हिमाचल में ऊना जिले के चिंतपूर्णी में एक लावारिस स्कूटी को पुलिस ने कब्जे में लिया है। पिछले चार-पांच दिनों से लावारिस एक्टिवा स्कूटी एक दुकान के आगे खड़ी थी। बताया जा रहा है जिस दुकान के आगे स्कूटी खड़ी थी, उसी दुकानदार को युवक स्कूटी की चाबी भी देख कर गया है। लेकिन चार-पांच दिन बाद स्कूटी का चालक अपनी स्कूटी लेने नहीं आया। चाबी भी दुकानदार के पास छोड़ गया काफी इंतजार करने के बाद दुकानदार ने स्कूटी के बारे में चिंतपूर्णी थाना को जानकारी दी, जिसके बाद मौके पर ट्रैफिक कर्मी मनीष और प्रदीप ने स्कूटी को कब्जे में ले लिया है। साथ ही स्कूटी की चाबी भी दुकानदार से ले ली है, स्कूटी को स्टार्ट करने की कोशिश की गई लेकिन स्कूटी स्टार्ट नहीं हो पाई। स्कूटी मालिक का पता लगाने में जुटी पुलिस कोई श्रद्धालु स्कूटी पर चिंतपूर्णी मंदिर माथा टेकने आया हुआ था, जिसने दुकान से प्रसाद लिया था। उस दुकानदार को स्कूटी की चाबी देकर कहा की वे ज्वाला जी मंदिर माथा टेकने जा रहा है, स्कूटी को वापस आकर ले जाएगा। लेकिन तीन-चार दिन बीत जाने के बाद भी श्रद्धालु के वापस न आने पर दुकानदार ने स्कूटी की चाबी पुलिस को दे दी है। वहीं पुलिस स्कूटी के मालिक का पता लगाने में जुट गई है। हिमाचल में ऊना जिले के चिंतपूर्णी में एक लावारिस स्कूटी को पुलिस ने कब्जे में लिया है। पिछले चार-पांच दिनों से लावारिस एक्टिवा स्कूटी एक दुकान के आगे खड़ी थी। बताया जा रहा है जिस दुकान के आगे स्कूटी खड़ी थी, उसी दुकानदार को युवक स्कूटी की चाबी भी देख कर गया है। लेकिन चार-पांच दिन बाद स्कूटी का चालक अपनी स्कूटी लेने नहीं आया। चाबी भी दुकानदार के पास छोड़ गया काफी इंतजार करने के बाद दुकानदार ने स्कूटी के बारे में चिंतपूर्णी थाना को जानकारी दी, जिसके बाद मौके पर ट्रैफिक कर्मी मनीष और प्रदीप ने स्कूटी को कब्जे में ले लिया है। साथ ही स्कूटी की चाबी भी दुकानदार से ले ली है, स्कूटी को स्टार्ट करने की कोशिश की गई लेकिन स्कूटी स्टार्ट नहीं हो पाई। स्कूटी मालिक का पता लगाने में जुटी पुलिस कोई श्रद्धालु स्कूटी पर चिंतपूर्णी मंदिर माथा टेकने आया हुआ था, जिसने दुकान से प्रसाद लिया था। उस दुकानदार को स्कूटी की चाबी देकर कहा की वे ज्वाला जी मंदिर माथा टेकने जा रहा है, स्कूटी को वापस आकर ले जाएगा। लेकिन तीन-चार दिन बीत जाने के बाद भी श्रद्धालु के वापस न आने पर दुकानदार ने स्कूटी की चाबी पुलिस को दे दी है। वहीं पुलिस स्कूटी के मालिक का पता लगाने में जुट गई है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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धर्मशाला में बच्चा गोद देने के नाम पर ठगी:आरोपी ने दंपती से 50 हजार लिए एडवांस; न बच्चा दिलाया न पैसे किए वापस कांगड़ा जिले के धर्मशाला में दंपती के साथ बच्चा गोद दिलाने के नाम पर ठगी का मामला सामने आया है। पुराना कांगड़ा निवासी निरंजन ने उनसे हजारों रुपए ले लिए, लेकिन इन दंपती को न तो बच्चा गोद दिलाया और न ही पैसे वापस किए। जिसके बाद पीड़ितों ने मामले की शिकायत एएसपी को दी। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। धर्मशाला के दंपती ने आरोप लगाया कि आरोपी ने उन्हें बच्चा गोद देने के नाम पर 50 हज़ार रुपए एडवांस में दिए थे। अब तक आरोपी न तो उन्हें बच्चा गोद दिलवा पाया और न ही पैसे वापस लौटा रहा है। जब पीड़ित दंपती ने आरोपी से अपने पैसे वापस मांगे तो उसने साफ मना कर दिया। इस धोखाधड़ी से इन पीड़ितों को गहरा सदमा लगा है। उनका कहना है कि हमें लगा था कि बच्चा गोद लेकर हम अपने जीवन में उजाला लाएंगे, लेकिन इसके बजाय इन आरोपियों ने हमारे जीवन में और अंधेरा ला दिया। एडिशनल एसपी बीर बहादुर ने बताया कि पीड़ितों की शिकायत पर एसडीपीओ को मामला दर्ज कर लिया जांच शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
हिमाचल में हाटी समुदाय से जुड़ा मुद्दा फिर गरमाया:कानून बनने के बाद भी लोगों को नहीं मिल रहा लाभ, हाईकोर्ट में लटका मामला
हिमाचल में हाटी समुदाय से जुड़ा मुद्दा फिर गरमाया:कानून बनने के बाद भी लोगों को नहीं मिल रहा लाभ, हाईकोर्ट में लटका मामला हिमाचल प्रदेश जिला सिरमौर के गिरी पार हाटी समुदाय के करीब तीन लाख लोगों से जुड़ा अनुसूचित जनजाति का मामला एक बार फिर गरमा गया है। यह मामला हिमाचल हाईकोर्ट में विचाराधीन है। हाटी समुदाय के लोग इसको जल्दी निपटाने की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि एक साल से ज्यादा का समय केंद्र से कानून बनने के बाद भी लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसको लेकर हाटी समुदाय का एक प्रतिनिधि मंडल मंगलवार देर शाम कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान से मिला। जिसके बाद मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल के साथ हिमाचल हाईकोर्ट में महाधिवक्ता के साथ एक संयुक्त बैठक की। इस बैठक में उन्होंने हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति से जुड़े मामले को हाईकोर्ट से जल्द निपटाने को लेकर चर्चा की। मामले का जल्द निपटारा करने की मांग
कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति दर्जा देने को लेकर सरकार का पक्ष साफ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के मामले में असमंजस की स्थिति केंद्र सरकार की अधिसूचना की वजह से हुई। उन्होंने कहा कि केंद्र का जैसे ही इस मामले में स्पष्टीकरण आया, हिमाचल सरकार ने 24 घंटे के भीतर उसको लागू किया। मगर मामला कोर्ट पहुंच गया जिसके कारण यह लंबित हो गया और इसके लिए उन्होंने लोगों के साथ मिलकर एडवोकेट जनरल से बैठक की है। उनसे आग्रह किया कि इस मामले को जल्द से जल्द निपटाया जाए। मंत्री ने कहा कि इसके लिए एक अच्छा वकील हायर करेंगे, जो मजबूती से हाटी समुदाय का पक्ष रखेंगे, सरकार पूरी मदद करेगी। मंत्री हर्षवर्धन ने भाजपा पर बोला हमला
इस दौरान मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने भाजपा पर भी जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा ने इस मामले को हाई जैक करने का प्रयास किया। लेकिन यह मामला राजनीतिक नहीं है, सभी लोगों ने इसके लिए काम किया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय हाटी संघर्ष समिति आज भाजपा का पिट्ठू बनी हुई है। समिति जनता से हाटी के नाम पर इसलिए पैसे इकट्ठे कर रही है कि सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा कि समिति के लोग सुप्रीम कोर्ट की बात सिर्फ इसलिए करते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी राजनीति चमकानी है। परंतु हाटी कल्याण मंच इस लड़ाई को हाईकोर्ट में मजबूती से लड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस लड़ाई के लिए बहुत लोगों ने काम किया है जो आज इस दुनिया में नहीं हैं वह उन्हें नमन करता है। कैबिनेट मंत्री ने दिया मदद का आश्वासन
वहीं हाटी कल्याण मंच गिरी पार के अध्यक्ष प्रताप सिंह तोमर ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति दर्जा देने के मामले की वर्तमान स्थिति को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल ने कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति दर्जा लागू करने को लेकर हाईकोर्ट के स्टे को हटाया जाए। इसको लेकर हाईकोर्ट में एडवोकेट जनरल के साथ विस्तृत रूप से चर्चा की। प्रताप सिंह तोमर ने कहा कि कैबिनेट मंत्री की ओर से उन्हें आश्वासन दिया गया है, कि इस मामले में सरकार हाटी समुदाय की पूरी तरह से मदद करने का प्रयास करेगी। 21 नवंबर को मामले की होगी सुनवाई
वहीं हिमाचल हाईकोर्ट में महाधिवक्ता अनूप रतन ने कहा कि हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्रदेश में लागू करने के मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है। अनूप ने बताया कि आज एक प्रतिनिधि मंडल ने उनसे मुलाकात की है। वह दलीलों के जरिए जल्द से जल्द इस मामले का निपटारा करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने बताया कि 21 नवंबर को इस मामले में सुनवाई होनी है। मगर सरकार न्यायालय से दरख़्वास्त करेगी कि जल्द से जल्द मामले को सुना जाए। क्या है मामला.?
बता दें कि हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के ट्रांसगिरी क्षेत्र में हाटी समुदाय के लोग 1967, यानी 55 सालों से उत्तराखंड के जौनसार बाबर को जनजाति दर्जा मिलने के बाद से उसी तर्ज पर जनजाति दर्जे की मांग को लेकर संघर्षरत हैं। केंद्रीय कैबिनेट ने हाटी समुदाय की मांग को 14 सितंबर 2022 को अपनी मंजूरी दी थी। उसके बाद 16 दिसंबर 2022 को यह बिल लोकसभा से पारित हुआ और जुलाई 2023 में राज्यसभा से भी पारित हो गया। बाद में इसे राष्ट्रपति के लिए भेजा गया था, जहां 9 दिनों में ही राष्ट्रपति ने भी विधेयक पर मुहर लगा दी। लेकिन फिर मामला हाईकोर्ट पहुंच गया और तब से लंबित पड़ा है। इसका लाभ लोगों को नही मिल रहा है। बता दें कि सिरमौर जिले के हाटी समुदाय में करीब तीन लाख लोग, शिलाई, श्रीरेणुकाजी, पच्छाद और पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्रों में रहते हैं। जिला सिरमौर की कुल 269 पंचायतों में से ट्रांसगिरी में 154 पंचायतें आती हैं। इन 154 पंचायतों की 14 जातियों तथा उप जातियों को एसटी संशोधित विधेयक में शामिल किया गया है।