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महाकुंभ: 5 हजार से अधिक नागाओं की फौज होगी अखाड़ों में शामिल, संन्यासियों का हुआ दीक्षा संस्कार
महाकुंभ: 5 हजार से अधिक नागाओं की फौज होगी अखाड़ों में शामिल, संन्यासियों का हुआ दीक्षा संस्कार <p style=”text-align: justify;”><strong>Maha Kumbh 2025:</strong> भगवान शिव के दिगम्बर भक्त नागा सन्यासी महाकुंभ में सबका ध्यान अपनी तरफ खींचते हैं और यही वजह है कि महाकुंभ में सबसे अधिक जन आस्था का सैलाब जूना अखाड़े के शिविर में दिखता है. अखाड़ों की छावनी की जगह सेक्टर 20 में गंगा का तट इन नागा संन्यासियों की उस परम्परा का साक्षी बना जिसका इंतजार हर 12 साल में अखाड़ों के अवधूत करते हैं. महाकुंभ नगर में जन आस्था के केंद्र इन अखाड़ों के नागा संन्यासियों की फौज में नई भर्ती का सिलसिला शुरू हो गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गंगा के तट पर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अवधूतों को नागा दीक्षा की प्रक्रिया शुरू हो गई. संन्यासी अखाड़ों में सबसे अधिक नागा संन्यासियों वाला अखाड़ा है श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा जिसमें निरंतर नागाओं की संख्या बढ़ती जा रही है जिसके विस्तार की प्रक्रिया शनिवार से शुरू हो गई. नागा संन्यासी केवल कुंभ में बनते हैं, वहीं उनकी दीक्षा होती है. सबसे पहले साधक को ब्रह्मचारी के रूप में रहना पड़ता है. उसे तीन साल गुरुओं की सेवा करने और धर्म-कर्म और अखाड़ों के नियमों को समझना होता है. इसी अवधि में ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है. अगर अखाड़ा और उस व्यक्ति का गुरु यह निश्चित कर ले कि वह दीक्षा देने लायक हो चुका है तो फिर उसे अगली प्रक्रिया में ले जाया जाता है.</p>
<figure class=”image”><img src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2025/01/19/977f6fd6e9a309886bc7e53a0b9b8e0c1737253752178898_original.jpg” alt=”अखाड़ों में भर्ती होंगे नागा संन्यासी” />
<figcaption>अखाड़ों में भर्ती होंगे नागा संन्यासी</figcaption>
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<p style=”text-align: justify;”><strong>1500 से अधिक से अधिक नागा संन्यासियों का हुआ दीक्षा संस्कार</strong><br />श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय मंत्री श्री महंत चैतन्य पुरी ने बताया कि शनिवार को नागा दीक्षा की शुरुआत हो गई है. पहले चरण में 1500 से अधिक अवधूत को नागा संन्यासी की दीक्षा दी जा रही है. नागा संन्यासियों की संख्या में जूना अखाड़ा सबसे आगे है जिसमे अभी 5.3 लाख से अधिक नागा संन्यासी हैं. प्रयाग के महाकुंभ में दीक्षा लेने वालों को राज राजेश्वरी नागा, उज्जैन में दीक्षा लेने वालों को खूनी नागा, हरिद्वार में दीक्षा लेने वालों को बर्फानी व नासिक वालों को खिचड़िया नागा के नाम से जाना जाता है. इन्हें अलग-अलग नाम से केवल इसलिए जाना जाता है, जिससे उनकी यह पहचान हो सके कि किसने कहां दीक्षा ली है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह प्रकिया महाकुंभ में होती है जहां वह ब्रह्मचारी से उसे महापुरुष और फिर अवधूत बनाया जाता है. महाकुंभ में गंगा किनारे उनका मुंडन कराने के साथ उसे 108 बार महाकुंभ की नदी में डुबकी लगवाई जाती है. अन्तिम प्रक्रिया में उनका स्वयं का पिण्डदान तथा दण्डी संस्कार आदि शामिल होता है. अखाड़े की धर्म ध्वजा के नीचे अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर उसे नागा दीक्षा देते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/noida-ved-van-park-thieves-stole-160-nozzles-police-start-investigation-ann-2865722″><strong>Noida News: नोएडा के वेदवन पार्क से लाखों रुपये के नोजल चोरी, हर दिन होने वाला लेजर शो रुका</strong></a></p>
हाथरस हादसा… 16 लोगों के शव आगरा लाए गए:5 भाइयों का परिवार खत्म, मरने वालों में 6 बच्चे भी; चालीसवें से लौटते समय हादसा
हाथरस हादसा… 16 लोगों के शव आगरा लाए गए:5 भाइयों का परिवार खत्म, मरने वालों में 6 बच्चे भी; चालीसवें से लौटते समय हादसा हाथरस में आगरा-अलीगढ़ हाईवे पर शुक्रवार शाम मैक्स वाहन और अलीगढ़ डिपो की रोडवेज बस की टक्कर हो गई। हादसे में एक ही परिवार के 16 और 1 अन्य मिलाकर 17 लोगों की मौत हो गई। वहीं, 10 लोगों की हालत गंभीर है। मरने वालों में 6 बच्चे, 7 पुरुष, 4 महिलाएं हैं। हादसा हाथरस में मीतई के पास हुआ। मरने वालों में 16 लोग आगरा के खंदौली में सेमरा के रहने वाले थे। वहीं, एक फिरोजाबाद में दीदामई का रहने वाला था। आगरा में सेमरा गांव के मोहल्ला कारू में शुक्रवार देर रात एंबुलेंस से सभी 16 लोगों के शव पोस्टमॉर्टम के बाद लाए गए तो मातम मच गया। पूरा गांव रो पड़ा। किसी ने सोचा भी नहीं था कि एक साथ गांव से 17 जनाजे उठेंगे। पहले मातम की 3 तस्वीरें 5 भाइयों के परिवार में सिर्फ सोनू घर रुका था
सेमरा के रहने वाले बेदरिया खां की बेटी असगरिया की दादी सास के चालीसवें में पूरा परिवार शुक्रवार दोपहर 1 बजे सासनी क्षेत्र के गांव मुकुंदखेड़ा गया था। बेदरिया खां और उनके चार भाइयों मुन्ना खां, चुन्नासी खां, नूर मोहम्मद और लतीफ के बेटे अलग-अलग घर बनाकर रहते हैं। मोहल्ले में उनके परिवार के कुछ और घर हैं। 5 भाइयों के बेटे, बहू, पौत्र और बेटियां सभी मुकुंदखेड़ा चालीसवें में गए थे। परिवार के 20 से ज्यादा लोगों में केवल बेदरिया खां का बेटा सोनू घर पर रुका था। लतीफ ने शाम 6 बजे फोन कर सोनू को बताया- हाथरस में हादसा हो गया। दो-चार को छोड़कर सभी मारे गए। उसने परिवार के अन्य लोगों को बताया। धीरे-धीरे बात पूरे गांव में फैल गई। इरशाद को मैक्स में खींच लाई मौत
बेदरिया खां का बेटा इरशाद फेरी लगाकर कपड़े बेचता था। वो शुक्रवार दोपहर को घर देर से पहुंचा था। तब तक टाटा मैजिक निकल चुकी थी। इसलिए वह अपनी बाइक से ही पत्नी आविदा और छह माह के बेटे आरिफ को लेकर मुकुंदखेड़ा के लिए चला गया। वहां चालीसवें में शामिल होने के बाद वह घर लौटने को तैयार हुआ, तब पता चला कि पिता बेदरिया खां को मुकुंदखेड़ा में रात रुकनी है। इसलिए वह पिता के लिए अपनी बाइक छोड़कर पत्नी और बेटे के साथ टाटा मैजिक में ही बैठ गया। हादसे में इरशाद की मौत हो गई, जबकि पत्नी आविदा और आरिफ की हालत गंभीर है। मंत्री SP सिंह और विधायक धर्मपाल ने जताई संवेदना
एक ही गांव के 15 लोगों की हादसे में मौत की खबर मिलते ही SDM एत्मादपुर संगमलाल गुप्ता और ACP एत्मादपुर पियूषकांत राय गांव पहुंच गए। हादसे का शिकार हुए परिवार के लोगों से जानकारी ली।
केंद्रीय पंचायती राज राज्यमंत्री प्रो. SP सिंह बघेल और विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह शुक्रवार को महाराष्ट्र में थे। उन्होंने परिवार को फोन कर संवेदना जताई। कहा कि उनकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से फोन पर बात हो गई है। दुर्घटना में जान गंवाने वालों के परिवार की आर्थिक मदद की जाएगी। घायलों को अच्छा इलाज मिलेगा। आज वह खुद महाराष्ट्र से सीधे सेमरा पहुंचेंगे।
अखिलेश से बगावत के मूड में आजम खान:जेल से चिट्ठी लिख सपा से जताई नाराजगी; ओवैसी-चंद्रशेखर के साथ नए गठजोड़ की तैयारी
अखिलेश से बगावत के मूड में आजम खान:जेल से चिट्ठी लिख सपा से जताई नाराजगी; ओवैसी-चंद्रशेखर के साथ नए गठजोड़ की तैयारी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और कद्दावर नेता मोहम्मद आजम खान पार्टी से बगावत की तैयारी कर रहे हैं। इसके पीछे 10 दिसंबर को सीतापुर जेल से लिखी उनकी चिट्ठी मानी जा रही है। इसमें आजम ने लिखा था- सपा रामपुर में हुए जुर्म और बरबादी का मुद्दा संसद में उतनी ही मजबूती से उठाएं, जितना संभल का उठाया। रामपुर के सफल तजुर्बे के बाद ही संभल पर आक्रमण हुआ। इस पर इंडी गठबंधन खामोश रहा। ऐसा ही रहा तो मुसलमानों के भविष्य के बारे में हम लोगों को सोचना पड़ेगा। वहीं, 21 नवंबर को आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर की सीतापुर जेल में आजम खान से हुई मुलाकात ने भी सुगबुगाहट बढ़ा दी है। इसके अलावा जल्द ही AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी आजम खान से जेल में मुलाकात करेंगे। ऐसे में आने वाले दिनों में यूपी की सियासत, खासकर सपा में कुछ नए समीकरण बन सकते हैं। पहले जानिए आजम खान सपा से क्यों नाराज हैं आजम खान और उनके करीबियों को लगता है कि समाजवादी पार्टी या इंडी गठबंधन के लोगों ने उनका उस हद तक साथ नहीं दिया, जिसके वह हकदार थे। लोकसभा चुनाव के दौरान टिकटों के बंटवारे और खासकर रामपुर के टिकट को लेकर समाजवादी पार्टी ने आजम खान को नजर अंदाज किया। सपा ने आजम खान के गढ़ में उस व्यक्ति को टिकट दिया, जो तुर्क बिरादरी से संबंध रखता है। उसे आजम खान का विरोधी माना जाता है। यहां से पार्लियामेंट मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया। आजम खान के विरोध के बाद भी नदवी 90 हजार से ज्यादा वोटों से जीत कर संसद पहुंच गए। हालांकि कुंदरकी उपचुनाव के दौरान जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव प्रचार करने मुरादाबाद गए, उस समय वह आजम खान के घर भी गए थे। लेकिन अखिलेश के साथ वे लोग भी थे, जिन्हें आजम देखना भी पसंद नहीं करते। इसे लेकर भी आजम ने नाराजगी भी जाहिर की थी। इसके अलावा आजम खान और उनके करीबियों को लगता है कि जिस शिद्दत के साथ सदन से सड़क तक उनके मामलों को लेकर समाजवादी पार्टी काे उतरना चाहिए था, वो नहीं उतरी। अखिलेश नहीं चाहते आजम का साथ छूटे
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के करीबियों का मानना है कि अखिलेश चाहते हैं आजम पार्टी में बने रहें। पार्टी उनकी हर मांग पूरी करती रही है। यहां तक कि रामपुर में बिना आजम की सहमति अखिलेश यादव भी कोई पदाधिकारी नियुक्त नहीं कर सकते। इसके पीछे दो वजह बताई जाती हैं। पहली- पार्टी में आजम के कद का मुस्लिम नेता न होना। सपा के संस्थापक सदस्य होने के साथ आजम मुलायम सिंह यादव के खास सिपहसालारों में से एक रहे हैं। दूसरी- आजम पिछले काफी दिनों से मुसीबत में हैं। ऐसे समय में उनका साथ छोड़ना पार्टी के हक में नहीं होगा। इसका संदेश गलत जाएगा। ऐसे में अखिलेश यादव ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहते, जिससे यह संदेश जाए कि उन्होंने आजम से किनारा कर लिया। आखिर क्यों चंद्रशेखर आजम का साथ चाहते हैं? राजनीति के जानकार बताते हैं, नगीना लोकसभा सीट जीतकर राजनीति में दस्तक दे चुकी चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी यूपी में पैठ बनाना चाहती है। वह अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठजोड़ की तैयारी कर रही है। चंद्रशेखर, ओवैसी की पार्टी AIMIM और आजम खान को साथ लेकर 2027 के विधानसभा चुनाव में बड़ा उलट-फेर करने की तैयारी कर रहे हैं। आजम, चंद्रशेखर और ओवैसी की तिकड़ी क्या गुल खिलाएगी, यह तो समय बताएगा। लेकिन, कहा यह जा रहा है कि 2027 के चुनाव में यह सभी दल कांग्रेस के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरेंगे। यही वजह है कि 21 नवंबर को चंद्रशेखर ने सीतापुर जेल में करीब 1 घंटे तक बातचीत की। 17 नवंबर को रामपुर में आजम के घर गए। साथ ही हरदोई जेल में बंद आजम के बेटे अब्दुल्लाह से मिले। जल्द जेल से बाहर आने की उम्मीद
आजम खान के करीबियों को उम्मीद है कि वह जल्द जेल से बाहर आएंगे। जो भी मामले अदालत में लंबित हैं, उनसे राहत मिलने की उम्मीद लगाई जा रही है। उनकी पत्नी तंजीन पहले ही जेल से बाहर आ चुकी हैं। आजम का बेटा अब्दुल्लाह आजम भी जेल में बंद है। हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील इमरान उल्लाह आजम खान के मामलों में पैरवी कर रहे हैं। उनका कहना है कि आजम को ज्यादातर मामलों में जमानत मिल चुकी है। केवल 2 ऐसे मामले हैं, जिनमें जमानत मिलते ही वह जेल से बाहर आ जाएंगे। इसमें एक केस मशीन चोरी का है और दूसरा मामला आसरा कॉलोनी बनाए जाने के लिए जिन घरों को गिराया गया था, वहां रहने वालों ने आजम पर आरोप लगाया था कि उन्होंने खड़े होकर घर गिरवाया। ये दो प्रमुख मामले हैं, जिनमें जमानत मिलते ही आजम बाहर आ जाएंगे। बशर्ते उनके ऊपर कोई नया केस दाखिल नहीं हो जाए। आजम खान पर 108 मुकदमे दर्ज हैं
आजम खान पर जमीन कब्जाने से लेकर बकरी और किताब चोरी तक के 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। इसमें 9 मामलों में फैसला भी आ चुका है। जिसमें 6 में सजा सुनाई गई है और 3 में बरी हो चुके हैं। आजम खान पर 2019 में ताबड़तोड़ 84 मामले दर्ज हुए थे। इसमें से ज्यादातर मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं। आजम किसी दल में होंगे शामिल या बनाएंगे अपनी पार्टी
आजम खान अभी यह तय नहीं कर सके हैं कि वह कोई नया दल बनाएंगे या फिर किसी दल का हिस्सा बनेंगे। आजम इससे पहले भी सपा से नाता तोड़ चुके हैं। लेकिन, वे मुलायम सिंह के मनाने पर दोबारा पार्टी में वापस आ गए थे। हालांकि, समाजवादी पार्टी से दूर रहने के दौरान उन्होंने न तो कोई दल बनाया और न ही किसी दल में शामिल हुए थे। कौन हैं मोहम्मद आजम खान? विवादों से रहा है गहरा नाता
आजम खान का विवादों से गहरा नाता रहा है। उन पर सदन में महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करने से लेकर अधिकारियों के साथ गलत व्यवहार करने और चुनाव के दौरान आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगता रहा है। 2019 के चुनाव में चुनाव आयोग ने उन पर 2 बार प्रचार करने पर प्रतिबंध लगाया था। हालांकि, चुनाव में उन्हें जीत मिली थी। लेकिन एक आपराधिक मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा होने के कारण उनकी सदस्यता चली गई थी। रामपुर में उपचुनाव हुआ और भाजपा के घनश्याम ने यहां जीत दर्ज की। सपा शासनकाल में आजम खान को मिनी सीएम भी कहा जाता था। पॉलिटिकल एक्सपर्ट प्रोफेसर रविकांत कहते हैं- यह बीजेपी की रणनीति हो सकती है। पिछले दो चुनाव, 2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव को देखें तो मुस्लिम वोट एकतरफा समाजवादी पार्टी की ओर रहा है। ऐसे में भाजपा चाहती है कि इस वोट बैंक में बंटवारा हो। इसके लिए चंद्रशेखर, ओवैसी और आजम खान का सहारा लिया जा सकता है। ऐसा होता है तो निश्चित रूप से आने वाले दिनों में आजम खान को कानूनी पचड़ों से थोड़ी राहत मिलेगी। संभव है कि वह जेल से बाहर भी आ जाएं। वहीं, आजम के बयान के बाद सपा का कोई भी नेता बोलने को तैयार नहीं है। दबी जुबान में सपा के नेताओं का कहना है कि आजम के लिए सपा ने जिले से लेकर सदन तक में सरकार की कार्रवाई का विरोध किया। यहां तक कि अदालत में भी सपा ने आजम के लिए पैरवी की। आजम के कहने पर ही कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजा गया। इतना ही नहीं, रामपुर में पार्टी के किसी भी पदाधिकारी की नियुक्ति बिना आजम की मर्जी के नहीं होती। जहां तक लोकसभा के चुनाव में टिकट की बात है तो इसके लिए भी खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, आजम से मिलने गए थे। वहां के लिए प्रत्याशी का नाम मांगा था। लेकिन आजम ने कोई नाम नहीं बताया, बल्कि राष्ट्रीय अध्यक्ष को वहां से लड़ने का प्रस्ताव दे दिया था। —————— ये भी पढ़ें… आजम खान बोले- मुस्लिमों पर इंडी गठबंधन स्टैंड क्लियर करे, यही हाल रहा तो मुसलमानों को सोचना पड़ेगा समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खान ने INDI गठबंधन पर निशाना साधा। उन्होंने गठबंधन पर मुस्लिमों की अनदेखी का आरोप लगाया। कहा- सपा रामपुर में हुए जुर्म और बरबादी का मुद्दा संसद में उतनी ही मजबूती से उठाएं, जितना संभल का उठाया। रामपुर के सफल तजुर्बे के बाद ही संभल पर आक्रमण हुआ। इस पर इंडी गठबंधन खामोश रहा। ऐसा ही रहा तो मुसलमानों के भविष्य के बारे में हम लोगों को सोचना पड़ेगा। पढ़ें पूरी खबर…