<p style=”text-align: justify;”>राजधानी दिल्ली के किशनगंज इलाके में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने न सिर्फ प्रशासन को हिला कर रख दिया है, बल्कि पूरे शहर के जल संकट की गंभीरता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. यहां एक निजी व्यक्ति द्वारा रोजाना पांच लाख लीटर से भी अधिक भूजल ( Ground Water) का अवैध दोहन किया जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस सनसनीखेज खुलासे के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्त रुख अपनाते हुए दिल्ली सरकार समेत सात प्रमुख विभागों और अधिकारियों को नोटिस जारी किया है. इनमें दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC), दिल्ली जल बोर्ड (DJB), केंद्रीय दिल्ली के जिलाधिकारी, दिल्ली नगर निगम (MCD) के आयुक्त और आरोपी व्यक्ति हेमंत उर्फ बिट्टू शामिल हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कैसे हुआ मामला उजागर?</strong><br />मामला तब प्रकाश में आया जब NGT को एक लेटर पिटीशन प्राप्त हुई, जिसमें यह गंभीर आरोप लगाया गया कि किशनगंज इलाके में एक व्यक्ति भूजल का बड़े पैमाने पर अवैध दोहन कर रहा है और इसका उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों में किया जा रहा है. पत्र में चेतावनी दी गई कि अगर समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं हुई, तो क्षेत्र में भूजल का नामोनिशान मिट सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>NGT का सख्त रुख</strong><br />जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज़ अहमद की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा प्रथम दृष्टया यह मामला पर्यावरणीय नियमों का गंभीर उल्लंघन प्रतीत होता है. एनजीटी ने सभी संबंधित पक्षों को 21 मई की अगली सुनवाई से पहले जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जांच के लिए संयुक्त समिति का गठन</strong><br />NGT ने इस मामले की तह तक जाने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन भी कर दिया है. इस समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड , दिल्ली जल बोर्ड और संबंधित जिलाधिकारी के प्रतिनिधि शामिल होंगे. एनजीटी ने निर्देश दिया है कि यह समिति आरोपी हेमंत उर्फ बिट्टू को पूर्व सूचना देकर स्थल का निरीक्षण करे, याचिकाकर्ता और आरोपी दोनों की उपस्थिति में तथ्यात्मक स्थिति की जांच करे और उपयुक्त समाधान सुझाते हुए एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या कहता है कानून ?</strong><br />भारत में भूजल के दोहन को लेकर सख्त नियम हैं. केंद्रीय भूजल प्राधिकरण की अनुमति के बिना भूजल निकालना गैरकानूनी है खासकर तब, जब इसका इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए हो रहा हो. इसके बावजूद इस तरह का खुला उल्लंघन, न केवल प्रशासनिक विफलता को उजागर करता है, बल्कि आने वाले समय में दिल्ली के लिए जल संकट की बड़ी चेतावनी भी है.</p> <p style=”text-align: justify;”>राजधानी दिल्ली के किशनगंज इलाके में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने न सिर्फ प्रशासन को हिला कर रख दिया है, बल्कि पूरे शहर के जल संकट की गंभीरता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. यहां एक निजी व्यक्ति द्वारा रोजाना पांच लाख लीटर से भी अधिक भूजल ( Ground Water) का अवैध दोहन किया जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस सनसनीखेज खुलासे के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्त रुख अपनाते हुए दिल्ली सरकार समेत सात प्रमुख विभागों और अधिकारियों को नोटिस जारी किया है. इनमें दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC), दिल्ली जल बोर्ड (DJB), केंद्रीय दिल्ली के जिलाधिकारी, दिल्ली नगर निगम (MCD) के आयुक्त और आरोपी व्यक्ति हेमंत उर्फ बिट्टू शामिल हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कैसे हुआ मामला उजागर?</strong><br />मामला तब प्रकाश में आया जब NGT को एक लेटर पिटीशन प्राप्त हुई, जिसमें यह गंभीर आरोप लगाया गया कि किशनगंज इलाके में एक व्यक्ति भूजल का बड़े पैमाने पर अवैध दोहन कर रहा है और इसका उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों में किया जा रहा है. पत्र में चेतावनी दी गई कि अगर समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं हुई, तो क्षेत्र में भूजल का नामोनिशान मिट सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>NGT का सख्त रुख</strong><br />जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज़ अहमद की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा प्रथम दृष्टया यह मामला पर्यावरणीय नियमों का गंभीर उल्लंघन प्रतीत होता है. एनजीटी ने सभी संबंधित पक्षों को 21 मई की अगली सुनवाई से पहले जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जांच के लिए संयुक्त समिति का गठन</strong><br />NGT ने इस मामले की तह तक जाने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन भी कर दिया है. इस समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड , दिल्ली जल बोर्ड और संबंधित जिलाधिकारी के प्रतिनिधि शामिल होंगे. एनजीटी ने निर्देश दिया है कि यह समिति आरोपी हेमंत उर्फ बिट्टू को पूर्व सूचना देकर स्थल का निरीक्षण करे, याचिकाकर्ता और आरोपी दोनों की उपस्थिति में तथ्यात्मक स्थिति की जांच करे और उपयुक्त समाधान सुझाते हुए एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या कहता है कानून ?</strong><br />भारत में भूजल के दोहन को लेकर सख्त नियम हैं. केंद्रीय भूजल प्राधिकरण की अनुमति के बिना भूजल निकालना गैरकानूनी है खासकर तब, जब इसका इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए हो रहा हो. इसके बावजूद इस तरह का खुला उल्लंघन, न केवल प्रशासनिक विफलता को उजागर करता है, बल्कि आने वाले समय में दिल्ली के लिए जल संकट की बड़ी चेतावनी भी है.</p> दिल्ली NCR पानी के प्रोजेक्ट पर उमर अब्दुल्ला के बयान से भड़कीं महबूबा मुफ्ती, ‘भारत-पाक तनाव के बीच…’
दिल्ली के किशनगंज में रोजाना 5 लाख लीटर भूजल की ‘लूट’, NGT सख्त
