झज्जर के आदित्य को UPSC में 9वीं रैंक:नौकरी छोड़ पढ़ाई की, परिवार में कोई सरकारी जॉब में नहीं,12वीं में किया था जिला टॉप

झज्जर के आदित्य को UPSC में 9वीं रैंक:नौकरी छोड़ पढ़ाई की, परिवार में कोई सरकारी जॉब में नहीं,12वीं में किया था जिला टॉप

झज्जर में बहादुरगढ़ के आदित्य अग्रवाल ने यूपीएससी में देश भर में 9वीं रैंक हासिल की है। वह दिन में 7 से 8 घंटे पढ़ाई करते थे। घर में कोई भी सरकारी नौकरी न होने के बावजूद भी उन्होंने यूपीएससी में टॉप टेन में जगह बनाई है। सेक्टर-2 में रहने वाले आदित्य का जन्म एक साधारण परिवार में 29 जुलाई 1996 को हुआ। उन्होंने बताया उसका परिवार साधारण है। तभी उनके मन में यूपीएससी करने का इच्छा बनी थी। घर में कोई भी सरकारी नौकरी न होने के बावजूद भी उसने यूपीएससी में टॉप टेन में जगह बनाई है। आदित्य का कहना है कि उसके माता-पिता और बहन के सपोर्ट से ही आज इस मुकाम को हासिल कर पाया है। 5वीं कोशिश में क्लियर हुआ एग्जाम
झज्जर जिले के बहादुरगढ़ के रहने वाले आदित्य ने बताया कि उसने पांचवीं बार के प्रयास में यह मुकाम हासिल करने में कामयाबी मिली है। उसने तीसरी बार यूपीएससी के इंटरव्यू में सफलता मिल पाई है। यह सब उसके माता पिता, बहन और दोस्तों की बदौलत संभव हो पाया है। उसने बताया कि पिछले वर्ष यूपीएससी क्लियर करने वाले उसके दोस्त शोर्य अरोड़ा और शिवांश राठी ने उसे अच्छी तरह गाइड किया। 12 में जिले भर में किया था टॉप आदित्य विक्रम ने अपनी 12वीं तक की पढाई बहादुरगढ़ से ही की है । बीटेक एनआईटी इलाहबाद से करने के बाद आदित्य ने टाटा मोटर्स में एक साल नौकरी भी की और उसके बाद नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। आदित्य ने 12 में जिले भर में टॉप किया था। उससे पहले वह दसवीं कक्षा में जिले भर में दूसरे स्थान पर रहा था। यूपीएससी के लिए छोड़ी नौकरी आदित्य ने बताया कि इलाहाबाद में बीटेक करने के बाद कैंपस प्लेसमेंट में ही उन्हें 2019 में टाटा मोटर्स में नौकरी मिल गई थी। जिसे उसने अपनी यूपीएससी की तैयारी के लिए छोड़ दिया था। इसके अलावा उसे 2023 में पीएनबी में आफिसर की नौकरी मिल गई थी। लेकिन वह उससे संतुष्ट नहीं थे और उस नौकरी को भी उन्होंने जॉइन नहीं किया। वहीं आदित्य की सीजेएल में भी पीएसओ की पोस्ट की ज्वाइनिंग आने वाली थी। पिता प्राइवेट कंपनी में थे मैनेजर, मां हाउस वाइफ आदित्य विक्रम अग्रवाल के पिता बहादुरगढ़ में सोमानी कंपनी में परचेज मैनेजर की पोस्ट पर नौकरी करते थे और मां घर पर ही रहती और परिवार के भरण पोषण का ख्याल रखती हैं। पिता के रिटायरमेंट के बाद आदित्य ने नौकरी करनी चाही। लेकिन एक साल ही काम किया और उसे भी छोड़ दिया था। आदित्य की एक बड़ी बहन है, जो कि आइटी सेक्टर में सोफ्टवेयर इंजीनियर की पोस्ट पर नोएडा में काम करती हैं। उसकी बहन की शादी इसी अप्रैल महीने की 14 तारिख को हुई है। शुरू से ही पढ़ाई में थे होशियार आदित्य की यूपीएससी में 9वीं रैक का पता लगते ही उनके घर पर स्कूल के टीचर बधाई देने पहुंच गए। उन्होंने बताया कि आदित्य पहली से 12 तक एसआर सेंचुरी स्कूल में पढ़ा है। वहां भी उसके नेचर और पढ़ाई हमेशा से बेस्ट रही है। वह स्कूल में हमेशा नंबर एक पर रहा और सबके साथ घुल मिलकर रहता था। 9वीं रैंक की नहीं उम्मीद आदित्य से जब इस अचीवमेंट के बारे में बात की गई, तो उन्होंने कहा कि वह बिल्कुल भी आश्वस्त नहीं था कि टॉप टेन में जगह बना पाएगा। बल्कि उन्हें यह भी भय सता रहा था कि इस बार भी पास हो पाऊंगा या नहीं। खुशी जाहिर करते हुए आदित्य ने भगवान का धन्यवाद किया और श्रेय अपने माता पिता और बहन को दिया। जिम जाने और कुकिंग का शौक आदित्य बताते हैं कि वह शुरू से ही अपने स्वास्थ्य के प्रति थोड़ा पोजेसिव रहा है और जिम जाकर फिटनेस पर विशेष ध्यान रखता है। इसके अलावा उसने बाहर पढ़ाई की है, तो वहां पर कुकिंग करना बेहद अच्छा लगता है। घर में तो मां के साथ हमेशा हाथ बंटाने में वह प्राउड फील करते हैं। खेल में टेबल टेनिस और बैडमिंटन पसंद आदित्य ने बताया कि उनका कोई गेम फुल फेवरेट तो नहीं बना। लेकिन स्कूल में भी और अब भी उन्हें टेबल टेनिस व बैडमिंटन खेलना बेहद पसंद है। वहीं उनके टीचर ने बताया कि वह टेबल टेनिस खेलने में बड़ी रुचि दिखाता रहा है। स्कूल में गेम पीरियड की जब बैल हो जाती तो भी वह टेबल टेनिस खेलता नजर आता था और अगली क्लास की 5 मिनट तो लेता ही था। घर में सब गुलू नाम से बुलाते आदित्य विक्रम अग्रवाल ने यूपीएससी में 9वां रैंक हासिल किया है। विक्रम को घर में प्यार से सब गुलू कहकर बुलाते हैं। उनकी मां कहती हैं मेरे गुलू ने कमाल कर दिखाया। जितनी बार नौकरियां छोड़ी मेरा विश्वास और बढ़ता गया और देश में लाखों बच्चों में से 9वां रैंक हासिल कर लिया। घर में मना जश्न, ढोल की थाप पर थिरके आदित्य के यूपीएससी क्लियर की खुशी में परिवार के सदस्यों ने जमकर जश्न मनाया। घर में ढोल नगाड़े की थाप पर आदित्य अपने माता पिता, परिवार और दोस्तों के संग जमकर नाचा और टॉप टेन में रैंकिंग का जश्न मनाया। वहीं दोस्तों और परिवार के लोगों ने खुशी में पटाखें भी जलाए। 35 साल पहले राजस्थान से आए थे बहादुरगढ़ आदित्य के पिता रामअवतार अग्रवाल ने बताया कि उसकी नौकरी बहादुरगढ़ में होने के कारण वह अपनी पत्नी के साथ 35 साल पहले बहादुरगढ़ आए थे। बहादुरगढ़ आने के बाद ही आदित्य और उसकी बहन का जन्म हुआ था। उन्होंने बताया कि वे राजस्थान के झुंझनु जिले के गांव बिजौली के रहने वाले हैं। उनका पैतृक गांव वहीं पर है। लेकिन अब तो हरियाणा के झज्जर के ही हो गए हैं। झज्जर में बहादुरगढ़ के आदित्य अग्रवाल ने यूपीएससी में देश भर में 9वीं रैंक हासिल की है। वह दिन में 7 से 8 घंटे पढ़ाई करते थे। घर में कोई भी सरकारी नौकरी न होने के बावजूद भी उन्होंने यूपीएससी में टॉप टेन में जगह बनाई है। सेक्टर-2 में रहने वाले आदित्य का जन्म एक साधारण परिवार में 29 जुलाई 1996 को हुआ। उन्होंने बताया उसका परिवार साधारण है। तभी उनके मन में यूपीएससी करने का इच्छा बनी थी। घर में कोई भी सरकारी नौकरी न होने के बावजूद भी उसने यूपीएससी में टॉप टेन में जगह बनाई है। आदित्य का कहना है कि उसके माता-पिता और बहन के सपोर्ट से ही आज इस मुकाम को हासिल कर पाया है। 5वीं कोशिश में क्लियर हुआ एग्जाम
झज्जर जिले के बहादुरगढ़ के रहने वाले आदित्य ने बताया कि उसने पांचवीं बार के प्रयास में यह मुकाम हासिल करने में कामयाबी मिली है। उसने तीसरी बार यूपीएससी के इंटरव्यू में सफलता मिल पाई है। यह सब उसके माता पिता, बहन और दोस्तों की बदौलत संभव हो पाया है। उसने बताया कि पिछले वर्ष यूपीएससी क्लियर करने वाले उसके दोस्त शोर्य अरोड़ा और शिवांश राठी ने उसे अच्छी तरह गाइड किया। 12 में जिले भर में किया था टॉप आदित्य विक्रम ने अपनी 12वीं तक की पढाई बहादुरगढ़ से ही की है । बीटेक एनआईटी इलाहबाद से करने के बाद आदित्य ने टाटा मोटर्स में एक साल नौकरी भी की और उसके बाद नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। आदित्य ने 12 में जिले भर में टॉप किया था। उससे पहले वह दसवीं कक्षा में जिले भर में दूसरे स्थान पर रहा था। यूपीएससी के लिए छोड़ी नौकरी आदित्य ने बताया कि इलाहाबाद में बीटेक करने के बाद कैंपस प्लेसमेंट में ही उन्हें 2019 में टाटा मोटर्स में नौकरी मिल गई थी। जिसे उसने अपनी यूपीएससी की तैयारी के लिए छोड़ दिया था। इसके अलावा उसे 2023 में पीएनबी में आफिसर की नौकरी मिल गई थी। लेकिन वह उससे संतुष्ट नहीं थे और उस नौकरी को भी उन्होंने जॉइन नहीं किया। वहीं आदित्य की सीजेएल में भी पीएसओ की पोस्ट की ज्वाइनिंग आने वाली थी। पिता प्राइवेट कंपनी में थे मैनेजर, मां हाउस वाइफ आदित्य विक्रम अग्रवाल के पिता बहादुरगढ़ में सोमानी कंपनी में परचेज मैनेजर की पोस्ट पर नौकरी करते थे और मां घर पर ही रहती और परिवार के भरण पोषण का ख्याल रखती हैं। पिता के रिटायरमेंट के बाद आदित्य ने नौकरी करनी चाही। लेकिन एक साल ही काम किया और उसे भी छोड़ दिया था। आदित्य की एक बड़ी बहन है, जो कि आइटी सेक्टर में सोफ्टवेयर इंजीनियर की पोस्ट पर नोएडा में काम करती हैं। उसकी बहन की शादी इसी अप्रैल महीने की 14 तारिख को हुई है। शुरू से ही पढ़ाई में थे होशियार आदित्य की यूपीएससी में 9वीं रैक का पता लगते ही उनके घर पर स्कूल के टीचर बधाई देने पहुंच गए। उन्होंने बताया कि आदित्य पहली से 12 तक एसआर सेंचुरी स्कूल में पढ़ा है। वहां भी उसके नेचर और पढ़ाई हमेशा से बेस्ट रही है। वह स्कूल में हमेशा नंबर एक पर रहा और सबके साथ घुल मिलकर रहता था। 9वीं रैंक की नहीं उम्मीद आदित्य से जब इस अचीवमेंट के बारे में बात की गई, तो उन्होंने कहा कि वह बिल्कुल भी आश्वस्त नहीं था कि टॉप टेन में जगह बना पाएगा। बल्कि उन्हें यह भी भय सता रहा था कि इस बार भी पास हो पाऊंगा या नहीं। खुशी जाहिर करते हुए आदित्य ने भगवान का धन्यवाद किया और श्रेय अपने माता पिता और बहन को दिया। जिम जाने और कुकिंग का शौक आदित्य बताते हैं कि वह शुरू से ही अपने स्वास्थ्य के प्रति थोड़ा पोजेसिव रहा है और जिम जाकर फिटनेस पर विशेष ध्यान रखता है। इसके अलावा उसने बाहर पढ़ाई की है, तो वहां पर कुकिंग करना बेहद अच्छा लगता है। घर में तो मां के साथ हमेशा हाथ बंटाने में वह प्राउड फील करते हैं। खेल में टेबल टेनिस और बैडमिंटन पसंद आदित्य ने बताया कि उनका कोई गेम फुल फेवरेट तो नहीं बना। लेकिन स्कूल में भी और अब भी उन्हें टेबल टेनिस व बैडमिंटन खेलना बेहद पसंद है। वहीं उनके टीचर ने बताया कि वह टेबल टेनिस खेलने में बड़ी रुचि दिखाता रहा है। स्कूल में गेम पीरियड की जब बैल हो जाती तो भी वह टेबल टेनिस खेलता नजर आता था और अगली क्लास की 5 मिनट तो लेता ही था। घर में सब गुलू नाम से बुलाते आदित्य विक्रम अग्रवाल ने यूपीएससी में 9वां रैंक हासिल किया है। विक्रम को घर में प्यार से सब गुलू कहकर बुलाते हैं। उनकी मां कहती हैं मेरे गुलू ने कमाल कर दिखाया। जितनी बार नौकरियां छोड़ी मेरा विश्वास और बढ़ता गया और देश में लाखों बच्चों में से 9वां रैंक हासिल कर लिया। घर में मना जश्न, ढोल की थाप पर थिरके आदित्य के यूपीएससी क्लियर की खुशी में परिवार के सदस्यों ने जमकर जश्न मनाया। घर में ढोल नगाड़े की थाप पर आदित्य अपने माता पिता, परिवार और दोस्तों के संग जमकर नाचा और टॉप टेन में रैंकिंग का जश्न मनाया। वहीं दोस्तों और परिवार के लोगों ने खुशी में पटाखें भी जलाए। 35 साल पहले राजस्थान से आए थे बहादुरगढ़ आदित्य के पिता रामअवतार अग्रवाल ने बताया कि उसकी नौकरी बहादुरगढ़ में होने के कारण वह अपनी पत्नी के साथ 35 साल पहले बहादुरगढ़ आए थे। बहादुरगढ़ आने के बाद ही आदित्य और उसकी बहन का जन्म हुआ था। उन्होंने बताया कि वे राजस्थान के झुंझनु जिले के गांव बिजौली के रहने वाले हैं। उनका पैतृक गांव वहीं पर है। लेकिन अब तो हरियाणा के झज्जर के ही हो गए हैं।   हरियाणा | दैनिक भास्कर

झज्जर के आदित्य को UPSC में 9वीं रैंक:नौकरी छोड़ पढ़ाई की, परिवार में कोई सरकारी जॉब में नहीं,12वीं में किया था जिला टॉप

झज्जर के आदित्य को UPSC में 9वीं रैंक:नौकरी छोड़ पढ़ाई की, परिवार में कोई सरकारी जॉब में नहीं,12वीं में किया था जिला टॉप

झज्जर में बहादुरगढ़ के आदित्य अग्रवाल ने यूपीएससी में देश भर में 9वीं रैंक हासिल की है। वह दिन में 7 से 8 घंटे पढ़ाई करते थे। घर में कोई भी सरकारी नौकरी न होने के बावजूद भी उन्होंने यूपीएससी में टॉप टेन में जगह बनाई है। सेक्टर-2 में रहने वाले आदित्य का जन्म एक साधारण परिवार में 29 जुलाई 1996 को हुआ। उन्होंने बताया उसका परिवार साधारण है। तभी उनके मन में यूपीएससी करने का इच्छा बनी थी। घर में कोई भी सरकारी नौकरी न होने के बावजूद भी उसने यूपीएससी में टॉप टेन में जगह बनाई है। आदित्य का कहना है कि उसके माता-पिता और बहन के सपोर्ट से ही आज इस मुकाम को हासिल कर पाया है। 5वीं कोशिश में क्लियर हुआ एग्जाम
झज्जर जिले के बहादुरगढ़ के रहने वाले आदित्य ने बताया कि उसने पांचवीं बार के प्रयास में यह मुकाम हासिल करने में कामयाबी मिली है। उसने तीसरी बार यूपीएससी के इंटरव्यू में सफलता मिल पाई है। यह सब उसके माता पिता, बहन और दोस्तों की बदौलत संभव हो पाया है। उसने बताया कि पिछले वर्ष यूपीएससी क्लियर करने वाले उसके दोस्त शोर्य अरोड़ा और शिवांश राठी ने उसे अच्छी तरह गाइड किया। 12 में जिले भर में किया था टॉप आदित्य विक्रम ने अपनी 12वीं तक की पढाई बहादुरगढ़ से ही की है । बीटेक एनआईटी इलाहबाद से करने के बाद आदित्य ने टाटा मोटर्स में एक साल नौकरी भी की और उसके बाद नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। आदित्य ने 12 में जिले भर में टॉप किया था। उससे पहले वह दसवीं कक्षा में जिले भर में दूसरे स्थान पर रहा था। यूपीएससी के लिए छोड़ी नौकरी आदित्य ने बताया कि इलाहाबाद में बीटेक करने के बाद कैंपस प्लेसमेंट में ही उन्हें 2019 में टाटा मोटर्स में नौकरी मिल गई थी। जिसे उसने अपनी यूपीएससी की तैयारी के लिए छोड़ दिया था। इसके अलावा उसे 2023 में पीएनबी में आफिसर की नौकरी मिल गई थी। लेकिन वह उससे संतुष्ट नहीं थे और उस नौकरी को भी उन्होंने जॉइन नहीं किया। वहीं आदित्य की सीजेएल में भी पीएसओ की पोस्ट की ज्वाइनिंग आने वाली थी। पिता प्राइवेट कंपनी में थे मैनेजर, मां हाउस वाइफ आदित्य विक्रम अग्रवाल के पिता बहादुरगढ़ में सोमानी कंपनी में परचेज मैनेजर की पोस्ट पर नौकरी करते थे और मां घर पर ही रहती और परिवार के भरण पोषण का ख्याल रखती हैं। पिता के रिटायरमेंट के बाद आदित्य ने नौकरी करनी चाही। लेकिन एक साल ही काम किया और उसे भी छोड़ दिया था। आदित्य की एक बड़ी बहन है, जो कि आइटी सेक्टर में सोफ्टवेयर इंजीनियर की पोस्ट पर नोएडा में काम करती हैं। उसकी बहन की शादी इसी अप्रैल महीने की 14 तारिख को हुई है। शुरू से ही पढ़ाई में थे होशियार आदित्य की यूपीएससी में 9वीं रैक का पता लगते ही उनके घर पर स्कूल के टीचर बधाई देने पहुंच गए। उन्होंने बताया कि आदित्य पहली से 12 तक एसआर सेंचुरी स्कूल में पढ़ा है। वहां भी उसके नेचर और पढ़ाई हमेशा से बेस्ट रही है। वह स्कूल में हमेशा नंबर एक पर रहा और सबके साथ घुल मिलकर रहता था। 9वीं रैंक की नहीं उम्मीद आदित्य से जब इस अचीवमेंट के बारे में बात की गई, तो उन्होंने कहा कि वह बिल्कुल भी आश्वस्त नहीं था कि टॉप टेन में जगह बना पाएगा। बल्कि उन्हें यह भी भय सता रहा था कि इस बार भी पास हो पाऊंगा या नहीं। खुशी जाहिर करते हुए आदित्य ने भगवान का धन्यवाद किया और श्रेय अपने माता पिता और बहन को दिया। जिम जाने और कुकिंग का शौक आदित्य बताते हैं कि वह शुरू से ही अपने स्वास्थ्य के प्रति थोड़ा पोजेसिव रहा है और जिम जाकर फिटनेस पर विशेष ध्यान रखता है। इसके अलावा उसने बाहर पढ़ाई की है, तो वहां पर कुकिंग करना बेहद अच्छा लगता है। घर में तो मां के साथ हमेशा हाथ बंटाने में वह प्राउड फील करते हैं। खेल में टेबल टेनिस और बैडमिंटन पसंद आदित्य ने बताया कि उनका कोई गेम फुल फेवरेट तो नहीं बना। लेकिन स्कूल में भी और अब भी उन्हें टेबल टेनिस व बैडमिंटन खेलना बेहद पसंद है। वहीं उनके टीचर ने बताया कि वह टेबल टेनिस खेलने में बड़ी रुचि दिखाता रहा है। स्कूल में गेम पीरियड की जब बैल हो जाती तो भी वह टेबल टेनिस खेलता नजर आता था और अगली क्लास की 5 मिनट तो लेता ही था। घर में सब गुलू नाम से बुलाते आदित्य विक्रम अग्रवाल ने यूपीएससी में 9वां रैंक हासिल किया है। विक्रम को घर में प्यार से सब गुलू कहकर बुलाते हैं। उनकी मां कहती हैं मेरे गुलू ने कमाल कर दिखाया। जितनी बार नौकरियां छोड़ी मेरा विश्वास और बढ़ता गया और देश में लाखों बच्चों में से 9वां रैंक हासिल कर लिया। घर में मना जश्न, ढोल की थाप पर थिरके आदित्य के यूपीएससी क्लियर की खुशी में परिवार के सदस्यों ने जमकर जश्न मनाया। घर में ढोल नगाड़े की थाप पर आदित्य अपने माता पिता, परिवार और दोस्तों के संग जमकर नाचा और टॉप टेन में रैंकिंग का जश्न मनाया। वहीं दोस्तों और परिवार के लोगों ने खुशी में पटाखें भी जलाए। 35 साल पहले राजस्थान से आए थे बहादुरगढ़ आदित्य के पिता रामअवतार अग्रवाल ने बताया कि उसकी नौकरी बहादुरगढ़ में होने के कारण वह अपनी पत्नी के साथ 35 साल पहले बहादुरगढ़ आए थे। बहादुरगढ़ आने के बाद ही आदित्य और उसकी बहन का जन्म हुआ था। उन्होंने बताया कि वे राजस्थान के झुंझनु जिले के गांव बिजौली के रहने वाले हैं। उनका पैतृक गांव वहीं पर है। लेकिन अब तो हरियाणा के झज्जर के ही हो गए हैं। झज्जर में बहादुरगढ़ के आदित्य अग्रवाल ने यूपीएससी में देश भर में 9वीं रैंक हासिल की है। वह दिन में 7 से 8 घंटे पढ़ाई करते थे। घर में कोई भी सरकारी नौकरी न होने के बावजूद भी उन्होंने यूपीएससी में टॉप टेन में जगह बनाई है। सेक्टर-2 में रहने वाले आदित्य का जन्म एक साधारण परिवार में 29 जुलाई 1996 को हुआ। उन्होंने बताया उसका परिवार साधारण है। तभी उनके मन में यूपीएससी करने का इच्छा बनी थी। घर में कोई भी सरकारी नौकरी न होने के बावजूद भी उसने यूपीएससी में टॉप टेन में जगह बनाई है। आदित्य का कहना है कि उसके माता-पिता और बहन के सपोर्ट से ही आज इस मुकाम को हासिल कर पाया है। 5वीं कोशिश में क्लियर हुआ एग्जाम
झज्जर जिले के बहादुरगढ़ के रहने वाले आदित्य ने बताया कि उसने पांचवीं बार के प्रयास में यह मुकाम हासिल करने में कामयाबी मिली है। उसने तीसरी बार यूपीएससी के इंटरव्यू में सफलता मिल पाई है। यह सब उसके माता पिता, बहन और दोस्तों की बदौलत संभव हो पाया है। उसने बताया कि पिछले वर्ष यूपीएससी क्लियर करने वाले उसके दोस्त शोर्य अरोड़ा और शिवांश राठी ने उसे अच्छी तरह गाइड किया। 12 में जिले भर में किया था टॉप आदित्य विक्रम ने अपनी 12वीं तक की पढाई बहादुरगढ़ से ही की है । बीटेक एनआईटी इलाहबाद से करने के बाद आदित्य ने टाटा मोटर्स में एक साल नौकरी भी की और उसके बाद नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। आदित्य ने 12 में जिले भर में टॉप किया था। उससे पहले वह दसवीं कक्षा में जिले भर में दूसरे स्थान पर रहा था। यूपीएससी के लिए छोड़ी नौकरी आदित्य ने बताया कि इलाहाबाद में बीटेक करने के बाद कैंपस प्लेसमेंट में ही उन्हें 2019 में टाटा मोटर्स में नौकरी मिल गई थी। जिसे उसने अपनी यूपीएससी की तैयारी के लिए छोड़ दिया था। इसके अलावा उसे 2023 में पीएनबी में आफिसर की नौकरी मिल गई थी। लेकिन वह उससे संतुष्ट नहीं थे और उस नौकरी को भी उन्होंने जॉइन नहीं किया। वहीं आदित्य की सीजेएल में भी पीएसओ की पोस्ट की ज्वाइनिंग आने वाली थी। पिता प्राइवेट कंपनी में थे मैनेजर, मां हाउस वाइफ आदित्य विक्रम अग्रवाल के पिता बहादुरगढ़ में सोमानी कंपनी में परचेज मैनेजर की पोस्ट पर नौकरी करते थे और मां घर पर ही रहती और परिवार के भरण पोषण का ख्याल रखती हैं। पिता के रिटायरमेंट के बाद आदित्य ने नौकरी करनी चाही। लेकिन एक साल ही काम किया और उसे भी छोड़ दिया था। आदित्य की एक बड़ी बहन है, जो कि आइटी सेक्टर में सोफ्टवेयर इंजीनियर की पोस्ट पर नोएडा में काम करती हैं। उसकी बहन की शादी इसी अप्रैल महीने की 14 तारिख को हुई है। शुरू से ही पढ़ाई में थे होशियार आदित्य की यूपीएससी में 9वीं रैक का पता लगते ही उनके घर पर स्कूल के टीचर बधाई देने पहुंच गए। उन्होंने बताया कि आदित्य पहली से 12 तक एसआर सेंचुरी स्कूल में पढ़ा है। वहां भी उसके नेचर और पढ़ाई हमेशा से बेस्ट रही है। वह स्कूल में हमेशा नंबर एक पर रहा और सबके साथ घुल मिलकर रहता था। 9वीं रैंक की नहीं उम्मीद आदित्य से जब इस अचीवमेंट के बारे में बात की गई, तो उन्होंने कहा कि वह बिल्कुल भी आश्वस्त नहीं था कि टॉप टेन में जगह बना पाएगा। बल्कि उन्हें यह भी भय सता रहा था कि इस बार भी पास हो पाऊंगा या नहीं। खुशी जाहिर करते हुए आदित्य ने भगवान का धन्यवाद किया और श्रेय अपने माता पिता और बहन को दिया। जिम जाने और कुकिंग का शौक आदित्य बताते हैं कि वह शुरू से ही अपने स्वास्थ्य के प्रति थोड़ा पोजेसिव रहा है और जिम जाकर फिटनेस पर विशेष ध्यान रखता है। इसके अलावा उसने बाहर पढ़ाई की है, तो वहां पर कुकिंग करना बेहद अच्छा लगता है। घर में तो मां के साथ हमेशा हाथ बंटाने में वह प्राउड फील करते हैं। खेल में टेबल टेनिस और बैडमिंटन पसंद आदित्य ने बताया कि उनका कोई गेम फुल फेवरेट तो नहीं बना। लेकिन स्कूल में भी और अब भी उन्हें टेबल टेनिस व बैडमिंटन खेलना बेहद पसंद है। वहीं उनके टीचर ने बताया कि वह टेबल टेनिस खेलने में बड़ी रुचि दिखाता रहा है। स्कूल में गेम पीरियड की जब बैल हो जाती तो भी वह टेबल टेनिस खेलता नजर आता था और अगली क्लास की 5 मिनट तो लेता ही था। घर में सब गुलू नाम से बुलाते आदित्य विक्रम अग्रवाल ने यूपीएससी में 9वां रैंक हासिल किया है। विक्रम को घर में प्यार से सब गुलू कहकर बुलाते हैं। उनकी मां कहती हैं मेरे गुलू ने कमाल कर दिखाया। जितनी बार नौकरियां छोड़ी मेरा विश्वास और बढ़ता गया और देश में लाखों बच्चों में से 9वां रैंक हासिल कर लिया। घर में मना जश्न, ढोल की थाप पर थिरके आदित्य के यूपीएससी क्लियर की खुशी में परिवार के सदस्यों ने जमकर जश्न मनाया। घर में ढोल नगाड़े की थाप पर आदित्य अपने माता पिता, परिवार और दोस्तों के संग जमकर नाचा और टॉप टेन में रैंकिंग का जश्न मनाया। वहीं दोस्तों और परिवार के लोगों ने खुशी में पटाखें भी जलाए। 35 साल पहले राजस्थान से आए थे बहादुरगढ़ आदित्य के पिता रामअवतार अग्रवाल ने बताया कि उसकी नौकरी बहादुरगढ़ में होने के कारण वह अपनी पत्नी के साथ 35 साल पहले बहादुरगढ़ आए थे। बहादुरगढ़ आने के बाद ही आदित्य और उसकी बहन का जन्म हुआ था। उन्होंने बताया कि वे राजस्थान के झुंझनु जिले के गांव बिजौली के रहने वाले हैं। उनका पैतृक गांव वहीं पर है। लेकिन अब तो हरियाणा के झज्जर के ही हो गए हैं।   हरियाणा | दैनिक भास्कर