<p>उत्तर प्रदेश स्थित गोंडा से विधायक, भारतीय जनता पार्टी के नेता और बृजभूषण शरण सिंह के बेटे प्रतीक भूषण सिंह ने विनेश फोगाट के पेरिस ओलंपिक 2024 से अयोग्य घोषित होने पर पहली प्रतिक्रिया दी है. सोशल मीडिया साइट एक्स पर बिना विनेश का नाम लिखे प्रतीक ने लिखा- यह हृदय विदारक है.</p>
<p>उन्होंने लिखा- अयोग्य ठहराए जाने की खबर विनाशकारी और हृदय विदारक है. दुखद है.</p> <p>उत्तर प्रदेश स्थित गोंडा से विधायक, भारतीय जनता पार्टी के नेता और बृजभूषण शरण सिंह के बेटे प्रतीक भूषण सिंह ने विनेश फोगाट के पेरिस ओलंपिक 2024 से अयोग्य घोषित होने पर पहली प्रतिक्रिया दी है. सोशल मीडिया साइट एक्स पर बिना विनेश का नाम लिखे प्रतीक ने लिखा- यह हृदय विदारक है.</p>
<p>उन्होंने लिखा- अयोग्य ठहराए जाने की खबर विनाशकारी और हृदय विदारक है. दुखद है.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ‘मेडल राजनीति का शिकार हो गया’ Olympics में विनेश फोगाट के डिस्क्वालिफिकेशन पर बोले राकेश टिकैत
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ओलिंपिक से पहले नीरज ने जीता गोल्ड:पावो नूरमी गेम्स में 85.97 मीटर थ्रो किया; मसल्स में खिंचाव के कारण एक टूर्नामेंट छोड़ा
ओलिंपिक से पहले नीरज ने जीता गोल्ड:पावो नूरमी गेम्स में 85.97 मीटर थ्रो किया; मसल्स में खिंचाव के कारण एक टूर्नामेंट छोड़ा टोक्यो ओलिंपिक में जेवलिन थ्रो के गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा ने फिन लैंड के टुर्कु में आयोजित पावो नूरमी गेम्स में जेवलिन में गोल्ड मेडल जीता है। उन्होंने 85.97 थ्रो करके पहला स्थान प्राप्त किया।
नीरज के अलावा फिनलैंड के टोनी केरानेन ने 84.19 मीटर के थ्रो के साथ दूसरे स्थान पर रहकर सिल्वर मेडल और ओलिवियर हेलांडर ने 83.96 मीटर के अपने सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ बॉन्ज मेडल जीता है। इस प्रतियोगिता में नीरज दूसरे थ्रो में पिछड़ गए थे। लेकिन इसके बाद उन्होंने न केवल अच्छी वापसी की, बल्कि अपना बेस्ट थ्रो भी किया। अगले महीने से पेरिस ओलिंपिक गेम्स नीरज का गोल्ड जीतना भारत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि 26 जुलाई से 11 अगस्त तक पेरिस ओलिंपिक गेम्स है। नीरज को पिछले महीने प्रैक्टिस के दौरान मांसपेशियों में खिंचाव आ गया था। इस वजह से उन्होंने 28 मई को चेक गणराज्य में आयोजित ओस्ट्रावा गोल्डन स्पाइक टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया था। इसकी जानकारी नीरज ने सोशल मीडिया पर दी थी। नीरज चोपड़ा ने लिखा था, “मुझे ये समस्या पहले भी रही है। इस स्टेज पर अगर मैं खुद को पुश करता हूं तो ये चोट में बदल सकती है। मैं साफ कर दे रहा हूं कि मैं चोटिल नहीं हूं, पर मैं ओलिंपिक्स से पहले कोई खतरा नहीं लेना चाहता। जैसे ही मैं पूरी तरह से रिकवर हो जाऊंगा, मैं चैम्पियनशिप में वापसी करूंगा। आपके सपोर्ट के लिए धन्यवाद।” पहले आगे और फिर पीछे हो गए थे नीरज नीरज चोपड़ा सबसे पहले थ्रो करने आए और उन्होंने पहली ही बार में 83.62 मीटर का थ्रो किया। हालांकि यह उनकी खराब शुरुआत नहीं थी। वे एंडरसन पीटर्स से आगे रहे, जिन्होंने पहली बार में 82.58 मीटर का थ्रो किया। दूसरे प्रयास में नीरज ने 83.45 मीटर का थ्रो किया जो उनके शुरुआती प्रयास से बेहतर नहीं था। दूसरे प्रयास के बाद नीरज पिछड़ गए थे और ओलिवियर हेलांडर ने बढ़त बना ली थी। ओलिवियर ने दूसरे प्रयास में 83.96 मीटर का थ्रो किया था। इससे नीरज दूसरे स्थान पर खिसक गए थे। तीसरी थ्रो में हुए आगे दूसरे प्रयास में पिछड़ने के बाद नीरज ने तीसरे प्रयास में शानदार वापसी की। उन्होंने 85.97 मीटर का थ्रो कर बढ़त हासिल कर ली। नीरज का यह सर्वश्रेष्ठ थ्रो रहा। नीरज 8 भाला फेंक एथलीट में एकमात्र खिलाड़ी रहे जिन्होंने 85 मीटर के थ्रो को पार किया। वहीं, ओलिवियर अपने तीसरे प्रयास में 83 मीटर के पार भी नहीं जा सके और उन्होंने 82.60 मीटर का थ्रो किया। तीसरा प्रयास समाप्त होने के बाद नीरज ने अपनी बढ़त बनाए रखी। चौथे प्रयास में 82.21 मीटर का थ्रो किया। नीरज का यह इस मुकाबले का सबसे कमजोर थ्रो रहा, लेकिन इससे उनकी बढ़त पर कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि अन्य कोई एथलीट उनके सर्वश्रेष्ठ थ्रो के करीब भी नहीं पहुंच सका। इस तरह नीरज ने चौथे प्रयास के समाप्त होने के बाद भी अपनी बढ़त को बरकरार रखा। पांचवा हुआ फाउल, लेकिन कोई पीछे नहीं छोड़ सका नीरज पांचवें प्रयास में फाउल कर बैठे, लेकिन राहत की बात यह रही कि इस प्रयास में भी कोई नीरज को पीछे नहीं छोड़ सका और पांचवें प्रयास की समाप्ति के बाद भी टोक्यो ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता इस खिलाड़ी की बादशाहत बरकरार रही। पांचवें प्रयास में आंद्रियन मारडारे ही 82 मीटर के थ्रो को पार कर सके, जबकि नीरज सहित तीन खिलाड़ियों ने फाउल किया। हालांकि, छठे प्रयास में नीरज ने 82.97 मीटर का थ्रो किया। दिलचस्प बात यह रही कि अंतिम प्रयास में नीरज और मैक्स डेहिंग ही सफल प्रयास कर सके, जबकि अन्य सभी खिलाड़ियों ने फाउल किया। स्पोर्ट्स की ये खबरें भी पढ़ें… ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा को मांसपेशियों में परेशानी: कहा- चोटिल नहीं हूं, पर ओलिंपिक्स से पहले कोई रिस्क नहीं ले सकता भारत के स्टार जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा को ओलिंपिक्स से दो महीने पहले मांसपेशियों में परेशानी आ गई है। नीरज चोपड़ा ने इंस्टाग्राम पर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने लिखा- ”थ्रोइंग सेशन में हिस्सा लेने के बाद मैंने ओस्ट्रावा गोल्डन स्पाइक टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। नीरज चोपड़ा को नेशनल एथलेटिक्स फेडरेशन कप में गोल्ड:82.27 मीटर थ्रो फेंककर पहला स्थान हासिल किया, कर्नाटक के डीपी मनु को सिल्वर नेशनल एथलेटिक्स फेडरेशन कप में नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीत लिया है। 2020 के टोक्यो ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद नीरज भारत में पहली बार किसी कॉम्पिटिशन में हिस्सा ले रहे थे। उन्होंने अपने चौथे अटैम्प्ट में 82.27 मीटर का थ्रो फेंका, इसी थ्रो से उन्होंने पहला स्थान हासिल कर गोल्ड मेडल जीता पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही से हुआ गोंडा रेल हादसा:30 KMPH की स्पीड से ट्रेन चलाने का देना था काशन, 86 KMPH की स्पीड से दौड़ाई ट्रेन
इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही से हुआ गोंडा रेल हादसा:30 KMPH की स्पीड से ट्रेन चलाने का देना था काशन, 86 KMPH की स्पीड से दौड़ाई ट्रेन गोंडा में 18 जुलाई गुरुवार दोपहर 2.37 बजे चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की 21 बोगियां पटरी से उतर गईं। हादसे में 4 यात्रियों की मौत हो गई, 25 घायल हैं। हादसे की वजह जानने के लिए रेल संरक्षा आयुक्त (CRS) रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। रेलवे जांच टीमों को ट्रैक अपनी मौजूदा स्थिति से करीब 4 फीट खिसका हुआ मिला। ट्रैक के पास पानी भरा था। इसकी वजह से ट्रैक कमजोर थी। यही वजह है कि फोरेंसिक टीम ने पटरी का लोहा और मिट्टी का सैंपल लिया। रेलवे अधिकारियों को घटनास्थल के हालात देखने के बाद इस हादसे पर अपनी रिपोर्ट दी। इसमें इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही सामने आ रही, जबकि इसी रिपोर्ट में असहमति जताते हुए इसे टोटली इंमप्रॉपर ब्रेकिंग वजह बताया गया है। चलिए, बताते हैं…. 5 अफसरों ने मानी इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही
रेलवे अफसरों की जॉइंट कमेटी के अधिकारियों ने इस रिपोर्ट में 36 पाइंट में घटना से जुड़ी जानकारी दी है। इसे 6 अधिकारियों की टीम ने बनाया है, जिसमें से 5 ने घटना का कारण इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही मानी, जबकि, एक ने इसे गलत ढंग से ब्रेक लगाने की वजह मानी है। जांच रिपोर्ट में कहा गया- सेक्शन पर ट्रेन को 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलाने का काशन देना था। काशन में देरी के कारण चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के लोको पायलट को घटना का अंदेशा ही नहीं हुआ। इसके चलते ट्रेन 86 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हुई। मामले में आज उत्तर पूर्वी परिमंडल के रेल संरक्षा आयुक्त प्रणजीव सक्सेना DRM कार्यालय में बयान दर्ज करेंगे। इंजन निकलने के बाद उतरा पहिया
रेलवे अफसरों के जॉइंट रिपोर्ट में कहा गया- पटरी के तीन मीटर तक फैलाव के कारण पहिया उतरा। इंजन निकलने के बाद यह स्थिति बनी। लोको पायलट को झटका लगा तो उसने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया। इस पर ट्रेन 400 मीटर दूर जाकर रुकी, लेकिन तब तक 19 बोगियां पटरी से उतर गई। इस दौरान 350 मीटर की दूरी तक ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गए। रिपोर्ट में ट्रैफिक इंस्पेक्टर गोंडा जीसी श्रीवास्तव, चीफ लोको इंस्पेक्टर दिलीप कुमार, सीनियर सेक्शन इंजीनियर गोंडा वेद प्रकाश मीना, सीनियर सेक्शन इंजीनियर पीवे मनकापुर पीके सिंह सहित 6 अधीक्षकों के बयान भी दर्ज किए गए। 638 किलोमीटर पर लगा था ट्रेन में झटका
ट्रेन के लोको पायलट त्रिभुवन नरायन और सहायक लोको पायलट राज ने बताया- मोतीगंज स्टेशन से दोपहर 2:28 बजे ट्रेन 25 किमी प्रतिघंटे की निकली। किलोमीटर संख्या 638/12पर उसे जोर का झटका लगा। खड़खड़ की आवाज आने के साथ बीपी प्रेशर कम होने लगा। लगभग 80 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ रही ट्रेन में इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल कर पेंटो डाउन किया। पीछे देखा तो ट्रेन की बोगियां उतर चुकी थी। फ्लैश लाइट जलाकर सहायक लोको पायलट राज को बगल की लाइन के लाइन की सुरक्षा के लिए भेज दिया। सही से नहीं बंधा था रेल ट्रैक
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि रेल ट्रैक सही से बंधा नहीं था। दोपहर 1:30 बजे ट्रैक पर गड़बड़ी पकड़ी गई। स्टेशन मास्टर मोतीगंज को ट्रेन के दोपहर 2:28 बजे गुजरने के बाद 2:30 बजे 30 किमी. प्रति घंटे की गति के काशन का मेमो प्राप्त कराया। पटरी की IMR से गड़बड़ी मिलने के बाद काशन आर्डर मिलने तक साइट पर सुरक्षा करना चाहिए था, जो कि नहीं किया गया। इस कारण ट्रेन बेपटरी हुई, जिसकी गलती इंजीनियरिंग विभाग की है। वहीं, चार दिन पहले भी पटरी में गड़बड़ी की सूचना कीमैन ने दी थी, लेकिन इसे समय रहते दूर नहीं किया गया। 3 मीटर से बड़ा टुकड़ा हो गया गायब
ट्रेन के बेपटरी होने पर करीब 3.07 मीटर का पटरी का टुकड़ा गायब मिला। डाउन ट्रैक के दाहिनी ओर पटरी फैली हुई मिली। इसका कारण वेल्डिंग पर दबाव होना बातया गया। इंजन के बाद में जनरेटर पावर कार बेपटरी था। इसकी डिस्क व्हील और सेकेंड्री डैंपर क्षतिग्रस्त मिला। ट्राली गिट्टियों में धंसी थी। दोपहर डेढ़ बजे गडबड़ी मिली थी। स्टेशन मास्टर मोतीगंज को दोपहर ढाई बजे 30 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार का मेमो दिया गया, लेकिन समय पर साइट का प्रोटेक्शन नहीं करने के कारण गड़बड़ी की स्थिति बनी। स्पीडोमीटर के अनुसार हादसे के समय गाड़ी 86 किलोमीटर प्रतिघंटे की रप्तार में थी। ज्वाइंट रिपोर्ट के 11 प्वाइंट्स पर जताई असहमति
SSE पीके सिंह ने कहा- संयुक्त रिपोर्ट में सभी लोगों द्वारा बिना सभी तथ्यों को देखे एक मत होकर खिलाफ रिपोर्ट बनाई गई है, जो कि बिल्कुल गलत है। संयुक्त रिपोर्ट से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। पीके सिंह ने 11 बिन्दुओं के आधार पर असहमति जताई है। इसमें स्पीड मापने के पैमाने, मैकेनिकल की ओर से कोई मेजरमेंट नहीं देने और कार्मशियल की तरफ से पार्सल लोड की जानकारी देने पर सवाल उठाया गया। इसमें उन्होंने कहा कि यह टोटली इंमप्रापर ब्रेकींग के कारण हुआ है। इसके साथ ही व्हील मेजरमेंट के बिना पहियों में बताई गई गड़बड़ी पर सवाल खड़ा किया गया है। जहां हुआ हादसा, वहां एक दिन पहले हुआ था मरम्मत
हालांकि, घटना के दिन ही यह बात सामने आई थी कि जिस जगह हादसा हुआ, वहां 1 दिन पहले ट्रैक की मरम्मत हुई थी। यात्री ट्रेनों को 15-20 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने की परमिशन थी, लेकिन गुरुवार को किसी तरह का सतर्कता आदेश जारी नहीं हुआ था। इसके चलते चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस अपनी अधिकतम रफ्तार पर आ रही थी और दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इससे पहले 27 अगस्त, 2023 और 10 जून, 2022 को भी ट्रैक को लेकर सतर्कता आदेश जारी हुआ था, तब भी ट्रेनें 15 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थीं। रेलवे का इंजीनियरिंग विभाग ट्रैक को बदलने-मरम्मत करने के लिए आदेश जारी करता है। ट्रैक कमजोर था, 3 साल से चल रहा था काम
रेलवे सोर्स के मुताबिक-ट्रेन के डिरेल होने के 2 कारण होते हैं। पहला- ट्रैक की खामी। दूसरा- इंजन-कोच के पहियों में गड़बड़ी। 3 साल से इस ट्रैक का काम चल रहा है, इसलिए हादसे का कारण ट्रैक में गड़बड़ी को माना जा रहा है। रेलवे बोर्ड के सीनियर अफसर ने दावा किया कि हादसे में ट्रैक में तोड़फोड़ की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा- लोको पायलट ने हादसे से पहले तेज धमाके की आवाज सुनी। इस आशंका को देखते हुए हाई लेवल जांच के आदेश दिए गए हैं। ट्रेन हादसा- ट्रैक के पास भरा था पानी: पटरी 4 फीट खिसकी, मिट्टी के सैंपल लिए; कोच के नीचे मिली एक और लाश, अब तक 4 मौतें यूपी के गोंडा में गुरुवार दोपहर 2.37 बजे चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की 21 बोगियां पटरी से उतर गईं। हादसे में 4 यात्रियों की मौत हो गई, 25 घायल हैं। हादसे की वजह जानने के लिए रेल संरक्षा आयुक्त (CRS) रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। रेलवे जांच टीमों को ट्रैक अपनी मौजूदा स्थिति से करीब 4 फीट खिसका हुआ मिला है। ट्रैक के पास पानी भरा था। इसकी वजह से ट्रैक कमजोर होने की आशंका है। यही वजह है कि फोरेंसिक टीम ने पटरी का लोहा और मिट्टी का सैंपल लिया है। रेलवे अधिकारियों को घटनास्थल के हालात देखने के बाद हादसे की 3 वजह समझ आ रही हैं। चलिए, बताते हैं….पूरी खबर पढ़ें…
गैंगस्टर लॉरेंस के 2 इंटरव्यू पर खुलासा:पंजाब पुलिस की कस्टडी में पहला, दूसरा राजस्थान जेल में हुआ; हाईकोर्ट ने SIT रिपोर्ट खोली
गैंगस्टर लॉरेंस के 2 इंटरव्यू पर खुलासा:पंजाब पुलिस की कस्टडी में पहला, दूसरा राजस्थान जेल में हुआ; हाईकोर्ट ने SIT रिपोर्ट खोली पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के मास्टरमाइंड कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस के जेल से इंटरव्यू मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। गैंगस्टर का पहला इंटरव्यू पंजाब के खरड़ में पुलिस कस्टडी में हुआ था। जबकि, दूसरा इंटरव्यू राजस्थान की जेल में हुआ था। यह खुलासा इस मामले की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) की रिपोर्ट से हुआ है। एसआईटी ने यह सीलबंद रिपोर्ट पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट को सौंपी थी। जिसे बुधवार को सार्वजनिक किया गया। रिपोर्ट के दूसरे तथ्यों के बारे में इंतजार किया जा रहा है। पंजाब के DGP ने खारिज किया था दावा
गैंगस्टर लॉरेंस के इंटरव्यू वर्ष 2023 में 14 और 17 मार्च को जारी किए गए थे। जिसके बाद पंजाब पुलिस पर सवाल उठे थे। इसके बाद पंजाब के डीजीपी गौरव यादव प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। जिसमें उन्होंने दावा किया था कि इंटरव्यू बठिंडा या पंजाब की किसी भी जेल से नहीं हुआ है। DGP ने लॉरेंस की 2 तस्वीरें दिखाते हुए कहा था- जब लॉरेंस को बठिंडा जेल लाया गया तो इसके बाल कटे थे और दाढ़ी-मूछ नहीं थी। पहले इंटरव्यू में मूसेवाला के कत्ल की जिम्मेदारी ली
लॉरेंस का पहला इंटरव्यू 14 मार्च को ब्रॉडकास्ट हुआ था। जिसमें लॉरेंस ने सिद्धू मूसेवाला का कत्ल करवाने की बात कबूली थी। लॉरेंस का कहना था कि मूसेवाला सिंगिंग के बजाय गैंगवार में घुस रहा था। उसके कॉलेज फ्रेंड अकाली नेता विक्की मिड्डूखेड़ा के कत्ल में भी मूसेवाला का हाथ था। इसलिए उसे मरवाया। एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक ये वही इंटरव्यू है, जो उसने सीआईए की कस्टडी से दिया। दूसरे इंटरव्यू में बैरक से कॉल करने का दिया सबूत
लॉरेंस ने अपने दूसरे इंटरव्यू में जेल के अंदर से इंटरव्यू करने का सबूत भी दिया था। उसने अपनी बैरक भी दिखाई और बताया कि उसे बाहर नहीं जाने दिया जाता, लेकिन मोबाइल भी उसके पास आ जाता है और सिग्नल भी। लॉरेंस ने अपने इंटरव्यू में कहा कि रात के समय जेल के गार्ड बहुत कम आते-जाते हैं, इसीलिए वह रात को कॉल कर रहा है। लॉरेंस ने मोबाइल के अंदर आने के बारे में भी जानकारी दी थी। लॉरेंस के अनुसार मोबाइल बाहर से जेल के अंदर फेंके जाते हैं। कई बार जेल स्टाफ उन्हें पकड़ भी लेता है, लेकिन अधिकतर बार मोबाइल उस तक पहुंच जाता है। वकील बोले- पंजाब पुलिस में काली भेड़ें
इस बारे में इंटरव्यू के खिलाफ पिटीशन दायर करने वाले वकील गौरव ने कहा- आज सुनवाई में साफ हो गया गया कि पंजाब पुलिस में काली भेड़े हैं। जिन्होंने यह इंटरव्यू करवाया था। यह किसी आम आदमी का यह काम नहीं है। हालांकि इसे शुरू से ही दबाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि अदालत ने तय किया है कि जो भी इस मामले शामिल होंगे, उन पर सीधे कार्रवाई होगी। वहीं, इस मामले में जो भी सुपरवाइजर होंगे, उन पर भी कार्रवाई होगी। इस मामले में डीजीपी एफिडेविट फाइल करेंगे। इस मामले की अगली सुनवाई पांच नौ को तय की गई। अब गुजरात जेल में बंद है लॉरेंस
गैंगस्टर लॉरेंस इस समय गुजरात की जेल में नशा तस्करी से जुडे़ केस में बंद है। उसे अहमदाबाद के साबरमती में हाई सिक्योरिटी जेल में रखा गया है। हाल ही में उसके पाकिस्तानी डॉन से ईद की बधाई को लेकर वीडियो कॉल की रिकॉर्डिंग भी वायरल हुई थी। आतंकी गैंग की तरह लॉरेंस का स्लीपर सेल
आतंकियों की तर्ज पर लॉरेंस गैंग ने अपना ‘स्लीपर सेल’ तैयार कर लिया है। स्लीपर सेल से जुड़े गुर्गे आम लोगों की तरह हमारे बीच में रहते हैं। ये पेशेवर अपराधी नहीं हैं, लेकिन आका (लॉरेंस) का इशारा मिलते ही टारगेट किलिंग करने से भी नहीं चूकते। लॉरेंस गैंग ने ब्रेन वॉश कर स्लीपर सेल में कई नाबालिगों को भी शामिल कर रखा है। ये नाबालिग हथियार सप्लाई, टारगेट किलिंग से लेकर हवाला के जरिए पैसा ठिकाने लगाने का काम कर रहे हैं। इस तथ्य का खुलासा लॉरेंस गैंग के गुर्गों द्वारा राजस्थान में अंजाम दी गई विभिन्न वारदात से जुड़ी जांच और अदालत में दाखिल चार्जशीट में हुआ है। पहली बार बाकायदा ‘स्लीपर सेल’ शब्द का इस्तेमाल किया गया। स्लीपर सेल से जुड़े गुर्गे पुलिस और जांच एजेंसियों से बचने के लिए बॉक्स कॉल के जरिए संपर्क में रहते हैं। बॉक्स कॉल करने के लिए मोबाइल से सिग्नल ऐप कॉल करने के बाद स्पीकर ऑन- हैंड्स फ्री कर बात की जाती है। बॉक्स कॉल करने से कॉल इंटरसेप्ट नहीं की जा सकती है, और ना ही कॉल लोकेट हो पाती है। सलमान खान के पीछे पड़ा गैंगस्टर लॉरेंस
लॉरेंस इस वक्त सलमान खान के पीछे पड़ा है। सलमान पर आरोप है कि 1998 में फिल्म ‘हम साथ साथ हैं’ की शूटिंग के दौरान राजस्थान के जंगलों में काले हिरण का शिकार किया था। सलमान के अलावा सैफ अली खान, सोनाली बेंद्रे, तब्बू और नीलम कोठारी पर भी आरोप लगे थे। बिश्नोई समाज ने तब सलमान के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी। सलमान को इसके लिए जोधपुर कोर्ट ने पांच साल की सजा भी सुनाई थी, हालांकि बाद में उन्हें इस मामले में बेल मिल गई। इसी के चलते गैंगस्टर लॉरेंस सलमान खान को मारना चाहता है। वह कोर्ट में पेशी के दौरान इसकी धमकी तक दे चुका है। सलमान खान पर हमले की प्लानिंग में लॉरेंस के कई गुर्गों को दिल्ली और मुंबई पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। मगर फिर भी लॉरेंस अपने गैंगस्टर के गुर्गों को सलमान खाने के पीछे लगाए हुए हैं। कुछ दिन पहले ही मुंबई में सलमान खान के घर पर फायरिंग की जा चुकी है। हम इस खबर को अपडेट कर रहे हैं…