इस्लामाबाद में 15 और 16 अक्टूबर को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का शिखर सम्मेलन दक्षिण एशिया और मध्य एशिया में शांति तथा सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन था। शिखर सम्मेलन में भारतीय विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर की भागीदारी भी दुनिया भर के कई पर्यवेक्षकों के लिए काफ़ी अहम थी। अधिकांश पाकिस्तानी एससीओ के बारे में ज़्यादा नहीं जानते हैं, जिसकी स्थापना 2001 में शंघाई में हुई थी। शुरुआत में इस संगठन को “शंघाई फाइव’ कहा जाता था, जिसके संस्थापक सदस्य चीन, रूस, कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान थे। बाद में उज़्बेकिस्तान भी इसमें शामिल हो गया। 2017 में भारत और पाकिस्तान को इसमें शामिल किया गया। ईरान 2023 में और बेलारूस 2024 में शामिल हुआ। यह भूगोल और आबादी के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन है, जो दुनिया के लगभग 80 फ़ीसदी भूभाग और 40 फ़ीसदी आबादी को कवर करता है। एससीओ के भागीदार मुल्कों का दुनिया के 20 फ़ीसदी तेल भंडारों और 44 फ़ीसदी प्राकृतिक गैस पर नियंत्रण है। इसमें कोई शक नहीं है कि एससीओ पर वास्तव में चीन और रूस का दबदबा है, लेकिन 2017 से यह संगठन भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहा है, क्योंकि सार्क लंबे समय से निष्क्रिय है। पिछले साल पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी गोवा में आयोजित हुई मंत्री स्तरीय बैठक में शिरकत करने के लिए भारत गए थे। पाकिस्तान के किसी विदेश मंत्री ने 12 साल के बाद भारत का दौरा किया था। भारत ने पिछले साल दिल्ली में एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक की मेज़बानी की थी। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने वीडियो लिंक के जरिए उस बैठक में हिस्सा लिया था। अब भारतीय विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर कई सालों बाद पाकिस्तान आए। उन्होंने भारत-पाकिस्तान के ताल्लुकात को लेकर कोई बात नहीं की। वे केवल एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए यहां आए थे, लेकिन इस्लामाबाद में उनकी मौजूदगी भर से भारत और पाकिस्तान के अमन-पसंद लोगों के बीच एक अच्छा पैग़ाम गया है। दिल्ली में 2023 के एससीओ शिखर सम्मेलन और इस्लामाबाद के इस शिखर सम्मेलन के संयुक्त घोषणा-पत्र में कोई बहुत ज़्यादा फ़र्क़ नहीं है। दोनों घोषणा-पत्रों में आतंकवाद की निंदा की गई और एससीओ को क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढांचे के रूप में विकसित किए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया। इस्लामाबाद शिखर सम्मेलन का दस्तावेज़ बहुत अहम इसलिए भी है, क्योंकि इसमें कहा गया है कि एससीओ भारत और पाकिस्तान के लिए न केवल आतंकवाद के ख़िलाफ़, बल्कि नशीले पदार्थों की तस्करी के ख़िलाफ़ भी सहयोग करने का एक नया मंच बनने जा रहा है। भारत और पाकिस्तान दोनों को तेल और गैस की दरकार है। वे ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए एससीओ मंच का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस्लामाबाद में अपने प्रवास के दौरान डॉ. जयशंकर बहुत चौकस रहे। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मसलों को छुआ तक नहीं। पिछले साल गोवा में भी वे पाकिस्तानी विदेश मंत्री से नहीं मिले थे और इस्लामाबाद के अपने प्रवास के दौरान भी उन्होंने अपने पाकिस्तानी समकक्ष के साथ कोई औपचारिक द्विपक्षीय बैठक नहीं की। ऐसा लगता है कि फिलहाल भारत और पाकिस्तान दोनों ही हुकूमतें जम्मू-कश्मीर पर अपने रुख में कोई लचीलापन नहीं दिखाएंगी। दोनों ही आतंकी घटनाओं के लिए एक-दूसरे पर इल्ज़ाम मढ़ते रहेंगे, लेकिन साथ ही “क्षेत्रीय सहयोग’ के नाम पर अहम मसलों पर चर्चा करने के लिए उन्हें एससीओ की छत्रछाया भी मिल गई है। इस्लामाबाद शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिकी डॉलर और यूरो को दरकिनार करते हुए स्थानीय मुद्राओं में आपसी व्यापार को बढ़ाने पर ख़ासा ज़ोर दिया गया। भले ही भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के साथ व्यापार शुरू न करें, लेकिन अगर ये दोनों देश चीन, रूस और ईरान के साथ स्थानीय मुद्राओं में व्यापार शुरू करते हैं, तो उनकी स्थानीय मुद्राओं को भी परोक्ष रूप से कुछ मज़बूती मिल सकती है। इस्लामाबाद में यह धारणा है कि इस संगठन में चीन के प्रभुत्व की वजह से भारत एससीओ के महत्व को कम करने की कोशिश कर रहा है। भारत ‘ब्रिक्स’ (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, ईरान, सऊदी अरब, मिस्र, इथियोपिया और यूएई) पर ज़्यादा ध्यान दे रहा है। ब्रिक्स पर रूस का नियंत्रण है। पाकिस्तान अभी ब्रिक्स का सदस्य नहीं है, लेकिन उसने हाल ही में इसकी सदस्यता के लिए आवेदन किया है। रूस सहित इस मंच के दस में से छह सदस्यों ने पाकिस्तान को भरोसा दिया है कि वे ब्रिक्स में उसके शामिल होने का समर्थन करते हैं। रूस इसी माह 22 से 24 अक्टूबर तक कज़ान में अगला ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा। अगर पाकिस्तान ब्रिक्स का सदस्य बन जाता है तो ईरान और भारत जैसे उसके पड़ोसियों को अमेरिका को नाराज़ किए बिना एक-दूसरे के साथ आर्थिक सहयोग शुरू करने का एक और मंच मिल जाएगा। इस्लामाबाद में एससीओ शिखर सम्मेलन पाकिस्तान के लिए रूस और चीन को यह समझाने का एक बड़ा मौक़ा था कि उन्हें उसे ब्रिक्स में शामिल करना चाहिए। यह एससीओ शिखर सम्मेलन का सबसे बड़ा रहस्य था, जिसे इस्लामाबाद ने कभी सार्वजनिक नहीं किया। ———————– ये कॉलम भी पढ़ें… पाकिस्तानी फ़ौज के गले की हड्डी बन गए हैं इमरान!:ख़ान के बारे में सभी अंदाजे ग़लत साबित हुए; ऐसी स्थिति तीसरी बार बनी इस्लामाबाद में 15 और 16 अक्टूबर को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का शिखर सम्मेलन दक्षिण एशिया और मध्य एशिया में शांति तथा सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन था। शिखर सम्मेलन में भारतीय विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर की भागीदारी भी दुनिया भर के कई पर्यवेक्षकों के लिए काफ़ी अहम थी। अधिकांश पाकिस्तानी एससीओ के बारे में ज़्यादा नहीं जानते हैं, जिसकी स्थापना 2001 में शंघाई में हुई थी। शुरुआत में इस संगठन को “शंघाई फाइव’ कहा जाता था, जिसके संस्थापक सदस्य चीन, रूस, कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान थे। बाद में उज़्बेकिस्तान भी इसमें शामिल हो गया। 2017 में भारत और पाकिस्तान को इसमें शामिल किया गया। ईरान 2023 में और बेलारूस 2024 में शामिल हुआ। यह भूगोल और आबादी के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन है, जो दुनिया के लगभग 80 फ़ीसदी भूभाग और 40 फ़ीसदी आबादी को कवर करता है। एससीओ के भागीदार मुल्कों का दुनिया के 20 फ़ीसदी तेल भंडारों और 44 फ़ीसदी प्राकृतिक गैस पर नियंत्रण है। इसमें कोई शक नहीं है कि एससीओ पर वास्तव में चीन और रूस का दबदबा है, लेकिन 2017 से यह संगठन भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहा है, क्योंकि सार्क लंबे समय से निष्क्रिय है। पिछले साल पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी गोवा में आयोजित हुई मंत्री स्तरीय बैठक में शिरकत करने के लिए भारत गए थे। पाकिस्तान के किसी विदेश मंत्री ने 12 साल के बाद भारत का दौरा किया था। भारत ने पिछले साल दिल्ली में एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक की मेज़बानी की थी। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने वीडियो लिंक के जरिए उस बैठक में हिस्सा लिया था। अब भारतीय विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर कई सालों बाद पाकिस्तान आए। उन्होंने भारत-पाकिस्तान के ताल्लुकात को लेकर कोई बात नहीं की। वे केवल एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए यहां आए थे, लेकिन इस्लामाबाद में उनकी मौजूदगी भर से भारत और पाकिस्तान के अमन-पसंद लोगों के बीच एक अच्छा पैग़ाम गया है। दिल्ली में 2023 के एससीओ शिखर सम्मेलन और इस्लामाबाद के इस शिखर सम्मेलन के संयुक्त घोषणा-पत्र में कोई बहुत ज़्यादा फ़र्क़ नहीं है। दोनों घोषणा-पत्रों में आतंकवाद की निंदा की गई और एससीओ को क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढांचे के रूप में विकसित किए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया। इस्लामाबाद शिखर सम्मेलन का दस्तावेज़ बहुत अहम इसलिए भी है, क्योंकि इसमें कहा गया है कि एससीओ भारत और पाकिस्तान के लिए न केवल आतंकवाद के ख़िलाफ़, बल्कि नशीले पदार्थों की तस्करी के ख़िलाफ़ भी सहयोग करने का एक नया मंच बनने जा रहा है। भारत और पाकिस्तान दोनों को तेल और गैस की दरकार है। वे ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए एससीओ मंच का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस्लामाबाद में अपने प्रवास के दौरान डॉ. जयशंकर बहुत चौकस रहे। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मसलों को छुआ तक नहीं। पिछले साल गोवा में भी वे पाकिस्तानी विदेश मंत्री से नहीं मिले थे और इस्लामाबाद के अपने प्रवास के दौरान भी उन्होंने अपने पाकिस्तानी समकक्ष के साथ कोई औपचारिक द्विपक्षीय बैठक नहीं की। ऐसा लगता है कि फिलहाल भारत और पाकिस्तान दोनों ही हुकूमतें जम्मू-कश्मीर पर अपने रुख में कोई लचीलापन नहीं दिखाएंगी। दोनों ही आतंकी घटनाओं के लिए एक-दूसरे पर इल्ज़ाम मढ़ते रहेंगे, लेकिन साथ ही “क्षेत्रीय सहयोग’ के नाम पर अहम मसलों पर चर्चा करने के लिए उन्हें एससीओ की छत्रछाया भी मिल गई है। इस्लामाबाद शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिकी डॉलर और यूरो को दरकिनार करते हुए स्थानीय मुद्राओं में आपसी व्यापार को बढ़ाने पर ख़ासा ज़ोर दिया गया। भले ही भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के साथ व्यापार शुरू न करें, लेकिन अगर ये दोनों देश चीन, रूस और ईरान के साथ स्थानीय मुद्राओं में व्यापार शुरू करते हैं, तो उनकी स्थानीय मुद्राओं को भी परोक्ष रूप से कुछ मज़बूती मिल सकती है। इस्लामाबाद में यह धारणा है कि इस संगठन में चीन के प्रभुत्व की वजह से भारत एससीओ के महत्व को कम करने की कोशिश कर रहा है। भारत ‘ब्रिक्स’ (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, ईरान, सऊदी अरब, मिस्र, इथियोपिया और यूएई) पर ज़्यादा ध्यान दे रहा है। ब्रिक्स पर रूस का नियंत्रण है। पाकिस्तान अभी ब्रिक्स का सदस्य नहीं है, लेकिन उसने हाल ही में इसकी सदस्यता के लिए आवेदन किया है। रूस सहित इस मंच के दस में से छह सदस्यों ने पाकिस्तान को भरोसा दिया है कि वे ब्रिक्स में उसके शामिल होने का समर्थन करते हैं। रूस इसी माह 22 से 24 अक्टूबर तक कज़ान में अगला ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा। अगर पाकिस्तान ब्रिक्स का सदस्य बन जाता है तो ईरान और भारत जैसे उसके पड़ोसियों को अमेरिका को नाराज़ किए बिना एक-दूसरे के साथ आर्थिक सहयोग शुरू करने का एक और मंच मिल जाएगा। इस्लामाबाद में एससीओ शिखर सम्मेलन पाकिस्तान के लिए रूस और चीन को यह समझाने का एक बड़ा मौक़ा था कि उन्हें उसे ब्रिक्स में शामिल करना चाहिए। यह एससीओ शिखर सम्मेलन का सबसे बड़ा रहस्य था, जिसे इस्लामाबाद ने कभी सार्वजनिक नहीं किया। ———————– ये कॉलम भी पढ़ें… पाकिस्तानी फ़ौज के गले की हड्डी बन गए हैं इमरान!:ख़ान के बारे में सभी अंदाजे ग़लत साबित हुए; ऐसी स्थिति तीसरी बार बनी उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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अमरजीत निषाद अयोध्या छावनी परिषद के पूर्व सभासद हैं। उन्होंने दिसंबर, 2023 को छावनी परिषद के मुख्य अधिशासी अधिकारी के कार्यालय में टेंडर घोटाले की शिकायत की। बतौर सबूत उन्होंने टेंडर नंबर और कंप्यूटर के IP एड्रेस की डिटेल साझा की। उनके आरोप थे कि टेंडर जारी करते हुए जिन कंप्यूटर का इस्तेमाल विभाग के कर्मचारियों ने किया। उन्हीं कंप्यूटर से टेंडर ठेकेदारों ने भरे या विभाग के कर्मचारियों से ही भरवा दिए गए। सामने आया कि यह धांधली 2021 से लेकर 2024 के बीच हुई। RTI में सामने आया कि कंपनियों ने टेंडर लेने के लिए फर्जी दस्तावेज लगाए। यह कागज अयोध्या और आगरा डीएम ऑफिस में लगाए गए। छावनी के CEO तक जो लेटर दिए गए, उनमें 9 कंपनियों के खिलाफ शिकायत की गई। यह सब टेंडर के पैसों की बंदरबांट के लिए किया गया। यह भी सामने आया कि जेम पोर्टल से खरीदारी में भी ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया गया। सामान का रेट मार्केट वैल्यू से दो से तीन गुना ज्यादा रखा गया। आगरा डीएम ऑफिस ने कंपनी का चरित्र प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार किया… 45 मिनट में 6 कंपनियों ने भरे टेंडर
8 महीने पहले टेंडर नंबर GEM/2023/B/3344431 की जांच रक्षा एकीकरण के सलाहकार ने की। छानबीन के बाद सामने आया कि सिर्फ 45 मिनट में 6 कंपनी ने एक ही कंप्यूटर से टेंडर को भरा। इस मामले में 29 मई, 2023 एक्शन के लिए रक्षा एकीकरण के सलाहकार की तरफ से पत्र लिखा गया। मगर, एक्शन नहीं लिया गया। अयोध्या डीएम ऑफिस ने कंपनी का चरित्र प्रमाण पत्र जारी करने से इंकार किया… CEO और अकाउंटेंट पर आरोप
पूर्व सीईओ यशपाल सिंह ढाई साल से अयोध्या छावनी परिषद में तैनात थे। आरोप लगने के बाद 12 अगस्त, 2024 को उन्हें चार्ज से हटा दिया गया। 15 अगस्त को उनके द्वारा जारी फाइनेंशियल एक्टिविटी पर रोक लगा दी गई। वहीं, संजीव कुमार कार्यवाहक अकाउंटेंट के पद पर 4 वर्षों से तैनात हैं। दोनों के खिलाफ CBI जांच कर रही है। इन आरोपों के बीच हमने छावनी परिषद से निकाले गए कर्मचारियों से बातचीत की… सौम्य बोले- अचानक नौकरी से निकाला गया
सौम्य ने बताया- सबसे पहले छत्तीसगढ़ की एक कंपनी के साथ काम किया। फिर अचानक एक दिन हमसे 10-10 हजार रुपए रजिस्ट्रेशन के मांगे गए। हमने रोजी-रोटी के लिए पैसा दिया। मगर, फिर एक दिन हम लोगों को हटा दिया गया। जिन लोगों को रखा गया, उन्हें किन आधार पर रखा गया, यह नहीं बताया गया। इसके बाद हमारी प्रीतम कुमार से बात हुई। वह बोले- हमने कैंटोनमेंट बोर्ड में 4 साल काम किया। एक दिन सुबह हाजिरी लेने के बाद हमें हटा दिया गया। कारण नहीं बताया गया। वेतन भी एक महीने का नहीं दिया गया है। अवध कुमार शर्मा ने बताया- हम कोरोना काल के पहले से काम कर रहे हैं। एक दिन सुपरवाइजर ने हम लोगों को मैदान में इकट्ठा किया। कहा कि अब आपकी जगह पर नए लोग काम करेंगे। हमें ये भी नहीं बताया गया कि हमारी गलती क्या थी। तीन साल पहले जब एक फर्म आई तो सभी कर्मचारियों से 10-10 हजार रुपए रजिस्ट्रेशन के नाम पर घूस लिया, इसके बाद से आने वाली सभी फर्मो ने 10-10 हजार लेते थे, इस बार बिना कुछ बताए बाहर निकल दिया गया। जिस कंप्यूटर से टेंडर जारी हुए, टेंडर भरे भी वहीं से गए सपा शासन में मंत्री रहे तेज नारायण ने क्या-कुछ कहा… यह भी पढ़ें : रक्षा मंत्री बोले- युद्ध के लिए तैयार रहे सेना:लखनऊ में राजनाथ ने कहा- AI का इस्तेमाल करें; भारत को सतर्क रहने की जरूरत ‘भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है। लेकिन, सशस्त्र बलों को शांति बनाए रखने को युद्ध के लिए तैयार रहना होगा। भविष्य में होने वाले युद्धों और चुनौतियों से निपटने की तैयारी अभी से करनी होगी। वैश्विक अस्थिरता के बावजूद भारत में शांति है, लेकिन हमें सतर्क रहने की जरूरत है।’ यह बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार (5 सितंबर) को लखनऊ में संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन में कही। रक्षा मंत्री ने रूस-यूक्रेन, इजराइल-हमास संघर्षों और बांग्लादेश में मौजूदा अस्थिर स्थिति का जिक्र करते हुए कमांडरों से इन घटनाओं का एनालिसिस करने को कहा। पढ़िए पूरी खबर…
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Bihar News: जन सुराज को मिला चुनाव चिह्न, ‘स्कूल बैग’ सिंबल पर लड़ेंगे प्रशांत किशोर के चारों उम्मीदवार <p style=”text-align: justify;”><strong>Jan Suraj got election symbol school Bag:</strong> पटना निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा उपचुनाव के लिए जन सुराज पार्टी को चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया है. पार्टी के सभी प्रत्याशियों को स्कूल का बस्ता (बैग) आवंटित किया गया है. बिहार विधानसभा उपचुनाव के लिए जन सुराज को मिले इसी चिह्न पर चारों प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे. पार्टी ने किरण सिंह, मोहम्मद अमजद, जितेंद्र पासवान और सुशील सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है.</p>
<div class=”n4sEPd”>
<div class=”QFw9Te BLojaf” style=”text-align: justify;”>
<div id=”ow6″ style=”text-align: justify;”>इससे पहले भोजपुर में जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने कहा था कि चुनाव आयोग जो भी चुनाव चिह्न आवंटित करेगा, हम उसे स्वीकार करेंगे. चिह्न महत्वपूर्ण नहीं है, बिहार में बदलाव महत्वपूर्ण है, और एक अच्छे उम्मीदवार का चुनाव महत्वपूर्ण है, जो भी जन सुराज के नाम पर चुनाव लड़ रहे हैं, चुनाव आयोग आज जो भी चिन्ह देगा, हम उसी के साथ जनता के बीच पहुंचेंगे. </div>
<blockquote class=”twitter-tweet” data-media-max-width=”560″>
<p dir=”ltr” lang=”en”><a href=”https://twitter.com/hashtag/WATCH?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#WATCH</a> | Bhojpur, Bihar: Jan Suraaj Party Chief Prashant Kishore says, “…Whatever symbol will be allotted by the Election Commission, we will accept it. The symbol is not important, change in Bihar is important, and the election of a good candidate is important. Whoever is… <a href=”https://t.co/abqDjACfCP”>pic.twitter.com/abqDjACfCP</a></p>
— ANI (@ANI) <a href=”https://twitter.com/ANI/status/1851542802238476581?ref_src=twsrc%5Etfw”>October 30, 2024</a></blockquote>
<script src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” async=”” charset=”utf-8″></script>
<div style=”text-align: justify;”> </div>
<div style=”text-align: justify;”>आज ही प्रशांत किशोर ने रामगढ़ में विधानसभा उपचुनाव को लेकर लोगों को उनके अधिकार और उनके वोट की ताकत के बारे में जागरूक किया है. प्रशांत किशोर ने बुधवार को दुर्गावती रामगढ़ और नुआंव प्रखंड का दौरा किया. प्रशांत किशोर ने आधा दर्जन जनसभाओं को संबोधित कर सरकार पर निशाना साधा. प्रशांत किशोर ने यज्ञशाला मैदान (कल्याणपुर) दुर्गावती, एसएन सिंह इंग्लिश स्कूल (रामगढ़), बड्डा मैदान अकोल्ही, नुआंव, मध्य विद्यालय मैदान सदुल्लहपुर, दरवान और रामगढ़ के सिसौरा गांव की सभाओं में लोगों से संवाद किया.</div>
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लुधियाना में SHO जगजीत सिंह पर FIR दर्ज:होटल मालिक से मांगे 2.70 हजार;ASI चरणजीत का विजिलें में खुलासा,इंस्पेक्टर के कहने पर मांगी रिश्वत
लुधियाना में SHO जगजीत सिंह पर FIR दर्ज:होटल मालिक से मांगे 2.70 हजार;ASI चरणजीत का विजिलें में खुलासा,इंस्पेक्टर के कहने पर मांगी रिश्वत पंजाब के लुधियाना में विजिलेंस ब्योरों ने शनिवार रात भ्रष्टाचार के आरोप में डिवीजन नंबर 5 पुलिस स्टेशन में तैनात ASI चरणजीत सिंह के खिलाफ FIR दर्ज करने के एक महीने बाद विजिलेंस ब्यूरो ने इंस्पेक्टर जगजीत सिंह नागपाल पर भी मामला दर्ज किया। 8 जुलाई को होटल मालिक से मांगी 2 लाख 70 हजार रिश्वत यह कार्रवाई ASI चरणजीत सिंह के बयान के बाद की गई है, जिन्हें 8 जुलाई को एक होटल मालिक से 2,70,000 रुपये की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में सतर्कता ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था। एएसआई ने कहा कि उसने इंस्पेक्टर के कहने पर रिश्वत की मांग की थी। SHO नागपाल है फरार इंस्पेक्टर जगजीत सिंह नागपाल फरार हैं.जब विजिलेंस ब्यूरो ने एएसआई को गिरफ्तार किया, तब वह डिवीजन नंबर 5 पुलिस स्टेशन में SHO के रूप में तैनात थे। बाद में उनका तबादला पुलिस लाइन कर दिया गया। जैसे ही इंस्पेक्टर को पता चला कि उसे निगरानी ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है, वह विभाग को सूचित किए बिना भाग गया। SSP रविंदरपाल सिंह ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है। उन्होंने पाया कि आरोपी इंस्पैक्टर विभाग को सूचित किए बिना ड्यूटी से अनुपस्थित था। सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान विजिलेंस ब्योरो को यह भी पता चला कि इंस्पेक्टर किराये के आलीशान मकान में रह रहा था, जिसका मासिक किराया लाखों रुपये है। विजिलेंस ब्योरो ने भी घर को लेकर जांच शुरू की। ये पढ़े पूरा मामला जवाहर नगर कैंप में होटल ताज के मालिक कमलजीत आहूजा की शिकायत के बाद सतर्कता ब्यूरो (वीबी) ने 2 जुलाई को 2,70,000 रुपये की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में एएसआई चरणजीत सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि एएसआई ने उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ उक्त पुलिस स्टेशन में पहले से दर्ज एक मामले में आईपीसी की धारा 307, 379-बी जोड़ने के लिए उससे धमकी देकर अवैध रिश्वत ली थी और अधिक रिश्वत की मांग कर रहे थे। जांच के दौरान विजिलेंस ब्योरो ने पाया कि यह साबित हो गया है कि एएसआई चरणजीत सिंह ने इस थाने के SHO के नाम पर 2,70,000 रुपये की रिश्वत ली थी और शिकायतकर्ता को अनुमति देने के लिए प्रति माह 2 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी। एएसआई ने 8 जुलाई को विजिलेंस ब्यूरो के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। पूछताछ के दौरान एएसआई ने खुलासा किया कि उसने इंस्पेक्टर के कहने पर रिश्वत ली थी।