घर में घुसकर नोंच-खा जाते हैं कुत्ते:बलिया के 8 गांव में होली तक नहीं मनी; गावों में सन्नाटा, बच्चों ने स्कूल छोड़ा

घर में घुसकर नोंच-खा जाते हैं कुत्ते:बलिया के 8 गांव में होली तक नहीं मनी; गावों में सन्नाटा, बच्चों ने स्कूल छोड़ा

बलिया में कुत्तों का आतंक ऐसा कि लोग होली तक नहीं मना सके। डर की वजह से घर से बाहर ही नहीं निकल रहे। बच्चों ने स्कूल और किसानों ने खेत जाना छोड़ दिया। दिन में भी लोग घर में कैद रह रहे। सड़कें वीरान पड़ी हैं। अगर घर से निकल भी रहे तो झुंड में और लाठी-डंडे लेकर। यहां आसपास कुत्ते झुंड बनाकर रह रहे हैं। लोगों को देखते ही टूट पड़ते हैं। दरवाजा खुला देख घर में घुसकर ही नोच-खा जाते हैं। यहां पिछले 3 महीने में कुत्तों के झुंड ने 3000 लोगों को अपना शिकार बनाया। इसमें 450 से ज्यादा बच्चे हैं। सोनबरसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर हर दिन 20-22 लोग रैबीज का इंजेक्शन लगवा रहे। ये हाल बैरिया तहसील के बहुआरा, श्रीपालपुर, लालगंज, सेमरिया, बकुलहां, गड़ेरिया, बैरिया और धतुरीटोला गांव का है। यहां रोजाना 1-2 केस आ रहे हैं। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित बहुआरा और श्रीपालपुर गांव हैं। दैनिक भास्कर की टीम जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर बैरिया तहसील के उन गांवों में पहुंची। जहां पर कुत्तों ने आतंक मचा रखा है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… हर 500 मीटर पर दिखता है कुत्तों का झुंड
टीम सबसे पहले बैरिया तहसील के बहुआरा गांव पहुंची। इस गांव में कुत्तों का आतंक सबसे ज्यादा है। गांव के लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे। हर कच्ची-पक्की सड़क पर खूंखार कुत्तों के झुंड बैठे दिख जाएंगे। टीम जब यहां पहुंची तो गांव के बाहर कुत्तों का झुंड दिखा। गनीमत रही कि लाठी-डंडों से लैस लोगों का झुंड गांव के बाहर ही मिल गया। फिर हम उनके साथ गांव जाने के लिए निकले। गांव में घुसते ही कुत्तों का झुंड हम पर टूट पड़ा। हमला करने की कोशिश की। लेकिन गांव के लोगों ने लाठी-डंडों से कुत्तों को भगाया। हम आगे बढ़े तो गांव की गलियों में सन्नाटा दिखा। सबके दरवाजे बंद थे। अभी 500 मीटर ही बढ़े थे कि 15-20 कुत्तों का झुंड नजर आए। अब गांव में फैली दहशत की वजह समझ आई। फिर हम कुत्तों के हमले में घायलों के घर के लिए निकले। 17 मार्च को इस गांव के 85 लोगों को कुत्तों ने काटा था। जिसमें 36 बच्चे, बाकी महिलाएं और पुरुष थे। इसमें अधिकतर हमले घर में घुसकर किए गए। परिवार वालों ने बताया कि बच्चों को ज्यादा खतरा है। कहीं गलती से दरवाजा खुला छूट गया तो कुत्ते घर में घुसकर हमला कर देते हैं। स्कूल जाना तो बहुत दूर की बात है। बच्चे घर के बाहर खेल तक नहीं सकते हैं। हर समय घर के दरवाजे बंद करके रखने पड़ते हैं। होली का त्योहार भी हम लोगों ने ऐसे ही बंद घर में मनाया। कोई बाहरी व्यक्ति गांव में नहीं आ सकता है। होली पर भी कोई मेहमान गांव में नहीं आया। सबसे पहले स्थानीय दुकानदार लक्ष्मण सिंह ने बताया- गांव में कुत्तों का इतना आतंक पहले कभी नहीं था। हर रोज एक से दो लोगों को काट रहे हैं। मेरी दुकान पर भी कोई नहीं आता है। कोई भी घर से नहीं निकलता है। हर सड़क पर कुत्ते टहल रहे है। होली के दिन भी लोगों के दरवाजे बंद रहे
अब हम कुत्तों के हमले में घायल मुस्कान पांडेय के घर पहुंचे। उन्होंने बताया- होली का दिन था। मैं कुछ सामान लेने घर से बाहर अकेली गई। हाथ में मेरे झोला था। इसी दौरान कुत्तों के झुंड ने हमला कर दिया। हमको कई जगह काटा। भागकर अपनी जान बचाई। पूरे गांव में कुत्तों के डर से होली के दिन भी लोग डर-डर के निकल रहे थे। त्योहार के दिन तो हम अस्पताल में थे। 100 से ज्यादा लोगों को कुत्तों ने काटा
इसके बाद टीम बहुआरा से एक किलोमीटर दूर पड़ोसी गांव श्रीपालपुर पहुंची। इस गांव के 100 से ज्यादा लोगों को कुत्तों ने काटा है। इसमें तीन लोग ज्यादा गंभीर हैं। कुत्तों ने 60 साल के बुजुर्ग को काटा
पहले 60 साल के बुजुर्ग ध्यानार्थ पांडेय के घर पहुंचे। वह बिस्तर पर लेटे थे। उन्होंने बताया- मैं घर के बाहर खड़ा था। अचानक से मेरे ऊपर कुत्तों ने हमला कर दिया। मेरे पैर में गहरा घाव हो गया। मेरी चीख-पुकार सुनकर घर के अन्य लोग बाहर आए। परिजनों ने मुझे बचाया। अभी तक सैकड़ों लोगों को कुत्तों ने काटा है। प्रशासन ने अभी तक यहां पर कोई इंतजाम नहीं किया है। गांव के जितेन्द्र सिंह बताते हैं कि गांव में कुत्ते बच्चे और बुजुर्गों को काट रहे हैं। इंजेक्शन के लिए सोनवरषा सीएचसी बार-बार जाना पड़ रहा है। ग्रामसभा में अस्पताल है। लेकिन यहां रैबीज का इंजेक्शन नहीं मिल रहा है। गांव के अन्य बुजुर्ग छठ्ठू सिंह ने बताया- यहां झुंड में कुत्ते चलते हैं। लोगों पर हमला कर काट कर घायल कर दे रहे हैं। अकेला आदमी तो गांव में निकल ही नहीं सकता है। लोगों का आरोप है कि प्रशासन इसपर ध्यान नहीं दे रहा। इसको लेकर गांव के लोग कई बार शिकायत कर चुके हैं। बैरिया तहसील के 8 गांवों में पिछले 3 महीने में कुत्तों के काटने के मामले बढ़े हैं। इन गांवों की सीएचसी सोनबरसा है। इन गांवों की इससे दूरी 1 से 12 किलोमीटर तक है। एक ही दिन में ज्यादा मामले आने पर सोनबरसा सीएचसी में रैबीज इंजेक्शन खत्म हो जाते हैं। सोनबरसा सीएचसी पर 17 मार्च को 85 लोगों ने एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाया। सोनबरसा सीएचसी के डॉक्टर काजमी बताते हैं कि अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन का स्टॉक है। पिछले 3 महीने में 3010 लोगों को कुत्तों ने काटा है। इन लोगों को एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाया गया है। रोज ऐसे मामलों की संख्या 20-22 रहती है। —————————- ये भी पढ़ें…. घर से बाहर निकलने पर नोंच–खा जाते हैं कुत्ते:बहराइच के गांवों में सन्नाटा, बच्चों ने स्कूल छोड़ा; लाठी-डंडा लेकर निकल रहे लोग सावधान, सावधान, सावधान…आपको सूचित किया जाता है कि आपके गांव के कुत्ते आदमखोर हो गए हैं। हमला कर रहे हैं। आप सभी लोग घर से जब भी निकलें तो हाथ में लाठी- डंडा लेकर…ये कुत्ते झुंड में रहते हैं, अकेले और निहत्था देखकर हमला कर देते हैं। बहराइच जिला प्रशासन यह अनाउंसमेंट गांव-गांव तक करा रहा है। पढ़ें पूरी खबर… बलिया में कुत्तों का आतंक ऐसा कि लोग होली तक नहीं मना सके। डर की वजह से घर से बाहर ही नहीं निकल रहे। बच्चों ने स्कूल और किसानों ने खेत जाना छोड़ दिया। दिन में भी लोग घर में कैद रह रहे। सड़कें वीरान पड़ी हैं। अगर घर से निकल भी रहे तो झुंड में और लाठी-डंडे लेकर। यहां आसपास कुत्ते झुंड बनाकर रह रहे हैं। लोगों को देखते ही टूट पड़ते हैं। दरवाजा खुला देख घर में घुसकर ही नोच-खा जाते हैं। यहां पिछले 3 महीने में कुत्तों के झुंड ने 3000 लोगों को अपना शिकार बनाया। इसमें 450 से ज्यादा बच्चे हैं। सोनबरसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर हर दिन 20-22 लोग रैबीज का इंजेक्शन लगवा रहे। ये हाल बैरिया तहसील के बहुआरा, श्रीपालपुर, लालगंज, सेमरिया, बकुलहां, गड़ेरिया, बैरिया और धतुरीटोला गांव का है। यहां रोजाना 1-2 केस आ रहे हैं। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित बहुआरा और श्रीपालपुर गांव हैं। दैनिक भास्कर की टीम जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर बैरिया तहसील के उन गांवों में पहुंची। जहां पर कुत्तों ने आतंक मचा रखा है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… हर 500 मीटर पर दिखता है कुत्तों का झुंड
टीम सबसे पहले बैरिया तहसील के बहुआरा गांव पहुंची। इस गांव में कुत्तों का आतंक सबसे ज्यादा है। गांव के लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे। हर कच्ची-पक्की सड़क पर खूंखार कुत्तों के झुंड बैठे दिख जाएंगे। टीम जब यहां पहुंची तो गांव के बाहर कुत्तों का झुंड दिखा। गनीमत रही कि लाठी-डंडों से लैस लोगों का झुंड गांव के बाहर ही मिल गया। फिर हम उनके साथ गांव जाने के लिए निकले। गांव में घुसते ही कुत्तों का झुंड हम पर टूट पड़ा। हमला करने की कोशिश की। लेकिन गांव के लोगों ने लाठी-डंडों से कुत्तों को भगाया। हम आगे बढ़े तो गांव की गलियों में सन्नाटा दिखा। सबके दरवाजे बंद थे। अभी 500 मीटर ही बढ़े थे कि 15-20 कुत्तों का झुंड नजर आए। अब गांव में फैली दहशत की वजह समझ आई। फिर हम कुत्तों के हमले में घायलों के घर के लिए निकले। 17 मार्च को इस गांव के 85 लोगों को कुत्तों ने काटा था। जिसमें 36 बच्चे, बाकी महिलाएं और पुरुष थे। इसमें अधिकतर हमले घर में घुसकर किए गए। परिवार वालों ने बताया कि बच्चों को ज्यादा खतरा है। कहीं गलती से दरवाजा खुला छूट गया तो कुत्ते घर में घुसकर हमला कर देते हैं। स्कूल जाना तो बहुत दूर की बात है। बच्चे घर के बाहर खेल तक नहीं सकते हैं। हर समय घर के दरवाजे बंद करके रखने पड़ते हैं। होली का त्योहार भी हम लोगों ने ऐसे ही बंद घर में मनाया। कोई बाहरी व्यक्ति गांव में नहीं आ सकता है। होली पर भी कोई मेहमान गांव में नहीं आया। सबसे पहले स्थानीय दुकानदार लक्ष्मण सिंह ने बताया- गांव में कुत्तों का इतना आतंक पहले कभी नहीं था। हर रोज एक से दो लोगों को काट रहे हैं। मेरी दुकान पर भी कोई नहीं आता है। कोई भी घर से नहीं निकलता है। हर सड़क पर कुत्ते टहल रहे है। होली के दिन भी लोगों के दरवाजे बंद रहे
अब हम कुत्तों के हमले में घायल मुस्कान पांडेय के घर पहुंचे। उन्होंने बताया- होली का दिन था। मैं कुछ सामान लेने घर से बाहर अकेली गई। हाथ में मेरे झोला था। इसी दौरान कुत्तों के झुंड ने हमला कर दिया। हमको कई जगह काटा। भागकर अपनी जान बचाई। पूरे गांव में कुत्तों के डर से होली के दिन भी लोग डर-डर के निकल रहे थे। त्योहार के दिन तो हम अस्पताल में थे। 100 से ज्यादा लोगों को कुत्तों ने काटा
इसके बाद टीम बहुआरा से एक किलोमीटर दूर पड़ोसी गांव श्रीपालपुर पहुंची। इस गांव के 100 से ज्यादा लोगों को कुत्तों ने काटा है। इसमें तीन लोग ज्यादा गंभीर हैं। कुत्तों ने 60 साल के बुजुर्ग को काटा
पहले 60 साल के बुजुर्ग ध्यानार्थ पांडेय के घर पहुंचे। वह बिस्तर पर लेटे थे। उन्होंने बताया- मैं घर के बाहर खड़ा था। अचानक से मेरे ऊपर कुत्तों ने हमला कर दिया। मेरे पैर में गहरा घाव हो गया। मेरी चीख-पुकार सुनकर घर के अन्य लोग बाहर आए। परिजनों ने मुझे बचाया। अभी तक सैकड़ों लोगों को कुत्तों ने काटा है। प्रशासन ने अभी तक यहां पर कोई इंतजाम नहीं किया है। गांव के जितेन्द्र सिंह बताते हैं कि गांव में कुत्ते बच्चे और बुजुर्गों को काट रहे हैं। इंजेक्शन के लिए सोनवरषा सीएचसी बार-बार जाना पड़ रहा है। ग्रामसभा में अस्पताल है। लेकिन यहां रैबीज का इंजेक्शन नहीं मिल रहा है। गांव के अन्य बुजुर्ग छठ्ठू सिंह ने बताया- यहां झुंड में कुत्ते चलते हैं। लोगों पर हमला कर काट कर घायल कर दे रहे हैं। अकेला आदमी तो गांव में निकल ही नहीं सकता है। लोगों का आरोप है कि प्रशासन इसपर ध्यान नहीं दे रहा। इसको लेकर गांव के लोग कई बार शिकायत कर चुके हैं। बैरिया तहसील के 8 गांवों में पिछले 3 महीने में कुत्तों के काटने के मामले बढ़े हैं। इन गांवों की सीएचसी सोनबरसा है। इन गांवों की इससे दूरी 1 से 12 किलोमीटर तक है। एक ही दिन में ज्यादा मामले आने पर सोनबरसा सीएचसी में रैबीज इंजेक्शन खत्म हो जाते हैं। सोनबरसा सीएचसी पर 17 मार्च को 85 लोगों ने एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाया। सोनबरसा सीएचसी के डॉक्टर काजमी बताते हैं कि अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन का स्टॉक है। पिछले 3 महीने में 3010 लोगों को कुत्तों ने काटा है। इन लोगों को एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाया गया है। रोज ऐसे मामलों की संख्या 20-22 रहती है। —————————- ये भी पढ़ें…. घर से बाहर निकलने पर नोंच–खा जाते हैं कुत्ते:बहराइच के गांवों में सन्नाटा, बच्चों ने स्कूल छोड़ा; लाठी-डंडा लेकर निकल रहे लोग सावधान, सावधान, सावधान…आपको सूचित किया जाता है कि आपके गांव के कुत्ते आदमखोर हो गए हैं। हमला कर रहे हैं। आप सभी लोग घर से जब भी निकलें तो हाथ में लाठी- डंडा लेकर…ये कुत्ते झुंड में रहते हैं, अकेले और निहत्था देखकर हमला कर देते हैं। बहराइच जिला प्रशासन यह अनाउंसमेंट गांव-गांव तक करा रहा है। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर