वाराणसी में मिले 60 संदिग्ध रोहिंग्या – बांग्लादेशी मुस्लिम:पश्चिम बंगाल के डीजीपी को सत्यापन के लिए भेजा पत्र, 59 ने बताया खुद को बीरभूम का निवासी

वाराणसी में मिले 60 संदिग्ध रोहिंग्या – बांग्लादेशी मुस्लिम:पश्चिम बंगाल के डीजीपी को सत्यापन के लिए भेजा पत्र, 59 ने बताया खुद को बीरभूम का निवासी

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद मिले इनपुट को देखते हुए पूरे देश में घुसपैठियों की तलाश चल रही है। वाराणसी में चले सर्च ऑपरेशन में अब तक पुलिस के रडार पर 60 संदिग्ध रोहिंग्या और बांग्लादेशी आए हैं। इनमें से 59 के पास से पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले और एक का किशनगंज जिले से बना आधारकार्ड मिले हैं। वाराणसी पुलिस ने इन संदिग्धों की सूची तैयार कर पश्चिम बंगाल के डीजीपी को पत्र लिखकर इनके सत्यापन कर जांच रिपोर्ट देने को कहा है ताकि पता चल सके कि यह भारतीय हैं या फिर बांग्लादेश से अवैध तरीके से घुसपैठ किए हैं। जांच। रिपोर्ट आने के बाद इन्हें वापस भेजा जाएगा। पश्चिम बंगाल की रिपोर्ट आने तक इन सभी संदिग्धों की निगरानी कराई जा रही है। 250 से अधिक की हुई शिनाख्त पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या की तलाशी का अभियान तेजी से चल रहा है। योगी सरकार के आदेश पर वाराणसी पुलिस ने भी थानावार बांग्लाभाषी जो झुग्गियों में रहते हैं, के सत्यापन का अभियान शुरू किया। वाराणसी के विभिन्न इलाकों में झुग्गी बनाकर रहने वाले 250 लोगों की पुलिस अब तक रिपोर्ट तैयार कर चुकी है। इनके पास पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों से जारी आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज हैं। ये कूड़ा बिनने से लेकर मजदूरी तक के कार्य में लगे हैं। बीरभूम के पाइकर थाना क्षेत्र के सर्वाधिक 41 संदिग्ध वाराणसी पुलिस के चलाए अभियान में मिले 60 संदिग्धों में से 41 संदिग्ध के पास पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के पाइकर थाना क्षेत्र के विभिन्न इलाकों से जारी आधार कार्ड हैं। इसके अलावा मुरारई, मोरड़ी थाना क्षेत्र का पता दिखाया है। कई के पास किसी तरह के कोई दस्तावेज नहीं है, सिर्फ गांव का पता है। किसी तरह के दस्तावेज नहीं होने पर इनके घुसपैठिए होने का शक गहराया है। बता रहे खुद को बीरभूम के इस गांव का निवासी पुलिस ने जिन 60 संदिग्धों की सूची तैयार की है उनमें पाइकर थाना क्षेत्र के मड़बोसरी, कलिकापुर, दातुरा, नया ग्राम, मुरारई थाना क्षेत्र के मटरा, बलरामपुर, मोरडी थाना क्षेत्र के बनरामपुर का निवासी बताया है। एक संदिग्ध पश्चिम बंगाल के किशनगंज जिले के बहादुरगंज थाना क्षेत्र का रहने वाला है। जांच रिपोर्ट की उम्मीद कम वाराणसी पुलिस ने जिन संदिग्धों की सूची पश्चिम बंगाल पुलिस को भेजी है, उम्मीद कम है कि वहां से जांच रिपोर्ट आएगी। सूत्र बताते हैं कि बीते दो दशक से हजारों बांग्लाभाषी की लिस्ट समय समय पर सत्यापन के लिए भेजी गई लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। एक दशक पूर्व चले अभियान में पुलिस ने लगभग 10 हजार बांग्लाभाषी की रिपोर्ट दी थी जो वाराणसी में मौजूद थे। उनमें से अधिकतर की जानकारी पश्चिम बंगाल पुलिस से सत्यापन रिपोर्ट मांगी थी लेकिन आज तक किसी के बारे में कोई जवाब नहीं आया। घुसपैठ के लिए बदनाम है बीरभूम पश्चिम बंगाल की बीरभूम को कभी नोबेल पुरस्कार प्राप्त रवीन्द्रनाथ टैगोर और अमर्त्यसेन के लिए जाना जाता था लेकिन आज यह बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए जाना जाता है। पश्चिम बंगाल का बीरभूम, मुर्शिदाबाद, दीनापुर, उत्तर परगना, दक्षिण परगना, मालदा जिला में बांग्लादेश के रास्ते घुसपैठ बढ़ रही है। बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल को पद्मा नदी बांटती है। नदी के रास्ते घुसपैठिए मुर्शिदाबाद के रास्ते बीरभूम में आते हैं और यहां से लोकल लोगों की मदद से फर्जी दस्तावेज तैयार करके देश के विभिन्न हिस्से में निकल जाते हैं। ये अधिकतर मजदूर वर्ग से जुड़े हैं। गो तस्करी का सेंटर है बीरभूम बीरभूम इन दिनों गो तस्करी का सबसे बड़ा केंद्र बना है। देश के विभिन्न इलाकों विशेषकर झारखंड के रास्ते मवेशी यहां लाए जाते है और यहां से मालदा, मुर्शिदाबाद के रास्ते बांग्लादेश भेज दिया जाता है। सीबीआई ने गो तस्करी के मामले में ममता बनर्जी की पार्टी के बीरभूम के जिला प्रमुख अनुब्रत मंडल को गिरफ्तार किया था। उसकी गिरफ्तारी के बाद हुई पूछताछ में गो तस्करी के रैकेट का खुलासा हुआ था। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद मिले इनपुट को देखते हुए पूरे देश में घुसपैठियों की तलाश चल रही है। वाराणसी में चले सर्च ऑपरेशन में अब तक पुलिस के रडार पर 60 संदिग्ध रोहिंग्या और बांग्लादेशी आए हैं। इनमें से 59 के पास से पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले और एक का किशनगंज जिले से बना आधारकार्ड मिले हैं। वाराणसी पुलिस ने इन संदिग्धों की सूची तैयार कर पश्चिम बंगाल के डीजीपी को पत्र लिखकर इनके सत्यापन कर जांच रिपोर्ट देने को कहा है ताकि पता चल सके कि यह भारतीय हैं या फिर बांग्लादेश से अवैध तरीके से घुसपैठ किए हैं। जांच। रिपोर्ट आने के बाद इन्हें वापस भेजा जाएगा। पश्चिम बंगाल की रिपोर्ट आने तक इन सभी संदिग्धों की निगरानी कराई जा रही है। 250 से अधिक की हुई शिनाख्त पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या की तलाशी का अभियान तेजी से चल रहा है। योगी सरकार के आदेश पर वाराणसी पुलिस ने भी थानावार बांग्लाभाषी जो झुग्गियों में रहते हैं, के सत्यापन का अभियान शुरू किया। वाराणसी के विभिन्न इलाकों में झुग्गी बनाकर रहने वाले 250 लोगों की पुलिस अब तक रिपोर्ट तैयार कर चुकी है। इनके पास पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों से जारी आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज हैं। ये कूड़ा बिनने से लेकर मजदूरी तक के कार्य में लगे हैं। बीरभूम के पाइकर थाना क्षेत्र के सर्वाधिक 41 संदिग्ध वाराणसी पुलिस के चलाए अभियान में मिले 60 संदिग्धों में से 41 संदिग्ध के पास पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के पाइकर थाना क्षेत्र के विभिन्न इलाकों से जारी आधार कार्ड हैं। इसके अलावा मुरारई, मोरड़ी थाना क्षेत्र का पता दिखाया है। कई के पास किसी तरह के कोई दस्तावेज नहीं है, सिर्फ गांव का पता है। किसी तरह के दस्तावेज नहीं होने पर इनके घुसपैठिए होने का शक गहराया है। बता रहे खुद को बीरभूम के इस गांव का निवासी पुलिस ने जिन 60 संदिग्धों की सूची तैयार की है उनमें पाइकर थाना क्षेत्र के मड़बोसरी, कलिकापुर, दातुरा, नया ग्राम, मुरारई थाना क्षेत्र के मटरा, बलरामपुर, मोरडी थाना क्षेत्र के बनरामपुर का निवासी बताया है। एक संदिग्ध पश्चिम बंगाल के किशनगंज जिले के बहादुरगंज थाना क्षेत्र का रहने वाला है। जांच रिपोर्ट की उम्मीद कम वाराणसी पुलिस ने जिन संदिग्धों की सूची पश्चिम बंगाल पुलिस को भेजी है, उम्मीद कम है कि वहां से जांच रिपोर्ट आएगी। सूत्र बताते हैं कि बीते दो दशक से हजारों बांग्लाभाषी की लिस्ट समय समय पर सत्यापन के लिए भेजी गई लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। एक दशक पूर्व चले अभियान में पुलिस ने लगभग 10 हजार बांग्लाभाषी की रिपोर्ट दी थी जो वाराणसी में मौजूद थे। उनमें से अधिकतर की जानकारी पश्चिम बंगाल पुलिस से सत्यापन रिपोर्ट मांगी थी लेकिन आज तक किसी के बारे में कोई जवाब नहीं आया। घुसपैठ के लिए बदनाम है बीरभूम पश्चिम बंगाल की बीरभूम को कभी नोबेल पुरस्कार प्राप्त रवीन्द्रनाथ टैगोर और अमर्त्यसेन के लिए जाना जाता था लेकिन आज यह बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए जाना जाता है। पश्चिम बंगाल का बीरभूम, मुर्शिदाबाद, दीनापुर, उत्तर परगना, दक्षिण परगना, मालदा जिला में बांग्लादेश के रास्ते घुसपैठ बढ़ रही है। बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल को पद्मा नदी बांटती है। नदी के रास्ते घुसपैठिए मुर्शिदाबाद के रास्ते बीरभूम में आते हैं और यहां से लोकल लोगों की मदद से फर्जी दस्तावेज तैयार करके देश के विभिन्न हिस्से में निकल जाते हैं। ये अधिकतर मजदूर वर्ग से जुड़े हैं। गो तस्करी का सेंटर है बीरभूम बीरभूम इन दिनों गो तस्करी का सबसे बड़ा केंद्र बना है। देश के विभिन्न इलाकों विशेषकर झारखंड के रास्ते मवेशी यहां लाए जाते है और यहां से मालदा, मुर्शिदाबाद के रास्ते बांग्लादेश भेज दिया जाता है। सीबीआई ने गो तस्करी के मामले में ममता बनर्जी की पार्टी के बीरभूम के जिला प्रमुख अनुब्रत मंडल को गिरफ्तार किया था। उसकी गिरफ्तारी के बाद हुई पूछताछ में गो तस्करी के रैकेट का खुलासा हुआ था।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर