चंबा जिले साथ लगते तडोली में रावी नदी में कूद आत्महत्या कर ली। सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को नदी से बाहर निकाला। बताया जा रहा है कि बीए प्रथम वर्ष में असफल रहने के बाद से युवती मानसिक रूप से परेशान थी। मृतक युवती की पहचान 20 वर्षीय रिया निवासी भरियां डाकघर कपाहड़ा जिला चंबा के तौर पर हुई। जाे बुधवार सुबह 11 से 12 बजे के बीच परेल पुल के पास आई और वहां से रावी नदी में कूद गई। बीए प्रथम वर्ष में असफल हो गई थी युवती सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और युवती की तलाश के लिए नदी किनारे सर्च ऑपरेशन चलाया। पुल से कुछ दूरी पर ही युवती का शव नदी से बरामद कर लिया। पुलिस ने घर वालों के बयान दर्ज किए। जिसमें उन्होंने बताया कि रिया बीए प्रथम वर्ष में असफल रहने के बाद से मानसिक रूप से परेशान थी। जिसके चलते उसने यह कदम उठाया। चंबा जिले साथ लगते तडोली में रावी नदी में कूद आत्महत्या कर ली। सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को नदी से बाहर निकाला। बताया जा रहा है कि बीए प्रथम वर्ष में असफल रहने के बाद से युवती मानसिक रूप से परेशान थी। मृतक युवती की पहचान 20 वर्षीय रिया निवासी भरियां डाकघर कपाहड़ा जिला चंबा के तौर पर हुई। जाे बुधवार सुबह 11 से 12 बजे के बीच परेल पुल के पास आई और वहां से रावी नदी में कूद गई। बीए प्रथम वर्ष में असफल हो गई थी युवती सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और युवती की तलाश के लिए नदी किनारे सर्च ऑपरेशन चलाया। पुल से कुछ दूरी पर ही युवती का शव नदी से बरामद कर लिया। पुलिस ने घर वालों के बयान दर्ज किए। जिसमें उन्होंने बताया कि रिया बीए प्रथम वर्ष में असफल रहने के बाद से मानसिक रूप से परेशान थी। जिसके चलते उसने यह कदम उठाया। हिमाचल | दैनिक भास्कर
Related Posts
केंद्रीय बजट से हिमाचल को उम्मीदें:ऊना-हमीरपुर और बिलासपुर-मनाली-लेह रेल को मिल सकता है बजट; पहाड़ी राज्यों के नाते विशेष ग्रांट, आपदा राहत की आस
केंद्रीय बजट से हिमाचल को उम्मीदें:ऊना-हमीरपुर और बिलासपुर-मनाली-लेह रेल को मिल सकता है बजट; पहाड़ी राज्यों के नाते विशेष ग्रांट, आपदा राहत की आस हिमाचल सरकार केंद्रीय बजट से बड़ी उम्मीदें लगाए बैठी है। खासकर पर्यटन, रेल, सड़क और हवाई कनेक्टिविटी के लिए सरकार ने केंद्र से विशेष मदद मांगी है। बीते सप्ताह मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने खुद प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर पहाड़ी राज्यों की वजह से विशेष ग्रांट देने का आग्रह किया है। मोदी गवर्नमेंट के तीसरे कार्यकाल के पहले आम बजट से प्रदेश में चल रही रेल योजनाओं को काफी उम्मीदें हैं। उम्मीद की जा रही है कि ऊना-हमीरपुर रेल लाइन के लिए आज के बजट में बड़े ऐलान हो। ऊना से हमीरपुर तक नई रेल लाइन की लंबाई 41 किलोमीटर होगी। इस रेल लाइन की 3,361 करोड़ रुपए की डीपीआर तैयार कर ली गई है और यह सरकार के पास विचाराधीन है। इसके लिए आज बजट मिलने की उम्मीद है। इस रेल लाइन के अलावा सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बिलासपुर-मनाली-लेह रेल लाइन योजना को भी बजट मिल सकता है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृह जिला को जोड़ने वाली इस रेल लाइन को भी तवज्जो मिल सकती है। इस परियोजना की भी डीपीआर तैयार है। इस पर लगभग एक लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस रेल लाइन का निर्माण चार फेज में किया जाना है। पहले फेज में बैरी से मंडी, दूसरे फेज में मंडी से मनाली, तीसरे में मनाली से ऊपशी और चौथे फेज में ऊपशी से लेह तक का होगा। हरियाणा के जगाधरी से पांवटा साहिब रेल लाइन के सर्वे को भी बजट मिल सकता है। इसके बनने से हरियाणा और हिमाचल के दो बड़े औद्योगिक शहर आपस में जुड़ जाएंगे। साल 2021 में तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल ने पांवटा साहिब-जगाधरी रेल लाइन के लिए सर्वेक्षण करवाने के निर्देश जरूर दिए थे। मगर यह योजना सीरे नहीं चढ़ पाई थी। आपदा राहत राशि बजट के साथ मिलने के आस हिमाचल में बीते साल बरसात में 12 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति तबाह हुई थी। केंद्र से आई टीमों ने भी 3000 करोड़ रुपए के नुकसान का आकलन किया था। मगर अब तक राहत राशि नहीं मिल पाई। लिहाजा सीएम सुक्खू ने इस राशि को बजट में जारी करने का आग्रह किया है। पर्यटन क्षेत्र को भी बड़ी उम्मीदें मोदी सरकार के बजट से हिमाचल के पर्यटन को भी बड़ी उम्मीदे हैं। मुख्यमंत्री सुक्खू ने बीते सप्ताह ही कांगड़ा एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का मसला पीएम मोदी से उठाया है। हिमाचल सरकार ने कैपिटल इन्वेस्टमेंट के तहत कांगड़ा एयरपोर्ट के लिए 3500 करोड़ रुपए जारी करने की मांग की है। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि यह एयरपोर्ट न सिर्फ टूरिज्म के लिए, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी महत्त्वपूर्ण रहेगा। वर्तमान सरकार ने कांगड़ा को टूरिज्म कैपिटल का दर्जा दे रखा है। ऐसे में कांगड़ा एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण करवाना बड़ी चुनौती है। इसके लिए अब सिर्फ पैसे की जरूरत है। राज्य की कांग्रेस सरकार ने टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए रोप-वे प्रोजेक्ट ज्यादा बनाने का निर्णय किया है। इसी तरह सड़क कनेक्टिविटी बेहतर बनाने के लिए छह सड़कों को नेशनल हाइवे बनाने तथा राज्य में चल रही फोरलेने परियोजनाओं का निर्माण के लिए भी केंद्र से बजट की आस है।
शिमला में वोकेशनल टीचर्स के धरने का 7वां दिन:महिला शिक्षिका रोने लगी, बोले- सरकार से सशर्त वार्ता के लिए तैयार नहीं
शिमला में वोकेशनल टीचर्स के धरने का 7वां दिन:महिला शिक्षिका रोने लगी, बोले- सरकार से सशर्त वार्ता के लिए तैयार नहीं शिमला की सर्द रातों में भी वोकेशनल टीचर्स की हड़ताल 7वें दिन भी जारी है। सरकार व शिक्षकों के बीच चल रहा गतिरोध टूटता नजर नहीं आ रहा है। शिमला में बेहद ठंडी रातों के बावजूद भी वोकेशनल शिक्षकों के हौंसले बुलंद है। शिक्षक निजी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाने की मांग पर अड़े हुए हैं। महिला शिक्षक अपने छोटे बच्चों के साथ धरने पर बैठी हैं। 7वें दिन प्रदर्शन को संबोधित करते हुए एक महिला शिक्षिका रो पड़ी। शिक्षकों ने बताया कि आज सभी शिक्षकों द्वारा उस शिक्षक के बच्चे के लिए दो मिनट का मौन रखा। जो इस लड़ाई में शामिल था और उसके 17 दिन के बच्चे ने PGI में दम तोड़ दिया। शिक्षकों ने साफ तौर पर सरकार को चेतावनी दे दी है कि उनका यह धरना उस समय तक जारी रहेगा, जब तक उन्हें लिखित में कोई आश्वासन नहीं मिलता। सशर्त वार्ता के लिए तैयार नहीं शिक्षकों ने बताया कि शिक्षा विभाग की ओर से उन्हें सरकार के साथ वार्ता का 12 नवंबर को न्यौता मिला है, लेकिन वार्ता के लिए उन्हें अपना धरना समाप्त करना होगा। शिक्षकों को सरकार की यह शर्त कतई मंजूर नहीं है। हिमाचल प्रदेश में 2174 वोकेशनल टीचर्स हैं, जो 1100 स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के वोकेशनल टीचर्स को प्राइवेट कंपनियों के जरिए सेवाओं पर रखा गया है। ऐसे में टीचर्स अब प्राइवेट कंपनियों को बाहर रखने की बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि प्राइवेट कंपनियां उन्हें शोषित कर रही है। इसलिए प्राइवेट कंपनियों को बाहर रखा जाए। वोकेशनल शिक्षक संघ के महासचिव नीरज बंसल ने कहा कि उनका धरना सात दिनों से जारी है। इस दौरान उनकी प्रदेश परियोजना अधिकारी से भी बात हुई हुई। उन्होंने कहा कि सरकार वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन सरकार ने शर्त यह है कि शिक्षकों को अपना धरना समाप्त करना होगा और उसके बाद ही शिक्षा मंत्री से बात हो सकेगी। नीरज बंसल ने कहा कि उन्हें सरकार और विभाग की यह शर्त मंजूर नहीं है। अपना वादा भूल गई सरकार : प्रदर्शनकारी उन्होंने कहा कि अब आश्वासनों से बात नहीं बनेगी। गत सरकार ने भी उन्हें आश्वासन दिए और वर्तमान सरकार ने भी उनसे सत्ता में आने से पहले वायदा किया था कि उनके लिए अवश्य कुछ न कुछ करेगी,परंतु अब सरकार अपना वायदा भूल गई है और इस धरने के माध्यम से उसे अपना वायदा हम याद करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सिर्फ एक मांग है कि सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को बाहर रखा जाए। इन कंपनियों को बाहर किया जाए और और जो फंड केंद्र से आ रहा है उसे सीधे सरकार उन्हें प्रदान करे। बच्चों के साथ धरने पर बैठी महिलाएं
चंबा से धरने में शामिल होने आई आरती ठाकुर ने कहा कि वह 11 वर्षों से सेवाएं दे रही है। अपने अधिकार के लिए महिला होने के बावजूद वह यहां धरने पर बैठी हैं। मानसिक प्रताड़ना के कारण आंसू जरूर यहां छलके हैं लेकिन परिवार के प्यार और विश्वास के बावजूद वह अपने हक की लड़ाई के लिए धरने पर डटे हैं। इसके अलावा, सोलन से आई शिक्षिका दीपिका राणा ने कहा कि यहां दिक्कत काफी हो रही है। बावजूद इसके सरकार से एक मांग है कि इन कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए। उन्होंने कहा बच्चे के साथ वह आई है। बच्चे के साथ दिक्कत आती है क्योंकि बच्चे को खिलाना व सोना यहां काफी मुश्किल हो जाता है, लेकिन सरकार से आस है कि जल्द वह उनकी पुकार सुन ले।
हिमाचल की मंडियों में पहुंचा रॉयल सेब:2800 रुपए प्रति बॉक्स बिका; चुराग घाटी से लाया गया, अच्छे दाम से बागवान खुश
हिमाचल की मंडियों में पहुंचा रॉयल सेब:2800 रुपए प्रति बॉक्स बिका; चुराग घाटी से लाया गया, अच्छे दाम से बागवान खुश हिमाचल की भट्टाकुफर फल मंडी में रॉयल सेब की एंट्री हो गई है। शनिवार को चुराग घाटी से करीब 175 पेटी रॉयल सेब भट्टाकुफर मंडी में लाए गए। यूनिवर्सल कार्टन में पैक रॉयल सेब की 10 पेटियां 2800 रुपये प्रति पेटी के हिसाब से बिकीं। यानी बागवानों को 140 रुपये प्रति किलो के हिसाब से दाम मिले। सीजन की शुरुआत में ही अच्छे दाम मिलने से बागवान खुश हैं। भट्टाकुफर मंडी में 56 पेटी सेब 2100 रुपये प्रति पेटी और 109 पेटियां 2200 रुपये के हिसाब से बिकीं। उम्मीद है कि इस बार पूरे सीजन में अच्छे दाम मिलेंगे, क्योंकि इस बार प्रदेश में सेब की फसल कम है। सेबों का राजा ‘रॉयल’ सेब रॉयल को सेब का राजा कहा जाता है। अभी रॉयल सेब चुराग वैली में ही तैयार हुआ है। डेढ़ से दो सप्ताह बाद कोटगढ़, कुमारसैन, जुब्बल और ठियोग के निचले इलाकों में भी रॉयल सेब तैयार हो जाएगा। वहीं स्पर किस्म का सेब दो हफ्ते से मंडी में आ रहा है। 55 हजार पेटी सेब प्रदेश से बाहर भेजा चुका अब तक लगभग 55 हजार पेटी सेब प्रदेश से बाहर दूसरे राज्यों की मंडियों को भेजा जा चुका है। सेब सीजन धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा है। अभी समुद्र तल से 5000 फीट तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ही सेब तैयार हुआ है। अगले 15 दिनों के दौरान 5500 फीट तक की ऊंचाई वाले इलाकों से सेब मंडियों में आएगा। 5500 फीट से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों का सेब 15 अगस्त के बाद मंडियों में आना शुरू होगा।