<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News Today:</strong> चारधाम यात्रा के लिए महत्वपूर्ण बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूस्खलन की गंभीर समस्या बनी हुई है. हाल ही में जारी एक फील्ड रिपोर्ट में बदरीनाथ से सिरोबगड़ के बीच 165 किलोमीटर लंबे मार्ग पर 20 खतरनाक भूस्खलन जोन की पहचान की गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एसडीसी फाउंडेशन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ से सिरोबगड़ तक 126 किलोमीटर के भीतर 14 बड़े भूस्खलन जोन मौजूद हैं, जबकि बदरीनाथ से 32 किलोमीटर पहले तक ही 6 बड़े भूस्खलन जोन चिह्नित किए गए हैं. इस रिपोर्ट के आधार पर विशेषज्ञों ने इस मार्ग पर यात्रा करने वाले यात्रियों को सावधानी बरतने की सलाह दी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बदरीनाथ राजमार्ग क्यों है अहम?</strong><br />चारधाम यात्रा केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है. बदरीनाथ धाम जाने वाले हजारों श्रद्धालु इसी राजमार्ग का उपयोग करते हैं. इसके साथ भारत-चीन सीमा के नजदीकी क्षेत्रों तक सैन्य पहुंच के लिए भी यह मार्ग रणनीतिक रूप से अहम है, लेकिन बारिश और भूकंपीय गतिविधियों के कारण लगातार भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं. जिससे मार्ग की स्थिरता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अनूप नौटियाल के जरिये जारी “मैपिंग लैंडस्लाइड एंड वल्नरेबिलिटी जोन्स ऑन द चारधाम यात्रा रूट” नाम की रिपोर्ट में बदरीनाथ से सिरोबगड़ के बीच की स्थिति को अत्यधिक संवेदनशील बताया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इन जगहों पर भूस्खलन का खतरा</strong><br />बदरीनाथ से 32 किलोमीटर पहले तक ही 6 बड़े भूस्खलन जोन दर्ज किए गए हैं. इसी तरह बदरीनाथ धाम से सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर 80 मीटर लंबाई का एक बड़ा भूस्खलन क्षेत्र है, जो तीर्थयात्रियों और स्थानीय निवासियों के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जोशीमठ से सिरोबगड़ तक 126 किलोमीटर के दायरे में 14 प्रमुख भूस्खलन क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं. रिपोर्ट में जोशीमठ से 58 किमी दूर स्थित एक विशेष रूप से खतरनाक जोन का जिक्र किया गया है, जहाँ 150 से 200 मीटर लंबी पहाड़ी लगातार खिसक रही है. यह क्षेत्र बहुत ही अस्थिर स्थिति में है और इस पर तत्काल निगरानी की आवश्यकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रिपोर्ट के अनुसार, कुछ क्षेत्रों में सड़क इतनी संकरी हो गई है कि वहां वाहनों की आवाजाही बेहद जोखिमभरी हो गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन को नियंत्रित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने की जरूरत है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>विशेषज्ञों ने दी ये सलाह</strong><br />विशेषज्ञों के मुताबिक, सड़कों की मजबूती बढ़ाने के लिए गेबियन संरचनाओं (पत्थरों से बनी दीवारें) और रिटेनिंग वॉल्स का निर्माण जरूरी है. सड़क निर्माण कार्यों में अधिक टिकाऊ सामग्री का उपयोग किया जाए, जिससे बारिश और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से सड़क को अधिक सुरक्षा मिल सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रिपोर्ट में भूस्खलन को नियंत्रित करने और चारधाम यात्रा मार्ग को सुरक्षित बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं. इसके विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण सलाह दी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>1. निरंतर भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण: भूस्खलन वाले क्षेत्रों की नियमित निगरानी की जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>2. ड्रेनेज सिस्टम को मजबूत किया जाए: बारिश के पानी को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी जल निकासी प्रणाली बनाई जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>3. संरचनात्मक सुधार: भूस्खलन रोकने के लिए मजबूत दीवारें और सुरक्षा उपाय किए जाएं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>4. वाहन सीमित करने की योजना: भारी वाहनों और तीर्थयात्रियों के लिए ट्रैफिक नियंत्रण योजना लागू की जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>5. रोकथाम तकनीकों का उपयोग: पहाड़ी ढ़लानों पर जालीदार सुरक्षा कवच (नेटिंग) और बांस बैरिकेड्स लगाए जाएं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रभावी कदम उठाने पर जोर</strong><br />बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर 20 खतरनाक भूस्खलन जोन यात्रा को अत्यधिक जोखिमपूर्ण बना रहे हैं. विशेष रूप से जोशीमठ से सिरोबगड़ तक 126 किलोमीटर के भीतर 14 बड़े भूस्खलन क्षेत्र गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>चारधाम यात्रा के दौरान इन क्षेत्रों में भूस्खलन की आशंका को देखते हुए सरकार और प्रशासन को त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है. रिपोर्ट में दी गई सिफारिशों को लागू करने से इस महत्वपूर्ण यात्रा मार्ग को सुरक्षित बनाया जा सकता है, जिससे श्रद्धालु और यात्री बिना किसी बाधा के यात्रा पूरी कर सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”नोएडा एयरपोर्ट से उत्तराखंड के इन शहरों तक मिलेगी सीधी बस सेवा, NIA-UTC के बीच विशेष समझौता” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/noida-airport-to-uttarakhand-several-cities-direct-bus-service-get-after-nia-utc-agreement-2881504″ target=”_blank” rel=”noopener”>नोएडा एयरपोर्ट से उत्तराखंड के इन शहरों तक मिलेगी सीधी बस सेवा, NIA-UTC के बीच विशेष समझौता</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News Today:</strong> चारधाम यात्रा के लिए महत्वपूर्ण बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूस्खलन की गंभीर समस्या बनी हुई है. हाल ही में जारी एक फील्ड रिपोर्ट में बदरीनाथ से सिरोबगड़ के बीच 165 किलोमीटर लंबे मार्ग पर 20 खतरनाक भूस्खलन जोन की पहचान की गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एसडीसी फाउंडेशन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ से सिरोबगड़ तक 126 किलोमीटर के भीतर 14 बड़े भूस्खलन जोन मौजूद हैं, जबकि बदरीनाथ से 32 किलोमीटर पहले तक ही 6 बड़े भूस्खलन जोन चिह्नित किए गए हैं. इस रिपोर्ट के आधार पर विशेषज्ञों ने इस मार्ग पर यात्रा करने वाले यात्रियों को सावधानी बरतने की सलाह दी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बदरीनाथ राजमार्ग क्यों है अहम?</strong><br />चारधाम यात्रा केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है. बदरीनाथ धाम जाने वाले हजारों श्रद्धालु इसी राजमार्ग का उपयोग करते हैं. इसके साथ भारत-चीन सीमा के नजदीकी क्षेत्रों तक सैन्य पहुंच के लिए भी यह मार्ग रणनीतिक रूप से अहम है, लेकिन बारिश और भूकंपीय गतिविधियों के कारण लगातार भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं. जिससे मार्ग की स्थिरता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अनूप नौटियाल के जरिये जारी “मैपिंग लैंडस्लाइड एंड वल्नरेबिलिटी जोन्स ऑन द चारधाम यात्रा रूट” नाम की रिपोर्ट में बदरीनाथ से सिरोबगड़ के बीच की स्थिति को अत्यधिक संवेदनशील बताया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इन जगहों पर भूस्खलन का खतरा</strong><br />बदरीनाथ से 32 किलोमीटर पहले तक ही 6 बड़े भूस्खलन जोन दर्ज किए गए हैं. इसी तरह बदरीनाथ धाम से सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर 80 मीटर लंबाई का एक बड़ा भूस्खलन क्षेत्र है, जो तीर्थयात्रियों और स्थानीय निवासियों के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जोशीमठ से सिरोबगड़ तक 126 किलोमीटर के दायरे में 14 प्रमुख भूस्खलन क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं. रिपोर्ट में जोशीमठ से 58 किमी दूर स्थित एक विशेष रूप से खतरनाक जोन का जिक्र किया गया है, जहाँ 150 से 200 मीटर लंबी पहाड़ी लगातार खिसक रही है. यह क्षेत्र बहुत ही अस्थिर स्थिति में है और इस पर तत्काल निगरानी की आवश्यकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रिपोर्ट के अनुसार, कुछ क्षेत्रों में सड़क इतनी संकरी हो गई है कि वहां वाहनों की आवाजाही बेहद जोखिमभरी हो गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन को नियंत्रित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने की जरूरत है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>विशेषज्ञों ने दी ये सलाह</strong><br />विशेषज्ञों के मुताबिक, सड़कों की मजबूती बढ़ाने के लिए गेबियन संरचनाओं (पत्थरों से बनी दीवारें) और रिटेनिंग वॉल्स का निर्माण जरूरी है. सड़क निर्माण कार्यों में अधिक टिकाऊ सामग्री का उपयोग किया जाए, जिससे बारिश और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से सड़क को अधिक सुरक्षा मिल सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रिपोर्ट में भूस्खलन को नियंत्रित करने और चारधाम यात्रा मार्ग को सुरक्षित बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं. इसके विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण सलाह दी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>1. निरंतर भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण: भूस्खलन वाले क्षेत्रों की नियमित निगरानी की जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>2. ड्रेनेज सिस्टम को मजबूत किया जाए: बारिश के पानी को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी जल निकासी प्रणाली बनाई जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>3. संरचनात्मक सुधार: भूस्खलन रोकने के लिए मजबूत दीवारें और सुरक्षा उपाय किए जाएं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>4. वाहन सीमित करने की योजना: भारी वाहनों और तीर्थयात्रियों के लिए ट्रैफिक नियंत्रण योजना लागू की जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>5. रोकथाम तकनीकों का उपयोग: पहाड़ी ढ़लानों पर जालीदार सुरक्षा कवच (नेटिंग) और बांस बैरिकेड्स लगाए जाएं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रभावी कदम उठाने पर जोर</strong><br />बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर 20 खतरनाक भूस्खलन जोन यात्रा को अत्यधिक जोखिमपूर्ण बना रहे हैं. विशेष रूप से जोशीमठ से सिरोबगड़ तक 126 किलोमीटर के भीतर 14 बड़े भूस्खलन क्षेत्र गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>चारधाम यात्रा के दौरान इन क्षेत्रों में भूस्खलन की आशंका को देखते हुए सरकार और प्रशासन को त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है. रिपोर्ट में दी गई सिफारिशों को लागू करने से इस महत्वपूर्ण यात्रा मार्ग को सुरक्षित बनाया जा सकता है, जिससे श्रद्धालु और यात्री बिना किसी बाधा के यात्रा पूरी कर सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”नोएडा एयरपोर्ट से उत्तराखंड के इन शहरों तक मिलेगी सीधी बस सेवा, NIA-UTC के बीच विशेष समझौता” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/noida-airport-to-uttarakhand-several-cities-direct-bus-service-get-after-nia-utc-agreement-2881504″ target=”_blank” rel=”noopener”>नोएडा एयरपोर्ट से उत्तराखंड के इन शहरों तक मिलेगी सीधी बस सेवा, NIA-UTC के बीच विशेष समझौता</a></strong></p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड Damoh News: इज्जत बचाने के लिए चलती बस से दो छात्राओं ने लगाई छलांग, ड्राइवर और कंडक्टर कर रहे थे अश्लील हरकत
चारधाम यात्रा में बढ़ सकती है मुश्किलें! बदरीनाथ राजमार्ग पर 20 खतरनाक भूस्खलन जोन की पहचान
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