चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (सीटीयू) में 49,59,800 रुपए के गबन का बड़ा मामला सामने आया है। पुलिस स्टेशन 17 ने शिकायत मिलने के बाद तुरंत कार्रवाई करते हुए सीटीयू में कार्यरत कंडक्टर जसविंदर सिंह और तकनीशियन राहुल के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है और उनकी गिरफ्तारी जल्द किए जाने की संभावना है। दोनों आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने धारा 316(1), 3(5) के तहत के तर्ज किया है। इस मामले में शिकायतकर्ता असिस्टेंट कंट्रोलर संदीप सेठी ने पुलिस को बताया कि तकनीशियन राहुल और कंडक्टर जसविंदर ने मिलकर लगभग 49.59 लाख रुपए की धोखाधड़ी की। पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है और जल्दी ही आरोपियों से पूछताछ की जाएगी, जिससे यह स्पष्ट होगा कि इस गबन में और कोई भी शामिल है या नहीं। पहले भी विवादों में रहे हैं आरोपी
पता चला है कि राहुल की नियुक्ति पहले आइजेन सोलूशन्स कंपनी के माध्यम से हुई थी, लेकिन अनुशासनहीनता के आरोपों के चलते उसे वहां से निकाल दिया गया था। इसके बाद भी उसे दूसरे ठेकेदार के जरिए सीटीयू में फिर से नियुक्त किया गया, जहां उसे सिक्योरिटी गार्ड के पद पर रखा गया, लेकिन उससे तकनीशियन का काम लिया गया। इसी दौरान उसने टैग रिचार्ज पेमेंट में हेरफेर कर इस गबन को अंजाम दिया। सीटीयू के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध
इस मामले में सीटीयू की अकाउंट ब्रांच और अन्य उच्च अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं, जिनकी जिम्मेदारी टैग रिचार्ज पेमेंट्स की निगरानी करना थी। सूत्रों के अनुसार, यदि जांच का दायरा बढ़ता है, तो और भी नाम सामने आ सकते हैं। चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (सीटीयू) में 49,59,800 रुपए के गबन का बड़ा मामला सामने आया है। पुलिस स्टेशन 17 ने शिकायत मिलने के बाद तुरंत कार्रवाई करते हुए सीटीयू में कार्यरत कंडक्टर जसविंदर सिंह और तकनीशियन राहुल के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है और उनकी गिरफ्तारी जल्द किए जाने की संभावना है। दोनों आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने धारा 316(1), 3(5) के तहत के तर्ज किया है। इस मामले में शिकायतकर्ता असिस्टेंट कंट्रोलर संदीप सेठी ने पुलिस को बताया कि तकनीशियन राहुल और कंडक्टर जसविंदर ने मिलकर लगभग 49.59 लाख रुपए की धोखाधड़ी की। पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है और जल्दी ही आरोपियों से पूछताछ की जाएगी, जिससे यह स्पष्ट होगा कि इस गबन में और कोई भी शामिल है या नहीं। पहले भी विवादों में रहे हैं आरोपी
पता चला है कि राहुल की नियुक्ति पहले आइजेन सोलूशन्स कंपनी के माध्यम से हुई थी, लेकिन अनुशासनहीनता के आरोपों के चलते उसे वहां से निकाल दिया गया था। इसके बाद भी उसे दूसरे ठेकेदार के जरिए सीटीयू में फिर से नियुक्त किया गया, जहां उसे सिक्योरिटी गार्ड के पद पर रखा गया, लेकिन उससे तकनीशियन का काम लिया गया। इसी दौरान उसने टैग रिचार्ज पेमेंट में हेरफेर कर इस गबन को अंजाम दिया। सीटीयू के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध
इस मामले में सीटीयू की अकाउंट ब्रांच और अन्य उच्च अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं, जिनकी जिम्मेदारी टैग रिचार्ज पेमेंट्स की निगरानी करना थी। सूत्रों के अनुसार, यदि जांच का दायरा बढ़ता है, तो और भी नाम सामने आ सकते हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर