पंजाब के जालंधर से ग्रीस गए युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में वहां पर मौत हो गई। मृतक की पहचान शाहकोट के मोहल्ला बागवाला के रहने वाले 42 वर्षीय धरमिंदर सिंह उर्फ लक्की के रूप में हुई है। लक्की की मौत पुष्टि भाई सरबजीत सिंह ने की है। लक्की करीब 5 साल पहले ग्रीस गया था। मृतक के बड़े भाई सरबजीत सिंह ने बताया कि उसका भाई धरमिंदर सिंह लक्की (42) जो करीब 5 साल पहले ग्रीस गया था। उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पास के गांव के एक युवक ने सरबजीत को लक्की की मौत के बारे में जानकारी दी और लक्की का फोटो उसके वॉट्सऐप पर फोटो भेजा। समुद्र के किनारे मिला लक्की का शव उक्त युवक को फोन करने पर युवक ने बताया कि यह फोटो उसे ग्रीस में रहने वाले एक रिश्तेदार ने भेजा है। सरबजीत सिंह ने कहा काफी मशक्कत के बाद उन्होंने ग्रीस में अपने भाई के पास रहने वाले अन्य पंजाबी युवकों के नंबर ढूंढे और उनसे फोन पर संपर्क किया। जिन्होंने पुष्टि की कि धरमिंदर सिंह का शव समुद्र किनारे मिला है और अब शव अस्पताल में है। उनकी मौत का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। उन्हें पता चला कि 3 दिन पहले उनका भाई पुरानी नौकरी छोड़कर कहीं चला गया है। उसके पास उसकी चूड़ी और पैसे भी थे। लेकिन उसका कोई भी सामान उसके भाई के शव के पास नहीं मिला। सरबजीत सिंह ने केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय से अपील की है कि उनके भाई का शव भारत लाने में मदद की जाए। पंजाब के जालंधर से ग्रीस गए युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में वहां पर मौत हो गई। मृतक की पहचान शाहकोट के मोहल्ला बागवाला के रहने वाले 42 वर्षीय धरमिंदर सिंह उर्फ लक्की के रूप में हुई है। लक्की की मौत पुष्टि भाई सरबजीत सिंह ने की है। लक्की करीब 5 साल पहले ग्रीस गया था। मृतक के बड़े भाई सरबजीत सिंह ने बताया कि उसका भाई धरमिंदर सिंह लक्की (42) जो करीब 5 साल पहले ग्रीस गया था। उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पास के गांव के एक युवक ने सरबजीत को लक्की की मौत के बारे में जानकारी दी और लक्की का फोटो उसके वॉट्सऐप पर फोटो भेजा। समुद्र के किनारे मिला लक्की का शव उक्त युवक को फोन करने पर युवक ने बताया कि यह फोटो उसे ग्रीस में रहने वाले एक रिश्तेदार ने भेजा है। सरबजीत सिंह ने कहा काफी मशक्कत के बाद उन्होंने ग्रीस में अपने भाई के पास रहने वाले अन्य पंजाबी युवकों के नंबर ढूंढे और उनसे फोन पर संपर्क किया। जिन्होंने पुष्टि की कि धरमिंदर सिंह का शव समुद्र किनारे मिला है और अब शव अस्पताल में है। उनकी मौत का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। उन्हें पता चला कि 3 दिन पहले उनका भाई पुरानी नौकरी छोड़कर कहीं चला गया है। उसके पास उसकी चूड़ी और पैसे भी थे। लेकिन उसका कोई भी सामान उसके भाई के शव के पास नहीं मिला। सरबजीत सिंह ने केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय से अपील की है कि उनके भाई का शव भारत लाने में मदद की जाए। पंजाब | दैनिक भास्कर
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अमृतसर पहुंचे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया:वाईडी चंद्रचूड़ ने गोल्डन टेंपल में माथा टेका, बारिश में भीग कर की परिक्रमा, SGPC ने सौंपा ज्ञापन भारत के चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ आज पंजाब दौरे पर हैं। अमृतसर पहुंचे चीफ जस्टिस ने सबसे पहले गोल्डन टेंपल में माथा टेका है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बारिश के बीच भी आम श्रद्धालु की तरह भीगते हुए पूरे गोल्डन टेंपल की परिक्रमा की। इसके बाद प्रसाद लिया और गुरुघर में माथा टेका। चीफ जस्टिस के साथ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी खुद मौजूद रहे। उन्होंने खुद चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ को गोल्डन टेंपल के इतिहास और मर्यादा की जानकारी दी। इसके अलावा वे उनके साथ-साथ ही चले और गुरुघर में माथा टिकवाया। सिख समुदाय के प्रति हेट स्पीच को रोकने की मांग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान एडवोकेट धामी की तरफ से चीफ जस्टिस को एक ज्ञापन भी सौंपा गया। ज्ञापन में कहा गया कि विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अल्पसंख्यक सिख समुदाय के खिलाफ अनियंत्रित और संगठित घृणा अभियान और प्रचार का एक बहुत ही जरूरी मुद्दा बनता जा रहा है। जिसे भारत सरकार और संबंधित राज्य सरकारों द्वारा ठीक से नहीं रोका जा रहा है। सिख समुदाय का संवैधानिक और प्रतिनिधि संगठन होने के नाते, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने समय-समय पर विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने वाले घृणा प्रचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए कई प्रस्ताव पारित किए हैं और उन्हें भारत सरकार को भेजा है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें ठीक से हल नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस तरह की सांप्रदायिक और घृणित अभिव्यक्तियों के खिलाफ बहुत सख्त है। इस गंभीर मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हैं। तस्वीरों में देखें चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ गोल्डन टेंपल में-
पंजाब में इंटर-स्टेट अफीम तस्करी का भंडाफोड़:झारखंड से हो रहा था संचालन; 2 तस्कर गिरफ्तार, 42 खातों से 1.86 करोड़ का ट्रांजेक्शन
पंजाब में इंटर-स्टेट अफीम तस्करी का भंडाफोड़:झारखंड से हो रहा था संचालन; 2 तस्कर गिरफ्तार, 42 खातों से 1.86 करोड़ का ट्रांजेक्शन पंजाब पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए अंतरराज्यीय अफीम तस्करी गिरोह को तोड़ने में सफलता हासिल की है। पुलिस ने एक दिन पहले 2 तस्करों को भी गिरफ्तार किया था। इस मामले में पुलिस ने जांच को आगे बढ़ाते हुए अब 42 बैंक खातों तक पहुंच बनाई है। इन खातों से 1.86 करोड़ रुपए के वित्तीय लेन-देन सामने आए। फिलहाल पुलिस आरोपियों को हिरासत में लेकर अगले और पिछले लिंक की जांच में जुटी है। महानिदेशक पंजाब (डीजीपी) गौरव यादव ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि फाजिल्का पुलिस द्वारा यह कार्रवाई की गई। तस्करों के एक बड़े गिरोह को तोड़ने में सफलता हासिल की गई है। फाजिल्का पुलिस ने शुरुआत में स्विफ्ट कार नंबर पीबी05-एसी-5015 में सवार दो तस्करों सुखजाद सिंह और जगराज सिंह को पकड़ने में सफलता हासिल की, जबकि उनका साथी तरसेम सिंह भागने में कामयाब रहा। पुलिस ने दोनों आरोपियों से 66 किलो अफीम और 40 हजार रुपए की ड्रग मनी भी जब्त की है। जांच में पता चला है कि यह पूरा नेटवर्क झारखंड से संचालित हो रहा था। यह कार्रवाई सिर्फ अफीम बरामदगी तक सीमित नहीं रही, पुलिस ने इसमें ड्रग मनी भी जब्त करने में सफलता हासिल की है। 42 खातों में बांटे जा रहे थे पैसे डीजीपी पंजाब ने बताया कि गिरफ्तार दोनों आरोपियों से लगातार पूछताछ की जा रही है। बरामदगी के दौरान वित्तीय लेन-देन की बारीकी से जांच की गई। अब पुलिस की जांच में 42 बैंक खाते सामने आए हैं। जिसके बाद पता चला कि आरोपी 42 खातों में पैसे ट्रांसफर कर रहे थे। जब इन 42 बैंक खातों की तलाशी ली गई तो 1.86 करोड़ रुपए के वित्तीय लेन-देन सामने आए। पुलिस इन खातों की और बारीकी से जांच कर रही है। जल्द ही पुलिस इस पूरे मामले में आगे-पीछे के लिंकेज का पता लगाएगी और कुछ और गिरफ्तारियां भी करेगी।
लुधियाना-जालंधर से पाकिस्तान के पेशावर तक घोड़ों के जरिए जाती थी शाही डाक, आज भी यहां कोस मीनार संरक्षित हैं जहां घुड़सवार ठहरते थे
लुधियाना-जालंधर से पाकिस्तान के पेशावर तक घोड़ों के जरिए जाती थी शाही डाक, आज भी यहां कोस मीनार संरक्षित हैं जहां घुड़सवार ठहरते थे जालंधर में नकोदर के पुराने मोहल्ले और ओल्ड जीटी रोड के किनारे खेतों में कोस मीनार खड़े हैं। सूरी साम्राज्य के संस्थापक शेर शाह सूरी ने ये कोस मीनार बनवाए थे। हर मीनार पर घुड़सवार मौजूद था जो अगली मीनार पर तैनात घुड़सवार को शाही डाक देता था। इस तरह यह डाक पेशावर तक बांटी जाती थी। लगभग 20 से 25 किलोमीटर बाद घोड़े बदल जाते थे। एक अनुमान है कि 24 घंटे में लगभग 250 किमी तक का सफर कर लिया जाता था। जालंधर में 12, लुधियाना में 6 कोस मीनार: शेर शाह सूरी ने 1540 में हुमायूं को हराकर सूरी शासन की नींव रखी थी। उन्होंने ओल्ड जीटी रोड का निर्माण कराया था। इसके किनारे हर कोस पर मीनार बनवाई। लाला लाजपत राय डीएवी कालेज जगरावां के हिस्ट्री के प्रोफेसर कुनाल मेहता बताते हैं कि पंजाब से रवाना यह डाक पेशावर तक जाती थी। ये कोस मीनार आज भी मौजूद हैं। ये मीनारें दिशासूचक भी थीं। हरेक मीनार को पुरातत्व विभाग ने अपने कोड दे रखे हैं और इनके संरक्षण का नोटिफिकेशन है। पंजाब में लुधियाना जिले में 6 कोस मीनार हैं। जबकि जालंधर में 12 जगह पर मीनारें खड़ी हैं। खेतों में खड़ी मीनार के पास जब फसलों की कटाई होती है तो इनका खास ख्याल रखा जाता है। यह है पोस्टल डे मनाने का मकसद : यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन के गठन के लिए 9 अक्टूबर 1874 को स्विटजरलैंड में 22 देशों ने एक संधि की थी। इसके बाद हर साल 9 अक्तूबर को पोस्टल डे मनाया जाने लगा। इसको मनाने का मुख्य उद्देश्य है ग्राहकों को डाक विभाग के बारे में जानकारी देना, उन्हें जागरूक करना और डाकघरों के बीच सामंजस्य को स्थापित करना है। जालंधर में कहां: चीमा कलां में एक, दक्खणी में 3, जहांगीर में 1, नगर में 1, नकोदर में 2, नूरमहल में 1, टुटकलां में 1, उप्पल में 1, वीर पिंड में 1 कोस मीनार है। हरकारे भी थे: जालंधर में नार्दर्न फिलाटैलिक सोसायटी के राजीव कोहली बताते हैं कि कभी दौड़कर भी लोग डाक डिलीवरी देते थे। उन्हें हरकारे कहा जाता था। हर हरकारा 5 किलोमीटर तक का सफर करता था। वह भी कोस मीनार सिस्टम की तरह अगले हरकारे को पत्र सौंप देता था।