लुधियाना | नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुके डॉ. रंजीत सिंह ने अपनी अनोखी जीरो एरर तकनीक से एक बार फिर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने 75 वर्षीय कैनेडा निवासी एनआरआई महिला परमजीत कौर की केवल 20 मिनट में सर्जरी कर न केवल उसे चलने लायक बनाया, बल्कि ऑपरेशन के दो घंटे बाद ही उसे खड़ा कर दिया। यह केस इसलिए चुनौतीपूर्ण था क्योंकि महिला लंबे समय से घुटनों के दर्द से पीड़ित थी और शूगर की गंभीर समस्या के कारण कई डॉक्टर सर्जरी का जोखिम नहीं उठा रहे थे। लेकिन डॉ. रंजीत सिंह ने न सिर्फ सर्जरी की, बल्कि महिला एक महीने में पूरी तरह स्वस्थ होकर कैनेडा लौट भी गई। डॉ. सिंह ने बताया कि जीरो एरर तकनीक रोबोटिक सर्जरी से बेहतर है, क्योंकि इसमें चीरा छोटा लगता है, ऑपरेशन का समय कम होता है और वजन या उम्र जैसी बाधाएं असर नहीं डालतीं। इसके विपरीत, रोबोटिक सर्जरी में समय ज्यादा लगता है और बुजुर्ग एवं वज़नी मरीजों के लिए जोखिम बढ़ जाता है। डॉ. सिंह अब तक 25 हजार से अधिक सफल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी कर चुके हैं और उनकी तकनीक दुनियाभर में सराही जा रही है। लुधियाना | नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुके डॉ. रंजीत सिंह ने अपनी अनोखी जीरो एरर तकनीक से एक बार फिर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने 75 वर्षीय कैनेडा निवासी एनआरआई महिला परमजीत कौर की केवल 20 मिनट में सर्जरी कर न केवल उसे चलने लायक बनाया, बल्कि ऑपरेशन के दो घंटे बाद ही उसे खड़ा कर दिया। यह केस इसलिए चुनौतीपूर्ण था क्योंकि महिला लंबे समय से घुटनों के दर्द से पीड़ित थी और शूगर की गंभीर समस्या के कारण कई डॉक्टर सर्जरी का जोखिम नहीं उठा रहे थे। लेकिन डॉ. रंजीत सिंह ने न सिर्फ सर्जरी की, बल्कि महिला एक महीने में पूरी तरह स्वस्थ होकर कैनेडा लौट भी गई। डॉ. सिंह ने बताया कि जीरो एरर तकनीक रोबोटिक सर्जरी से बेहतर है, क्योंकि इसमें चीरा छोटा लगता है, ऑपरेशन का समय कम होता है और वजन या उम्र जैसी बाधाएं असर नहीं डालतीं। इसके विपरीत, रोबोटिक सर्जरी में समय ज्यादा लगता है और बुजुर्ग एवं वज़नी मरीजों के लिए जोखिम बढ़ जाता है। डॉ. सिंह अब तक 25 हजार से अधिक सफल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी कर चुके हैं और उनकी तकनीक दुनियाभर में सराही जा रही है। पंजाब | दैनिक भास्कर
