चौहारघाटी में लापता युवक का नहीं लगा सुराग:थक हार कर लौटी रेस्क्यू टीम, 31 अगस्त को मलबे में दबा था

चौहारघाटी में लापता युवक का नहीं लगा सुराग:थक हार कर लौटी रेस्क्यू टीम, 31 अगस्त को मलबे में दबा था

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के चौहारघाटी के राजबन घटनास्थल में सर्च आपरेशन के 9वें दिन भी लापता हरदेव का कोई सुराग नहीं लग पाया। रेस्क्यू टीम को थक हार कर वापस लौटना पड़ा। युवक की तलाश में शुक्रवार को फिर घटनास्थल पर चप्पा चप्पा छाना। वहीं नीचे पजौंड़ नाला में भी तलाश की। लेकिन कुछ हासिल नहीं हो पाया। ऐसे में प्रशासन सहित एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, होमगार्ड और पुलिस जवान अब यहां रेस्कयू बंद कर लौट आए हैं। ग्रामीणों ने जिला और उपमंडल प्रशासन सहित यहां रेस्कयू में जुटे सभी जवानों का आभार जताया है। हालांकि युवक का कोई पता नहीं चलने से धरयाण गांव में मायूसी भी है। मलबे में दफन हो गया था युवक घटना में लापता धरयाण गांव का हरदेव 31 अगस्त को ही अपनी बुआ खुड़ी देवी के घर गया था। दूसरे दिन हरदेव को अपने दोस्त तेरंग गांव निवासी भादर सिंह के साथ मनाली जाना था। दोनों मनाली में गाइडिंग का काम करते थे। लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। घटना में हरदेव भी मलबे में दफन हो गया। जो अब तक लापता है। लापता हरदेव के दो बेटे हैं। जिनमे बड़ा बेटा 4 साल और छोटा महज डेढ़ साल का है। पत्नी गीता देवी पिछले नौ दिनों से ही बेसुध है। जिसने खाना पीना सब त्याग दिया है। ग्रामीण और रिश्तेदार ढांढस बंधा रहे हैं। लेकिन वह सदमे से बाहर नहीं आ पा रही है। खाली हाथ लौटी रेस्क्यू टीम एनडीआरएफ के टीम लीडर नीरज भारती ने बताया कि लापता युवक की तलाश में 3 दिन अतिरिक्त सर्च ऑपरेशन चलाया गया। लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली। एसडीएम डॉ. भावना वर्मा ने कहा कि युवक की तलाश में रेस्क्यू टीम ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। घटनास्थल के साथ साथ पजौंड़ खड्ड से लेकर ऊहल नदी तक भी कोना कोना छान मारा। लेकिन कुछ सफलता नहीं मिली। ऐसे में अब सर्च ऑपरेशन बंद कर दिया गया है। पहले भी हुई थी त्रासदी राजबन गांव में लगभग एक सदी पहले ऐसी ही त्रासदी हो चुकी है। जिसमें वृद्ध व्यक्ति खुड़ू राम बड़ी चट्टान के नीचे दब गया था। उसकी धर्म पत्नी सुरक्षित बच गई थी। धमच्याण पंचायत के पूर्व प्रधान काहन सिंह ठाकुर ने बताया कि उस दौरान भी खुड़ू राम का शव बरामद नहीं हो पाया था। वृद्ध खुड़ू राम हाल ही में हादसे में मृत सौजु राम का दादा था। उस दौरान राजबन गांव वासियों के मकान ऊपर की ओर को पहाड़ी के साथ होते थे। उस दौरान हुई घटना के बाद ही नीचे रिहायश बनाई गई। जहां लगभग सौ वर्ष बाद फिर भीषण त्रासदी हुई। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के चौहारघाटी के राजबन घटनास्थल में सर्च आपरेशन के 9वें दिन भी लापता हरदेव का कोई सुराग नहीं लग पाया। रेस्क्यू टीम को थक हार कर वापस लौटना पड़ा। युवक की तलाश में शुक्रवार को फिर घटनास्थल पर चप्पा चप्पा छाना। वहीं नीचे पजौंड़ नाला में भी तलाश की। लेकिन कुछ हासिल नहीं हो पाया। ऐसे में प्रशासन सहित एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, होमगार्ड और पुलिस जवान अब यहां रेस्कयू बंद कर लौट आए हैं। ग्रामीणों ने जिला और उपमंडल प्रशासन सहित यहां रेस्कयू में जुटे सभी जवानों का आभार जताया है। हालांकि युवक का कोई पता नहीं चलने से धरयाण गांव में मायूसी भी है। मलबे में दफन हो गया था युवक घटना में लापता धरयाण गांव का हरदेव 31 अगस्त को ही अपनी बुआ खुड़ी देवी के घर गया था। दूसरे दिन हरदेव को अपने दोस्त तेरंग गांव निवासी भादर सिंह के साथ मनाली जाना था। दोनों मनाली में गाइडिंग का काम करते थे। लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। घटना में हरदेव भी मलबे में दफन हो गया। जो अब तक लापता है। लापता हरदेव के दो बेटे हैं। जिनमे बड़ा बेटा 4 साल और छोटा महज डेढ़ साल का है। पत्नी गीता देवी पिछले नौ दिनों से ही बेसुध है। जिसने खाना पीना सब त्याग दिया है। ग्रामीण और रिश्तेदार ढांढस बंधा रहे हैं। लेकिन वह सदमे से बाहर नहीं आ पा रही है। खाली हाथ लौटी रेस्क्यू टीम एनडीआरएफ के टीम लीडर नीरज भारती ने बताया कि लापता युवक की तलाश में 3 दिन अतिरिक्त सर्च ऑपरेशन चलाया गया। लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली। एसडीएम डॉ. भावना वर्मा ने कहा कि युवक की तलाश में रेस्क्यू टीम ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। घटनास्थल के साथ साथ पजौंड़ खड्ड से लेकर ऊहल नदी तक भी कोना कोना छान मारा। लेकिन कुछ सफलता नहीं मिली। ऐसे में अब सर्च ऑपरेशन बंद कर दिया गया है। पहले भी हुई थी त्रासदी राजबन गांव में लगभग एक सदी पहले ऐसी ही त्रासदी हो चुकी है। जिसमें वृद्ध व्यक्ति खुड़ू राम बड़ी चट्टान के नीचे दब गया था। उसकी धर्म पत्नी सुरक्षित बच गई थी। धमच्याण पंचायत के पूर्व प्रधान काहन सिंह ठाकुर ने बताया कि उस दौरान भी खुड़ू राम का शव बरामद नहीं हो पाया था। वृद्ध खुड़ू राम हाल ही में हादसे में मृत सौजु राम का दादा था। उस दौरान राजबन गांव वासियों के मकान ऊपर की ओर को पहाड़ी के साथ होते थे। उस दौरान हुई घटना के बाद ही नीचे रिहायश बनाई गई। जहां लगभग सौ वर्ष बाद फिर भीषण त्रासदी हुई।   हिमाचल | दैनिक भास्कर