तीन दिनों से प्यासे यांगला गांव के बाशिंदे:ग्लेशियर आने से ध्वस्त हुई पानी की आपूर्ति, विभाग के मजदूर काम छोड़ कर भागे

तीन दिनों से प्यासे यांगला गांव के बाशिंदे:ग्लेशियर आने से ध्वस्त हुई पानी की आपूर्ति, विभाग के मजदूर काम छोड़ कर भागे

पिछले तीन दिनों से लाहौल जिला के यांगला गांव के वाशिंदे पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं। इस गांव को आने वाली पानी की सप्लाई भ्रेण्ड नाले में ग्लेशियर आने के कारण अनेक जगह दब गई है। खेतों में सिंचाई का एकमात्र स्रोत बेमौसमी सब्जियों के लिए जानी जाने वाली लाहौल घाटी में आजकल सब्जियों का सीजन जोरों पर है। यहां खेतों में भी सिंचाई के लिए पानी की सप्लाई इसी नाले से आती है। सप्लाई ठप्प होने के कारण सब्जियां सूखने की कगार पर पहुंच गई हैं। अभी तक यहां बरसात भी बहुत कम हुई है। ग्रामीणों ने संभाला मोर्चा मंगलवार से स्थानीय किसान व मजदूर यहां ग्लेशियर काटने में लगे हुए थे। जल शक्ति विभाग ने मजदूर तो भेज दिए थे, मगर वे काम अधूरा छोड़ कर भाग खड़े हुए । जिस के कारण गांवों वालों की परेशानी और बढ़ गई। इसके बाद ग्रामीणों ने ही खुद मोर्चा संभाल लिया। स्थानीय लोगों ने बताया कि लगभग आठ सौ मीटर पाइपें ग्लेशियर में दब गई हैं और आज तीसरे दिन भी ग्रामीणों को कोई सफलता नही मिल पाई है। विधायक और जलशक्ति विभाग को भी कराया गया था अवगत स्थानीय किसानों के मुताबिक लगभग चार जगह पानी के आस में बर्फ काटी गई लेकिन अभी तक पानी का स्रोत नही मिल पा रहा है। क्योंकि ग्लेशियर 30 से 40 फीट से भी ज्यादा ऊंचा है। स्थानीय निवासी प्रदीप मालपा, प्रेम लाल, इंद्र पाल और देवी चंद ने बताया कि उन्होंने स्थानीय विधायक अनुराधा राणा व जल शक्ति विभाग को भी इस बारे अवगत करवा दिया था। जल्द बहाल होगी पानी की सप्लाई सहायक अभियन्ता जल शक्ति विभाग संजू बौद्ध ने बताया कि इस की सूचना हमें मिल चुकी है। विभाग गांवों वालों के लिए मजदूर और पाइपें मुहैया करवा रहा है। शुक्रवार को यदि पानी का स्रोत मिल गया तो जल्द ही पानी की समस्या दूर हो जाएगी। उन्होनें बताया कि ग्लेशियर काफी अधिक है, स्त्रोत ढूंढने में थोड़ा समय लग सकता है। लोग संयम रखें, जल्द से जल्द पानी की सप्लाई बहाल कर दी जाएगी। पिछले तीन दिनों से लाहौल जिला के यांगला गांव के वाशिंदे पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं। इस गांव को आने वाली पानी की सप्लाई भ्रेण्ड नाले में ग्लेशियर आने के कारण अनेक जगह दब गई है। खेतों में सिंचाई का एकमात्र स्रोत बेमौसमी सब्जियों के लिए जानी जाने वाली लाहौल घाटी में आजकल सब्जियों का सीजन जोरों पर है। यहां खेतों में भी सिंचाई के लिए पानी की सप्लाई इसी नाले से आती है। सप्लाई ठप्प होने के कारण सब्जियां सूखने की कगार पर पहुंच गई हैं। अभी तक यहां बरसात भी बहुत कम हुई है। ग्रामीणों ने संभाला मोर्चा मंगलवार से स्थानीय किसान व मजदूर यहां ग्लेशियर काटने में लगे हुए थे। जल शक्ति विभाग ने मजदूर तो भेज दिए थे, मगर वे काम अधूरा छोड़ कर भाग खड़े हुए । जिस के कारण गांवों वालों की परेशानी और बढ़ गई। इसके बाद ग्रामीणों ने ही खुद मोर्चा संभाल लिया। स्थानीय लोगों ने बताया कि लगभग आठ सौ मीटर पाइपें ग्लेशियर में दब गई हैं और आज तीसरे दिन भी ग्रामीणों को कोई सफलता नही मिल पाई है। विधायक और जलशक्ति विभाग को भी कराया गया था अवगत स्थानीय किसानों के मुताबिक लगभग चार जगह पानी के आस में बर्फ काटी गई लेकिन अभी तक पानी का स्रोत नही मिल पा रहा है। क्योंकि ग्लेशियर 30 से 40 फीट से भी ज्यादा ऊंचा है। स्थानीय निवासी प्रदीप मालपा, प्रेम लाल, इंद्र पाल और देवी चंद ने बताया कि उन्होंने स्थानीय विधायक अनुराधा राणा व जल शक्ति विभाग को भी इस बारे अवगत करवा दिया था। जल्द बहाल होगी पानी की सप्लाई सहायक अभियन्ता जल शक्ति विभाग संजू बौद्ध ने बताया कि इस की सूचना हमें मिल चुकी है। विभाग गांवों वालों के लिए मजदूर और पाइपें मुहैया करवा रहा है। शुक्रवार को यदि पानी का स्रोत मिल गया तो जल्द ही पानी की समस्या दूर हो जाएगी। उन्होनें बताया कि ग्लेशियर काफी अधिक है, स्त्रोत ढूंढने में थोड़ा समय लग सकता है। लोग संयम रखें, जल्द से जल्द पानी की सप्लाई बहाल कर दी जाएगी।   हिमाचल | दैनिक भास्कर