जालंधर से अपहरण की गई 20 वर्षीय सरकारी महिला कर्मचारी को पुलिस को बेसुध हालत में मिली। पुलिस ने तुरंत परिवार को मामले की जानकारी दी। इस मामले में जालंधर कमिश्नरेट के थाना डिवीजन नंबर-5 की पुलिस ने बीएनएस 127(6) के तहत केस दर्ज कर लिया है। केस में पुलिस ने रामामंडी फौजी वाली गली में रहने वाली बलविंदर सिंह उर्फ बॉबी उर्फ बलविंदर डाकिया (29) को गिरफ्तार कर लिया है। जल्द आरोपी को पुलिस कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी कि उक्त लड़की को वह अपने साथ कहां ले गया था और फिर उसे कहां पर ऐसे हालत में छोड़ा गया। एफआईआर दर्ज होने की पुष्टि थाना डिवीजन नंबर-5 के एसएचओ भूषण कुमार ने की है। भारतीय डाक सेवा में कार्यरत है पीड़िता न्यू दशमेश नगर के रहने वाली पीड़िता की मां के बयानों पर ये केस दर्ज किया गया है। मामले की जांच एएसआई तरसेम कौर द्वारा की जा रही है। पीड़ित लड़की की मां ने पुलिस को बताया कि मेरी 20 साल की बेटी बीते मंगलवार को रोजाना की तरह काम पर गई थी। मगर वहां से लौटी नहीं। अगले दिन यानी दिन बुधवार को उन्हें पुलिस का फोन आया कि उनकी बेटी बेसुध हालत में पड़ी मिली है। जिसके बाद परिवार किसी तरह बच्ची को अपने घर वापस लेकर आया और मामले की शिकायत कमिश्नरेट पुलिस को दी। पुलिस ने मामले की जांच के बाद उक्त आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया, जिसके साथ लड़की को आखिरी बार देखा गया था। शनिवार को सीपी ऑफिस पहुंचे छात्र नेता नवदीप ने कहा था कि लड़की को करनाल के पास लावारिस हालत में देखा गया था, जहां से परिवार को जानकारी दी गई थी। परिवार ने तुरंत अपने दिल्ली में रह रहे रिश्तेदारों को उक्त जगह पर जाने के लिए कहा। जिसके बाद बच्ची को उक्त परिवार के दिल्ली रह रहे रिश्तेदारों ने रिसिव किया और दिल्ली लाकर मामले की जानकारी पुलिस को दी। पुलिस ने मामले में तुरंत जालंधर पुलिस को जानकारी दी और कार्रवाई की मांग की। सीपी से मिलकर कार्रवाई की रखी थी मांग बता दें कि सारे मामले को लेकर जालंधर के छात्र नेताओं और परिवार द्वारा शनिवार को पुलिस कमिश्नर ऑफिस पहुंच कर अधिकारियों से मुलाकात की गई। इस दौरान उन्होंने सारे मामले के बारे में उन्हें बताया था। जिसके बाद अधिकारियों ने मामले में तुरंत केस दर्ज करने के आदेश दिए। थाना डिवीजन नंबर-5 के एसएचओ भूषण कुमार ने कहा- फिलहाल लड़की बयान दर्ज करवाने की स्थिति में नहीं है, जिसके चलते अभी उसके बयान नहीं दर्ज किए जा सके हैं। मेडिकल करवाया गया, मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद अगर केस में धारा जोड़ने की जरूरत पड़ी तो जोड़ी जाएगी। फिलहाल मामले में जांच जारी है। जालंधर से अपहरण की गई 20 वर्षीय सरकारी महिला कर्मचारी को पुलिस को बेसुध हालत में मिली। पुलिस ने तुरंत परिवार को मामले की जानकारी दी। इस मामले में जालंधर कमिश्नरेट के थाना डिवीजन नंबर-5 की पुलिस ने बीएनएस 127(6) के तहत केस दर्ज कर लिया है। केस में पुलिस ने रामामंडी फौजी वाली गली में रहने वाली बलविंदर सिंह उर्फ बॉबी उर्फ बलविंदर डाकिया (29) को गिरफ्तार कर लिया है। जल्द आरोपी को पुलिस कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी कि उक्त लड़की को वह अपने साथ कहां ले गया था और फिर उसे कहां पर ऐसे हालत में छोड़ा गया। एफआईआर दर्ज होने की पुष्टि थाना डिवीजन नंबर-5 के एसएचओ भूषण कुमार ने की है। भारतीय डाक सेवा में कार्यरत है पीड़िता न्यू दशमेश नगर के रहने वाली पीड़िता की मां के बयानों पर ये केस दर्ज किया गया है। मामले की जांच एएसआई तरसेम कौर द्वारा की जा रही है। पीड़ित लड़की की मां ने पुलिस को बताया कि मेरी 20 साल की बेटी बीते मंगलवार को रोजाना की तरह काम पर गई थी। मगर वहां से लौटी नहीं। अगले दिन यानी दिन बुधवार को उन्हें पुलिस का फोन आया कि उनकी बेटी बेसुध हालत में पड़ी मिली है। जिसके बाद परिवार किसी तरह बच्ची को अपने घर वापस लेकर आया और मामले की शिकायत कमिश्नरेट पुलिस को दी। पुलिस ने मामले की जांच के बाद उक्त आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया, जिसके साथ लड़की को आखिरी बार देखा गया था। शनिवार को सीपी ऑफिस पहुंचे छात्र नेता नवदीप ने कहा था कि लड़की को करनाल के पास लावारिस हालत में देखा गया था, जहां से परिवार को जानकारी दी गई थी। परिवार ने तुरंत अपने दिल्ली में रह रहे रिश्तेदारों को उक्त जगह पर जाने के लिए कहा। जिसके बाद बच्ची को उक्त परिवार के दिल्ली रह रहे रिश्तेदारों ने रिसिव किया और दिल्ली लाकर मामले की जानकारी पुलिस को दी। पुलिस ने मामले में तुरंत जालंधर पुलिस को जानकारी दी और कार्रवाई की मांग की। सीपी से मिलकर कार्रवाई की रखी थी मांग बता दें कि सारे मामले को लेकर जालंधर के छात्र नेताओं और परिवार द्वारा शनिवार को पुलिस कमिश्नर ऑफिस पहुंच कर अधिकारियों से मुलाकात की गई। इस दौरान उन्होंने सारे मामले के बारे में उन्हें बताया था। जिसके बाद अधिकारियों ने मामले में तुरंत केस दर्ज करने के आदेश दिए। थाना डिवीजन नंबर-5 के एसएचओ भूषण कुमार ने कहा- फिलहाल लड़की बयान दर्ज करवाने की स्थिति में नहीं है, जिसके चलते अभी उसके बयान नहीं दर्ज किए जा सके हैं। मेडिकल करवाया गया, मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद अगर केस में धारा जोड़ने की जरूरत पड़ी तो जोड़ी जाएगी। फिलहाल मामले में जांच जारी है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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स्मार्ट सिटी फंड खर्चने में निगम पीछे, वजह- लोगों के सुझाव ही नहीं िलए
स्मार्ट सिटी फंड खर्चने में निगम पीछे, वजह- लोगों के सुझाव ही नहीं िलए भले ही सरकार और निगम लुधियाना को स्मार्ट सिटी की कैटेगरी में शामिल कर ऑल इज वेल के दावे कर रहे हों, लेकिन हकीकत इसके उलट है। निगम प्रबंधन स्मार्ट सिटी के लिए आवंटित फंड का सही तरीके से इस्तेमाल करने में फिसड्डी साबित हुआ है। परियोजना के तहत मिले 433.70 करोड़ रुपये में से मात्र 277 करोड़ ही लुधियाना शहर में खर्च हो सके, जबकि 156.70 करोड़ निगम अफसर खर्च नहीं कर सके। स्टेट फाइनेंस ऑडिट कमेटी ने 2023 की ये रिपोर्ट पंजाब सरकार को भेजी है। 2016 में लुधियाना में आरओबी, आरयूबी समेत अन्य डेवलपमेंट के कामों के लिए 980 करोड़ के बजट से 81 प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू किया गया था। 60 प्रोजेक्ट कंप्लीट हो चुके हैं। जबकि 21 प्रोजेक्ट अधूरे हैं। स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर 2023 में तैयार की गई कैग रिपोर्ट पंजाब सरकार को 12 जून को भेजी गई है। इस रिपोर्ट में कैग ने अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं और टिप्पणी की कि फंड का उचित उपयोग न होने और इंप्लीमेंटेशन में देरी से परियोजनाओं का अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सका। भूमि अधिग्रहण और कानूनी अड़चनें प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण में कानूनी अड़चनें आईं, जिससे देरी हुई। कानूनी प्रक्रियाओं के कारण आवंटित फंड में से अधिकांश फंड उपयोग नहीं हुआ। लुधियाना स्मार्ट सिटी को लेकर ये बातें कही गई हैं {वित्तीय नुकसान हुआ : स्मार्ट सिटी मिशन के तहत लुधियाना को 433 करोड़ आवंटित किए गए थे। प्रोजेक्ट की प्रगति धीमी रही और खर्च भी काफी कम रहा है। जिससे आर्थिक नुकसान हुआ। {277 करोड़ खर्चे: स्मार्ट सिटी परियोजना में 433.70 करोड़ आवंटित किए गए। 2022-23 के अंत तक 277 करोड़ ही खर्च किए गए थे, जो निर्धारित राशि से काफी कम है। {156.70 करोड़ नहीं हुए इस्तेमाल : परियोजना में 156.70 करोड़ की बचत अनस्पेंटस फंड की श्रेणी में दर्शाई गई है। इसका मतलब है कि कई प्रस्तावित प्रोजेक्ट या तो धीमी गति से चले हैं या पूरी तरह से लागू नहीं हो पाए। {प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन में देरी : कई योजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा नहीं किया जा सका। फंड का समुचित उपयोग भी नहीं हो पाया। विभिन्न कानूनी और प्रशासनिक अड़चनों से फंड का समय पर उपयोग नहीं हो पाया, जिससे कई परियोजनाएं अधूरी रह गईं। {योजनाओं की प्राथमिकता तय नहीं : परियोजनाओं की प्राथमिकता तय करने में कमी रही। कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को प्राथमिकता न मिलने से आवश्यक फंड का आवंटन भी नहीं हो पाया। {अफसरों में समन्वय की कमी : प्रशासनिक विभागों के बीच समन्वय की कमी रही। इससे परियोजनाओं का प्रभावी इंप्लीमेंटेशन बाधित हुआ। ये काम अभी अधूरे {गुरु नानक स्टेडियम प्रोजेक्ट {सीएंडडी वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट {कॉम्पेक्टर प्रोजेक्ट {बायोरेमिडशन ऑफ लिगेसी वेस्ट {यूआईडी नंबर प्लेट प्रोजेक्ट {पुलों का निर्माण कार्य {अफसरों में समन्वय की कमी : प्रशासनिक विभागों के बीच समन्वय की कमी रही। इससे परियोजनाओं का प्रभावी इंप्लीमेंटेशन बाधित हुआ। {सार्वजनिक जागरूकता का अभाव : परियोजनाओं में स्थानीय नागरिकों की भागीदारी और जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए। स्थानीय लोगों का फीडबैक न लेने से परियोजनाओं की गुणवत्ता प्रभावित हुई। {टेक्नोलॉजी का सीमित उपयोग: स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम और आईटी-आधारित सेवाओं के क्रियान्वयन में तकनीकी व वित्तीय प्रबंधन की कमी रही। जिससे स्मार्ट सिटी का उद्देश्य आंशिक रूप से पूरा हो पाया। {मॉनीटरिंग और पारदर्शिता का अभाव: 156.70 करोड़ की अप्रयुक्त राशि ये दर्शाती है कि परियोजनाओं की मॉनीटरिंग और फंड के उपयोग में पारदर्शिता की कमी रही। {विशेषज्ञता की कमी : परियोजना के सुचारू क्रियान्वयन के लिए तकनीकी विशेषज्ञता की कमी रही। इससे योजनाओं का समुचित संचालन नहीं हो सका। आवश्यक प्रबंधकीय और प्रशासनिक कर्मचारियों की कमी के कारण फंड का सही उपयोग नहीं हो पाया।