बत्रा, सीमा पाहूजा व गार्गी कक्कड़ टिकट की रेस में हैं। बत्रा व पाहूजा लगातार सक्रिय रहकर पंजाबी समाज के बीच सक्रिय हैं, तो गार्गी ना तो समाज ना ही गुरुग्राम विधानसभा में नजर आती हैं। हालांकि केंद्रीय मंत्री उनकी पैरवी कर रहे हैं। जबकि सभी जानते हैं कि गार्गी को सीमा पाहूजा ने पार्षदी के चुनाव में मात दी थी। हरियाणा में 32 परसेंट पंजाबी वोट बैंक के जरिए सत्ता में काबिज होने की रणनीति बीजेपी-कांग्रेस बना रही हैं। गुरुग्राम में भी पंजाबी वोटर्स सबसे अधिक होने से बीजेपी व कांग्रेस दोनों ही पंजाबी चेहरों पर नजर गड़ाए हुए हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव में पंजाबी समाज ने बीजेपी का साथ देते हुए पंजाबी नेता मोहित ग्रोवर को आइना दिखाया था। अब मोहित ग्रोवर कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव में पंजाबी समाज ने पार्टी को अंगूठा दिखाया था। इसके चलते कांग्रेस भी अब विकल्प पर विचार कर रही है, तो मोहित ग्रोवर अब 36 बिरादरी की बात कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री खट्टर के कारण बीजेपी से जुड़ा पंजाबी वोट बैंक प्रदेश में सियासी घमासान लगातार तेज हो रहा है। इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस में ही सीधी टक्कर की संभावनाएं बन रही हैं। बीजेपी प्रदेश में हैट्रिक मारने के लिए लगातार अपनी रणनीति बदल रही है। हालांकि पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के कारण पंजाबी वोट बैंक बीजेपी से जुड़ा हुआ है। यही कारण हैं कि हाल में हुए लोकसभा चुनाव में पंजाबी समाज ने बीजेपी का खुलकर साथ दिया था। गुरुग्राम की बात करें तो यहां पर भी समाज ने कांग्रेस को तवज्जो नहीं दीं। भले ही प्रदेश की सत्ता में खट्टर की जगह अब नायब सिंह सैनी काबिज हैं। लेकिन पंजाबी समाज अभी भी बीजेपी के पक्ष में ही नजर आ रहा है। वहीं कांग्रेस इसमें सेंधमारी की रणनीति पर काम करती नजर आ रही है। राजबब्बर को पंजाबी वोट दिलाने में नाकाम रहे थे मोहित लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद राजबब्बर 2019 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़कर दूसरे नंबर पर रहने वाले मोहित ग्रोवर के आवास पर गए थे। इसके पीछे उनकी मंशा थी कि पंजाबी समाज के वोटर्स को कांग्रेस के पाले में किया जा सके। मोहित ने आश्वासन तो बहुत दिए लेकिन ना तो वो धरातल पर सक्रिय नजर आए ना ही पंजाबी समाज के वोट राजबब्बर को दिलाने में सफल हुए। अब मोहित कांग्रेस में भले आ गए और पंजाबी वोट के जरिए टिकट की दावेदारी भी कर रहे हैं लेकिन पार्टी हाईकमान उनको लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं ले पाया है व दूसरे जातिगत समीकरण को भी समझने की कोशिश की जा रही है। पिता भी थे कांग्रेसी लेकिन पार्षद का चुनाव बुरी तरह हारे मोहित ग्रोवर के पिता स्व. मदन लाल ग्रोवर कांग्रेसी थे और जिलाध्यक्ष भी रहे। पंजाबी समाज की अगुआई का वह हमेशा दावा करते थे लेकिन जब खुद नगर निगम चुनावी रण में उतरे तो पंजाबी बाहुल्य एरिया में ही बुरी तरह हार गए। पूर्व डिप्टी मेयर यशपाल बत्रा ने उन्हें करारी हार देकर साफ कर दिया कि पंजाबी समाज में उनकी पकड़ अधिक मजबूत है। इसी के चलते बत्रा बीजेपी से टिकट की मांग भी कर रहे हैं। चुनाव बाद मोहित की निष्क्रियता से वोटर्स नाराज 2019 के चुनाव में मोहित ग्रोवर निर्दलीय चुनाव लड़े और दूसरे नंबर पर रहे। उनके कारण भले ही कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व खेल मंत्री सुखबीर कटारिया तीसरे नंबर पर पहुंच गए।इसके बाद मोहित ग्रोवर कहीं सक्रिय नजर नहीं आए और वोटर्स की अनदेखी की। कोई बड़ा आंदोलन या लोगों की समस्याओं को लेकर भी कुछ नहीं किया। अब जब चुनाव का ऐलान हुआ तो एक बार फिर वह होर्डिंग्स, विज्ञापनों के जरिए अपनी सक्रियता दिखाने में लगे हैं। शायद यही कारण रहा कि पंजाबी समाज अब उनको अधिक महत्व नहीं दे रहा है। कांग्रेस में 2 तो बीजेपी में 3 पंजाबी टिकट की रेस में राजबब्बर को पंजाबी वोट दिलाने में विफल रहे मोहित ग्रोवर व पंकज डाबर कांग्रेस की तरफ से पंजाबी वोटर्स के जरिए टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। वहीं बीजेपी की ओर से यशपाल बत्रा, सीमा पाहूजा व गार्गी कक्कड़ टिकट की रेस में हैं। बत्रा व पाहूजा लगातार सक्रिय रहकर पंजाबी समाज के बीच सक्रिय हैं, तो गार्गी ना तो समाज ना ही गुरुग्राम विधानसभा में नजर आती हैं। हालांकि केंद्रीय मंत्री उनकी पैरवी कर रहे हैं। जबकि सभी जानते हैं कि गार्गी को सीमा पाहूजा ने पार्षदी के चुनाव में मात दी थी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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कलायत में त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी BJP की पूर्व मंत्री:साइलेंट वोटरों से आस; कांग्रेस उम्मीदवार पर सांसद पिता का बयान और निर्दलीय भारी
कलायत में त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी BJP की पूर्व मंत्री:साइलेंट वोटरों से आस; कांग्रेस उम्मीदवार पर सांसद पिता का बयान और निर्दलीय भारी हरियाणा की कलायत विधानसभा सीट हॉट बनी हुई है, क्योंकि यहां से पूर्व राज्यमंत्री कमलेश ढांडा एक बार फिर से भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। उनके सामने हिसार लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद जयप्रकाश उर्फ जेपी के बेटे विकास सहारण चुनाव लड़ रहे हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) से अनुराग ढांडा, इनेलो-बसपा से रामपाल मजारा, जजपा-असपा के प्रीतम मेहरा और कांग्रेस की बागी अनीता ढुल, पूर्व विधायक सतविंद्र राणा, विनोद निर्मल समेत 14 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। कलायत में कुल वोटरों की संख्या 2.15 लाख है। यहां टूटी सड़कें, जलभराव और रोजगार प्रमुख मुद्दे हैं। सबसे ज्यादा 87 हजार वोट जाट समाज के हैं। प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार कमलेश ढांडा, विकास सहारण, अनुराग ढांडा और रामपाल माजरा जाट समाज से ही हैं। लोगों का कहना है कि यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस के विकास सहारण, भाजपा की कमलेश ढांडा और निर्दलीय अनीता ढुल में है। फील्ड में भाजपा के खिलाफ लोगों में नाराजगी है। आरोप है कि विधायक और मंत्री होने के बाद भी कमलेश ढांडा ने यहां कुछ नहीं कराया। कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो भाजपा के खिलाफ कैमरे पर नहीं बोल पाए। ऐसे में कमलेश को ढांडा गोत्र, ओबीसी समाज और साइलेंट वोटरों का सहारा है। लोगों के मुताबिक AAP और इनेलो उम्मीदवार भी वोट लेकर जाएंगे, लेकिन फाइट में नहीं है। विकास सहारण को पिता जयप्रकाश का महिला नेता पर बयान और बुजुर्ग व्यापारी को लात मारना भारी पड़ सकता है। दूसरा भीतरघात का भी खतरा है। कांग्रेस के वोट बागी अनीता ढुल की तरफ भी शिफ्ट होंगे। अनीत को ढुल खाप और सहानुभूति का फायदा मिल सकता है। 6 पॉइंट में समझें कलायत विधानसभा के समीकरण कमलेश ढांडा 10 साल के कार्यकाल के नाम पर वोट मांग रहीं कमलेश ढांडा पूर्व मंत्री स्व. नरसिंह ढांडा की पत्नी हैं। 2009 में नर सिंह ढांडा से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और पांचवें नंबर पर रहे। 13 दिसंबर 2009 को लंबी बीमारी के बाद नर सिंह ढांडा का निधन हो गया। इसके बाद उनकी पत्नी कमलेश ढांडा राजनीति में एक्टिव हो गईं। 2019 में कमलेश ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद खट्टर सरकार में उन्हें महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री बनाया गया। इस चुनाव में भाजपा ने दोबारा कमलेश को टिकट दिया। उनके चुनाव प्रचार के लिए मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ढांडा आ चुके हैं। ढांडा जनता के बीच भाजपा के 10 साल के कार्यकाल और बिना पर्ची बिना खर्ची के नौकरी का हवाला देते हुए वोटों की अपील कर रही हैं। विकास सहारण सांसद पिता के नाम पर एक्टिव विकास सहारण पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उनके पिता जयप्रकाश 2014 में इस सीट से निर्दलीय विधायक बने थे। 2019 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर पर रहे। इस चुनाव से पहले तक विकास अपने पिता के ही चुनाव प्रचार में दिखते थे। खुद के हिसार से सांसद बनने के बाद उन्होंने बेटी की राजनीति में एंट्री कराई। विकास सहारण के प्रचार के लिए अब तक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रोहतक से सांसद दीपेंद्र हुड्डा आ चुके हैं। विकास जनता के बीच किसान आंदोलन और महंगाई को लेकर भाजपा को घेर रहे हैं। दूसरा वह पिता के विधायक रहते कराए गए काम भी गिना रहे हैं। अनीता ढुल महिलाओं के अपमान पर जयप्रकाश को घेर रहीं अनीता ढुल लंबे समय से कांग्रेस के साथ जुड़ी हुई थी। कांग्रेस में वह महिला प्रदेश महासचिव के पद पर थीं। वह कलायत से टिकट की मांग कर रही थी, लेकिन कांग्रेस ने यहां सांसद जयप्रकाश के बेटे विकास सहारण को टिकट दे दिया। इसके बाद जयप्रकाश के एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह मंच से एक महिला नेता के बारे में कहते हैं कि पाउडर और लिप्स्टिक लगाकर वोट मिलते हो तो मैं भी लगा लूं। इस बयान को अनीता ढुल से जोड़कर देखा गया। जयप्रकाश के इस बयान के बाद ढुल खाप ने पंचायत की और जयप्रकाश का बहिष्कार करने की बात कही गई। साथ ही ढुल खाप ने अनीता ढुल को निर्दलीय चुनाव लड़ने को कहा। अब अनीता ढुल जनता के बीच जाकर क्षेत्र में लगातार एक्टिव होने की बात कह रही हैं। वह कह रही हैं कि कलायत से मंत्री होते हुए भी यहां की सड़कें टूटी पड़ीं हैं। साथ ही वह जयप्रकाश के बयान पर कह रही हैं कि महिलाओं का अपमान किया गया है। महिलाएं इसका जवाब जरूरी देंगी। रामपाल माजरा भाजपा-कांग्रेस के खिलाफ वोट मांग रहे इनेलो के उम्मीदवार रामपाल माजरा चौटाला परिवार के खास रहे हैं। वह पहली बार साल 1996 में पाई हलके से समता पार्टी के टिकट पर विधायक बने थे। साल 2000 में वह इनेलो के टिकट पर विधायक बने। इसके बाद 2005 में चुनाव हार गए। साल 2009 में उन्होंने कलायत से इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़ा और तीसरी बार विधायक चुने गए। चौटाला परिवार में मतभेद के चलते वह 2019 में भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में उन्होंने 28 जनवरी 2021 को भाजपा से इस्तीफा दे दिया। ओमप्रकाश चौटाला के कहने पर 2024 में वह दोबारा इनेलो में शामिल हो गए। इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष नफे सिंह राठी की हत्या के बाद रामपाल माजरा को इनेलो प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। अब वह जनता के बीच जाकर कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ वोट मांग रहे हैं। वह कह रहे हैं कि 20 साल से कांग्रेस और भाजपा सरकार ने प्रदेश को लूटने का काम किया है। अनुराग ढांडा बदलाव के नाम पर वोट मांग रहे आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अनुराग ढांडा राज्य के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट हैं। वह कई मीडिया संस्थानों में पत्रकार के तौर पर काम कर चुके हैं। साल 2022 में उन्होंने आम आदमी पार्टी के जरिए राजनीति में एंट्री की। वह अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में AAP को कलायत से मिली लीड के बाद उन्होंने यहां से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की। दूसरा ढांडा गोत्र का भी यहां अच्छा प्रभाव है। उनके प्रचार के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान समेत कई बड़े नेता आ चुके हैं। अब अनुराग जनता के बीच जाकर कह रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस ने प्रदेश को लूटने का काम किया है। वह बदलाव और AAP की पांच गारंटियों के नाम पर वोट मांग रहे हैं। क्या कहते हैं कलायत के वोटर… अनिल बोले- कमलेश ने भ्रष्टाचार फैलाया अनिल कुमार का कहना है कि कमलेश ढांडा यहां से विधायक थीं। उन्होंने यहां विकास का कोई काम नहीं कराया। उन्होंने सिर्फ भ्रष्टाचार फैलाने का काम किया। हमारे बुजुर्गों ने कमलेश ढांडा को गरीब समझकर वोट दिए, लेकिन अभी तक उसकी गरीबी दूर हुई है या नहीं, वह देखने वाली बात है। उसने भ्रष्टाचार फैलाया है। जगतराम बोले- जयप्रकाश को माफी नहीं मिलेगी खेड़ी शेरू के रहने वाले जगतराम का कहना है कि कलायत में अनीता की जीत नजर आ रही है। ढुल खाप के 5 गांव हैं और 22 हजार वोट हैं। जयप्रकाश के बयान से लोगों में नाराजगी है। यह पूरे चुनाव में चलेगी। जयप्रकाश को काई माफी नहीं मिलेगी। सतनारायण शर्मा ने कहा- AAP की तरफ रूझान सतनारायण शर्मा ने बताया कि कलायत में सभी कैंडिडेट रात को जीतकर सोते हैं। बीजेपी ने 10 साल में कोई खास काम नहीं किया। पोर्टल पर अटका कर रखा है। इन पोर्टलों का ऐसा हाल है कि उड़ जा चिड़िया, मर जा चिड़िया, कभी सर्वर काम नहीं करते, कभी कर्मचारी छुट्टी पर हो जाते हैं। हर रोज नई नई स्कीम शुरू कर देते हैं। इस बार आम आदमी पार्टी का रूझान है। लोगों को पंजाब और दिल्ली में हुए काम पसंद आ रहे हैं। सुभाष बोले- कमलेश चुनाव जीतने के बाद धन्यवाद करने तक नहीं आईं सुभाष ढांडा ने बताया कि कमलेश ढांडा का अपने ही गांव खेड़ी संदल में काई रूझान नहीं है। 2019 में चुनाव जीतने के बाद वह लोगों को धन्यवाद तक करनी नहीं आईं। गांव के लोग उनके पक्ष में नहीं हैं। गांव के विकास में भी मंत्री का कोई योगदान नहीं रहा। बीजेपी की खिलाफत का कारण कैंडिडेट है। अभी किसी का माहौल साफ नहीं है। आगे जैसे-जैसे चुनाव बढ़ेगा, माहौल पता चलेगा। आम आदमी के पक्ष में भी लोग नजर आ रहे हैं। कमलेश ने कहा- पंचायत भवन अधूरा पड़ा महिला कमलेश ने बताया कि यहां पर पंचायत भवन अधूरा पड़ा है। कोई भी काम नहीं करवाया। कमलेश ढांडा से मिलने जाते थे तो कोई आश्वासन भी नहीं मिलता था। काम के लिए कई बार सरपंच को भी कहा, लेकिन उसने भी कोई जवाब नहीं दिया। सरपंच भी कुछ नहीं कराता। एक्सपर्ट बोलीं- मुकाबला रोचक होगा कलायत विधानसभा की राजनीति में अच्छी समझ रखने वाली राजनीति विशेषज्ञ डॉ वीना छाबड़ा का मानना है कि इस बार इस सीट पर रोचक मुकाबला रहेगा। फिलहाल की स्थिति देखें तो कांग्रेस के विकास सहारण, निर्दलीय प्रत्याशी अनिता ढुल और भाजपा सरकार में मंत्री रहीं कमलेश ढांडा के बीच ही मुकाबला है। हरियाणा चुनाव से जुड़ी ये ग्राउंड रिपोर्ट्स भी पढ़ें… यहां बंसीलाल की विरासत की लड़ाई:श्रुति चौधरी की चचेरे भाई ने मुश्किलें बढ़ाईं; जाट वोट बंटे तो BJP फंसेगी, बागी से भी नुकसान पूर्व BJP मंत्री हैट्रिक चांस में कड़े मुकाबले में फंसे:AAP की गुर्जर वोट बैंक में सेंध; कांग्रेस वेव से अकरम को फायदा अनिल विज कड़े मुकाबले में फंसे:खुद को CM चेहरा बता फायदा लेने की कोशिश; कांग्रेस पर गुटबाजी भारी, वोट शिफ्ट हुए तो चित्रा भारी पड़ेंगी राव इंद्रजीत की बेटी आरती तिकोने मुकाबले में फंसी:कांग्रेस बांटेगी अहीर वोटर; राजपूत-दलित वोटर्स एकतरफा तो ठाकुर बिगाड़ेंगे सियासी गणित नायब सैनी को CM चेहरे का फायदा:BJP के बागी गर्ग वोटकटवा; बड़शामी ने जाट न बांटे तो कांग्रेस के मेवा से कड़ी टक्कर विनेश फोगाट को कांग्रेस की वेव का सबसे बड़ा सहारा:जाट वोट बंटे तो मुश्किल में फंसेगी रेसलर; OBC-ब्राह्मण एकतरफा होने पर ही BJP को फायदा
पानीपत में 2 सीट पर कांग्रेस के टिकट होल्ड:नेता बोले- पार्टी में भगदड़ न मचे, निर्दलीय की सोचे तो समय कम मिले
पानीपत में 2 सीट पर कांग्रेस के टिकट होल्ड:नेता बोले- पार्टी में भगदड़ न मचे, निर्दलीय की सोचे तो समय कम मिले हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी 32 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। इसमें 28 मौजूदा विधायकों को मौका दिया गया है। बाकी सीटों को फिलहाल होल्ड कर लिया गया है। होल्ट की गई सीटों में पानीपत की दो सीटें शामिल है। जबकि दो सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गई है। जिले की समालखा सीट पर धर्म सिंह छौक्कर और इसराना सीट पर बलबीर सिंह वाल्मीकि को दोबारा टिकट दिया गया है। दोनों ही मौजूदा समय के विधायक है। हालांकि समालखा सीट पर 21 और इसराना सीट पर 33 दावेदारों ने आवेदन किया था। इधर, पानीपत की शहरी और ग्रामीण सीट को कांग्रेस ने होल्ड कर लिया है। जिन पर दावेदारों की धड़कने बढ़ी हुई है। होल्ड की गई इन दोनों सीटों पर 64 दावेदारों ने कांग्रेस के टिकट के लिए आवेदन किया है। पार्टी से जुड़े सीनियर लीडर्स ने सीटों को होल्ड करने के 3 बड़े कारण बताए है। साथ ही बताया कि शीर्ष नेतृत्व में शामिल लीडर्स अपने अपने दावेदारों को टिकट दिलवाने की जुगत में जुटे हुए है। टिकट देने में भी गुटबाजी हैवी है। होल्ड की गई सभी सीटों के तीन बड़े कारण पहला: बीजेपी की तरह कांग्रेस अपने कार्यकताओं में किसी तरह की भगदड़ नहीं चाह रही है। पार्टी छोड़ने का नुकसान इस वक्त बहुत ज्यादा हो सकता है। दूसरा: टिकट अनाउंस होने पर पार्टी का कोई कार्यकर्ता, नेता पार्टी को छोड़कर चुनाव लड़ने की सोच रखता भी है, तो उसे समय न के बराबर मिले। अगर वह बीजेपी में जाना चाहेगा, तो मुमकिन है कि तब तक बीजेपी अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी होगी। उसके पास तीसरी कोई पार्टी का विकल्प बचे, तो उससे कांग्रेस को ज्यादा नुकसान न हो। तीसरा: होल्ड की गई सीटों पर पार्टी के कई नेता अपने-अपने दावेदारों के लिए सिफारिश कर रहे है। हर नेता अपना आदमी सीट पर सेट करने की सोच के साथ हाईकमान से लगातार बात कर रहा है। पानीपत की होल्ड की गई सीटों पर ये है दावेदार ग्रामीण सीट पर 54 दावेदारों में ये प्रमुख पानीपत ग्रामीण विधानसभा से टिकट के लिए आवेदन करने वाले प्रमुख नेताओं में पूर्व मंत्री बिजेंद्र सिंह कादियान, जितेंद्र अहलावत, सचिन कुंडू, महेंद्र सिंह कादियान, आर्य सुरेश मलिक, विजय जैन, डॉ. कर्ण सिंह कादियान, धर्मपाल गुप्ता, जगदेव मलिक, प्रियंका हुड्डा, खुशीराम जागलान, धर्मबीर मलिक, महिपाल सूबेदार, राजेश बडौली, तेजबीर जागलान,ओमवीर सिंह पंवार, शौर्यवीर कादियान, आजाद सिंह मलिक, रमेश मलिक, धर्मेंद्र अहलावत,अमर सिंह रावल, बलकार मलिक रिसालू और बिंटू मलिक सहित 54 कांग्रेस नेता शमिल है। इनमें टिकट की दौड़ में बिजेंद्र कादियान, जितेंद्र अहलावत, सचिन कुंडू और विजय जैन आगे चल रहे है। शहरी सीट पर इन 10 दावेदारों ने किया आवेदन पानीपत शहरी विधानसभा सीट से वीरेंदर बुल्ले शाह, पूर्व विधायक रोहिता रेवडी, संजय अग्रवाल, प्रेम प्रकाश सचदेवा, बिक्रम शाह, नीरजा बाहरी, शशि लूथरा, कमल दीवान, मुकेश टुटेजा और सागर सिंगला ने आवेदन किया है। इस सीट पर सीधे तौर पर रोहिता रेवड़ी और वीरेंदर बुल्ले शाह टिकट की दौड़ में आगे चल रहे है।
भिवानी से 10 प्रत्याशियों के रिजेक्ट हुए नामांकन
भिवानी से 10 प्रत्याशियों के रिजेक्ट हुए नामांकन इसी प्रकार से बवानीखेड़ा विधानसभा क्षेत्र क्षेत्र से चुनावी मैदान में कुल 19 उम्मीदवार थे, जांच के दौरान 7 रिजेक्ट हुए, इनमें से 2 ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। कांग्रेस के प्रदीप नरवाल को हाथ का निशान, भाजपा के कपूर वाल्मीकि को कमल, आप पार्टी के धर्मबीर कुंगड़ को झाड़ू का, बसपा के संदीप को हाथी, जजपा की गुड्डी लांग्यान को चाबी, निर्दलीय सतबीर रतेरा को केतली, आम आदमी परिवर्तन पार्टी की मंजूरानी को टेलीफोन, राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी के विकास कुमार को चारपाई, रमेश कुमार को टेलीविजन, रविता को नारियल का चुनाव चिन्ह दिया गया है। कांग्रेस के प्रदीप नरवाल के मैदान में आने से बवानीखेड़ा सीट हॉट सीट बन गई है। यहां पर भाजपा व कांग्रेस में आमने सामने की टक्कर है। भिवानी विधानसभा के रिटर्निंग अधिकारी महेश कुमार ने बताया कि भिवानी विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में कुल 33 उम्मीदवार थे। जांच के दौरान 10 रिजेक्ट हुए हैं इनमें से अपना पांच ने नामांकन वापस ले लिया है। इस तरह से आम आदमी पार्टी की इंदू को झाड़ू, माकपा के ओमप्रकाश को दांती, हथोड़ा व सितारा का चुनाव चिह्न दिया गया है। इनेलो के कर्मबीर यादव को चश्मा, भाजपा के घनश्याम सर्राफ को कमल, पवन फौजी का रोड रोलर, कामरेड राजकुमार को कांच का गिलास, अभिजीत लाल सिंह को सितार, आनंद कुमार को रोबोट, जगत सिंह को सेब, जोगेंद्र को हांडी, पकंज तायल को बल्ला, डॉ. पवन कुमार को कैंची, प्रिया असीजा को एयर कंडीशनर, महाबीर बोहरा को अलमारी, राजीव को बाल्टी, रामअवतार शर्मा को ऑटो रिक्शा, रामकुमार को बेबी वॉकर, सतीश कुमार को सिलाई मशीन का चुनाव चिह्न दिया गया है। तोशाम विधानसभा क्षेत्र से 4 प्रत्याशियों द्वारा नाम वापस लेने के बाद 15 उम्मीदवार मैदान में रह गए है। रिटर्निंग अधिकारी डॉ. अश्विर सिंह नैन ने बताया कि चुनाव लड़ने वाले 15 उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न अलाट किए गए। रिटर्निंग अधिकारी के अनुसार भारतीय जनता पार्टी से श्रुति चौधरी को कमल, इंडियन नेशनल कांग्रेस से अनिरुद्ध चौधरी को हाथ, राष्ट्रीय जनहित विकास पार्टी से सुभाष चंद्र को ट्रक, जननायक जनता पार्टी से राजेश भारद्वाज को चाबी, बहुजन समाज पार्टी से ओम सिंह को हाथी, पीपल पार्टी ऑफ इंडिया से बाबा बलवान नाथ को फलों की टोकरी, आम आदमी पार्टी के दलजीत सिंह को झाङू, राष्ट्रवादी जन लोक पार्टी से विजेन्द्र सिंह को सीटी व बहुजन मुक्ति पार्टी से प्रदीप को चारपाई का चुनाव चिह्न दिया गया है। इसी प्रकार निर्दलीय उम्मीदवारों में रजनीश कुमार को रोड रोलर, शशि रंजन परमार को गैस सिलेंडर, अनिल कुमार को फुटबॉल खिलाड़ी, बलवान सिंह को बल्ला, कृष्ण कुमार को गन्ना किसान और पुष्पा देवी को चक्की का चुनाव चिह्न दिया गया है। वहीं जगदीश निवासी गांव गोलागढ़, लक्ष्य परमार निवासी विकास नगर भिवानी, जितेंद्र नाथ निवासी विद्या नगर भिवानी व वीरेन्द्र सिंह निवासी गांव खानक ने अपने नामांकन पत्र वापस ले लिए हैं। रिटर्निंग अधिकारी एवं एसडीएम मनोज दलाल ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र से जांच के बाद 15 उम्मीदवार चुनाव मैदान में रहे थे। आज 2 उम्मीदवारों नामांकन पत्र वापस ले लिया है। लोहारू विधानसभा क्षेत्र से 13 उम्मीदवार चुनाव मैदान में रह गए हैं। उन्होंने बताया कि जननायक जनता पार्टी से अलका को चाबी, आम आदमी पार्टी से गीता बाला को झाड़ू, भारतीय जनता पार्टी से जयप्रकाश दलाल को कमल का फूल, इंडियन नेशनल लोकदल से भूप सिंह को ऐनक तथा इंडियन नेशनल कांग्रेस से राजवीर सिंह को हाथ का निशान मिला है। इसी प्रकार निर्दलीय उम्मीदवार अमर सिंह को सेब, कृष्ण कुमार को फूलगोभी, राजबीर पुत्र बेगराज को कांच का गिलास, राजबीर पुत्र भरत सिंह को बाल्टी, राजबीर पुत्र मूलाराम को टेबल, संजय पुत्र बीरबल को डायमंड, संदीप पुत्र मुकेश सिंह को कोकोनट व सज्जन भारद्वाज को बांसुरी का चुनाव चिह्न आवंटित किया गया है। लोहारू विधानसभा से भाजपा के जयप्रकाश दलाल व कांग्रेस के राजबीर फरटिया के बीच आमने सामने का मुकाबला है। भास्कर न्यूज | भिवानी विधानसभा चुनाव में नामांकन वापस लेने के बाद आज जिले की चारों विधानसभाओं में 56 उम्मीदवार मैदान में रह गए हैं। इनमें सबसे अधिक 18 उम्मीदवार भिवानी विधानसभा व सबसे कम 10 उम्मीदवार बवानीखेड़ा विधानसभा में रह गए हैं। इनमें सबसे रोचक मुकाबला तोशाम में देखने को मिल रहा है जहां पर चचेरे भाई बहन मैदान में है। नामांकन वापस लेने के बाद अब पिक्चर कुछ स्पष्ट नजर आने लगी है। भिवानी में जहां चतुष्कोणीय मुकाबले के आसार बन गए हैं। यह मुकाबला भाजपा, कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी, आप व निर्दलीय उम्मीदवार अभिजीत लाल सिंह के बीच बनता दिखाई दे रहा है। उसी प्रकार तोशाम विधानसभा में चचेरे भाई बहन के बीच शशि रंजन परमार त्रिकोणीय मुकाबला बनाने में लगे हुए है। कांग्रेस के प्रदीप नरवाल के बवानी खेड़ा विधानसभा में आने से यह विधानसभा क्षेत्र हाट सीट बन गया है। क्या पर मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच फंसा हुआ है। लोहारू विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस में भाजपा में आमने-सामने का द्वंद बना हुआ है।