प्रेमनगर, चमनगंज में जिस बिल्डिंग में हादसा हुआ, वहां आसपास दर्जनों ऐसी इमारतें मौजूद हैं। जहां आग लगे तो लोगों को भागने तक का मौका न मिले। तंग गलियों में 100 से दौ सौ गज जमीन पर बिल्डरों ने अवैध तरीके से अपार्टमेंट और मकान खड़े कर दिए हैं। 80 फीसदी बिल्डिंगों के न तो नक्शे पास हैं और नक्शा पास भी है तो नक्शे के विपरित निर्माण किया गया है। बिना मानक बनकर तैयार बिल्डिंग
जिस बिल्डिंग में हादसा हुआ उससे 100 मीटर की दूरी बड़े-बड़े अपार्टमेंट निर्माणाधीन हैं। ज्यादातर बिल्डिंग में लोग रह रहे हैं। बिल्डिंग में बने बेसमेंट तक में कारखाने से लेकर अन्य कॉमर्शियल एक्टिविटी हो रही है। प्रेम नगर चौराहे से आसपास करीब 100 से ज्यादा बिल्डिंग बिना मानक अवैध रूप से बनकर तैयार हो गई हैं। दूसरा एग्जिट तक नहीं बना रहे केडीए के मानकों के मुताबिक सेटबैक छोड़ने के साथ ही बड़ी इमारतों में कम से कम दो एंट्री और एग्जिट के रास्ते होने चाहिए। सुरक्षा मानक भी पूरे होने चाहिए। लेकिन सभी मानकों को ताक पर रखकर छोटी जगहों पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों का निर्माण कर दिया जा रहा है। घने आबादी क्षेत्र में धड़ल्ले से बन रहीं इमारतें
चमनगंज व घनी आबादी क्षेत्र में यह संख्या और भी अधिक है। केडीए अधिकारियों की कृपा दृष्टि से इन ऊंचे भवनों में कारखाने चल रहे हैं। इन भवनों में यदि आग लगी तो लोगों का बच पाना नामुमकिन है। हादसे के बाद जागे केडीए अधिकारियों ने खुद को बचाने के लिए सर्वे और अवैध रूप से बनी बिल्डिंगों पर कार्रवाई करने की बात कही है। अवैध निर्माण के नाम पर चल रहा खेल
शहर में अवैध निर्माणों का खेल कोई नया नहीं है। केडीए के हर जोन में प्रवर्तन में लगे अधिकारी अवैध निर्माण की आड़ में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। यही कारण है कि शहर के बीचोंबीच घने इलाकों में बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें खड़ी हो गईं हैं। 50, 100 गज में भी 5 से 6 माले ताने जा रहे। जहां न हीं पार्किंग दी जा रही और न ही सेट बैक छोड़ा जा रहा है। सेटबैक तक बिल्डिंग में नहीं छोड़ा
बिल्डिंग में सेटबैक न होने से हादसे के समय लोग भवनों के अंदर की फंसकर दम तोड़ दे रहे हैं। चमनगंज क्षेत्र के प्रेमनगर के साथ ही बेकनगंज, पटकापुर में कम क्षेत्र में रेल की डिब्बे की तरह तने भवनों में कारोबार हो रहा है। 3 मकान छोड़कर बना दिए अपार्टमेंट
रविवार जिस मकान में आग लगी उससे तीन मकान छोड़कर ही 6 माले तक भवन बनाए गए। संकरी गलियों में बनाए गए भवनों में लोग रहते तो हैं साथ ही कारोबार भी जमाए हुए हैं। जिससे घटना होने की संभावना हमेशा बनी रहती है। ये इलाके हैं बेहद सेंसटिव
नौघड़ा, बाबूपुरवा, दलेलपुरवा, जनरलगंज, बिरहाना रोड, रोशन नगर, रावतपुर, मछरिया, बेगमपुरवा, सुतरखाना, पटकापुर, मेस्टन रोड, मूलगंज, बादशाहीनाका, लाटूश रोड, इफ्तिखाराबाद, ग्वालटोली समेत कई क्षेत्रों में मानक कि विपरीत भवन बने हैं। जहां सकरी गलियों में 5 या इसके ऊपर मंजिल की बिल्डिंग तनी है। अगर यहां हादसा हुआ तो बड़ा नुकसान हो सकता है। केडीए सचिव का पक्ष भी पढ़िये…
केडीए सचिव अभय कुमार पांडेय ने बताया कि जिस घर में अग्निकांड हुआ था, वहां भी टीम भेजी गई थी। अभिलेख देखे जा रहे हैं। इसके अलावा आसपास जो अवैध निर्माण और नक्शे के विपरित बिल्डिंग बनी हैं या बन रही हैं। इसके लिए वृहद अभियान शुरू किया जाएगा। सर्वे कराया जा रहा है। प्रेमनगर, चमनगंज में जिस बिल्डिंग में हादसा हुआ, वहां आसपास दर्जनों ऐसी इमारतें मौजूद हैं। जहां आग लगे तो लोगों को भागने तक का मौका न मिले। तंग गलियों में 100 से दौ सौ गज जमीन पर बिल्डरों ने अवैध तरीके से अपार्टमेंट और मकान खड़े कर दिए हैं। 80 फीसदी बिल्डिंगों के न तो नक्शे पास हैं और नक्शा पास भी है तो नक्शे के विपरित निर्माण किया गया है। बिना मानक बनकर तैयार बिल्डिंग
जिस बिल्डिंग में हादसा हुआ उससे 100 मीटर की दूरी बड़े-बड़े अपार्टमेंट निर्माणाधीन हैं। ज्यादातर बिल्डिंग में लोग रह रहे हैं। बिल्डिंग में बने बेसमेंट तक में कारखाने से लेकर अन्य कॉमर्शियल एक्टिविटी हो रही है। प्रेम नगर चौराहे से आसपास करीब 100 से ज्यादा बिल्डिंग बिना मानक अवैध रूप से बनकर तैयार हो गई हैं। दूसरा एग्जिट तक नहीं बना रहे केडीए के मानकों के मुताबिक सेटबैक छोड़ने के साथ ही बड़ी इमारतों में कम से कम दो एंट्री और एग्जिट के रास्ते होने चाहिए। सुरक्षा मानक भी पूरे होने चाहिए। लेकिन सभी मानकों को ताक पर रखकर छोटी जगहों पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों का निर्माण कर दिया जा रहा है। घने आबादी क्षेत्र में धड़ल्ले से बन रहीं इमारतें
चमनगंज व घनी आबादी क्षेत्र में यह संख्या और भी अधिक है। केडीए अधिकारियों की कृपा दृष्टि से इन ऊंचे भवनों में कारखाने चल रहे हैं। इन भवनों में यदि आग लगी तो लोगों का बच पाना नामुमकिन है। हादसे के बाद जागे केडीए अधिकारियों ने खुद को बचाने के लिए सर्वे और अवैध रूप से बनी बिल्डिंगों पर कार्रवाई करने की बात कही है। अवैध निर्माण के नाम पर चल रहा खेल
शहर में अवैध निर्माणों का खेल कोई नया नहीं है। केडीए के हर जोन में प्रवर्तन में लगे अधिकारी अवैध निर्माण की आड़ में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। यही कारण है कि शहर के बीचोंबीच घने इलाकों में बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें खड़ी हो गईं हैं। 50, 100 गज में भी 5 से 6 माले ताने जा रहे। जहां न हीं पार्किंग दी जा रही और न ही सेट बैक छोड़ा जा रहा है। सेटबैक तक बिल्डिंग में नहीं छोड़ा
बिल्डिंग में सेटबैक न होने से हादसे के समय लोग भवनों के अंदर की फंसकर दम तोड़ दे रहे हैं। चमनगंज क्षेत्र के प्रेमनगर के साथ ही बेकनगंज, पटकापुर में कम क्षेत्र में रेल की डिब्बे की तरह तने भवनों में कारोबार हो रहा है। 3 मकान छोड़कर बना दिए अपार्टमेंट
रविवार जिस मकान में आग लगी उससे तीन मकान छोड़कर ही 6 माले तक भवन बनाए गए। संकरी गलियों में बनाए गए भवनों में लोग रहते तो हैं साथ ही कारोबार भी जमाए हुए हैं। जिससे घटना होने की संभावना हमेशा बनी रहती है। ये इलाके हैं बेहद सेंसटिव
नौघड़ा, बाबूपुरवा, दलेलपुरवा, जनरलगंज, बिरहाना रोड, रोशन नगर, रावतपुर, मछरिया, बेगमपुरवा, सुतरखाना, पटकापुर, मेस्टन रोड, मूलगंज, बादशाहीनाका, लाटूश रोड, इफ्तिखाराबाद, ग्वालटोली समेत कई क्षेत्रों में मानक कि विपरीत भवन बने हैं। जहां सकरी गलियों में 5 या इसके ऊपर मंजिल की बिल्डिंग तनी है। अगर यहां हादसा हुआ तो बड़ा नुकसान हो सकता है। केडीए सचिव का पक्ष भी पढ़िये…
केडीए सचिव अभय कुमार पांडेय ने बताया कि जिस घर में अग्निकांड हुआ था, वहां भी टीम भेजी गई थी। अभिलेख देखे जा रहे हैं। इसके अलावा आसपास जो अवैध निर्माण और नक्शे के विपरित बिल्डिंग बनी हैं या बन रही हैं। इसके लिए वृहद अभियान शुरू किया जाएगा। सर्वे कराया जा रहा है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
जिस बिल्डिंग में 5 जिंदा जले, ऐसी दर्जनों इमारतें:सौ से 200 गज में बने अपार्टमेंट, बेसमेंट में कारखाने; आग लगे तो भागने का भी मौका न मिले
