पुलिस विभाग में सात सीनियर अफसरों के पास कोई जिम्मेदारी नहीं है। इसमें डीजी, आईजी, डीआईजी रैंक के अफसर भी शामिल हैं। तीन को वेटिंग में रखा गया है, जबकि चार अटैच हैं। इन्हीं अफसरों में सीनियर आईपीएस दंपती भी हैं। 1989 बैच के आईपीएस आदित्य मिश्रा और 1990 बैच की आईपीएस रेणुका मिश्रा डीजी रैंक के अफसर हैं। आदित्य मिश्रा 27 जनवरी 2025 को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति (Central Deputation) से लौटे हैं। उन्हें वेटिंग में रखा गया है। वहीं, रेणुका मिश्रा को लगभग एक साल पहले 4 मार्च 2024 को उत्तर प्रदेश सिपाही भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने के बाद हटाया गया था। 18 जुलाई 2024 को उन्हें डीजीपी ऑफिस में अटैच कर दिया गया, लेकिन कोई रेगुलर काम नहीं दिया गया। वेटिंग लिस्ट में कई और अफसर…
डीआईजी देवरंजन वर्मा और अतुल शर्मा भी वेटिंग में हैं। देवरंजन वर्मा को बलिया में अवैध वसूली कांड सामने आने के बाद 25 जुलाई को हटाया गया था। नरही थाना क्षेत्र में अवैध वसूली मामले में कई पुलिसवालों पर कार्रवाई हुई। हालांकि 2011 बैच के देवरंजन वर्मा को 1 जनवरी 2025 को प्रमोशन देकर डीआईजी बना दिया गया, लेकिन उन्हें वेटिंग से अब तक नहीं हटाया गया। प्रमोशन के बाद से अतुल शर्मा भी वेटिंग
अतुल शर्मा 2009 बैच के आईपीएस हैं। प्रयागराज में बतौर एसएसपी की तैनाती के दौरान उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। विभागीय कार्रवाई के चलते उनका प्रमोशन नहीं हो पा रहा था। सरकार ने उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई खत्म कर प्रमोशन दे दिया, साथ ही पीएसी के कमांडेंट पद से हटाकर 22 दिसंबर 2024 को उन्हें वेटिंग में डाल दिया। कमिश्नर के पद से हटने के बाद से तैनाती का इंतजार
प्रीतिंदर सिंह 2004 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। प्रीतिंदर सिंह एक साल से अधिक समय से डीजीपी मुख्यालय में अटैच हैं। इन्हें आगरा में पुलिस कमिश्नर के पद से 9 जनवरी 2024 को हटाया गया था। प्रीतिंदर लगातार फील्ड में रहने वाले अफसरों में थे। वह लगातार 10 साल तक जिले में पुलिस कप्तान रहने वाले चुनिंदा अफसरों में से एक हैं। प्रीतिंदर के अलावा डीआईजी हिमांशु कुमार भी डीजीपी मुख्यालय से अटैच हैं। उन्हें बीच में सीबीआई में भी मणिपुर हिंसा की जांच के लिए अटैच किया गया था। वहीं, 2011 बैच के आईपीएस अफसर दिनेश सिंह मार्च 2023 से डीजीपी मुख्यालय में अटैच हैं। उन्हें बिजनौर में तैनाती के दौरान ब्रेन हेमरेज हो गया था। वेटिंग में रहने पर नहीं मिलता है वेतन
वेटिंग और अटैच में ये अंतर है कि वेटिंग अवधि में अफसर को वेतन नहीं मिलता, जबकि अटैच अफसर को वेतन मिलता रहता है। रेणुका मिश्रा भर्ती बोर्ड से हटाए जाने के बाद वेटिंग में थीं। हालांकि बाद में उन्हें डीजीपी मुख्यालय से अटैच कर दिया गया था। ऐसे में उन्हें वेतन मिल रहा है। यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह कहते हैं कि वेटिंग के दौरान अधिकारी किसी इकाई का हिस्सा नहीं होता, इसलिए उसे कोषागार से वेतन नहीं मिलता। ऐसे अधिकारी को जब सरकार तैनाती देती है, अटैच करती है तब जाकर वेतन मिलता है। न तो वेटिंग में अफसर के पास कोई काम होता है और न ही अटैचमेंट में। मौजूदा समय में तीन अफसर वेटिंग में हैं। प्रमोशन पाए अफसरों को भी है तैनाती का इंतजार
ऐसा नहीं है कि सिर्फ वेटिंग और अटैचमेंट वाले अफसरों को तैनाती का इंतजार है। प्रमोशन पाए लगभग 18 अफसरों को अभी तैनाती नहीं मिली है। इसमें वे अफसर भी शामिल हैं जिनका एक जनवरी 2025 को प्रमोशन हुआ था। इसमें लखनऊ रेंज में बतौर आईजी तैनात प्रशांत कुमार का नाम सबसे ऊपर है। प्रशांत कुमार का प्रमोशन एडीजी रैंक में हुआ है। वहीं, पांच जिलों के पुलिस कप्तान भी अब एसएसपी से डीआईजी बन चुके हैं। इसमें मुजफ्फरनगर में तैनात अभिषेक सिंह, मथुरा में तैनात शैलेष पांडेय, शाहजहांपुर में तैनात राजेश एस, फर्रुखाबाद में तैनात आलोक प्रियदर्शी और झांसी में तैनात सुधा सिंह का नाम शामिल है। —————— ये खबर भी पढ़ें… DGP की नियुक्ति के लिए केंद्र ने मांगा प्रपोजल:25 मार्च को SC में सुनवाई, यूपी में 33 महीने से परमानेंट DGP नहीं यूपी को जल्द ही परमानेंट डीजीपी मिलने की उम्मीद एक बार फिर से जग गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यूपी सरकार से संघ लोकसेवा आयोग (UPSC) को भेजे गए प्रस्ताव की प्रति मांगी है। यूपी के अलावा भी उन सभी राज्यों से प्रस्ताव की कॉपी मांगी गई है, जहां अभी परमानेंट डीजीपी नहीं हैं। पढ़ें पूरी खबर पुलिस विभाग में सात सीनियर अफसरों के पास कोई जिम्मेदारी नहीं है। इसमें डीजी, आईजी, डीआईजी रैंक के अफसर भी शामिल हैं। तीन को वेटिंग में रखा गया है, जबकि चार अटैच हैं। इन्हीं अफसरों में सीनियर आईपीएस दंपती भी हैं। 1989 बैच के आईपीएस आदित्य मिश्रा और 1990 बैच की आईपीएस रेणुका मिश्रा डीजी रैंक के अफसर हैं। आदित्य मिश्रा 27 जनवरी 2025 को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति (Central Deputation) से लौटे हैं। उन्हें वेटिंग में रखा गया है। वहीं, रेणुका मिश्रा को लगभग एक साल पहले 4 मार्च 2024 को उत्तर प्रदेश सिपाही भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने के बाद हटाया गया था। 18 जुलाई 2024 को उन्हें डीजीपी ऑफिस में अटैच कर दिया गया, लेकिन कोई रेगुलर काम नहीं दिया गया। वेटिंग लिस्ट में कई और अफसर…
डीआईजी देवरंजन वर्मा और अतुल शर्मा भी वेटिंग में हैं। देवरंजन वर्मा को बलिया में अवैध वसूली कांड सामने आने के बाद 25 जुलाई को हटाया गया था। नरही थाना क्षेत्र में अवैध वसूली मामले में कई पुलिसवालों पर कार्रवाई हुई। हालांकि 2011 बैच के देवरंजन वर्मा को 1 जनवरी 2025 को प्रमोशन देकर डीआईजी बना दिया गया, लेकिन उन्हें वेटिंग से अब तक नहीं हटाया गया। प्रमोशन के बाद से अतुल शर्मा भी वेटिंग
अतुल शर्मा 2009 बैच के आईपीएस हैं। प्रयागराज में बतौर एसएसपी की तैनाती के दौरान उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। विभागीय कार्रवाई के चलते उनका प्रमोशन नहीं हो पा रहा था। सरकार ने उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई खत्म कर प्रमोशन दे दिया, साथ ही पीएसी के कमांडेंट पद से हटाकर 22 दिसंबर 2024 को उन्हें वेटिंग में डाल दिया। कमिश्नर के पद से हटने के बाद से तैनाती का इंतजार
प्रीतिंदर सिंह 2004 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। प्रीतिंदर सिंह एक साल से अधिक समय से डीजीपी मुख्यालय में अटैच हैं। इन्हें आगरा में पुलिस कमिश्नर के पद से 9 जनवरी 2024 को हटाया गया था। प्रीतिंदर लगातार फील्ड में रहने वाले अफसरों में थे। वह लगातार 10 साल तक जिले में पुलिस कप्तान रहने वाले चुनिंदा अफसरों में से एक हैं। प्रीतिंदर के अलावा डीआईजी हिमांशु कुमार भी डीजीपी मुख्यालय से अटैच हैं। उन्हें बीच में सीबीआई में भी मणिपुर हिंसा की जांच के लिए अटैच किया गया था। वहीं, 2011 बैच के आईपीएस अफसर दिनेश सिंह मार्च 2023 से डीजीपी मुख्यालय में अटैच हैं। उन्हें बिजनौर में तैनाती के दौरान ब्रेन हेमरेज हो गया था। वेटिंग में रहने पर नहीं मिलता है वेतन
वेटिंग और अटैच में ये अंतर है कि वेटिंग अवधि में अफसर को वेतन नहीं मिलता, जबकि अटैच अफसर को वेतन मिलता रहता है। रेणुका मिश्रा भर्ती बोर्ड से हटाए जाने के बाद वेटिंग में थीं। हालांकि बाद में उन्हें डीजीपी मुख्यालय से अटैच कर दिया गया था। ऐसे में उन्हें वेतन मिल रहा है। यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह कहते हैं कि वेटिंग के दौरान अधिकारी किसी इकाई का हिस्सा नहीं होता, इसलिए उसे कोषागार से वेतन नहीं मिलता। ऐसे अधिकारी को जब सरकार तैनाती देती है, अटैच करती है तब जाकर वेतन मिलता है। न तो वेटिंग में अफसर के पास कोई काम होता है और न ही अटैचमेंट में। मौजूदा समय में तीन अफसर वेटिंग में हैं। प्रमोशन पाए अफसरों को भी है तैनाती का इंतजार
ऐसा नहीं है कि सिर्फ वेटिंग और अटैचमेंट वाले अफसरों को तैनाती का इंतजार है। प्रमोशन पाए लगभग 18 अफसरों को अभी तैनाती नहीं मिली है। इसमें वे अफसर भी शामिल हैं जिनका एक जनवरी 2025 को प्रमोशन हुआ था। इसमें लखनऊ रेंज में बतौर आईजी तैनात प्रशांत कुमार का नाम सबसे ऊपर है। प्रशांत कुमार का प्रमोशन एडीजी रैंक में हुआ है। वहीं, पांच जिलों के पुलिस कप्तान भी अब एसएसपी से डीआईजी बन चुके हैं। इसमें मुजफ्फरनगर में तैनात अभिषेक सिंह, मथुरा में तैनात शैलेष पांडेय, शाहजहांपुर में तैनात राजेश एस, फर्रुखाबाद में तैनात आलोक प्रियदर्शी और झांसी में तैनात सुधा सिंह का नाम शामिल है। —————— ये खबर भी पढ़ें… DGP की नियुक्ति के लिए केंद्र ने मांगा प्रपोजल:25 मार्च को SC में सुनवाई, यूपी में 33 महीने से परमानेंट DGP नहीं यूपी को जल्द ही परमानेंट डीजीपी मिलने की उम्मीद एक बार फिर से जग गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यूपी सरकार से संघ लोकसेवा आयोग (UPSC) को भेजे गए प्रस्ताव की प्रति मांगी है। यूपी के अलावा भी उन सभी राज्यों से प्रस्ताव की कॉपी मांगी गई है, जहां अभी परमानेंट डीजीपी नहीं हैं। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
तैनाती के इंतजार में यूपी के 7 सीनियर आईपीएस:डीजी, आईजी, डीआईजी रैंक के अफसरों के पास काम नहीं
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