अयोध्या गैंगरेप…क्या 12 साल की पीड़िता बच्चे को जन्म देगी?:मां से पूछती है- मेरे पेट में बच्चा है, डॉक्टर बोले- शरीर डिलीवरी लायक नहीं वह केवल 12 साल की है, गैंगरेप, प्रेग्नेंसी और अबॉर्शन जैसे शब्दों को नहीं जानती। गायनिक वार्ड में भर्ती गर्भवती महिलाओं को देखकर वह और सहम जाती है। कभी-कभी मां से पूछती है कि इनके पेट इतने बड़े कैसे हो गए? उन महिलाओं के हाव-भाव और दर्द देखकर उसके चेहरे पर तनाव दिखाई पड़ने लगता है। कभी-कभी अचानक जब उसके पेट में दर्द उठता है तो वह चीख उठती है। मां से पूछती है कि क्या मेरे पेट में भी बच्चा है। तब उसकी मां के पास कोई जवाब नहीं होता। वह मुंह घुमाकर रो पड़ती है। दरिंदों को कोसते हुए कहती है कि हे सरकार! मेरी बच्ची को इस हालत में पहुंचाने वालों को ऐसी सजा देना कि कोई दूसरा ऐसी हिम्मत न कर पाए। ये हाल है उस बच्ची का, जो गैंगरेप के बाद ढाई महीने की गर्भवती है, और पिछले पांच दिनों से अस्पताल में भर्ती है। बच्ची की हालत बिगड़ने के बाद उसे लखनऊ के KGMU में शिफ्ट किया गया है। अब बड़ा सवाल यह है कि 12 साल की बच्ची, संतान को जन्म देगी या उसका अबॉर्शन कराया जाएगा। ये सवाल जानने के लिए दैनिक भास्कर ने बच्ची के परिजनों से बात की, डॉक्टर्स की ओपिनियन ली। अबॉर्शन का नियम क्या है? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… खबर में आगे बढ़ने से पहले पूरा मामला जान लीजिए…
दरअसल, अयोध्या में 12 साल की एक बच्ची के साथ गैंगरेप की वारदात हुई। कई दिनों तक हुए गैंगरेप के बाद बच्ची ढाई महीने की गर्भवती है। बच्ची के गर्भवती होने की बात मां को पता चली तो वह पुलिस चौकी के चक्कर लगाती रही। लेकिन, उसकी एफआईआर दर्ज नहीं की गई। मामला सुर्खियों में आने के बाद थाने पर जब दबाव पड़ा तो मुकदमा दर्ज किया गया। गैंगरेप का आरोपी सपा नेता मोईद खान और उसका नौकर निकला। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। मामला विधानसभा तक गूंजा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सदन में इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी को घेरा। आरोपी सपा नेता अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद का करीबी बताया जा रहा है। लड़की को इलाज के लिए पहले अयोध्या जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिर वहां से लखनऊ के केजीएमयू के क्वीन मैरी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। अब पढ़िए बच्ची के गर्भवती होने पर मां क्या सोचती है और क्या चाहती है…?
दैनिक भास्कर से पीड़िता की मां ने कहा, मेरी बच्ची की उम्र अभी खिलौनों से खेलने की है। उन दरिंदों ने 75 दिन में पता नहीं कितनी बार उसके साथ दरिंदगी की। अब वह गर्भवती हो गई है, उसे तो इस बारे में कुछ पता ही नहीं है। उसके शरीर में कई बदलाव हो रहे हैं, कई बार वह दर्द से चीख उठती है, तब डॉक्टर और नर्स उसे संभालते हैं। वह उल्टे सीधे सवाल पूछती है, जिनका जवाब मेरे पास भी नहीं होता। अस्पताल में भी आते-जाते लोग उसे ऐसे देखते हैं, जैसे उसने कोई गुनाह कर दिया हो। वो डरी-सहमी सी रहती है, अब उसको खुद लगता है कि चचा (मोईद खान) की गंदी हरकत पहले ही बता दी होती तो आज ये हालात नहीं होते। आठ दिन पहले जब उसकी तबीयत खराब हुई थी तो हमें लगा कि कुछ पेट दर्द की शिकायत होगी, हमें क्या पता था कि इतनी बड़ी समस्या में फंस जाएंगे। उन दरिंदों की ताकत इतनी थी कि पुलिस हमारी सुनवाई तक नहीं कर रही थी। अभी उनके लोग हमें धमका रहे हैं। अभी तो बहुत लोगों का और सरकार का सहारा मिल रहा है। आगे हम पैरवी कैसे करेंगे और कैसे अपनी बच्ची को न्याय दिला पाएंगे, इस बात की चिंता है। सबसे बड़ा सवाल हमारे दिमाग में यही चला रहा है कि बच्ची के पेट में पल रहे बच्चे का क्या करेंगे। यदि इससे छुटकारा मिल जाए तो हो सकता है कि मेरी बच्ची की जिंदगी बच जाए। हालांकि हम लोग जानते हैं कि बेटी का बचपन खराब हो गया है। अब वो पहले की तरह बच्चों के साथ कैसे खेल पाएगी। समाज में जब भी निकलेगी तो लोग उसे दूसरी नजरों से ही देखेंगे। डॉक्टर बोले-प्रसव या अबॉर्शन दोनों स्थिति में बच्ची बहुत दर्द से गुजरेगी
परिवार से बच्ची की हालत जानने के बाद भास्कर अयोध्या में उन डॉक्टर से मिला, जिनकी देखरेख में इलाज चला। जिला महिला अस्पताल के सीनियर डॉक्टर आशाराम से जानने की कोशिश की कि आखिर इस बच्ची के गर्भ का फैसला कैसे होगा? क्या उसके बच्चे को जन्म दिलाया जाएगा या अबॉर्शन करवाया जाएगा? डॉ. आशाराम कहते हैं कि बच्ची की उम्र बहुत कम है। उसका शरीर अभी प्रसव योग्य नहीं है। बच्ची के शरीर में बहुत तेजी से हार्मोनल बदलाव हो रहे हैं। कई बार उसे दर्द भी होने लगता है। 24 सप्ताह तक की प्रेग्नेंसी का अबॉर्शन करवाया जा सकता है। लेकिन, इस बच्ची के मामले में स्थिति थोड़ी गंभीर है। क्योंकि उसका शरीर इसके लिए तैयार नहीं है। हम सामान्य प्रसव के जरिए भ्रूण निकालने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए बाल कल्याण समिति और परिजनों की सहमति जरूरी है, क्योंकि गर्भपात की दोनों ही स्थितियों में बहुत जोखिम है। उसकी हालत को देखते हुए अब उसे लखनऊ रेफर कर दिया गया है। प्रेग्नेंसी जारी रखना और भी घातक हो सकता है: डॉक्टर शालिनी
जिले की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ. शालिनी चौहान के अनुसार, कम उम्र में प्रेग्नेंट होना घातक है। इस बच्ची की उम्र सिर्फ 12 साल है। इस उम्र में गर्भ ठहरना ठीक नहीं होता। ये घटना ही अलग तरह की है। बच्ची की उम्र और शरीर को देखा जाए तो प्रेग्नेंसी जारी रखना और भी घातक हो सकता है। लेकिन, गर्भपात के दौरान भी जोखिम कम नहीं है। गर्भाशय में छेद होने, अधिक खून बहने के साथ असहनीय दर्द भी होगा। इस उम्र में बच्ची के लिए दर्द सहन करना बेहद कठिन होगा। बाल कल्याण समिति के लोग परिजन से बात करके फैसला लेंगे, उसी के अनुसार डॉक्टर आगे कदम उठाएंगे। शिवपाल बोले- अयोध्या रेप पीड़िता और आरोपी का हो नार्को टेस्ट
सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि अयोध्या रेप कांड को तूल देने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं का नार्को टेस्ट कराया जाना चाहिए। पीड़ित और आरोपी का नार्को टेस्ट भी कराया जाना चाहिए। शिवपाल यादव ने इटावा में अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अयोध्या रेप कांड के बाद सरकार द्वारा आरोपी के खिलाफ की गई बुलडोजर कार्रवाई न्यायोचित नहीं है। उन्होंने इस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह केवल मामले को तूल देने का एक तरीका लगता है। पढ़ें पूरी खबर यह भी पढ़ें:- अयोध्या गैंगरेप पीड़ित बच्ची लखनऊ रेफर:अखिलेश बोले- DNA टेस्ट कराकर इंसाफ हो, भाजपा की नियत साफ नहीं अयोध्या गैंगरेप पीड़िता को लखनऊ रेफर कर दिया है। अब उसका इलाज KGMU में होगा। उसे एम्बुलेंस से लखनऊ भेज दिया गया है। अभी तक उसका अयोध्या के महिला अस्पताल में इलाज चल रहा था। इधर, अयोध्या गैंगरेप केस में सियासत बढ़ती जा रही है। अखिलेश यादव ने कहा, बच्ची के जीवन की रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है। डीएनए टेस्ट कराकर इंसाफ का रास्ता निकाला जाए। भाजपा की नियत साफ नहीं है। पढ़ें पूरी खबर…