<p style=”text-align: justify;”><strong>Gorakhpur Flood Update:</strong> राप्ती नदी के कहर से गोरखपुर का दक्षिणी बहरामपुर गांव बाढ़ के पानी में डूब गया है. लोगों के घरों में पानी भर गया है. दुकानें डूब गई हैं. सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल जाने वाले बच्चों को हो रही है. क्योंकि गांव आने जाने वाले रास्ते पर सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है और इसी के चलते बच्चों का स्कूल जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>किसी नाव पर 4 स्कूली बच्चे किसी पर 5 बच्चे नाव में बैठे नजर आ रहें. कोई 2 में पढ़ता है तो कोई हाई स्कूल का छात्र है. भविष्य संवारने छोटे छोटे बच्चे नाव पर बैठकर स्कूल पढ़ाई करने जा रहे हैं, लेकिन बच्चे क्या ही करें, कितनी चुनौतियों का सामना करें. पहले नाव में बैठकर स्कूल जाए फिर स्कूल में पढ़ाई करें और फिर वापस नाव में बैठकर घर पहुंचे. बीते 15 दिनों से यही स्थिति बनी हुई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सरकार क्यों नहीं उठा रही ठोस कदम</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रशासन के ऊपर बड़ा सवाल खड़ा होता है कि जब हर साल इसी तरह की स्थितियां हो जाती हैं तो बच्चे के लिए गांव को सही करने और बाढ़ रोकने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जाते, जिससे बच्चों को कम से कम स्कूल जाने के लिए नाव का सहारा ना लेना पड़े. सरकार बड़ा कदम बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए क्यों नहीं उठाया जाता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बच्चों के लिए नहीं मिली सेफ्टी जैकेट</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बच्चों के माता-पिता का कहना है कि क्या ही करें मजबूरी है कि ऐसे बच्चों को नाव<span class=”Apple-converted-space”> </span>से स्कूल भेजना पड़ रहा है, लेकिन जब हर साल ऐसी स्थिति होती है तो सरकार को कोई स्थाई समाधान निकालना चाहिए. वहीं बच्चों को बाढ़ का पानी पार करवाने वाले मल्हार का कहना बच्चों के लिए सेफ्टी जैकेट नहीं मिली, अगर नाव डूबी तो सिर्फ 2 बच्चों को ही बचा पाएंगे.<span class=”Apple-converted-space”> </span></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><span class=”Apple-converted-space”>बच्चों ने क्या कहा?</span></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आर्यावर्त स्कूल में पढ़ने वाली संजना निषाद 8वीं छात्रा डॉक्टर बनना चाहती हैं. उनका कहना है कि बहुत दिक्कत होती है पानी में से निकल कर स्कूल जाना पड़ता है. 1 हफ्ते से ऐसे ही स्कूल जाते हैं. घर में भी पानी भरा है. रवि सहानी का कहना है कि स्कूल जाने के लिए नाव खोजनी पड़ती है. स्कूल वालों को पता है कि लेट हो जाऊंगा. साहिल 8वीं तुलसीदास इंटर कॉलेज में पढ़ते हैं. उनका कहना है कि आने जाने में परेशानी हो रही है. समय से स्कूल नहीं पहुंच पाएंगे. नाव खोजनी पड़ती है. वापस लौटते समय नाव का इंतजार करना पड़ता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”उत्तराखंड में बन रहा पहला सिग्नेचर पुल भरभराकर गिरा, बद्रीनाथ हाईवे पर भयंकर हादसा” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/uttarakhand-first-signature-bridge-being-built-on-badrinath-highway-collapsed-ann-2740445″ target=”_self”>उत्तराखंड में बन रहा पहला सिग्नेचर पुल भरभराकर गिरा, बद्रीनाथ हाईवे पर भयंकर हादसा</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Gorakhpur Flood Update:</strong> राप्ती नदी के कहर से गोरखपुर का दक्षिणी बहरामपुर गांव बाढ़ के पानी में डूब गया है. लोगों के घरों में पानी भर गया है. दुकानें डूब गई हैं. सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल जाने वाले बच्चों को हो रही है. क्योंकि गांव आने जाने वाले रास्ते पर सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है और इसी के चलते बच्चों का स्कूल जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>किसी नाव पर 4 स्कूली बच्चे किसी पर 5 बच्चे नाव में बैठे नजर आ रहें. कोई 2 में पढ़ता है तो कोई हाई स्कूल का छात्र है. भविष्य संवारने छोटे छोटे बच्चे नाव पर बैठकर स्कूल पढ़ाई करने जा रहे हैं, लेकिन बच्चे क्या ही करें, कितनी चुनौतियों का सामना करें. पहले नाव में बैठकर स्कूल जाए फिर स्कूल में पढ़ाई करें और फिर वापस नाव में बैठकर घर पहुंचे. बीते 15 दिनों से यही स्थिति बनी हुई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सरकार क्यों नहीं उठा रही ठोस कदम</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रशासन के ऊपर बड़ा सवाल खड़ा होता है कि जब हर साल इसी तरह की स्थितियां हो जाती हैं तो बच्चे के लिए गांव को सही करने और बाढ़ रोकने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जाते, जिससे बच्चों को कम से कम स्कूल जाने के लिए नाव का सहारा ना लेना पड़े. सरकार बड़ा कदम बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए क्यों नहीं उठाया जाता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बच्चों के लिए नहीं मिली सेफ्टी जैकेट</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बच्चों के माता-पिता का कहना है कि क्या ही करें मजबूरी है कि ऐसे बच्चों को नाव<span class=”Apple-converted-space”> </span>से स्कूल भेजना पड़ रहा है, लेकिन जब हर साल ऐसी स्थिति होती है तो सरकार को कोई स्थाई समाधान निकालना चाहिए. वहीं बच्चों को बाढ़ का पानी पार करवाने वाले मल्हार का कहना बच्चों के लिए सेफ्टी जैकेट नहीं मिली, अगर नाव डूबी तो सिर्फ 2 बच्चों को ही बचा पाएंगे.<span class=”Apple-converted-space”> </span></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><span class=”Apple-converted-space”>बच्चों ने क्या कहा?</span></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आर्यावर्त स्कूल में पढ़ने वाली संजना निषाद 8वीं छात्रा डॉक्टर बनना चाहती हैं. उनका कहना है कि बहुत दिक्कत होती है पानी में से निकल कर स्कूल जाना पड़ता है. 1 हफ्ते से ऐसे ही स्कूल जाते हैं. घर में भी पानी भरा है. रवि सहानी का कहना है कि स्कूल जाने के लिए नाव खोजनी पड़ती है. स्कूल वालों को पता है कि लेट हो जाऊंगा. साहिल 8वीं तुलसीदास इंटर कॉलेज में पढ़ते हैं. उनका कहना है कि आने जाने में परेशानी हो रही है. समय से स्कूल नहीं पहुंच पाएंगे. नाव खोजनी पड़ती है. वापस लौटते समय नाव का इंतजार करना पड़ता है.</p>
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