गुरुग्राम में पत्नी ने बिजनेसमैन को किडनी डोनेट की:पति ने रोका तो बोली- जन्म भर का साथ निभाने का वादा किया तो कैसे जाने दूं

गुरुग्राम में पत्नी ने बिजनेसमैन को किडनी डोनेट की:पति ने रोका तो बोली- जन्म भर का साथ निभाने का वादा किया तो कैसे जाने दूं

हरियाणा के गुरुग्राम में दो साल से जिंदगी के लिए संघर्ष कर एक बिजनेसमैन को उनकी पत्नी ने जीवनदान दिया है। बिजनेसमैन की दोनों किडनियां खराब हो चुकी थीं। डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट ही आखिरी विकल्प बताया। इसके बाद परिवार ने आर्थिक मदद के लिए तो हामी भर दी, लेकिन जब बात किडनी डोनेट करने की आई तो हर कोई पीछे हट गया। ऐसे में पत्नी सामने आई और किडनी दान कर सात फेरे लेते वक्त उम्र भर साथ निभाने के वचन को निभाया। यह कहानी है पालम विहार के रहने वाले 46 वर्षीय शंकर लाल भट्ट और उनकी पत्नी लीला देवी की। गुरुग्राम में हुई सफल सर्जरी के बाद अब दोनों एक-एक किडनी के सहारे जिंदगी की नई शुरुआत कर रहे हैं। डॉक्टरों ने अगले एक साल तक दोनों को बेहद एहतियात बरतने की सलाह दी है। कैसे इस हालात तक पहुंचा बिजनेसमैन, सिलसिलेवार ढंग से पढ़ें… परिवार में जैनेटिक प्रॉब्लम, दो साले पहले पता चला
शंकर लाल भट्ट ने बताया कि उसका फैसिलिटी मैनेजमेंट का बिजनेस है। दो साल पहले तक सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन तभी उसकी सेहत बिगड़नी शुरू हो गई। डॉक्टर को दिखाया तो उसने कई टेस्ट कराए। पता चला कि दोनों किडनियां काफी हद तक खराब हो चुकी है। यह सुन परिवार के होश उड़ गए। रिपोर्ट्स पर भरोसा न हुआ तो अन्य डॉक्टरों को दिखाया तो वहां भी इसी बीमारी की पुष्टि हुई। परिवार की हेल्थ हिस्ट्री खंगाली गई तो मामला जेनेटिक निकला। शंकर के परिवार के कुछ सदस्यों यह समस्या आई थी। इलाज के लिए भटकते रहे, हालत विकट हुए
शंकर लाल भट्ट ने आगे बताया कि बीमारी का पता चलते ही परिवार ने इलाज शुरू किया। गुरुग्राम से लेकर दिल्ली तक कई बड़े अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन समस्या का हल नहीं मिला। दवाइयों का खर्च भी बढ़ता जा रहा था। करीब एक साल पहले उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। अस्पताल में भर्ती हुए तो डॉक्टरों ने डायलसिस कराने की सलाह दी। बताया कि किडनी केवल 7 प्रतिशत ही बची है। इससे परिवार की चिंता और बढ़ गई। डॉक्टरों ने बताया किडनी ट्रांसप्लांट विकल्प, नहीं मिला डोनर
शंकर लाल भट्ट की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी, हालात यह हो गए कि हर सप्ताह डायलिसिस के सहारे शंकर किसी तरह सांस ले रहे थे, लेकिन उन्हें खुद भरोसा नहीं था कि यह सांसें कब तक चलेंगी। इस पर डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी। डोनर की तलाश शुरू हुई, लेकिन कई महीनों तक कोई डोनर नहीं मिला। यह परिवार के लिए और ज्यादा चिंता वाली बात थी कि अब क्या होगा। क्योंकि डॉक्टरों ने बिना किडनी के उन्हें बचाने की उम्मीद छोड़ दी थी। परिवार पीछे हटा, पत्नी आगे आई
शंकर लाल भट्ट के मुताबिक डॉक्टरों ने सलाह दी कि परिवार का कोई सदस्य अपनी एक किडनी दान कर दे तो बात बन सकती है। इस बात को परिवार के सामने रखा गया। उसके तीन बच्चे है, जिनमें एक बेटा और दो बेटी है, जो अभी छोटे हैं। इसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने आर्थिक मदद का तो भरोसा दिया, लेकिन किडनी देने की बात पर वे पीछे हट गए। शंकर कहते है कि एक तरह से परिजनों की बात भी अपनी जगह सही थी, उनकी अपनी जिंदगी और फैमिली है। इस मुश्किल घड़ी में पत्नी लीला देवी ने फैसला लिया कि वह अपनी किडनी देकर पति की जिंदगी बचाएंगी। पत्नी बोलीं- हर जन्म में साथ रहने का वादा किया
शंकर बताते है कि जब पत्नी शीला ने हां की तो उन्होंने समझाया कि इसमें कुछ गड़बड़ हो गई तो बच्चों को कौन देखेगा। इस पर पत्नी शीला ने एक ही बात कही, हर जन्म में साथ निभाने वादा किया है, ऐसे कैसे जाने दूं। शीला ने यह भी कहा कि मेरे लिए आप ही सब कुछ हों। आप ही नहीं रहोगे, तो मैं दो किडनियों का क्या करूंगी। इसके बाद दोनों ने डॉक्टर से बात की। डॉक्टर ने जांच के बाद बताया कि लीला की किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सही है और उम्र के इस पड़ाव में दोनों एक-एक किडनी के साथ स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। पत्नी की किडनी फिट मिली, भाई ने की मदद
शंकर ने बताया कि जांच कराई गई तो पत्नी शीला की किडनी फिट मिली। इसके बाद समस्या आई कि इस पूरे प्रोसेस में करीब 13 लाख का खर्च बताया गया था। इतनी जल्दी कैसे पैसे का अरेंजमेंट हो, यह सवाल परेशान कर रहा था। तभी उनके भाई सुनील भट्‌ट ने अपना फर्ज निभाया और साढ़े 9 लाख की मदद की। इसके बाद सोहना रोड स्थित अस्पताल में उसका ट्रांसप्लांट हुआ। डॉ. सुरजीत ने बताया कि सर्जरी सफल रही और शंकर की जान बच गई। डॉक्टर बोले- शीला ने पूरे समाज को प्रेरित किया
डॉ. सुरजीत ने कहा कि सर्जरी सफल रही और पत्नी शीला की वजह से शंकर की जान बच गई। लीला की इस निस्वार्थ प्यार ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे समाज को प्रेरित किया है। आज दोनों एक-दूसरे का हाथ थामे जिंदगी के नए सफर पर हैं। तीन दिन पहले अस्पताल से छुट्‌टी के वक्त दोनों को डॉक्टर्स ने इस नई शुरुआत के लिए बधाई दी, केक भी कटवाया गया। डॉक्टर ने दोनों को सेहत का बेहद ध्यान रखने की सलाह दी है। हरियाणा के गुरुग्राम में दो साल से जिंदगी के लिए संघर्ष कर एक बिजनेसमैन को उनकी पत्नी ने जीवनदान दिया है। बिजनेसमैन की दोनों किडनियां खराब हो चुकी थीं। डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट ही आखिरी विकल्प बताया। इसके बाद परिवार ने आर्थिक मदद के लिए तो हामी भर दी, लेकिन जब बात किडनी डोनेट करने की आई तो हर कोई पीछे हट गया। ऐसे में पत्नी सामने आई और किडनी दान कर सात फेरे लेते वक्त उम्र भर साथ निभाने के वचन को निभाया। यह कहानी है पालम विहार के रहने वाले 46 वर्षीय शंकर लाल भट्ट और उनकी पत्नी लीला देवी की। गुरुग्राम में हुई सफल सर्जरी के बाद अब दोनों एक-एक किडनी के सहारे जिंदगी की नई शुरुआत कर रहे हैं। डॉक्टरों ने अगले एक साल तक दोनों को बेहद एहतियात बरतने की सलाह दी है। कैसे इस हालात तक पहुंचा बिजनेसमैन, सिलसिलेवार ढंग से पढ़ें… परिवार में जैनेटिक प्रॉब्लम, दो साले पहले पता चला
शंकर लाल भट्ट ने बताया कि उसका फैसिलिटी मैनेजमेंट का बिजनेस है। दो साल पहले तक सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन तभी उसकी सेहत बिगड़नी शुरू हो गई। डॉक्टर को दिखाया तो उसने कई टेस्ट कराए। पता चला कि दोनों किडनियां काफी हद तक खराब हो चुकी है। यह सुन परिवार के होश उड़ गए। रिपोर्ट्स पर भरोसा न हुआ तो अन्य डॉक्टरों को दिखाया तो वहां भी इसी बीमारी की पुष्टि हुई। परिवार की हेल्थ हिस्ट्री खंगाली गई तो मामला जेनेटिक निकला। शंकर के परिवार के कुछ सदस्यों यह समस्या आई थी। इलाज के लिए भटकते रहे, हालत विकट हुए
शंकर लाल भट्ट ने आगे बताया कि बीमारी का पता चलते ही परिवार ने इलाज शुरू किया। गुरुग्राम से लेकर दिल्ली तक कई बड़े अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन समस्या का हल नहीं मिला। दवाइयों का खर्च भी बढ़ता जा रहा था। करीब एक साल पहले उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। अस्पताल में भर्ती हुए तो डॉक्टरों ने डायलसिस कराने की सलाह दी। बताया कि किडनी केवल 7 प्रतिशत ही बची है। इससे परिवार की चिंता और बढ़ गई। डॉक्टरों ने बताया किडनी ट्रांसप्लांट विकल्प, नहीं मिला डोनर
शंकर लाल भट्ट की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी, हालात यह हो गए कि हर सप्ताह डायलिसिस के सहारे शंकर किसी तरह सांस ले रहे थे, लेकिन उन्हें खुद भरोसा नहीं था कि यह सांसें कब तक चलेंगी। इस पर डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी। डोनर की तलाश शुरू हुई, लेकिन कई महीनों तक कोई डोनर नहीं मिला। यह परिवार के लिए और ज्यादा चिंता वाली बात थी कि अब क्या होगा। क्योंकि डॉक्टरों ने बिना किडनी के उन्हें बचाने की उम्मीद छोड़ दी थी। परिवार पीछे हटा, पत्नी आगे आई
शंकर लाल भट्ट के मुताबिक डॉक्टरों ने सलाह दी कि परिवार का कोई सदस्य अपनी एक किडनी दान कर दे तो बात बन सकती है। इस बात को परिवार के सामने रखा गया। उसके तीन बच्चे है, जिनमें एक बेटा और दो बेटी है, जो अभी छोटे हैं। इसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने आर्थिक मदद का तो भरोसा दिया, लेकिन किडनी देने की बात पर वे पीछे हट गए। शंकर कहते है कि एक तरह से परिजनों की बात भी अपनी जगह सही थी, उनकी अपनी जिंदगी और फैमिली है। इस मुश्किल घड़ी में पत्नी लीला देवी ने फैसला लिया कि वह अपनी किडनी देकर पति की जिंदगी बचाएंगी। पत्नी बोलीं- हर जन्म में साथ रहने का वादा किया
शंकर बताते है कि जब पत्नी शीला ने हां की तो उन्होंने समझाया कि इसमें कुछ गड़बड़ हो गई तो बच्चों को कौन देखेगा। इस पर पत्नी शीला ने एक ही बात कही, हर जन्म में साथ निभाने वादा किया है, ऐसे कैसे जाने दूं। शीला ने यह भी कहा कि मेरे लिए आप ही सब कुछ हों। आप ही नहीं रहोगे, तो मैं दो किडनियों का क्या करूंगी। इसके बाद दोनों ने डॉक्टर से बात की। डॉक्टर ने जांच के बाद बताया कि लीला की किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सही है और उम्र के इस पड़ाव में दोनों एक-एक किडनी के साथ स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। पत्नी की किडनी फिट मिली, भाई ने की मदद
शंकर ने बताया कि जांच कराई गई तो पत्नी शीला की किडनी फिट मिली। इसके बाद समस्या आई कि इस पूरे प्रोसेस में करीब 13 लाख का खर्च बताया गया था। इतनी जल्दी कैसे पैसे का अरेंजमेंट हो, यह सवाल परेशान कर रहा था। तभी उनके भाई सुनील भट्‌ट ने अपना फर्ज निभाया और साढ़े 9 लाख की मदद की। इसके बाद सोहना रोड स्थित अस्पताल में उसका ट्रांसप्लांट हुआ। डॉ. सुरजीत ने बताया कि सर्जरी सफल रही और शंकर की जान बच गई। डॉक्टर बोले- शीला ने पूरे समाज को प्रेरित किया
डॉ. सुरजीत ने कहा कि सर्जरी सफल रही और पत्नी शीला की वजह से शंकर की जान बच गई। लीला की इस निस्वार्थ प्यार ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे समाज को प्रेरित किया है। आज दोनों एक-दूसरे का हाथ थामे जिंदगी के नए सफर पर हैं। तीन दिन पहले अस्पताल से छुट्‌टी के वक्त दोनों को डॉक्टर्स ने इस नई शुरुआत के लिए बधाई दी, केक भी कटवाया गया। डॉक्टर ने दोनों को सेहत का बेहद ध्यान रखने की सलाह दी है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर