‘जिस पानी से कर्मचारी हाथ नहीं धोते वही बच्चे पीते’:लखनऊ निर्वाण आश्रय केंद्र के 4 बच्चों की मौत; पेट से निकल थे 6 इंच के कीड़े

‘जिस पानी से कर्मचारी हाथ नहीं धोते वही बच्चे पीते’:लखनऊ निर्वाण आश्रय केंद्र के 4 बच्चों की मौत; पेट से निकल थे 6 इंच के कीड़े

लखनऊ में निर्वाण आश्रय केंद्र में गंदे पानी और खराब खानपान की वजह से चार बच्चों की मौत हो गई। 20 बच्चों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। जिला प्रशासन पहले तो पूरे मामले को दबाने में लगा रहा, लेकिन घटना सामने आने के बाद अब जिम्मेदारों पर कार्रवाई की बात कर रहा है। पूरे प्रकरण की तह तक जाने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ने केंद्र का ग्राउंड इंस्पेक्शन किया। वहां के कर्मचारियों, बच्चों, केयर टेकर और अधिकारियों से बात की। जांच में सामने आया- आरओ सिस्टम सिर्फ किचन में लगा है। डिसएबल बच्चों की पहुंच से दूर है। इसलिए बच्चे गंदा पानी पीने को मजबूर हुए। घटना रविवार-सोमवार की है। मामला डीएम के संज्ञान में मंगलवार को ही आ गया था। इसके बावजूद उन्होंने न तो स्वास्थ्य मंत्री को बताया न ही मुख्यमंत्री ऑफिस तक मामले को जाने दिया। मंडलायुक्त को भी घटना की जानकारी बुधवार को हुई। तब तक अधिकारी लीपापोती में लगे रहे। यहां तक की चौथी मौत को भी छुपा रहे थे, लेकिन दैनिक भास्कर ने इसका खुलासा किया तो पुष्टि करने को मजबूर हुए। पहले पढ़िए पूरी घटना… निर्वाण आश्रय केंद्र पारा इलाके के बुद्धेश्वर में बना है। यह सरकार की मदद से पीपीपी मॉडल पर संचालित होता है। मानसिक कमजोर, अनाथ और लावारिस बच्चों को यहां रखा जाता है। अभी यहां 146 बच्चे हैं। ज्यादातर की उम्र 10 से 18 साल के बीच है। यहां के 35 बच्चों को उल्टी-दस्त होने पर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। देखें 3 तस्वीरें… 23 मार्च को खाना खाने के बाद बिगड़ी तबीयत निर्वाण आश्रय के कर्मचारियों ने बताया- 23 मार्च की रात खाना खाने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी। 23 मार्च से 26 मार्च के बीच 35 बच्चों को अलग-अलग अस्पताल ले जाया गया। अगले दिन यानी 24 मार्च को लोकबंधु अस्पताल में एक बच्ची की मौत हो गई। जबकि बलरामपुर अस्पताल और ठाकुरगंज अस्पताल में एक-एक बच्चे की मौत हुई। 26 फरवरी की सुबह लोकबंधु अस्पताल में फिर एक बच्चे की मौत हुई। उल्टी हुई तो 6 इंच के निकले कीड़े लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया- 23 मार्च से आश्रय केंद्र से बच्चों के आने की शुरुआत हुई थी। ये बच्चे मानसिक दिव्यांग थे। ऐसे में अपनी कंडीशन को लेकर ठीक तरीके से बता नहीं पा रहे थे। पेट पर हाथ रखे थे, इसलिए समझ आ रहा था कि पेट में दर्द हैं। वॉमिटिंग और लूज मोशन के भी लक्षण नजर आ रहे थे। 24 मार्च की रात में एक बच्चे की डेथ हो गई। पुलिस जानकारी देने के बाद शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। इस दौरान 5 बच्चों को ठीक करके डिस्चार्ज कर दिया गया। वहीं, 26 तारीख को दूसरे बच्चे की मौत हो गई। मौजूदा समय कुल 16 बच्चें एडमिट हैं। अब जानिए घटना की मुख्य वजह… ‘हम खुद यहां का पानी नहीं पीते’ निर्वाण आश्रय केंद्र के कर्मचारियों ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया- आरओ सिस्टम सिर्फ किचन में लगा है, लेकिन डिसएबल बच्चों तक इसका पानी नहीं पहुंचता। बच्चे सीधे सप्लाई के पानी से प्यास बुझाने को मजबूर थे। गर्मी बढ़ने से पानी और खाने की गुणवत्ता का स्तर और गिर गया। इसकी वजह से बच्चे बीमार हुए। एक कर्मचारी ने कहा- हम खुद यहां का पानी नहीं पीते, बाहर से खरीदकर लाते हैं। खराब दही और बासी खाना बना बीमारी की वजह कर्मचारियों ने बताया- 25 मार्च को फ्रीजर में रखी खराब दही और जमा हुआ खाना बच्चों को दिया गया। इसी के बाद बच्चों की तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी। केंद्र की अधीक्षिका ने प्रशासन को समय पर जानकारी नहीं दी। एक साल से नहीं दी गई एल्बेंडाजोल की दवा सूत्रों से पता चला कि निर्वाण आश्रय केंद्र में बच्चों को एक साल से पेट के कीड़े मारने की दवा नहीं दी गई थी। बच्चों को रेगुलर हेल्थ चेकअप भी नहीं कराया जा रहा था। बच्चों को बासी खाना दिया था निर्वाण आश्रय केंद्र में विमंदित बच्चों की देखभाल केयर टेकर करते हैं। सूत्रों ने बताया कि बच्चों को सही समय पर खाना और पानी तक नहीं दिया जाता। सुबह का बचा हुआ भोजन रात में और रात का बचा खाना सुबह दिया जाता है। रविवार यानी 23 मार्च को भी दिन की बची हुई खिचड़ी रात में बच्चों को दही के साथ खाने के लिए दी गई थी। अब जानिए आगे की कार्रवाई… मरने वाले सभी बच्चों का डेथ ऑडिट होगी लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल के निदेशक डॉ.सरोज कुमार ने बताया- मरने वाले 2 बच्चों की डेथ ऑडिट की जाएगी। इसके लिए 3 डॉक्टरों की कमेटी बनाई गई है। इसमें डॉ.अरुण तिवारी,डॉ.पीसी तिवारी और डॉ.सबीह मजहर को शामिल किया गया है। डेथ ऑडिट से मौत का असल कारण पता चल सकेगा। डिप्टी सीएम बोले-दोषियों के ऊपर सख्त कार्रवाई होगी डिप्टी सीएम बृजेश पाठक गुरुवार दोपहर बाद लोकबंधु अस्पताल पहुंचे। यहां भर्ती बच्चों की तबीयत का हाल जाना। इससे पहले मुख्य सचिव लीना जौहरी, कमिश्नर रोशन जैकब और डीएम विशाख जी सहित तमाम अधिकारियों ने अस्पताल पहुंच कर बच्चों की सेहत की जानकारी ली। टीम को जांच के लिए भेजा है उन्होंने कहा- आश्रय केंद्र यानी रिहैबिलिटेशन सेंटर का कुछ महीने पहले दौरा किया था। तब सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त पाई गई थी। कुछ कमियां थी उनको भी ठीक करने के निर्देश दिए थे। जरूरी बजट भी दिया गया था। ऐसी घटना होने के बाद अब मामले की गंभीरता से जांच कराई जाएगी। ……………………….. यह खबर भी पढ़े लखनऊ में आश्रय केंद्र के 4 बच्चों की मौत:पेट में 6 इंच के कीड़े; दिमाग में जाने का डर, डिप्टी CM बोले- दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी लखनऊ में निर्वाण आश्रय केंद्र में 4 बच्चों की मौत हो गई। इनमें 2 बच्चियां हैं। यहां के 35 बच्चों को उल्टी-दस्त होने पर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। 20 बच्चों की हालत अभी भी गंभीर है। बच्चों के बीमार होने की शुरुआती वजह फूड पॉइजनिंग बताई जा रही है। उनको उल्टियां हो रही हैं, जिसमें 6 इंच तक के कीड़े भी निकले। इन कीड़ों के दिमाग तक पहुंचने का डर है। लोकबंधु अस्पताल के CMS डॉ. राजीव दीक्षित ने बताया- बच्चों में पानी की कमी थी। सभी में डायरिया के लक्षण मिले हैं। यहां पढ़े पूरी खबर लखनऊ में निर्वाण आश्रय केंद्र में गंदे पानी और खराब खानपान की वजह से चार बच्चों की मौत हो गई। 20 बच्चों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। जिला प्रशासन पहले तो पूरे मामले को दबाने में लगा रहा, लेकिन घटना सामने आने के बाद अब जिम्मेदारों पर कार्रवाई की बात कर रहा है। पूरे प्रकरण की तह तक जाने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ने केंद्र का ग्राउंड इंस्पेक्शन किया। वहां के कर्मचारियों, बच्चों, केयर टेकर और अधिकारियों से बात की। जांच में सामने आया- आरओ सिस्टम सिर्फ किचन में लगा है। डिसएबल बच्चों की पहुंच से दूर है। इसलिए बच्चे गंदा पानी पीने को मजबूर हुए। घटना रविवार-सोमवार की है। मामला डीएम के संज्ञान में मंगलवार को ही आ गया था। इसके बावजूद उन्होंने न तो स्वास्थ्य मंत्री को बताया न ही मुख्यमंत्री ऑफिस तक मामले को जाने दिया। मंडलायुक्त को भी घटना की जानकारी बुधवार को हुई। तब तक अधिकारी लीपापोती में लगे रहे। यहां तक की चौथी मौत को भी छुपा रहे थे, लेकिन दैनिक भास्कर ने इसका खुलासा किया तो पुष्टि करने को मजबूर हुए। पहले पढ़िए पूरी घटना… निर्वाण आश्रय केंद्र पारा इलाके के बुद्धेश्वर में बना है। यह सरकार की मदद से पीपीपी मॉडल पर संचालित होता है। मानसिक कमजोर, अनाथ और लावारिस बच्चों को यहां रखा जाता है। अभी यहां 146 बच्चे हैं। ज्यादातर की उम्र 10 से 18 साल के बीच है। यहां के 35 बच्चों को उल्टी-दस्त होने पर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। देखें 3 तस्वीरें… 23 मार्च को खाना खाने के बाद बिगड़ी तबीयत निर्वाण आश्रय के कर्मचारियों ने बताया- 23 मार्च की रात खाना खाने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी। 23 मार्च से 26 मार्च के बीच 35 बच्चों को अलग-अलग अस्पताल ले जाया गया। अगले दिन यानी 24 मार्च को लोकबंधु अस्पताल में एक बच्ची की मौत हो गई। जबकि बलरामपुर अस्पताल और ठाकुरगंज अस्पताल में एक-एक बच्चे की मौत हुई। 26 फरवरी की सुबह लोकबंधु अस्पताल में फिर एक बच्चे की मौत हुई। उल्टी हुई तो 6 इंच के निकले कीड़े लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया- 23 मार्च से आश्रय केंद्र से बच्चों के आने की शुरुआत हुई थी। ये बच्चे मानसिक दिव्यांग थे। ऐसे में अपनी कंडीशन को लेकर ठीक तरीके से बता नहीं पा रहे थे। पेट पर हाथ रखे थे, इसलिए समझ आ रहा था कि पेट में दर्द हैं। वॉमिटिंग और लूज मोशन के भी लक्षण नजर आ रहे थे। 24 मार्च की रात में एक बच्चे की डेथ हो गई। पुलिस जानकारी देने के बाद शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। इस दौरान 5 बच्चों को ठीक करके डिस्चार्ज कर दिया गया। वहीं, 26 तारीख को दूसरे बच्चे की मौत हो गई। मौजूदा समय कुल 16 बच्चें एडमिट हैं। अब जानिए घटना की मुख्य वजह… ‘हम खुद यहां का पानी नहीं पीते’ निर्वाण आश्रय केंद्र के कर्मचारियों ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया- आरओ सिस्टम सिर्फ किचन में लगा है, लेकिन डिसएबल बच्चों तक इसका पानी नहीं पहुंचता। बच्चे सीधे सप्लाई के पानी से प्यास बुझाने को मजबूर थे। गर्मी बढ़ने से पानी और खाने की गुणवत्ता का स्तर और गिर गया। इसकी वजह से बच्चे बीमार हुए। एक कर्मचारी ने कहा- हम खुद यहां का पानी नहीं पीते, बाहर से खरीदकर लाते हैं। खराब दही और बासी खाना बना बीमारी की वजह कर्मचारियों ने बताया- 25 मार्च को फ्रीजर में रखी खराब दही और जमा हुआ खाना बच्चों को दिया गया। इसी के बाद बच्चों की तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी। केंद्र की अधीक्षिका ने प्रशासन को समय पर जानकारी नहीं दी। एक साल से नहीं दी गई एल्बेंडाजोल की दवा सूत्रों से पता चला कि निर्वाण आश्रय केंद्र में बच्चों को एक साल से पेट के कीड़े मारने की दवा नहीं दी गई थी। बच्चों को रेगुलर हेल्थ चेकअप भी नहीं कराया जा रहा था। बच्चों को बासी खाना दिया था निर्वाण आश्रय केंद्र में विमंदित बच्चों की देखभाल केयर टेकर करते हैं। सूत्रों ने बताया कि बच्चों को सही समय पर खाना और पानी तक नहीं दिया जाता। सुबह का बचा हुआ भोजन रात में और रात का बचा खाना सुबह दिया जाता है। रविवार यानी 23 मार्च को भी दिन की बची हुई खिचड़ी रात में बच्चों को दही के साथ खाने के लिए दी गई थी। अब जानिए आगे की कार्रवाई… मरने वाले सभी बच्चों का डेथ ऑडिट होगी लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल के निदेशक डॉ.सरोज कुमार ने बताया- मरने वाले 2 बच्चों की डेथ ऑडिट की जाएगी। इसके लिए 3 डॉक्टरों की कमेटी बनाई गई है। इसमें डॉ.अरुण तिवारी,डॉ.पीसी तिवारी और डॉ.सबीह मजहर को शामिल किया गया है। डेथ ऑडिट से मौत का असल कारण पता चल सकेगा। डिप्टी सीएम बोले-दोषियों के ऊपर सख्त कार्रवाई होगी डिप्टी सीएम बृजेश पाठक गुरुवार दोपहर बाद लोकबंधु अस्पताल पहुंचे। यहां भर्ती बच्चों की तबीयत का हाल जाना। इससे पहले मुख्य सचिव लीना जौहरी, कमिश्नर रोशन जैकब और डीएम विशाख जी सहित तमाम अधिकारियों ने अस्पताल पहुंच कर बच्चों की सेहत की जानकारी ली। टीम को जांच के लिए भेजा है उन्होंने कहा- आश्रय केंद्र यानी रिहैबिलिटेशन सेंटर का कुछ महीने पहले दौरा किया था। तब सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त पाई गई थी। कुछ कमियां थी उनको भी ठीक करने के निर्देश दिए थे। जरूरी बजट भी दिया गया था। ऐसी घटना होने के बाद अब मामले की गंभीरता से जांच कराई जाएगी। ……………………….. यह खबर भी पढ़े लखनऊ में आश्रय केंद्र के 4 बच्चों की मौत:पेट में 6 इंच के कीड़े; दिमाग में जाने का डर, डिप्टी CM बोले- दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी लखनऊ में निर्वाण आश्रय केंद्र में 4 बच्चों की मौत हो गई। इनमें 2 बच्चियां हैं। यहां के 35 बच्चों को उल्टी-दस्त होने पर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। 20 बच्चों की हालत अभी भी गंभीर है। बच्चों के बीमार होने की शुरुआती वजह फूड पॉइजनिंग बताई जा रही है। उनको उल्टियां हो रही हैं, जिसमें 6 इंच तक के कीड़े भी निकले। इन कीड़ों के दिमाग तक पहुंचने का डर है। लोकबंधु अस्पताल के CMS डॉ. राजीव दीक्षित ने बताया- बच्चों में पानी की कमी थी। सभी में डायरिया के लक्षण मिले हैं। यहां पढ़े पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर