‘टॉप क्लास वर्किंग वुमन भी इंडिपेंडेंट डिसीजन मेकर नहीं’:घरेलू कामों से परहेज कर रहीं महिलाएं; यूपी के 4 बड़े शहरों में हुए रिसर्च में खुलासा

‘टॉप क्लास वर्किंग वुमन भी इंडिपेंडेंट डिसीजन मेकर नहीं’:घरेलू कामों से परहेज कर रहीं महिलाएं; यूपी के 4 बड़े शहरों में हुए रिसर्च में खुलासा

बड़े और अहम पदों पर बैठी महिलाएं भी डिसीजन मेकर की भूमिका में नहीं हैं। आज भी घरों में ट्रेडिशनल थिंकिंग हावी है। जिसका नतीजा है कि फैमिली से जुड़े कई अहम मसलों पर वो निर्णायक भूमिका में नहीं रहतीं। वर्किंग वुमन से जुड़े ऐसे ही कई अहम तथ्यों का खुलासा प्रो. बिना राय की रिसर्च स्टडी में हुआ है। सोसाइटी में वर्किंग वुमन के करेंट स्टेटस और कंडीशन से जुड़ी कई अहम बातें सामने आई हैं। मिशन शक्ति जैसी फ्लैगशिप प्रोग्राम का असर भी सामने आया है। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 63वें एपिसोड में लखनऊ के अवध गर्ल्स डिग्री कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो.बिना राय से खास बातचीत… प्रो. बीना राय रहती हैं कि इस रिसर्च में लखनऊ के अलावा यूपी के 4 बड़े शहरों को शामिल किया गया। इनमें प्रयागराज, मेरठ और गाजियाबाद शामिल है। तमाम वर्ग और सेक्टर की वर्किंग वुमन को इसमें शामिल किया गया। इनमें क्लास 3 से क्लास 1 लेवल के पदों पर बैठी महिलाएं भी शामिल रहीं। 20 सवालों के क्वेश्चनायर के आधार पर उनके फीडबैक लिए गए। शुरुआती रुझान में ये तथ्य आए सामने रिसर्च के शुरूआती रुझान में ये तथ्य सामने आए हैं कि बड़े पदों पर नौकरी कर रहीं कई महिलाएं आज भी परिवार से जुड़े अहम मसलों में निर्णायक भूमिका में नहीं हैं। इसके अलावा कई मामलों में उनकी रायशुमारी भी जरूरी नहीं समझी जाती। हालांकि परिस्थितियां बदल रही हैं पर पूरी तरह से बदलाव होने में अभी समय लगेगा। हेल्थ पर पड़ रहा बुरा असर प्रो.बीना राय कहती हैं कि रिसर्च के दौरान कई हैरान करने वाले भी खुलासे हुए। इनमें ये भी पता चला कि नॉन वर्किंग वुमन घरेलू कामकाज से परहेज कर रही हैं। इसके अलावा वर्किंग वुमन को ऑफिस से आने के बाद घर के कामकाज को संभालना पड़ता है और इसका असर उनकी हेल्थ पर भी पड़ रहा है। बड़े और अहम पदों पर बैठी महिलाएं भी डिसीजन मेकर की भूमिका में नहीं हैं। आज भी घरों में ट्रेडिशनल थिंकिंग हावी है। जिसका नतीजा है कि फैमिली से जुड़े कई अहम मसलों पर वो निर्णायक भूमिका में नहीं रहतीं। वर्किंग वुमन से जुड़े ऐसे ही कई अहम तथ्यों का खुलासा प्रो. बिना राय की रिसर्च स्टडी में हुआ है। सोसाइटी में वर्किंग वुमन के करेंट स्टेटस और कंडीशन से जुड़ी कई अहम बातें सामने आई हैं। मिशन शक्ति जैसी फ्लैगशिप प्रोग्राम का असर भी सामने आया है। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 63वें एपिसोड में लखनऊ के अवध गर्ल्स डिग्री कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो.बिना राय से खास बातचीत… प्रो. बीना राय रहती हैं कि इस रिसर्च में लखनऊ के अलावा यूपी के 4 बड़े शहरों को शामिल किया गया। इनमें प्रयागराज, मेरठ और गाजियाबाद शामिल है। तमाम वर्ग और सेक्टर की वर्किंग वुमन को इसमें शामिल किया गया। इनमें क्लास 3 से क्लास 1 लेवल के पदों पर बैठी महिलाएं भी शामिल रहीं। 20 सवालों के क्वेश्चनायर के आधार पर उनके फीडबैक लिए गए। शुरुआती रुझान में ये तथ्य आए सामने रिसर्च के शुरूआती रुझान में ये तथ्य सामने आए हैं कि बड़े पदों पर नौकरी कर रहीं कई महिलाएं आज भी परिवार से जुड़े अहम मसलों में निर्णायक भूमिका में नहीं हैं। इसके अलावा कई मामलों में उनकी रायशुमारी भी जरूरी नहीं समझी जाती। हालांकि परिस्थितियां बदल रही हैं पर पूरी तरह से बदलाव होने में अभी समय लगेगा। हेल्थ पर पड़ रहा बुरा असर प्रो.बीना राय कहती हैं कि रिसर्च के दौरान कई हैरान करने वाले भी खुलासे हुए। इनमें ये भी पता चला कि नॉन वर्किंग वुमन घरेलू कामकाज से परहेज कर रही हैं। इसके अलावा वर्किंग वुमन को ऑफिस से आने के बाद घर के कामकाज को संभालना पड़ता है और इसका असर उनकी हेल्थ पर भी पड़ रहा है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर