बिट्टू…ये एक ऐसा नाम था, जो किसी बेजुबान की पहचान था। मगर वो अब इस दुनिया को अलविदा कह गया। अब बस बची हैं तो उसके साथ 13 साल बिताए गए पलों की यादें, जो उसके मालिक के जहन में बस गईं। जिन्होंने उसे कभी जानवर नहीं समझा, बल्कि अपने बच्चे की तरह पाला। बिट्टू की मौत के बाद बेजुबान के मालिक अंतिम संस्कार कर उसकी अस्थियां प्रयागराज ले गए। वहां गंगा नदी में अस्थियां प्रवाहित की। इसके बाद उसकी आत्मशांति के लिए हवन कराया और फिर तेरहवीं भोज भी कराया। जिसमें 1000 लोगों को खीर, पूड़ी, सब्जी, गुलाब जामुन आदि पकवान खिलाए गए। पूरा मामला झांसी जिले के रक्सा क्षेत्र के सुजवाह गांव का है। बिट्टू ने सांप से बचाई थी जान
सुजवाह गांव निवासी संजीव सिंह परिहार अपनी पत्नी माला के साथ रहते हैं। उनके कोई संतान नहीं है। संजीव बताते हैं कि 13 साल पहले पोमेरेनियन नस्ल के दो डॉग घर लाया था। एक का नाम बिट्टू रखा और दूसरे का नाम पायल। जैसे-जैसे वे बड़े हुए, उनसे लगाव बढ़ता चला गया। एक दिन सांप उनकी तरफ बढ़ रहा था। संजीव नहीं देख पाए, मगर बिट्टू की नजर पड़ गई। बिट्टू ने पटककर सांप को मार डाला और संजीव को बचा लिया। तब से संजीव और उनकी पत्नी माला दोनों डॉग को अपने बच्चों की तरह मानने लगे थे। उनसे विशेष लगाव हो गया था। आवारा कुत्तों ने कर दिया था हमला
संजीव ने बताया कि 24 सितंबर की दोपहर को दोनों डॉग घर से कुछ दूरी पर घूम रहे थे। इसी दौरान कुछ आवारा कुत्तों ने उनको घेर कर अटैक कर दिया। पायल किसी तरह बचकर घर आ गई, मगर बिट्टू बुरी तरह जख्मी हो गया। संजीव को पता चला तो वह मौके पर पहुंचे और उसे झांसी पशु चिकित्सालय लाए। यहां काफी प्रयास के बाद उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। बिट्टू के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। बिट्टू की मौत का संजीव और उनकी पत्नी को गहरा सदमा लगा। प्रयागराज में अस्थियां विसर्जित की
बिट्टू की मौत के बाद संजीव और माला का हाल बुरा हो गया। दोनों ने दो दिन तक खाना नहीं खाया। ग्रामीणों के समझाने पर संजीव ने तेरहवीं करने की प्रतिज्ञा ली। पहले वे परिवार के साथ अस्थियां लेकर प्रयागराज गए। वहां गंगाजी में अस्थियां विसर्जित की। फिर घर आकर पंडितों को बुलाकर हवन कराया और पूजा पाठ की। इसके बाद रविवार को तेरहवीं भोज कराया गया। यह तेरहवीं पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। सदमे में पायल डॉग
बिट्टू की मौत के बाद उसकी साथी डॉग पायल भी सदमे में है। 5 दिनों तक उसने कुछ नहीं खाया और रोती रही। रविवार को जब तेरहवीं में बिट्टू डॉग की फोटो रखी गई तो पायल डॉग पास जाकर बैठ गई। संजीव परिहार खेती-बाड़ी करते हैं। कुछ भैंसे भी पाले हुए हैं। संजीव परिहार ने बताया कि मेरा डॉग बच्चे के सामान था। उसने मुझे कई बार सांप से बचाया है। ये खबर भी पढ़ें… बच्चों को बचाने के लिए सांप से लड़ा पिटबुल:झांसी में बच्चों की तरफ बढ़ रहा था; डॉग ने रस्सी तोड़ी, पटककर मार डाला वैसे तो पिटबुल डॉग की गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक कुत्तों में होती है, ये कई लोगों की जान ले चुके हैं। मगर झांसी में पिटबुल ने अपने मालिक के बच्चों की जान बचा ली। बच्चे गार्डन में खेल रहे थे, तभी एक जहरीला सांप वहां आ पहुंचा। यह देख बच्चे चिल्लाने लगे। तब पास में पेड़ से बंधे डॉग ने फुर्ती दिखाते हुए रस्सी तोड़ दी और सांप पर झपट्टा मार दिया। पढ़ें पूरी खबर बिट्टू…ये एक ऐसा नाम था, जो किसी बेजुबान की पहचान था। मगर वो अब इस दुनिया को अलविदा कह गया। अब बस बची हैं तो उसके साथ 13 साल बिताए गए पलों की यादें, जो उसके मालिक के जहन में बस गईं। जिन्होंने उसे कभी जानवर नहीं समझा, बल्कि अपने बच्चे की तरह पाला। बिट्टू की मौत के बाद बेजुबान के मालिक अंतिम संस्कार कर उसकी अस्थियां प्रयागराज ले गए। वहां गंगा नदी में अस्थियां प्रवाहित की। इसके बाद उसकी आत्मशांति के लिए हवन कराया और फिर तेरहवीं भोज भी कराया। जिसमें 1000 लोगों को खीर, पूड़ी, सब्जी, गुलाब जामुन आदि पकवान खिलाए गए। पूरा मामला झांसी जिले के रक्सा क्षेत्र के सुजवाह गांव का है। बिट्टू ने सांप से बचाई थी जान
सुजवाह गांव निवासी संजीव सिंह परिहार अपनी पत्नी माला के साथ रहते हैं। उनके कोई संतान नहीं है। संजीव बताते हैं कि 13 साल पहले पोमेरेनियन नस्ल के दो डॉग घर लाया था। एक का नाम बिट्टू रखा और दूसरे का नाम पायल। जैसे-जैसे वे बड़े हुए, उनसे लगाव बढ़ता चला गया। एक दिन सांप उनकी तरफ बढ़ रहा था। संजीव नहीं देख पाए, मगर बिट्टू की नजर पड़ गई। बिट्टू ने पटककर सांप को मार डाला और संजीव को बचा लिया। तब से संजीव और उनकी पत्नी माला दोनों डॉग को अपने बच्चों की तरह मानने लगे थे। उनसे विशेष लगाव हो गया था। आवारा कुत्तों ने कर दिया था हमला
संजीव ने बताया कि 24 सितंबर की दोपहर को दोनों डॉग घर से कुछ दूरी पर घूम रहे थे। इसी दौरान कुछ आवारा कुत्तों ने उनको घेर कर अटैक कर दिया। पायल किसी तरह बचकर घर आ गई, मगर बिट्टू बुरी तरह जख्मी हो गया। संजीव को पता चला तो वह मौके पर पहुंचे और उसे झांसी पशु चिकित्सालय लाए। यहां काफी प्रयास के बाद उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। बिट्टू के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। बिट्टू की मौत का संजीव और उनकी पत्नी को गहरा सदमा लगा। प्रयागराज में अस्थियां विसर्जित की
बिट्टू की मौत के बाद संजीव और माला का हाल बुरा हो गया। दोनों ने दो दिन तक खाना नहीं खाया। ग्रामीणों के समझाने पर संजीव ने तेरहवीं करने की प्रतिज्ञा ली। पहले वे परिवार के साथ अस्थियां लेकर प्रयागराज गए। वहां गंगाजी में अस्थियां विसर्जित की। फिर घर आकर पंडितों को बुलाकर हवन कराया और पूजा पाठ की। इसके बाद रविवार को तेरहवीं भोज कराया गया। यह तेरहवीं पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। सदमे में पायल डॉग
बिट्टू की मौत के बाद उसकी साथी डॉग पायल भी सदमे में है। 5 दिनों तक उसने कुछ नहीं खाया और रोती रही। रविवार को जब तेरहवीं में बिट्टू डॉग की फोटो रखी गई तो पायल डॉग पास जाकर बैठ गई। संजीव परिहार खेती-बाड़ी करते हैं। कुछ भैंसे भी पाले हुए हैं। संजीव परिहार ने बताया कि मेरा डॉग बच्चे के सामान था। उसने मुझे कई बार सांप से बचाया है। ये खबर भी पढ़ें… बच्चों को बचाने के लिए सांप से लड़ा पिटबुल:झांसी में बच्चों की तरफ बढ़ रहा था; डॉग ने रस्सी तोड़ी, पटककर मार डाला वैसे तो पिटबुल डॉग की गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक कुत्तों में होती है, ये कई लोगों की जान ले चुके हैं। मगर झांसी में पिटबुल ने अपने मालिक के बच्चों की जान बचा ली। बच्चे गार्डन में खेल रहे थे, तभी एक जहरीला सांप वहां आ पहुंचा। यह देख बच्चे चिल्लाने लगे। तब पास में पेड़ से बंधे डॉग ने फुर्ती दिखाते हुए रस्सी तोड़ दी और सांप पर झपट्टा मार दिया। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर