शिरोमणि अकाली दल के पुनर्गठन के लिए गठित 7 सदस्यीय कमेटी अभी भी कायम है और सक्रिय है। यह जानकारी श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने मीडिया से बातचीत करते हुए दी। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि 2 दिसंबर को जारी आदेशों की पालना में अभी भी ढिलाई बरती जा रही है, जो नहीं होनी चाहिए। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि कल चंडीगढ़ में अकाली दल की कार्यकारिणी की बैठक हुई थी। जिसके बाद पार्टी के प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि बैठक में सुखबीर बादल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस बैठक में केवल सुखबीर बादल का इस्तीफा स्वीकार किया गया है। जबकि अन्य द्वारा दिए गए इस्तीफे पहले ही अस्वीकार कर दिए गए थे और इसकी जानकारी भी पार्टी रजिस्टर में दर्ज है। आदेशों के पालन में ढिलाई बरती गई जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि अगर 7 सदस्यीय कमेटी का जिक्र नहीं किया गया और उसे क्रियाशील नहीं बनाया गया तो इससे साफ है कि 2 दिसंबर को जारी आदेशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि वर्किंग कमेटी बनी रहे। जो आदेश दिए गए हैं, उन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाए। डेढ़ महीने तक बादल परिवार के हाथ में नहीं रहेगी अकाली दल सुखबीर सिंह का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद करीब डेढ़ महीने तक अकाली दल बादल परिवार के हाथ में नहीं रहेगी। सुखबीर बादल 2008 से इस कुर्सी पर काबिज हैं। हालांकि अकाली दल के चुनाव हर 5 साल में होते हैं, लेकिन आज तक उन्हें इस्तीफा नहीं देना पड़ा है। फिलहाल पार्टी का फोकस नए सदस्य बनाने पर है। पार्टी का लक्ष्य इस दौरान 25 लाख लोगों को अपने साथ जोड़ना है। यह सदस्यता अभियान 20 फरवरी से शुरू होगा। शिरोमणि अकाली दल के पुनर्गठन के लिए गठित 7 सदस्यीय कमेटी अभी भी कायम है और सक्रिय है। यह जानकारी श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने मीडिया से बातचीत करते हुए दी। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि 2 दिसंबर को जारी आदेशों की पालना में अभी भी ढिलाई बरती जा रही है, जो नहीं होनी चाहिए। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि कल चंडीगढ़ में अकाली दल की कार्यकारिणी की बैठक हुई थी। जिसके बाद पार्टी के प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि बैठक में सुखबीर बादल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस बैठक में केवल सुखबीर बादल का इस्तीफा स्वीकार किया गया है। जबकि अन्य द्वारा दिए गए इस्तीफे पहले ही अस्वीकार कर दिए गए थे और इसकी जानकारी भी पार्टी रजिस्टर में दर्ज है। आदेशों के पालन में ढिलाई बरती गई जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि अगर 7 सदस्यीय कमेटी का जिक्र नहीं किया गया और उसे क्रियाशील नहीं बनाया गया तो इससे साफ है कि 2 दिसंबर को जारी आदेशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि वर्किंग कमेटी बनी रहे। जो आदेश दिए गए हैं, उन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाए। डेढ़ महीने तक बादल परिवार के हाथ में नहीं रहेगी अकाली दल सुखबीर सिंह का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद करीब डेढ़ महीने तक अकाली दल बादल परिवार के हाथ में नहीं रहेगी। सुखबीर बादल 2008 से इस कुर्सी पर काबिज हैं। हालांकि अकाली दल के चुनाव हर 5 साल में होते हैं, लेकिन आज तक उन्हें इस्तीफा नहीं देना पड़ा है। फिलहाल पार्टी का फोकस नए सदस्य बनाने पर है। पार्टी का लक्ष्य इस दौरान 25 लाख लोगों को अपने साथ जोड़ना है। यह सदस्यता अभियान 20 फरवरी से शुरू होगा। पंजाब | दैनिक भास्कर
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