पंजाब CM 10 हजार से ज्यादा सरपंचों को शपथ दिलाएंगे:केजरीवाल भी मौजूद रहेंगे; 4 जिलों के सरपंचों-81 हजार पंचों का शपथग्रहण अभी नहीं पंजाब के CM भगवंत मान आज 8 नवंबर को 19 जिलों के 10,031 सरपंचों को शपथ दिलाएंगे। इसके लिए लुधियाना के धनांसू में राज्यस्तरीय शपथग्रहण समारोह कराया जा रहा है। इसमें आम आदमी पार्टी (AAP) के सुप्रीमो दिल्ली के पूर्व CM अरविंद केजरीवाल भी बतौर चीफ गेस्ट मौजूद रहेंगे। इस समारोह के जरिए AAP प्रदेश में हो रहे 4 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव से पहले शक्ति प्रदर्शन भी करेगी। इसके लिए 50 हजार लोगों की भीड़ जुटाने का टारगेट रखा गया है। खास बात यह है कि पंजाब सरकार ने इस संबंध में मीडिया को जारी बयान में अरविंद केजरीवाल का जिक्र नहीं किया था। हालांकि, बाद में संशोधित प्रेस नोट भेजकर उसमें चीफ गेस्ट के तौर पर केजरीवाल का नाम जोड़ा गया। 4 जिलों के सरपंच बाद में शपथ लेंगे
राज्य में 4 जिलों के 3200 सरपंचों और सभी 23 जिलों के 81 हजार 808 नए चुने पंचों को बाद में शपथ दिलाई जाएगी। चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से यह फैसला लिया गया है। इन जिलों में होशियारपुर, गुरदासपुर, मुक्तसर और बरनाला शामिल हैं। यहां 20 नवंबर को वोटिंग और 23 नवंबर को मतगणना होनी है। राज्य के 23 जिलों में 13,147 ग्राम पंचायतें हैं। 9 नवंबर को 2 जिलों में प्रचार करेंगे केजरीवाल
शपथग्रहण के बाद AAP 4 विधानसभा सीटों पर हो रहे उप-चुनाव की कैंपेन को गति देने के लिए मंथन करेगी। इसके बाद अरविंद केजरीवाल 9 नवंबर को होशियारपुर के चब्बेवाल और गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक में पार्टी के उम्मीदवारों के हक में प्रचार करेंगे। पार्टी की तरफ से इस बारे में तैयारियां पूरी कर ली गई है। 3037 सरपंच सर्वसम्मति से चुने गए
पंचायत चुनाव में इस बार पंजाब में 3,037 सरपंच सर्वसम्मति से चुने गए हैं। इनमें से सबसे अधिक फिरोजपुर जिले में 336 सरपंच, गुरदासपुर में 335 सरपंच और तरनतारन में 334 सरपंचों का चुनाव सर्वसम्मति से हुआ है। CM भगवंत मान ने ऐलान किया था कि जिन गांवों की पंचायत सर्वसम्मति से चुनी जाएंगी, उन्हें विकास के लिए अतिरिक्त राशि देंगे। पार्टी के निशान पर नहीं हुए चुनाव
पंजाब सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि यह पंचायत चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्न से बिना हुए थे, ताकि गांवों को राजनीतिक धड़ेबंदी के प्रभाव से दूर रखा जा सके और आपसी भाईचारे को मजबूत किया जा सके। राज्य सरकार ने सार्वजनिक हित में पार्टी के चुनाव चिह्न पर पंचायत चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने का ऐतिहासिक फैसला लिया था। राज्य सरकार के इस फैसले का उद्देश्य गांवों में धड़ेबंदी से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को खत्म करना था, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास को सुनिश्चित किया जा सके।