डॉ. दीक्षा तिवारी की मौत का सच:जॉइनिंग से 12 दिन पहले दोस्तों संग कानपुर मेडिकल कॉलेज पहुंची, बांउड्री पर उछलकर बैठी फिर 5th फ्लोर से गिरी

डॉ. दीक्षा तिवारी की मौत का सच:जॉइनिंग से 12 दिन पहले दोस्तों संग कानपुर मेडिकल कॉलेज पहुंची, बांउड्री पर उछलकर बैठी फिर 5th फ्लोर से गिरी

कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में बुधवार रात को MBBS पासआउट छात्रा डॉ. दीक्षा तिवारी की मौत का सच जानने के लिए दैनिक भास्कर ने ग्राउंड पर जाकर पड़ताल की। जहां पर हादसा हुआ, मेडिकल कॉलेज की उस छत से लेकर डक्ट के बेस, जहां पर छात्रा की लाश मिली, उसे देखा। इसके बाद फिर पोस्टमॉर्टम हाउस में मौजूद दीक्षा के परिवार वालों से लेकर उसके रूम और पुलिस की लिखा-पढ़ी एक-एक बिंदु पर पड़ताल की तो परत-दर-परत इस केस की हकीकत सामने आ गई। पुलिस की जांच, फोरेंसिक और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट समेत अन्य तथ्यों की मानें तो यह महज एक हादसा था। कोई प्लांड मर्डर या साजिश नहीं। पढ़ें पड़ताल करती हुई दैनिक भास्कर की खास रिपोर्ट… दोस्त डॉ. हिमांशु के बयान पुलिस ने लिए
मृतक दीक्षा तिवारी के साथ हादसे के दौरान दोस्त और क्लासमेट रहे हिमांशु के बयान स्वरूप नगर थाने में दर्ज हुए। दर्ज बयानों के मुताबिक, हिमांशु, दीक्षा और मयंक सिंह मेडिकल कॉलेज से MBBS 2018 बैच के स्टूडेंट थे। तीनों अपनी MBBS की 2023 में पढ़ाई पूरी कर चुके थे। दीक्षा की मेरठ मेडिकल कॉलेज में मेडिकल ऑफिसर के पद पर नियुक्ति हुई थी। उसे 25 जून को जॉइनिंग करनी थी। जबकि मयंक को मेरठ मेडिकल कॉलेज में और मुझे (हिमांशु) को कानपुर मेडिकल कॉलेज में ही पोस्टिंग मिली थी। आर्य नगर में रूम पर तीनों ने पार्टी की, आधी रात मेडिकल कॉलेज पहुंचे
हिमांशु ने बताया- मैं और दीक्षा आर्य नगर के एक ही मकान में रहते थे। दोनों का आमने-सामने कमरा था। पढ़ाई के दौरान मैंने, दीक्षा और मयंक ने लंबा समय एक साथ बिताया था। अपनी-अपनी जॉइनिंग और पढ़ाई के बाद अलग होने से पहले हम तीनों ने एक साथ पार्टी करने का प्लान बनाया था। तीनों आर्य नगर स्थित रूम पर पार्टी की थी। इसके बाद तीनों ने प्लान बनाया कि अब पता नहीं कब कॉलेज कैंपस आना हो। वहां चलकर अपनी पुरानी यादें ताजा करते हैं। इसके बाद मैं और दीक्षा स्कूटी पर और हिमांशु बुलेट से रात करीब 12:30 बजे मेडिकल कॉलेज कैंपस पहुंचे। 5वीं मंजिल की बाउंड्री पर उछल कर बैठी तो नीचे गिरी
हिमांशु, दीक्षा और मयंक तीनों ने बाइक पर चलते हुए तय किया कि ऑडिटोरियम के पीछे बनी बायो केमिस्ट्री लैब और एग्जामिनेशन हॉल के ऊपर 5वीं मंजिल की छत पर चलते हैं। जहां पर पढ़ाई के दौरान हम लोगों ने खूब मौज-मस्ती की। एक-दूसरे के साथ बहुत अच्छा वक्त गुजारा है। ग्राउंड में अपनी-अपनी गाड़ी खड़ी करने के बाद तीनों जीने से सीधे 5वीं मंजिल पर पहुंच गए। हवा अच्छी चल रही थी तो मैं उछलकर बाउंड्री वॉल पर बैठ गया। दीक्षा ने भी ऊपर बैठने की जिद की और जैसे ही दीवार पर चढ़कर डक्ट के ऊपर बनी छत पर बैठी, वह नीचे गिर गई। दीक्षा चीखते हुए नीचे ग्राउंड फ्लोर पर डक्ट के भीतर जा गिरी। मेरे और मयंक के कुछ समझ में नहीं आया कि क्या करें। मैं दीक्षा को बचाने के लिए पाइप के सहारे डक्ट से 5वीं मंजिल से नीचे मोबाइल की टॉर्च जलाकर उतर गया। ग्राउंड फ्लोर पर दम घुट रहा था
उधर छत पर मयंक रस्सी और बचाने के लिए इंतजाम करने लगा। मैं डक्ट में नीचे पहुंचा तो मेरे भी नीचे उतरने के दौरान पीठ का पूरा हिस्सा दीवार में रगड़ कर छिल गया। नीचे उतरा तो मेरी भी सांस फूलने लगी और कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ऊपर कैसे जाएंगे और अब क्या होगा। मेरा भी दम घुटने लगा तो मुझे डक्ट में गेट पर जोर-जोर से लात, फिर कंधे से धक्का मारा तो दरवाजा टूट गया। डक्ट से निकाल कर गैलरी में दीक्षा को CPR दी
तब तक मयंक डायल-112 पर फोन कर चुका था। हमने और मयंक ने दीक्षा को डक्ट से उठाकर गैलरी में रखा तो उसकी सांसें चल रही थी। उसे हम लोगों ने CPR दिया। चंद मिनट में ही डायल-112 और फिर स्वरूप नगर थाने की पुलिस पहुंच गई। इसके बाद करीब दीक्षा को हैलट इमरजेंसी में पुलिस वालों के साथ लेकर पहुंचे, जहां पर जांच के दौरान डॉक्टरों ने दीक्षा को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद मैंने खुद दीक्षा के घर पर फोन करके सूचना दी। हिमांशु और मयंक दोनों से अलग-अलग बयान दर्ज किया गया, लेकिन दोनों ने पूरी कहानी जस की तस बताई। कमरे में मिली शराब और बीयर की बोतलें
हिमांशु का बयान दर्ज करने के बाद पुलिस एक-एक बात की सच्चाई जानने के लिए हिमांशु के आर्य नगर स्थित रूम पर पहुंची। हिमांशु ने रूम का दरवाजा खोला तो मेज पर ग्रीन कलर की शराब की बोतल, बीयर के खाली कैन, नमकीन और स्नैक्स के पैकेट बिखरे मिले। इसके साथ ही सिगरेट के फिल्टर भी रूम से बरामद हुआ। हिमांशु के बयान और एक-एक बात की पुलिस ने तस्दीक की तो सब मिनट-टू-मिनट घटनाक्रम और सभी बातें एकदम सच्ची निकलीं। इसके चलते पुलिस ने हिमांशु और मयंक पर किसी तरह की सख्ती नहीं की। ​​​​फोरेंसिक एक्सपर्ट रिपोर्ट ने भी बताया हादसा
हादसे के बाद मौके पर कानपुर पुलिस फोरेंसिक डिपार्टमेंट के सीनियर डॉ. प्रवीण श्रीवास्तव अपनी टीम के साथ जांच करने पहुंचे। उन्होंने पहले डक्ट पर बनी टूटने वाले छत की मोटाई देखी, फिर छत पर बने निशान को देखा। इसके बाद डक्ट के बेसमेंट यानी जमीन पर आकर देखा और खून के दाग-धब्बो को देखा और पूरे घटनाक्रम को जाना। डॉ. प्रवीण श्रीवास्तव की रिपोर्ट की मानें तो जांच के दौरान कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है। पूरा घटनाक्रम महज एक हादसा है। वहीं, दूसरी तरफ छत पर बने धूल में रगड़ के निशान को भी मयंक ने बताया कि डक्ट में दीक्षा के गिरने के बाद वह छत के तार को तोड़कर नीचे खींचने की मशक्कत में लगा था। तार को तोड़ने के दौरान ही छत पर निशान बने हैं। जांच के दौरान फोरेंसिक टीम को भी कुछ संदिग्ध नहीं मिला। पहले परिवार ने हत्या की आशंका जताई
जहां हादसे की जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंचे मृतक दीक्षा के पिता प्रदीप तिवारी, चचेरे भाई गौरव, मौसा समेत अन्य लोग हादसा नहीं हत्या का आरोप लगा रहे थे। लेकिन, पुलिस और फोरेंसिक टीम ने जांच के दौरान परिवार के लोगों को अपने साथ लेकर एक-एक बिंदु पर जांच-पड़ताल की। इसके बाद धीरे-धीरे उनका भी मत बदल गया। दीक्षा के पिता ने कहा कि मेरी बेटी की मौत हुई है। उसके साथ दो MBBS पासआउट लड़कों के कॅरियर का सवाल है। मेरी पुलिस से मांग है कि निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। अर्थी उठने से पहले दोस्त दीक्षा से लिपटकर खूब रोया
परिवार के लोगों से पूछताछ में सामने आया कि हिमांशु और दीक्षा अच्छे दोस्त रहे। दोनों की एक-दूसरे के परिवार में बातचीत होती थी। दोनों एक-दूसरे के परिवार से भली-भांति परिचित थे। इसके चलते दीक्षा के पिता ने देर रात तक कोई तहरीर नहीं दी। इतना ही नहीं देर शाम को पोस्टमॉर्टम होने के बाद हिमांशु ने स्वरूप नगर थाने के भीतर पुलिस हिरासत में आखिरी बार दीक्षा को देखने की इच्छा जताई। दीक्षा के परिवार को पुलिस ने यह बताया तो परिवार ने इस पर अपनी सहमति दी। इसके बाद पुलिस हिरासत में हिमांशु दीक्षा को देखने पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचा। दीक्षा के शव से लिपट कर रोने लगा। यह देखकर दीक्षा के परिजन ही नहीं, मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट और पुलिस वाले भी भावुक हो गए। सभी की आंखें डबडबा गईं। बेटी की मौत से परिवार बदहवास
बरेली के सुरेश शर्मा नगर के रहने वाले प्रदीप तिवारी की बेटी दीक्षा तिवारी (25) कानपुर मेडिकल कॉलेज में 2018 बैच की MBBS स्टूडेंट थी। जबकि दीक्षा का भाई बीटेक करने के बाद पुणे में इंजीनियर है। पत्नी अनीता उर्फ रेनू हाउस वाइफ हैं। प्रदीप तिवारी का बरेली में प्रिंटिंग प्रेस का कारोबार है। हादसे की जानकारी मिलने के बाद माता-पिता ही नहीं, परिवार के करीब 50 लोग कानपुर पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे। मां भी पोस्टमॉर्टम हाउस में बार-बार अचेत हो जा रही थीं। परिवार के लोगों ने उन्हें किसी तरह संभाला। ये खबर भी पढ़िए- भास्कर स्टिंग के बाद TTE टर्मिनेट, 12 टीटीई और पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच शुरू देश की प्रीमियम ट्रेनों में चल रहे वसूली के धंधे को सामने लाने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ने स्टिंग ऑपरेशन किया। ट्रेनों में 442 किमी से ज्यादा यात्रा की। कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन से आगरा और फिर दिल्ली तक गए। गुरुवार को स्टिंग ऑपरेशन की खबर सामने आने के बाद रेलवे में हड़कंप मच गया। उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज मंडल के DRM हिमांशु बडोनी ने बताया कि एक TTE की जांच करने के बाद सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। वहीं, 12 TTE और पुलिसकर्मियों की जांच के आदेश भी दिए हैं। पढ़ें पूरी खबर… कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में बुधवार रात को MBBS पासआउट छात्रा डॉ. दीक्षा तिवारी की मौत का सच जानने के लिए दैनिक भास्कर ने ग्राउंड पर जाकर पड़ताल की। जहां पर हादसा हुआ, मेडिकल कॉलेज की उस छत से लेकर डक्ट के बेस, जहां पर छात्रा की लाश मिली, उसे देखा। इसके बाद फिर पोस्टमॉर्टम हाउस में मौजूद दीक्षा के परिवार वालों से लेकर उसके रूम और पुलिस की लिखा-पढ़ी एक-एक बिंदु पर पड़ताल की तो परत-दर-परत इस केस की हकीकत सामने आ गई। पुलिस की जांच, फोरेंसिक और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट समेत अन्य तथ्यों की मानें तो यह महज एक हादसा था। कोई प्लांड मर्डर या साजिश नहीं। पढ़ें पड़ताल करती हुई दैनिक भास्कर की खास रिपोर्ट… दोस्त डॉ. हिमांशु के बयान पुलिस ने लिए
मृतक दीक्षा तिवारी के साथ हादसे के दौरान दोस्त और क्लासमेट रहे हिमांशु के बयान स्वरूप नगर थाने में दर्ज हुए। दर्ज बयानों के मुताबिक, हिमांशु, दीक्षा और मयंक सिंह मेडिकल कॉलेज से MBBS 2018 बैच के स्टूडेंट थे। तीनों अपनी MBBS की 2023 में पढ़ाई पूरी कर चुके थे। दीक्षा की मेरठ मेडिकल कॉलेज में मेडिकल ऑफिसर के पद पर नियुक्ति हुई थी। उसे 25 जून को जॉइनिंग करनी थी। जबकि मयंक को मेरठ मेडिकल कॉलेज में और मुझे (हिमांशु) को कानपुर मेडिकल कॉलेज में ही पोस्टिंग मिली थी। आर्य नगर में रूम पर तीनों ने पार्टी की, आधी रात मेडिकल कॉलेज पहुंचे
हिमांशु ने बताया- मैं और दीक्षा आर्य नगर के एक ही मकान में रहते थे। दोनों का आमने-सामने कमरा था। पढ़ाई के दौरान मैंने, दीक्षा और मयंक ने लंबा समय एक साथ बिताया था। अपनी-अपनी जॉइनिंग और पढ़ाई के बाद अलग होने से पहले हम तीनों ने एक साथ पार्टी करने का प्लान बनाया था। तीनों आर्य नगर स्थित रूम पर पार्टी की थी। इसके बाद तीनों ने प्लान बनाया कि अब पता नहीं कब कॉलेज कैंपस आना हो। वहां चलकर अपनी पुरानी यादें ताजा करते हैं। इसके बाद मैं और दीक्षा स्कूटी पर और हिमांशु बुलेट से रात करीब 12:30 बजे मेडिकल कॉलेज कैंपस पहुंचे। 5वीं मंजिल की बाउंड्री पर उछल कर बैठी तो नीचे गिरी
हिमांशु, दीक्षा और मयंक तीनों ने बाइक पर चलते हुए तय किया कि ऑडिटोरियम के पीछे बनी बायो केमिस्ट्री लैब और एग्जामिनेशन हॉल के ऊपर 5वीं मंजिल की छत पर चलते हैं। जहां पर पढ़ाई के दौरान हम लोगों ने खूब मौज-मस्ती की। एक-दूसरे के साथ बहुत अच्छा वक्त गुजारा है। ग्राउंड में अपनी-अपनी गाड़ी खड़ी करने के बाद तीनों जीने से सीधे 5वीं मंजिल पर पहुंच गए। हवा अच्छी चल रही थी तो मैं उछलकर बाउंड्री वॉल पर बैठ गया। दीक्षा ने भी ऊपर बैठने की जिद की और जैसे ही दीवार पर चढ़कर डक्ट के ऊपर बनी छत पर बैठी, वह नीचे गिर गई। दीक्षा चीखते हुए नीचे ग्राउंड फ्लोर पर डक्ट के भीतर जा गिरी। मेरे और मयंक के कुछ समझ में नहीं आया कि क्या करें। मैं दीक्षा को बचाने के लिए पाइप के सहारे डक्ट से 5वीं मंजिल से नीचे मोबाइल की टॉर्च जलाकर उतर गया। ग्राउंड फ्लोर पर दम घुट रहा था
उधर छत पर मयंक रस्सी और बचाने के लिए इंतजाम करने लगा। मैं डक्ट में नीचे पहुंचा तो मेरे भी नीचे उतरने के दौरान पीठ का पूरा हिस्सा दीवार में रगड़ कर छिल गया। नीचे उतरा तो मेरी भी सांस फूलने लगी और कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ऊपर कैसे जाएंगे और अब क्या होगा। मेरा भी दम घुटने लगा तो मुझे डक्ट में गेट पर जोर-जोर से लात, फिर कंधे से धक्का मारा तो दरवाजा टूट गया। डक्ट से निकाल कर गैलरी में दीक्षा को CPR दी
तब तक मयंक डायल-112 पर फोन कर चुका था। हमने और मयंक ने दीक्षा को डक्ट से उठाकर गैलरी में रखा तो उसकी सांसें चल रही थी। उसे हम लोगों ने CPR दिया। चंद मिनट में ही डायल-112 और फिर स्वरूप नगर थाने की पुलिस पहुंच गई। इसके बाद करीब दीक्षा को हैलट इमरजेंसी में पुलिस वालों के साथ लेकर पहुंचे, जहां पर जांच के दौरान डॉक्टरों ने दीक्षा को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद मैंने खुद दीक्षा के घर पर फोन करके सूचना दी। हिमांशु और मयंक दोनों से अलग-अलग बयान दर्ज किया गया, लेकिन दोनों ने पूरी कहानी जस की तस बताई। कमरे में मिली शराब और बीयर की बोतलें
हिमांशु का बयान दर्ज करने के बाद पुलिस एक-एक बात की सच्चाई जानने के लिए हिमांशु के आर्य नगर स्थित रूम पर पहुंची। हिमांशु ने रूम का दरवाजा खोला तो मेज पर ग्रीन कलर की शराब की बोतल, बीयर के खाली कैन, नमकीन और स्नैक्स के पैकेट बिखरे मिले। इसके साथ ही सिगरेट के फिल्टर भी रूम से बरामद हुआ। हिमांशु के बयान और एक-एक बात की पुलिस ने तस्दीक की तो सब मिनट-टू-मिनट घटनाक्रम और सभी बातें एकदम सच्ची निकलीं। इसके चलते पुलिस ने हिमांशु और मयंक पर किसी तरह की सख्ती नहीं की। ​​​​फोरेंसिक एक्सपर्ट रिपोर्ट ने भी बताया हादसा
हादसे के बाद मौके पर कानपुर पुलिस फोरेंसिक डिपार्टमेंट के सीनियर डॉ. प्रवीण श्रीवास्तव अपनी टीम के साथ जांच करने पहुंचे। उन्होंने पहले डक्ट पर बनी टूटने वाले छत की मोटाई देखी, फिर छत पर बने निशान को देखा। इसके बाद डक्ट के बेसमेंट यानी जमीन पर आकर देखा और खून के दाग-धब्बो को देखा और पूरे घटनाक्रम को जाना। डॉ. प्रवीण श्रीवास्तव की रिपोर्ट की मानें तो जांच के दौरान कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है। पूरा घटनाक्रम महज एक हादसा है। वहीं, दूसरी तरफ छत पर बने धूल में रगड़ के निशान को भी मयंक ने बताया कि डक्ट में दीक्षा के गिरने के बाद वह छत के तार को तोड़कर नीचे खींचने की मशक्कत में लगा था। तार को तोड़ने के दौरान ही छत पर निशान बने हैं। जांच के दौरान फोरेंसिक टीम को भी कुछ संदिग्ध नहीं मिला। पहले परिवार ने हत्या की आशंका जताई
जहां हादसे की जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंचे मृतक दीक्षा के पिता प्रदीप तिवारी, चचेरे भाई गौरव, मौसा समेत अन्य लोग हादसा नहीं हत्या का आरोप लगा रहे थे। लेकिन, पुलिस और फोरेंसिक टीम ने जांच के दौरान परिवार के लोगों को अपने साथ लेकर एक-एक बिंदु पर जांच-पड़ताल की। इसके बाद धीरे-धीरे उनका भी मत बदल गया। दीक्षा के पिता ने कहा कि मेरी बेटी की मौत हुई है। उसके साथ दो MBBS पासआउट लड़कों के कॅरियर का सवाल है। मेरी पुलिस से मांग है कि निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। अर्थी उठने से पहले दोस्त दीक्षा से लिपटकर खूब रोया
परिवार के लोगों से पूछताछ में सामने आया कि हिमांशु और दीक्षा अच्छे दोस्त रहे। दोनों की एक-दूसरे के परिवार में बातचीत होती थी। दोनों एक-दूसरे के परिवार से भली-भांति परिचित थे। इसके चलते दीक्षा के पिता ने देर रात तक कोई तहरीर नहीं दी। इतना ही नहीं देर शाम को पोस्टमॉर्टम होने के बाद हिमांशु ने स्वरूप नगर थाने के भीतर पुलिस हिरासत में आखिरी बार दीक्षा को देखने की इच्छा जताई। दीक्षा के परिवार को पुलिस ने यह बताया तो परिवार ने इस पर अपनी सहमति दी। इसके बाद पुलिस हिरासत में हिमांशु दीक्षा को देखने पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचा। दीक्षा के शव से लिपट कर रोने लगा। यह देखकर दीक्षा के परिजन ही नहीं, मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट और पुलिस वाले भी भावुक हो गए। सभी की आंखें डबडबा गईं। बेटी की मौत से परिवार बदहवास
बरेली के सुरेश शर्मा नगर के रहने वाले प्रदीप तिवारी की बेटी दीक्षा तिवारी (25) कानपुर मेडिकल कॉलेज में 2018 बैच की MBBS स्टूडेंट थी। जबकि दीक्षा का भाई बीटेक करने के बाद पुणे में इंजीनियर है। पत्नी अनीता उर्फ रेनू हाउस वाइफ हैं। प्रदीप तिवारी का बरेली में प्रिंटिंग प्रेस का कारोबार है। हादसे की जानकारी मिलने के बाद माता-पिता ही नहीं, परिवार के करीब 50 लोग कानपुर पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे। मां भी पोस्टमॉर्टम हाउस में बार-बार अचेत हो जा रही थीं। परिवार के लोगों ने उन्हें किसी तरह संभाला। ये खबर भी पढ़िए- भास्कर स्टिंग के बाद TTE टर्मिनेट, 12 टीटीई और पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच शुरू देश की प्रीमियम ट्रेनों में चल रहे वसूली के धंधे को सामने लाने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ने स्टिंग ऑपरेशन किया। ट्रेनों में 442 किमी से ज्यादा यात्रा की। कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन से आगरा और फिर दिल्ली तक गए। गुरुवार को स्टिंग ऑपरेशन की खबर सामने आने के बाद रेलवे में हड़कंप मच गया। उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज मंडल के DRM हिमांशु बडोनी ने बताया कि एक TTE की जांच करने के बाद सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। वहीं, 12 TTE और पुलिसकर्मियों की जांच के आदेश भी दिए हैं। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर