गोरखपुर में बर्ड फ्लू का खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। गोरखपुर चिड़ियाघर से शुरू हुआ यह संक्रमण अब चिकन शॉप तक पहुंच गया है। मुर्गे के मीट की दुकानों पर बर्ड फ्लू की पुष्टि होते ही जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है। अब तक यहां एक हजार से अधिक मुर्गों में संक्रमण की आशंका होने पर उन्हें नगर निगम की टीम ने मारकर जमीन में दफना दिया है। जबकि, 21 दिनों तक मुर्गे के मीट की बिक्री पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है। ऐसे में मुर्गी फार्मों से लेकर मीट बेचने वाले दुकानदारों का काफी अधिक नुकसान हो रहा है। तय मानक के अनुसार मिलेगा मुआवजा हालांकि, बर्ड फ्लू से हुए मीट व्यापारियों के नुकसान की भरपाई करने के लिए जिला प्रशासन उन्हें मुआवजा देगा। डीएम कृष्णा करुणेश ने बताया कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन के तहत व्यापारियों के नुकसान का आंकलन कराया जा रहा है। 90 से 120 रुपये प्रति पीस तय मानक के अनुसार वायपारियों को मुआवजा भी दिया जाएगा। लेकिन, एहतियात के तौर पर फिलहाल जब तक संक्रमण पूरी तरह खत्म नहीं होता, तब तक मुर्गे के मांस की बिक्री पर पूरी तरह से रोक जारी रहेगी। भोपाल लैब की रिपोर्ट ने खोली मीट बाजार की सच्चाई दरअसल, 20 मई को नगर निगम की टीमों ने झुंगिया बाजार, तारामंडल, शास्त्री चौक, एचएन सिंह चौराहा और हड़हवा फाटक समेत कई क्षेत्रों की मीट दुकानों से सैंपल इकट्ठा किए थे। भोपाल स्थित प्रयोगशाला से आई रिपोर्ट में मुर्गे के मीट, चॉपिंग बोर्ड, छूरी, गंदे पानी और आफेल में बर्ड फ्लू वायरस की पुष्टि हुई है। खास बात यह है कि वायरस वही है, जिसने चिड़ियाघर के जानवरों की जान ली थी — यानी H5N1 और H9N2। इस रिपोर्ट के बाद संक्रमण के शहरी फैलाव की पुष्टि हो गई। अब यह मान लिया गया है कि वायरस केवल पक्षियों तक सीमित नहीं, बल्कि मांस के ज़रिए भी फैल रहा है। संक्रमित दुकानों पर सख्त कार्रवाई जिन इलाकों से वायरस की पुष्टि हुई है, वहां 1000 जिंदा मुर्गों को प्रशासन की निगरानी में मारा गया और गड्ढा खोदकर उन्हें जमीन में दफनाया गया। संक्रमण फैलने की संभावना को रोकने के लिए 19 दुकानों को तुरंत सील कर दिया गया और पूरे इलाके को सैनिटाइज किया गया। इसके अलावा, एहतियात के तौर पर पूरे शहर में मीट और चिकन की बिक्री पर 21 दिनों तक रोक लगा दी गई है। प्रशासन ने बनाया कंटेनमेंट प्लान संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने 1 किलोमीटर के दायरे को ‘इंफेक्टेड जोन’ और 10 किलोमीटर तक के क्षेत्र को ‘सर्विलांस जोन’ घोषित किया है। इंफेक्टेड जोन में किसी भी तरह के पोल्ट्री उत्पाद की बिक्री, परिवहन और संग्रहण पर पूर्ण रोक लगा दी गई है। वहीं, सर्विलांस जोन में स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार डोर-टू-डोर सर्वे कर रही हैं। रैपिड रिस्पॉन्स टीमें अलर्ट मोड पर हैं और किसी भी तरह के लक्षण मिलने पर तुरंत रिपोर्टिंग और नमूना संग्रह किया जा रहा है। सभी मीट दुकानों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि बिना अनुमति कोई भी दुकान न खोली जाए, अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की संयुक्त निगरानी स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम और पशुपालन विभाग की संयुक्त टीमें पूरे मामले पर लगातार नजर रखे हुए हैं। संक्रमण की रोकथाम के लिए शहर में जागरूकता अभियान भी शुरू किया गया है। मुनादी के जरिए लोगों को मीट और चिकन के सेवन से परहेज की सलाह दी जा रही है। डॉक्टरों की टीम ने साफ कहा है कि वायरस गंभीर है और इंसानों में भी संक्रमण का खतरा मौजूद है, इसलिए किसी भी तरह की लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। गोरखपुर में बर्ड फ्लू का खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। गोरखपुर चिड़ियाघर से शुरू हुआ यह संक्रमण अब चिकन शॉप तक पहुंच गया है। मुर्गे के मीट की दुकानों पर बर्ड फ्लू की पुष्टि होते ही जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है। अब तक यहां एक हजार से अधिक मुर्गों में संक्रमण की आशंका होने पर उन्हें नगर निगम की टीम ने मारकर जमीन में दफना दिया है। जबकि, 21 दिनों तक मुर्गे के मीट की बिक्री पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है। ऐसे में मुर्गी फार्मों से लेकर मीट बेचने वाले दुकानदारों का काफी अधिक नुकसान हो रहा है। तय मानक के अनुसार मिलेगा मुआवजा हालांकि, बर्ड फ्लू से हुए मीट व्यापारियों के नुकसान की भरपाई करने के लिए जिला प्रशासन उन्हें मुआवजा देगा। डीएम कृष्णा करुणेश ने बताया कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन के तहत व्यापारियों के नुकसान का आंकलन कराया जा रहा है। 90 से 120 रुपये प्रति पीस तय मानक के अनुसार वायपारियों को मुआवजा भी दिया जाएगा। लेकिन, एहतियात के तौर पर फिलहाल जब तक संक्रमण पूरी तरह खत्म नहीं होता, तब तक मुर्गे के मांस की बिक्री पर पूरी तरह से रोक जारी रहेगी। भोपाल लैब की रिपोर्ट ने खोली मीट बाजार की सच्चाई दरअसल, 20 मई को नगर निगम की टीमों ने झुंगिया बाजार, तारामंडल, शास्त्री चौक, एचएन सिंह चौराहा और हड़हवा फाटक समेत कई क्षेत्रों की मीट दुकानों से सैंपल इकट्ठा किए थे। भोपाल स्थित प्रयोगशाला से आई रिपोर्ट में मुर्गे के मीट, चॉपिंग बोर्ड, छूरी, गंदे पानी और आफेल में बर्ड फ्लू वायरस की पुष्टि हुई है। खास बात यह है कि वायरस वही है, जिसने चिड़ियाघर के जानवरों की जान ली थी — यानी H5N1 और H9N2। इस रिपोर्ट के बाद संक्रमण के शहरी फैलाव की पुष्टि हो गई। अब यह मान लिया गया है कि वायरस केवल पक्षियों तक सीमित नहीं, बल्कि मांस के ज़रिए भी फैल रहा है। संक्रमित दुकानों पर सख्त कार्रवाई जिन इलाकों से वायरस की पुष्टि हुई है, वहां 1000 जिंदा मुर्गों को प्रशासन की निगरानी में मारा गया और गड्ढा खोदकर उन्हें जमीन में दफनाया गया। संक्रमण फैलने की संभावना को रोकने के लिए 19 दुकानों को तुरंत सील कर दिया गया और पूरे इलाके को सैनिटाइज किया गया। इसके अलावा, एहतियात के तौर पर पूरे शहर में मीट और चिकन की बिक्री पर 21 दिनों तक रोक लगा दी गई है। प्रशासन ने बनाया कंटेनमेंट प्लान संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने 1 किलोमीटर के दायरे को ‘इंफेक्टेड जोन’ और 10 किलोमीटर तक के क्षेत्र को ‘सर्विलांस जोन’ घोषित किया है। इंफेक्टेड जोन में किसी भी तरह के पोल्ट्री उत्पाद की बिक्री, परिवहन और संग्रहण पर पूर्ण रोक लगा दी गई है। वहीं, सर्विलांस जोन में स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार डोर-टू-डोर सर्वे कर रही हैं। रैपिड रिस्पॉन्स टीमें अलर्ट मोड पर हैं और किसी भी तरह के लक्षण मिलने पर तुरंत रिपोर्टिंग और नमूना संग्रह किया जा रहा है। सभी मीट दुकानों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि बिना अनुमति कोई भी दुकान न खोली जाए, अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की संयुक्त निगरानी स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम और पशुपालन विभाग की संयुक्त टीमें पूरे मामले पर लगातार नजर रखे हुए हैं। संक्रमण की रोकथाम के लिए शहर में जागरूकता अभियान भी शुरू किया गया है। मुनादी के जरिए लोगों को मीट और चिकन के सेवन से परहेज की सलाह दी जा रही है। डॉक्टरों की टीम ने साफ कहा है कि वायरस गंभीर है और इंसानों में भी संक्रमण का खतरा मौजूद है, इसलिए किसी भी तरह की लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
गोरखपुर में बर्ड फ्लू से हुए नुकसान का मिलेगा मुआवजा:संक्रमण के खतरे को देख अभी बंद रहेगी चिकन की बिक्री, व्यापारियों को हो रहा भारी नुकसान
