करनाल जिले के घरौंडा की भोला कॉलोनी में एक 91 वर्षीय बुजुर्ग की मौत के बाद परिवार में विवाद खड़ा हो गया। दाह संस्कार की तैयारी के बीच छोटे बेटे ने बड़े भाई पर हत्या का आरोप लगाकर पुलिस को बुला लिया। विवाद बढ़ता देख पुलिस ने बुजुर्ग के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। युवक ने पुलिस को दी सूचना पुलिस के मुताबिक 91 वर्षीय बुजुर्ग इंद्र सिंह मूलरुप से नारा गांव के रहने वाले थे, पहले 8-9 महीने तक छोटे बेटे शमशेर के पास रहते थे, लेकिन करीब पांच-छह महीने से अपने बड़े लड़के दलबीर के पास घरौंडा में रह रहे थे। वे काफी बीमार भी थे, जिनका इलाज अस्पताल में चल रहा था। 24 दिसंबर को उनकी मौत हो गई थी। आज दाह संस्कार की तैयारी चल रही थी, तभी छोटे बेटे ने सूचना दी। 24 दिसंबर को हुई थी मौत मृतक के बड़े लड़के दलबीर सिंह ने बताया कि उसके पिता इंद्र सिंह करीब 91 साल के थे, जो लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका अस्पताल में इलाज भी चल रहा था, लेकिन 24 दिसंबर को करीब पौने तीन बजे इनकी तबीयत बिगड़ी और मौत हो गई। चूंकि बुजुर्ग का आखिर वक्त था, इसलिए दाह संस्कार में कोई जल्दबाजी नहीं की और अगले दिन ही दाह संस्कार करने का फैसला लिया। मैं गलत होता, तो गांव साथ नहीं होता आज सुबह दाह संस्कार की तैयारी कर रहे थे। अर्थी भी तैयार हो चुकी थी। मेरे छोटे भाई के दिमाग में पता नहीं क्या आया, उसने संस्कार रूकवा दिया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए करनाल भिजवा दिया। हमने अपनी तरफ से पिता की पूरी सेवा की है। मेरा भाई अकेला घूम रहा है और मेरे साथ पूरा गांव खड़ा है, अगर मैं गलत होता तो गांव क्यों साथ खड़ा होता। बिगड़ती चली गई नाना की तबीयत मृतक के नातिन नवीन मलिक ने बताया कि इससे पहले मेरे नाना नारा गांव में छोटे मामा शमशेर सिंह के पास ही थे। उन्होंने उनकी कोई देखभाल नहीं की, उनकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब होती जा रही थी। मेरे बड़े मामा मेरे नाना को अपने पास लेकर आ गए थे और इनका इलाज करवाया और तरह से सेवा की। किसी तरह का कोई भी प्रॉपर्टी का विवाद नहीं है। छोटे मामा उल्टे सीधे काम कर लोगों से पैसा ऐंठते है। मामले में भी वह कुछ ऐसी ही मंशा रखे हुए है। मेरे बड़े मामा ने बड़ी अच्छी तरह से सेवा की थी और सिर्फ एक नेचुरल डेथ है। पोस्टमॉर्टम में पता चलेगा कारण घरौंडा थाने के जांच अधिकारी मनजीत सिंह ने बताया कि नारा गांव के एक व्यक्ति ने पुलिस को सूचना दी, कि भोला कालोनी में मेरे भाई ने मेरे पिता की हत्या की है और उसका दाह संस्कार करने के लिए ले जा रहे है। जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और हमने शव को कब्जे में ले लिया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ही पता चल पाएगा कि मौत कैसे हुई। जिस तरह की शिकायत प्राप्त होगी, उस प्रकार से कार्रवाई होगी। वहीं थाना प्रभारी राजपाल ने बताया कि पोस्टमॉर्टम करवाया गया है। शव घरौंडा में परिवार को सौंप दिया गया है, जांच जारी है। करनाल जिले के घरौंडा की भोला कॉलोनी में एक 91 वर्षीय बुजुर्ग की मौत के बाद परिवार में विवाद खड़ा हो गया। दाह संस्कार की तैयारी के बीच छोटे बेटे ने बड़े भाई पर हत्या का आरोप लगाकर पुलिस को बुला लिया। विवाद बढ़ता देख पुलिस ने बुजुर्ग के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। युवक ने पुलिस को दी सूचना पुलिस के मुताबिक 91 वर्षीय बुजुर्ग इंद्र सिंह मूलरुप से नारा गांव के रहने वाले थे, पहले 8-9 महीने तक छोटे बेटे शमशेर के पास रहते थे, लेकिन करीब पांच-छह महीने से अपने बड़े लड़के दलबीर के पास घरौंडा में रह रहे थे। वे काफी बीमार भी थे, जिनका इलाज अस्पताल में चल रहा था। 24 दिसंबर को उनकी मौत हो गई थी। आज दाह संस्कार की तैयारी चल रही थी, तभी छोटे बेटे ने सूचना दी। 24 दिसंबर को हुई थी मौत मृतक के बड़े लड़के दलबीर सिंह ने बताया कि उसके पिता इंद्र सिंह करीब 91 साल के थे, जो लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका अस्पताल में इलाज भी चल रहा था, लेकिन 24 दिसंबर को करीब पौने तीन बजे इनकी तबीयत बिगड़ी और मौत हो गई। चूंकि बुजुर्ग का आखिर वक्त था, इसलिए दाह संस्कार में कोई जल्दबाजी नहीं की और अगले दिन ही दाह संस्कार करने का फैसला लिया। मैं गलत होता, तो गांव साथ नहीं होता आज सुबह दाह संस्कार की तैयारी कर रहे थे। अर्थी भी तैयार हो चुकी थी। मेरे छोटे भाई के दिमाग में पता नहीं क्या आया, उसने संस्कार रूकवा दिया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए करनाल भिजवा दिया। हमने अपनी तरफ से पिता की पूरी सेवा की है। मेरा भाई अकेला घूम रहा है और मेरे साथ पूरा गांव खड़ा है, अगर मैं गलत होता तो गांव क्यों साथ खड़ा होता। बिगड़ती चली गई नाना की तबीयत मृतक के नातिन नवीन मलिक ने बताया कि इससे पहले मेरे नाना नारा गांव में छोटे मामा शमशेर सिंह के पास ही थे। उन्होंने उनकी कोई देखभाल नहीं की, उनकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब होती जा रही थी। मेरे बड़े मामा मेरे नाना को अपने पास लेकर आ गए थे और इनका इलाज करवाया और तरह से सेवा की। किसी तरह का कोई भी प्रॉपर्टी का विवाद नहीं है। छोटे मामा उल्टे सीधे काम कर लोगों से पैसा ऐंठते है। मामले में भी वह कुछ ऐसी ही मंशा रखे हुए है। मेरे बड़े मामा ने बड़ी अच्छी तरह से सेवा की थी और सिर्फ एक नेचुरल डेथ है। पोस्टमॉर्टम में पता चलेगा कारण घरौंडा थाने के जांच अधिकारी मनजीत सिंह ने बताया कि नारा गांव के एक व्यक्ति ने पुलिस को सूचना दी, कि भोला कालोनी में मेरे भाई ने मेरे पिता की हत्या की है और उसका दाह संस्कार करने के लिए ले जा रहे है। जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और हमने शव को कब्जे में ले लिया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ही पता चल पाएगा कि मौत कैसे हुई। जिस तरह की शिकायत प्राप्त होगी, उस प्रकार से कार्रवाई होगी। वहीं थाना प्रभारी राजपाल ने बताया कि पोस्टमॉर्टम करवाया गया है। शव घरौंडा में परिवार को सौंप दिया गया है, जांच जारी है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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शंभू बॉर्डर अभी नहीं खुलेगा:SC ने कमेटी बनाई, ये ट्रैक्टर हटाने के लिए किसानों से बात करेगी; कहा- मुद्दों का राजनीतीकरण नहीं हो
शंभू बॉर्डर अभी नहीं खुलेगा:SC ने कमेटी बनाई, ये ट्रैक्टर हटाने के लिए किसानों से बात करेगी; कहा- मुद्दों का राजनीतीकरण नहीं हो हरियाणा-पंजाब का शंभू बॉर्डर अभी नहीं खुलेगा। सोमवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हाईपावर कमेटी गठित कर रहे हैं, लेकिन कोई मुद्दे तय नहीं कर रहे हैं। यह अधिकार कमेटी को दे रहे हैं। इस कमेटी में पंजाब और हरियाणा के अधिकारी भी शामिल हैं। हाईपावर कमेटी को आंदोलनकारी किसानों के बीच पहुंचकर अपने ट्रैक्टर हटाने का अनुरोध करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी नसीहत दी कि इस मामले का राजनीतिकरण न किया जाए। मुद्दे बहुत संवेदनशील होते हैं, इसलिए संतुलित रुख अपनाना चाहिए। पिछली 2 सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर को आंशिक तौर पर यानी एक लेन खोलने को कहा था। इस मामले में किसानों की पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों से मीटिंग भी हुई यह बेनतीजा रहीं। हरियाणा पुलिस का कहना था कि किसान दिल्ली जाएं, लेकिन ट्रैक्टर लेकर न जाएं। किसान ट्रैक्टर समेत जाने पर अड़े रहे। कोर्ट रूम लाइव पढ़ें… एएजी पंजाब: हमने वह मुद्दा दे दिया है, जिस पर किसान फैसला चाहते हैं।
जस्टिस कांत: कृपया इन मुद्दों का राजनीतीकरण न करें, हमें आज इससे ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है। जस्टिस कांत: हम समिति का गठन कर रहे हैं, हम मुद्दे तैयार नहीं कर रहे हैं। हम समिति से ऐसा करने के लिए कह रहे हैं। जस्टिस कांत ने आदेश पढ़ते हुए कहा कि समिति किसानों के मुद्दों को हल करने के तौर-तरीकों पर गौर करेगी। जस्टिस कांत: हम शुरू में कह सकते हैं कि पंजाब व हरियाणा राज्य द्वारा सुझाए गए नाम उच्च निष्ठा वाले व्यक्ति हैं, जो कृषि में अनुभवी हैं। हम यह कहने में जल्दबाजी कर सकते हैं कि किसान वर्गों की एक बड़ी आबादी है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। जस्टिस कांत: हमें लगता है कि मुद्दों को तैयार करने के लिए हाईकोर्ट समिति से अनुरोध करना अधिक उचित होगा। पीठ का कहना है कि सदस्य सचिव मुद्दों का सूत्रीकरण हाईपावर कमेटी को दे सकते हैं। जस्टिस कांत: हमें आशा और विश्वास है कि मुद्दों पर गौर करने के लिए एक तटस्थ समिति प्रदान करने की किसानों की आकांक्षा का गठन किया जाएगा। जस्टिस कांत: किसान अपने शांतिपूर्ण आंदोलन को ऐसे आवंटित स्थलों पर स्थनांतरित करने के लिए स्वतंत्र होंगे। जस्टिस कांत: जो लोग दोनों राज्यों की जमीनी हकीकत से वाकिफ हैं, हमने एक संतुलित संरचना बनाने की कोशिश की है, किसानों के मुद्दे वास्तविक हैं, उन्हें एक तटस्थ निकाय द्वारा निपटाया जाना चाहिए, लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी और को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। बेंच ने हाईकोर्ट कमेटी के सदस्य सचिव को अगली सुनवाई पर अग्रिम स्थिति रिपोर्ट रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया। एजी पंजाब: माय लॉर्ड्स ने बहुत अच्छी तरह से नोट किया कि इसका राजनीतीकरण नहीं किया जाना चाहिए।
जस्टिस कांत: मुद्दे बेहद संवेदनशील होते हैं, इसलिए संतुलन का रुख अपनाना चाहिए। शंभू बॉर्डर खोलने के लिए 2 मीटिंग विफल रहीं
शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों को मनाने के लिए 25 अगस्त को रखी गई पंजाब और हरियाणा के पुलिस अधिकारियों की बैठक विफल रही। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 5 दिन में दूसरी बार पुलिस अधिकारियों ने किसानों के साथ बैठक की थी, लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं। किसान इस बात पर अड़े रहे कि वे अपने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को नहीं छोड़ेंगे और इन्हीं से दिल्ली कूच करेंगे। एक घंटे तक चली इस बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई। पुलिस लाइन में एडीजीपी (इंटेलिजेंस) जसकरण सिंह और एआईजी संदीप गर्ग के अलावा पटियाला के डीसी व एसएसपी और हरियाणा के अंबाला जिले के एसपी और एसडीएम किसानों से बैठक करने के लिए पहुंचे थे। कोर्ट ने आंशिक तौर पर बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे
12 अगस्त को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर को आंशिक रूप से खोलने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि सह हाईवेज पार्किंग की जगह नहीं हैं। एक हफ्ते के भीतर एंबुलेंस, सीनियर सिटीजंस, महिलाओं, छात्रों, आदि के लिए हाईवे की एक लेन खोली जाए। फरवरी से चल रहा संघर्ष
फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर पंजाब के किसान फरवरी-2024 से आंदोलन पर हैं। ऐसे में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने हरियाणा और पंजाब के अंबाला के पास शंभू बॉर्डर को बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। किसानों ने बॉर्डर पर पंजाब की तरफ स्थायी मोर्चा बना लिया। ऐसे में वहां से आवाजाही बंद है। इसके चलते अंबाला के व्यापारियों को परेशानी हो रही है। इस कारण उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। जानिए, किसान आंदोलन में अभी तक क्या हुआ
हरियाणा के 22 जिलों में टीबी मुक्त भारत अभियान लॉन्च:65 वैनों को किया शामिल, हाई रिस्क एरिया में लगेंगे शिविर
हरियाणा के 22 जिलों में टीबी मुक्त भारत अभियान लॉन्च:65 वैनों को किया शामिल, हाई रिस्क एरिया में लगेंगे शिविर पंचकूला में स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डा. मनीष बंसल ने कहा कि टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत आज से प्रदेश में 65 वैनों को शामिल किया गया है। जिला स्तर के निर्देश अनुसार गांव, मोहल्ले के हाई रिस्क एरिया में जाकर शिविर लगाएगी। उन्होंने बताया कि ये मशीनें संदिग्ध का पहले एक्स-रे करेंगे, फिर बलगम की जांच करेंगे और 24 घंटे में टीबी की पुष्टि होने पर उसका इलाज शुरू करेंगे। महानिदेशक ने की प्रेसवार्ता स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डा. मनीष बंसल आज सेक्टर-5 पंचकूला स्थित इंद्रधनुष ऑडिटोरियम के कॉन्फ्रेंस हॉल में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उनके साथ डीजीएस प्रोग्राम डा. कुलदीप, सीएमओ डा. मुक्ता कुमार भी मौजूद रहीं। उन्होंने बताया कि टीबी मुक्त भारत अभियान की शुरुआत आज से की गई है। प्रदेश के सभी 22 जिलों में अभियान लॉन्च किया। साथ ही माइक्रो प्लान बनाकर उस पर काम शुरू कर दिया है। इससे पहले भी टीबी की बीमारी को लेकर विभाग सतर्क रहा है। किसी भी अंग में हो सकती है टीबी इसमें विभाग की आशा वर्कर, एएनएम व स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव-गांव में लोगों के बीच अपना काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि अब विभाग को उन लोगों की तरफ ध्यान रहेगा, जो निम्न वर्ग से संबंध रखता था, हाई रिस्क क्षेत्र में रहता है। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति को दो सप्ताह से ज्यादा बुखार, खांसी हो, बलगम आनी शुरू हो जाए, लगातार वनज कम हो रहा हो या फिर खांसी के साथ खून आता हो। उन्होंने बताया कि टीबी की बीमारी किसी भी अंग में हो सकती है। किसी भी प्रकार का लक्षण दिखने पर जांच करवानी चाहिए। विभाग अब ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच कर टीबी के मरीजों की पहचान करेगी, ताकि उनका इलाज करके टीबी को खत्म किया जा सके।
बठिंडा बस हादसा, किसानों ने दिया धरना:नौकरी-मुआवजे की मांग, हरियाणा की रहने वाली थी 6 बेटियों की मां, जा रही थी मायके
बठिंडा बस हादसा, किसानों ने दिया धरना:नौकरी-मुआवजे की मांग, हरियाणा की रहने वाली थी 6 बेटियों की मां, जा रही थी मायके बठिंडा में हुए बस हादसे में हुई एक महिला की मौत के बाद आज मुआवजे की मांग को लेकर बीकेयू उग्राहां से जुडे़े किसानों ने सरकारी अस्पताल के बाहर धरना दिया। किसान नेताओं ने परिवार को 10 लाख का मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग की है। बता दें कि बठिंडा के गांव चुग्गेवाला निवासी परमजीत कौर की बस हादसे में मौत हो गई थी। परमजीत कौर अपनी दो बेटियों के साथ हरियाणा के गांव हुकमांवाली स्थित अपने मायके जा रही थी। हालांकि, उनकी एक बेटी ने अपनी छोटी बहन को हिम्मत से बचा लिया और खुद भी मौत के मुंह से बाहर निकली। मां को नहीं बचा सकी : गगनदीप कौर बेटी गगनदीप कौर ने बताया कि उसने बस की पाइप का सहारा लिया और अपनी छोटी बहन को गोद में लेकर बचाया। उसने अपनी मां को भी बाहर निकालने की पूरी कोशिश की और उनका हाथ पकड़ा, लेकिन दुर्भाग्यवश उसकी मां की जान नहीं बच सकी। मृतका के पति प्रेम कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी अपने मायके जा रही थी। वह अपनी चार बेटियों को साथ लेकर जाने वाली थीं, लेकिन दो बेटियों ने मायके जाने से इनकार कर दिया। इस वजह से वह केवल दो बेटियों के साथ ही गई थीं। मृतका के पति ने यह भी बताया कि उनकी पत्नी घर चलाने में उनका साथ देती थीं। वह शादी और अन्य कार्यक्रमों में रोटियां पकाने का काम करती थीं। गांववासियों ने इस परिवार के लिए सरकार से मदद की अपील की है, क्योंकि इस परिवार में छह बेटियां थीं, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है और एक को रिश्तेदार ने गोद ले लिया था। अब चार बेटियों की परवरिश मृतका और उनके पति मिलकर करते थे। पंजाब सरकार ने नहीं जाना हालचाल : जगदेव इस घटना ने परिवार को गहरे संकट में डाल दिया है, और गांववासी सरकार से आर्थिक सहायता की मांग कर रहे हैं। उधर, मृतकों के परिवारों को मुआवजा दिलाने की मांग को लेकर बीकेयू उगराहां ने तलवंडी साबो सरकारी अस्पताल के बाहर धरना दिया। किसान नेता जगदेव सिंह लेलेवाला ने कहा कि जब तक हर परिवार को 10 लाख रुपए मुआवजा और एक सदस्य को नौकरी नहीं मिलती तब तक परिवार के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मुआवजे का ऐलान कर दिया, जबकि पंजाब सरकार ने अब तक परिवार का दुख तक नहीं जाना मुआवजा तो दूर की बात है।