असम की डिब्रूगढ़ जेल से लोकसभा का चुनाव जीतने वाले खालिस्तान समर्थक नेता अमृतपाल सिंह को जेल से बाहर निकालने के लिए अमेरिका में रहने वाले एक सीख वकील ने उप राष्ट्रपति कमला हैरिस से मुलाकात की है। भारतीय मुल के अमेरिका में रहने वाले सिख वकील जसप्रीत सिंह द्वारा हैरिस से लेकर अमृतपाल सिंह की रिहाई की मांग की गई है। वकील ने अमृतपाल को जेल से बाहर निकलाने के लिए यूएसए से मांग कि है कि वह अपना हस्तक्षेप करे, जिससे अमृतपाल को इंसाफ मिल सके। वकील ने अमृतपाल की गिरफ्तारी को बताया गलत अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से मिलकर वकील जसप्रीत सिंह ने कहा- अमृतपाल की गिरफ्तारी भारत में गलत ढ़ंग से की गई है। अमृतपाल इलेक्शन लड़ने के बाद चुनाव गया एक सिख नेता है। जिसे भारत में अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है। अमेरिका भारत सरकार से मामले में अमृतपाल की रिहाई पर बातचीत करे। कौन है अमृतपाल सिंह, उसका सारा बैकग्राउंड अमृतपाल मूल रूप से अमृतसर के जल्लू खेड़ा गांव के रहने वाले हैं। अमृतपाल दुबई में रहते थे। वे लाल किला हिंसा से चर्चा में आए पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू की मौत के बाद 2022 में पंजाब लौटे। यहां आकर दीप सिद्धू के संगठन वारिस पंजाब दे के चीफ बन गए। इसके बाद अमृतपाल ने भड़काऊ और खालिस्तान समर्थित बयानबाजी शुरू कर दी। इस दौरान पुलिस ने अमृतपाल के एक साथी को हिरासत में ले लिया। उसे छुड़ाने के लिए अमृतपाल ने साथियों के साथ अजनाला पुलिस थाने में धरना दिया। अमृतपाल पर आरोप लगे कि उन्होंने थाने पर हमला किया। पुलिस से टकराव हुआ। इसी दौरान अमृतपाल ने नशा छुड़ाओ मुहिम भी शुरू की। हालांकि इसके बाद पंजाब पुलिस ने अमृतपाल पर केस दर्ज कर घेराबंदी शुरू कर दी। कई दिनों की फरारी के बाद अमृतपाल को जनरैल सिंह भिंडरावाले के गांव रोडे से गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद अमृतपाल पर राष्ट्रीय सुरक्षा एक्ट (NSA) के तहत केस दर्ज कर असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया। अमृतपाल की जीत कैसे हुई? अमृतपाल को असम जेल भेजने को लेकर पंजाब में अंदरखाते विरोध शुरू हुआ। इसके बाद अचानक अमृतपाल ने चुनाव लड़ने का फैसला ले लिया। अमृतपाल ने जेल में रहकर अपना नामांकन भरा। अमृतपाल ने कोई प्रचार नहीं किया। अमृतपाल के माता-पिता ने पूरी कमान संभाली। अमृतपाल को लेकर युवाओं में पंजाब की AAP सरकार के प्रति भारी नाराजगी थी। इसी वजह से अमृतपाल को खडूर साहिब सीट पर युवाओं का खूब समर्थन मिला। युवाओं ने अमृतपाल की गैरमौजूदगी में खुद प्रचार कर वोटिंग कराई। जिसके बाद अमृतपाल को जीत मिल गई। बता दें कि फरीदकोट सीट से खालिस्तान समर्थक और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले बेअंत सिंह के पोते सर्बजीत सिंह खालसा भी चुनाव जीते हैं। असम की डिब्रूगढ़ जेल से लोकसभा का चुनाव जीतने वाले खालिस्तान समर्थक नेता अमृतपाल सिंह को जेल से बाहर निकालने के लिए अमेरिका में रहने वाले एक सीख वकील ने उप राष्ट्रपति कमला हैरिस से मुलाकात की है। भारतीय मुल के अमेरिका में रहने वाले सिख वकील जसप्रीत सिंह द्वारा हैरिस से लेकर अमृतपाल सिंह की रिहाई की मांग की गई है। वकील ने अमृतपाल को जेल से बाहर निकलाने के लिए यूएसए से मांग कि है कि वह अपना हस्तक्षेप करे, जिससे अमृतपाल को इंसाफ मिल सके। वकील ने अमृतपाल की गिरफ्तारी को बताया गलत अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से मिलकर वकील जसप्रीत सिंह ने कहा- अमृतपाल की गिरफ्तारी भारत में गलत ढ़ंग से की गई है। अमृतपाल इलेक्शन लड़ने के बाद चुनाव गया एक सिख नेता है। जिसे भारत में अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है। अमेरिका भारत सरकार से मामले में अमृतपाल की रिहाई पर बातचीत करे। कौन है अमृतपाल सिंह, उसका सारा बैकग्राउंड अमृतपाल मूल रूप से अमृतसर के जल्लू खेड़ा गांव के रहने वाले हैं। अमृतपाल दुबई में रहते थे। वे लाल किला हिंसा से चर्चा में आए पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू की मौत के बाद 2022 में पंजाब लौटे। यहां आकर दीप सिद्धू के संगठन वारिस पंजाब दे के चीफ बन गए। इसके बाद अमृतपाल ने भड़काऊ और खालिस्तान समर्थित बयानबाजी शुरू कर दी। इस दौरान पुलिस ने अमृतपाल के एक साथी को हिरासत में ले लिया। उसे छुड़ाने के लिए अमृतपाल ने साथियों के साथ अजनाला पुलिस थाने में धरना दिया। अमृतपाल पर आरोप लगे कि उन्होंने थाने पर हमला किया। पुलिस से टकराव हुआ। इसी दौरान अमृतपाल ने नशा छुड़ाओ मुहिम भी शुरू की। हालांकि इसके बाद पंजाब पुलिस ने अमृतपाल पर केस दर्ज कर घेराबंदी शुरू कर दी। कई दिनों की फरारी के बाद अमृतपाल को जनरैल सिंह भिंडरावाले के गांव रोडे से गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद अमृतपाल पर राष्ट्रीय सुरक्षा एक्ट (NSA) के तहत केस दर्ज कर असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया। अमृतपाल की जीत कैसे हुई? अमृतपाल को असम जेल भेजने को लेकर पंजाब में अंदरखाते विरोध शुरू हुआ। इसके बाद अचानक अमृतपाल ने चुनाव लड़ने का फैसला ले लिया। अमृतपाल ने जेल में रहकर अपना नामांकन भरा। अमृतपाल ने कोई प्रचार नहीं किया। अमृतपाल के माता-पिता ने पूरी कमान संभाली। अमृतपाल को लेकर युवाओं में पंजाब की AAP सरकार के प्रति भारी नाराजगी थी। इसी वजह से अमृतपाल को खडूर साहिब सीट पर युवाओं का खूब समर्थन मिला। युवाओं ने अमृतपाल की गैरमौजूदगी में खुद प्रचार कर वोटिंग कराई। जिसके बाद अमृतपाल को जीत मिल गई। बता दें कि फरीदकोट सीट से खालिस्तान समर्थक और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले बेअंत सिंह के पोते सर्बजीत सिंह खालसा भी चुनाव जीते हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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